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Birla Fertility & IVF
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पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (PCOD full form in Hindi) का कारण, लक्षण और इलाज

  • Published on March 25, 2022
पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (PCOD full form in Hindi) का कारण, लक्षण और इलाज

हार्मोनल असंतुलन और अनुवांशिकी के कारण महिलाओं को अनेकों समस्याएं होती हैं, पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर भी उन्हीं में से एक है। पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर को आम बोलचाल की भाषा में (PCOD in Hindi) पीसीओडी कहते हैं।

 

पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) क्या है (What is pcod in Hindi)

पीसीओडी महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है जिसका मुख्य कारण हार्मोनल असंतुलन है। इस समस्या से पीड़ित महिला के शरीर में एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है और ओवरी यानी अंडाशय में सिस्ट बनने लगते हैं।

एक मनुष्य के शरीर को अच्छी तरह से काम करने के लिए पुरुष और महिला दोनों हार्मोन की जरूरत होती है, लेकिन पीसीओडी से पीड़ित महिला में पुरुष हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिसके परिणामस्वरूप अंडाशय में समस्याएं पैदा होती हैं।

पीसीओडी से पीड़ित महिला को अनेको समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसमें अनियमित माहवारी होना या पीरियड्स नहीं आना, मासिक धर्म चक्र के दौरान दर्द, चेहरे पर बाल और मुंहासे आना, श्रोणि में दर्द और कुछ मामलों में बांझपन यानी इनफर्टिलिटी आदि शामिल हैं। 

 

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) क्या है (What is pcos in Hindi)

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम को आम बोलचाल की भाषा में पीसीओएस कहते हैं। यह एक गंभीर बीमारी है जिससे पीड़ित महिला के शरीर में मेटाबॉलिक और हार्मोनल अंसतुलन अधिक होता है। 

जिन लड़कियों या महिलाओं को लंबे समय तक पीरियड्स नहीं आते हैं उनमें पीसीओएस होने का खतरा अधिक होता है। विशेषज्ञ के मुताबिक, पीसीओएस एक महिला में मेनोपॉज तक रह सकता है।

इस समस्या से पीड़ित महिला में पुरुष हार्मोन यानी टेस्टोस्टेरोन बढ़ने लगता है जिसके कारण ओवुलेशन में अनियमितता होती है। पीसीओडी की तुलना में पीसीओएस अधिक गंभीर है जिसकी स्थिति में महिला का वजन बहुत तेजी से बढ़ता है।

 

पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम में फर्क (Difference between pcod and pcos in Hindi)

पीसीओडी और पीसीओएस एक दूसरे से अलग हैं। हालांकि, इनके शुरूआती लक्षण और इलाज एक जैसे होते हैं। अगर ये अपनी शुरूआती स्टेज में हैं तो जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाकर इन्हें ठीक किया जा सकता है।

पीसीओडी और पीसीओएस में मुख्य रूप से निम्न अंतर हैं:-

  • पीसीओडी एक सामान्य स्थिति है जबकि पीसीओएस एक गंभीर समस्या है।
  • स्वस्थ डाइट और जीवनशैली से पीसीओडी का इलाज संभव है जबकि पीसीओएस का इलाज करने के लिए जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव के साथ-साथ दवाओं के सेवन की भी आवश्यकता होती है।
  • पीसीओएस की तुलना में पीसीओडी ज्यादा सामन्य है। पीसीओएस कम महिलाओं में देखने को मिलता है जबकि दुनिया भर पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं की संख्या अधिक है।
  • पीसीओडी के साथ गर्भधारण किया जा सकता है जबकि पीसीओएस की स्थिति में गर्भधारण में परेशानी होती है।
  • पीसीओएस से पीड़ित गर्भवती महिला को डायबिटीज होने का खतरा होता है जबकि पीसीओडी से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को डायबिटीज का खतरा कम या नहीं होता है।
  • अगर समय पर पीसीओएस का उचित इलाज नहीं किया गया तो गर्भाशय का कैंसर हो सकता है।

