
पीरियड (Period Meaning in Hindi): क्या है, कब आता है और क्या होते हैं संकेत

Table of Contents
- पीरियड क्या है? – Period Kya Hota Hai?
- पीरियड आने के संकेत क्या हैं? – Signs of Periods in Hindi
- प्रीमेंस्ट्रुअल साइकिल (PMS) क्या है? – Premenstrual Cycle in Hindi
- पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग या लंबे पीरियड्स का समाधान
- पीरियड कितने दिन तक रहता है?
- पीरियड्स में क्या नहीं करना चाहिए ?
- पीरियड्स क्यों होते हैं?
- पीरियड साइकिल क्या है?
- प्रेग्नेंट होने के सबसे ज्यादा चांस कब होते हैं?
- पीरियड के कितने दिन बाद गर्भ ठहरता है?
- पीरियड्स नहीं होने पर क्या करना चाहिए?
- पीरियड के समय होने वाले दर्द को कैसे कम करें?
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पीरियड क्या है? – Period Kya Hota Hai?
पीरियड्स को हिंदी में मासिक धर्म (Periods in Hindi) कहते हैं, जो महिलाओं में होनी वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। जब एक लड़की को पहली बार पीरियड्स आते हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि वह लड़की गर्भधारण करने क्षमता हासिल करने की पहले स्टेज पार कर चुकी है। एक लड़की या महिला के तौर पर आपको यह पता होना चाहिए कि पीरियड्स क्या हैं, पीरियड्स क्यों होते हैं और कब शुरू होते हैं आदि।
पीरियड को माहवारी भी कहते हैं। पीरियड के दौरान गर्भाशय के अंदर से रक्त और उत्तक योनि के द्वारा बाहर निकलते हैं। आमतौर पर यह महीने में एक बार होता है। जब लड़कियां प्यूबर्टी यानी यौवन के दौर से गुजर रही होती हैं तो उनके शरीर में बड़े स्तर पर हार्मोनल बदलाव आते हैं और उनकी प्रजनन प्रणाली विकसित हो रही होती है।
इसी दौरान लड़कियों में मासिक धर्म (Periods in Hindi) शुरू होता है, जिसका मतलब यह है (Periods meaning in Hindi) कि उनका शरीर प्रजनन करने योग्य हो चूका है। आमतौर पर लड़कियों में यौवन का समय लगभग 11 साल की उम्र से शुरू हो जाता है, जिसके बाद उनको पीरियड्स आने लगते हैं।
पीरियड आने के संकेत क्या हैं? – Signs of Periods in Hindi
पीरियड्स से पहले शरीर में कुछ सामान्य बदलाव होते हैं, जिनसे संकेत मिल सकते हैं कि पीरियड्स शुरू होने वाले हैं। पीरियड आने के लक्षण निम्न शामिल हो सकते हैं:
- पेट में हल्का दर्द या ऐंठन
- स्तनों में सूजन या संवेदनशीलता
- मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, या थकान
- सिरदर्द और शरीर में हल्का दर्द
- हल्का स्पॉटिंग या सफेद डिस्चार्ज
इन लक्षणों को आमतौर पर पीरियड्स से कुछ दिन पहले महसूस किया जाता है, लेकिन अगर लक्षण बहुत ज्यादा तकलीफदेह हों तो डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर होगा।
प्रीमेंस्ट्रुअल साइकिल (PMS) क्या है? – Premenstrual Cycle in Hindi
पीएमएस, यानी प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम, एक सामान्य स्थिति है जो पीरियड्स से कुछ दिन पहले होती है। इस दौरान शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसके कारण कई लक्षण महसूस होते हैं जैसे कि:
- मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन
- थकान और सिरदर्द
- पेट में ऐंठन, चेहरे पर मुंहासे
- स्तनों में सूजन और हल्का दर्द
- अनिद्रा या भूख में बदलाव
इन लक्षणों को कम करने के लिए हल्की एक्सरसाइज, अच्छा आहार और पर्याप्त नींद मददगार हो सकती है। अगर लक्षण ज्यादा परेशान करें तो डॉक्टर से जांच कराई जा सकती है।
पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग या लंबे पीरियड्स का समाधान
अगर पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक ब्लीडिंग हो या यह 5-7 दिन से ज्यादा समय तक चले, तो यह ध्यान देने की बात हो सकती है। इसके कारण हो सकते हैं जैसे कि:
- हार्मोनल असंतुलन
- थायराइड की समस्या
- फाइब्रॉइड या पीसीओडी
- किसी दवा का प्रभाव
इसके समाधान के लिए: - आयरन और फोलिक एसिड से भरपूर आहार लें
- भारी एक्सरसाइज से बचें
- तनाव कम करने की कोशिश करें
अगर ब्लीडिंग बहुत ज्यादा हो या यह हर महीने की समस्या बन जाए, तो डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।
पीरियड कितने दिन तक रहता है?