पीसीओडी की जटिलताएं 

पीसीओडी के लक्षणों को नजरअंदाज करने या समय पर उसको नियंत्रित नहीं करने पर अनेक जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है जैसे कि निःसंतानता की शिकायत होना, गर्भपात होना या समय से पहले शिशु का जन्म होना, उपापचय की शिकायत होना, गर्भाशय से असामान्य रक्तस्राव होना, चिंता या डिप्रेशन होना, दुर्लभ मामलों में ब्रेस्ट कैंसर होना, टाइप 2 डायबिटीज या प्रीडायबिटीज होना, एंडोमेट्रियल कैंसर होना और मेटाबोलिक सिंड्रोम आदि।

पीसीओडी से कैसे बचें?

अगर एक महिला खुद में पीसीओडी के खतरे को कम या ख़त्म करना चाहती है तो उसे कुछ बातों का ख़ास ध्यान देना होगा जैसे कि नियमित रूप से व्यायाम करना, समय पर दवाओं का सेवन करना, शराब, सिगरेट और दूसरी नशीली चीजों से दूर रहना, अपने वजन का ख़ास ध्यान रखना, अधिक तैलीय और मसालेदार चीजों के सेवन से बचना, अधिक कोलेस्टेरोल, फैट और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर चीजों का सेवन नहीं करना आदि।

पीसीओडी का निदान (Diagnosis of PCOD in Hindi)

पीसीओडी का निदान करने के लिए डॉक्टर आपसे लक्षणों के बारे में पूछते हैं। साथ ही, शारीरिक जांच और ब्लड टेस्ट के जरिए हार्मोन, कोलेस्टेरोल और ग्लूकोज के स्तर की पुष्टि करते हैं। इसके अलावा, गर्भाशय और अंडाशय को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है।

शारीरिक जांच

इस दौरान डॉक्टर आपके ब्लड प्रेशर, बॉडी मॉस इंडेक्स और कमर के आकार की जांच कर सकते हैं। साथ ही, अनचाही जगहों पर बालों के विकास, मुहांसे की पुष्टि करने के लिए आपकी त्वचा को देख सकते हैं।

पेल्विक जांच

इस दौरान डॉक्टर योनि, गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय जैसे क्षेत्र की जांच करते हैं।

पेल्विक अल्ट्रासाउंड (सोनोग्राम)

अल्ट्रासाउंड की मदद से डॉक्टर अंडाशय में सिस्ट और गर्भाशय की परत की जांच करते हैं।

पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) के कारण (PCOD causes in Hindi)

पीसीओडी कई कारणों से होता है जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं:-

causes of pcod depicted in form of flow chart in hindi language

  • आनुवंशिक कारण
  • हमेशा तनाव में रहना
  • जीवनशैली अस्वस्थ होना
  • खान-पान में लापरवाही दिखाना
  • शारीरिक गतिविधियां नहीं करना
  • शराब और सिगरेट का सेवन करना
  • लेट नाइट तक जगना और देर तक सोना
  • वजन का तेजी से बढ़ना या मोटापा होना
  • पोषक तत्वों से भरपूर चीजों का सेवन न करना

अगर आप खुद को पीसीओडी से बचाना चाहती हैं तो ऊपर दिए कारणों को ध्यान में रखते हुए कुछ सावधानियां बारत सकती हैं।

 

पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) के लक्षण (PCOD symptoms in Hindi)

पीसीओडी के लक्षणों (symptoms of pcod in hindi) की मदद से आप या आपके डॉक्टर इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि आपको पीसीओडी है। पीसीओडी के अनेको लक्षण होते हैं जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं:-

  • वजन बढ़ना
  • नींद नहीं आना
  • बाल पतले होना
  • बालों का झड़ना
  • सिर में दर्द होना
  • श्रोणि में दर्द होना
  • ब्लड प्रेशर बढ़ना
  • थकान महसूस होना
  • चेहरे पर मुहांसे होना
  • त्वचा का तैलीय होना
  • पीरियड्स का अनियमित होना
  • मूड में अचानक से बदलाव आना
  • दूसरे हार्मोन में असंतुलन होना
  • शरीर और खासकर चेहरे पर बाल उगना
  • दुर्लभ मामलों में बांझपन की शिकायत होना