पीरियड्स (Periods) के दौरान आमतौर पर 3-7 दिनों तक ब्लीडिंग होती है, लेकिन यह हर महिला के शरीर पर निर्भर करता है। कुछ महिलाओं के लिए यह 2 दिन का हो सकता है, तो कुछ के लिए 8 दिन तक भी। यदि पीरियड्स सामान्य से अधिक लंबे या छोटे हों, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
पीरियड्स में क्या नहीं करना चाहिए ?
पीरियड्स में आपको कुछ चीजों से बचना चाहिए ताकि इसके लक्षणों को इम्प्रूव किया जा सके। पीरियड्स के दर्द और लक्षणों को कम करने के लिए आपको निम्न से बचना चाहिए:
- रात में बिना पैड के सोना
- अधिक नमक या नमकीन पदार्थों का सेवन करना
- वैक्सिंग या शेविंग करना
- शराब, सिगरेट या दूसरी नशीली चीजों का सेवन करना
- असुरक्षित यौन संबंध बनाना
- ज्यादा चाय या कॉफी का सेवन करना
- रात भर जागना
- ब्रेस्ट टेस्ट कराना
- कसरत करना
इन सबके अलावा, अगर आप सैनिटरी पैड या टेम्पोन का इस्तेमाल कर रही हैं तो आपको पुरे दिन एक ही सैनिटरी पैड को पहनने से बचना चाहिए। इससे संक्रमण और त्वचा पर रैशेज और टॉक्सिक शौक सिंड्रोम का खतरा बढ़ सकता है।
पीरियड्स क्यों होते हैं?
जब एक लड़की का शरीर मैच्योर होकर गर्भधारण करने के लिए तैयार होता है तो उसके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव आते हैं और उन्हीं में से एक है पीरियड्स का आना।
जब एक लड़की अपने यौवन में पहुंचती है तो हार्मोनल परिवर्तन के कारण उसके अंडाशय यानी ओवरी में अंडे बनने लगते हैं।
हर महीने गर्भाशय में एक परत का निर्माण होता है जो म्यूकस और खून से बनी होती है। जब महिला के अंडाशय से निकला हुआ अंडा फैलोपियन ट्यूब में पुरुष के स्पर्म के साथ फर्टिलाइज होता है तो भ्रूण बनने और उसे पोषण देने में इस परत का अहम रोल होता है।
अंडा फर्टिलाइज नहीं होने पर वह म्यूकस और खून के साथ महिला की योनि से बाहर निकलता है। इससे महिला को ब्लीडिंग होती है, इसी ब्लीडिंग को पीरियड्स, मासिक धर्म (masik dharm) या माहवारी कहते हैं।
पीरियड साइकिल क्या है?
पीरियड साईकिल को मेंस्ट्रुअल साईकिल भी कहते हैं। यह पीरियड के पहले दिन और अगले पीरियड के बीच का समय है।
उदाहर के लिए, अगर आपका पिछला पीरियड 10 मार्च को शुरू हुआ था और आपका अगला पीरियड 8 अप्रैल को आया तो आपका मेंस्ट्रुअल साईकिल 10 मार्च से 8 अप्रेल के बीच का समय है।
प्रेग्नेंट होने के सबसे ज्यादा चांस कब होते हैं?
अंडों का मैच्योर होकर ओवरी से रिलीज होने की प्रक्रिया को ओवुलेशन कहते हैं। इस दौरान अंडा अंडाशय से बाहर निकलकर फैलोपियन ट्यूब में जाता है जहां पुरुष स्पर्म इसे फर्टिलाइज यानी निषेचित करता है।
ओवुलेशन के दौरान, एक महिला का शरीर पूर्ण रूप से गर्भधारण करने के लिए तैयार होता है। इस समय असुरक्षित यौन संबंध बनाने से गर्भधारण करने यानी गर्भ ठहरने का चांस सबसे अधिक होता है।
अगर आप प्रेगनेंट होना चाहती हैं तो अपने ओवुलेशन पीरियड का ध्यान रखें और इस दौरान अपने पुरुष पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाएं।
पीरियड के कितने दिन बाद गर्भ ठहरता है?
पीरियड खत्म होने के तुरंत बाद ही गर्भ ठहर सकता है। हालांकि, इसकी संभावना काफी कम होती है, लेकिन इसके बावजूद भी असुरक्षित यौन संबंध बनाने से आप गर्भवती हो सकती हैं। आप मासिक धर्म चक्र में किसी भी समय आप गर्भवती हो सकती हैं।
साथ ही, निम्नलिखित स्थिति में भी गर्भधारण किया जा सकता है:-
- आपको पहले कभी पीरियड्स नहीं हुए हों
- पहली बार पीरियड आने पर
- पहली बार यौन संबंध बंनाने पर
महीने में कोई भी ऐसा सुरक्षित समय नहीं है जब बिना प्रोटेक्शन के यौन संबंध बनाने पर गर्भधारण करने का जोखिम न हो। मासिक धर्म चक्र में आपकी प्रेगनेंसी की संभावनाएं सबसे अधिक होती है।
पीरियड्स नहीं होने पर क्या करना चाहिए?
अगर एक महिला का मेनोपॉज शुरू हो गया है तो उसे पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में एक महिला को डरने या घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह प्राकृतिक है। लेकिन अगर एक लड़की की उम्र 16-18 वर्ष के बीच या उससे अधिक है तो प्राकृतिक रूप से उसे पीरियड्स आने शुरू हो जाने चाहिए। लेकिन कई बार कुछ कारणों से इस दौरान लड़की को पीरियड्स नहीं आते हैं या एक-दो बार पीरियड्स आकर बंद हो जाते हैं तो इसे मेडिकल भाषा में एमेनोरिया कहते हैं।
वयस्क होने के बाद भी अगर एक लड़की को पीरियड्स नहीं आते हैं तो यह गंभीर स्थिति की ओर एक इशारा है। नियमित रूप से पीरियड्स नहीं आने पर लड़की को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इन सबसे बचने का सबसे सटीक तरीका है विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना ताकि पीरियड्स नहीं आने के सटीक कारण का पता लगाकर उसका उचित उपचार किया जा सके। अगर एक लड़की की उम्र 16 वर्ष से अधिक है और उसे नियमित रूप से पीरियड्स नहीं आते हैं तो बिना देरी किए स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
पीरियड के समय होने वाले दर्द को कैसे कम करें?
पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को कम करने एवं इससे बचने के लिए आप निम्न उपायों को अपना सकती हैं:-
- एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में अच्छी तरह उबालें, उसके बाद उसे छानकर पीएं।
- एक कप दूध में आधा चम्मच हल्दी डालकर गर्म करें और फिर ठंडा होने के बाद उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाकर उसका सेवन करें।
- हॉट वाटर बैग से पेट के निचले हिस्से की सिकाई करें, इससे दर्द और सूजन में कमी आती है। साथ ही, पुरे दिन गुनगुना पानी पीएं।
- पीरियड्स के दौरान दर्द होने पर आपको अपनी डाइट में स्प्राउट्स, बिन्स, हरी पत्तेदार सबियों और ताजे फलों एवं ड्राई फ्रूट्स आदि को शामिल करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पीरियड आने की सही उम्र क्या है?
आमतौर पर, लड़कियों को 12-15 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू होते हैं, लेकिन यह हर किसी के लिए अलग हो सकता है।
पीरियड कितनी उम्र तक होता है?
आमतौर पर, महिलाएं 45-55 साल की उम्र तक पीरियड्स करती हैं, उसके बाद मेनोपॉज होता है।
पहला पीरियड कितने दिन तक रहता है?
पहला पीरियड आमतौर पर तीन से सात दिनों तक रहता है। हालाँकि, हर लड़की या महिला में मेंस्ट्रुअल साइकिल की अवधि अलग-अलग हो सकती है, इसलिए पीरियड की अवधि भी अलग-अलग हो सकती है।
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