इन सबके अलावा, आप अन्य भी लक्षणों को खुद में अनुभव कर सकती हैं। अगर आप इनमें से किसी लक्षण को खुद में देखती हैं या पीसीओडी से पीड़ित हैं तो अभी अप्वाइंटमेंट बुक कर हमारी अनुभवी और कुशल स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर सकती हैं।

 

पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) का इलाज (PCOD Treatment in Hindi)

पीसीओडी का इलाज कई तरह से किया जा सकता है। इसके इलाज का मुख्य उद्देश्य लक्षणों को कम या ख़त्म करना और इसके कारण भविष्य में आने वाली परेशानियों को रोकना है।

पीसीओडी का इलाज हर मरीज के लिए अलग-अलग हो सकता है। पीसीओडी का इलाज निम्न तरीकों से किया जा सकता है:-

जीवनशैली में बदलाव

जीवनशैली और खान-पान में कुछ ख़ास बदलकर हार्मोन को संतुलित किया जा सकता है जिससे पीसीओडी के लक्षण अपने आप ही दूर हो जाएंगे।

  • तनाव से दूर रहें
  • संतुलित आहार लें 
  • फाइबर से भरपूर चीजों का सेवन करें
  • कार्बोहाइड्रेट से भरपूर चीजों का सेवन करें
  • उन कामों को करें जिससे आपको खुशी मिलती है
  • अपने आहार में दही, पनीर और अंडा को शामिल करें
  • दालचीनी का सेवन करें क्योंकि यह इंसुलिन को संतुलित रखता है
  • आलू, नमकीन और ब्रेड आदि से परहेज करें
  • मीठी चीजों को अपनी डाइट से कम करें
  • शराब, सिगरेट और दूसरी नशीली चीजों से दूर रहें
  • हरी पत्तेदार सब्जियों और ताजा फलों को अपनी डाइट में शामिल करें।
  • एक्टिव जीवनशैली को अपनाएं। रोजाना सुबह या शाम में हल्का-फुल्का व्यायाम करें।

साथ ही, अगर आपका वजन ज्यादा है तो इसे कम या संतुलित करें। इसके लिए आप ट्रेनर की मदद ले सकती हैं।

 

दवाओं से पीडीओडी का इलाज (Medicines for pcod in Hindi)

जीवनशैली और डाइट में बदलाव लाने के बाद भी जब कोई फायदा नहीं होता है तो डॉक्टर कुछ ख़ास दवाएं निर्धारित करते हैं। ये दवाएं हार्मोन को संतुलित करने का काम करती हैं जिससे पीसीओडी के लक्षण से राहत मिलती है।

डॉक्टर आपको प्रोजेस्टिन हार्मोन लेने का सुझाव दे सकते हैं, क्योंकि यह पीरियड्स को नियमित और गर्भाशय कैंसर के खतरे को कम करता है। इसके अलावा, डॉक्टर मेटफॉर्मिन भी निर्धारित कर सकते हैं।

मेटफॉर्मिन आपके शरीर में इंसुलिन के स्तर को कम करता है। साथ ही, साथ वजन कम करने, प्रजनन शक्ति बढ़ाने एवं टाइप 2 डायबिटीज को रोकने में भी मदद करता है।

 

पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) में गर्भावस्था (PCOD me pregnancy in Hindi)

आमतौर पर, पीसीओडी के साथ गर्भधारण करने में समस्या नहीं आती है, लेकिन कुछ मामलों में परेशानियां हो सकती हैं। अगर आपको पीसीओडी है और आप गर्भाधारण करना चाहती हैं तो आपको एक अनुभवी प्रजनन डॉक्टर (फर्टिलिटी डॉक्टर) से परामर्श कर उनकी मदद लेनी चाहिए।

प्रजनन डॉक्टर आपकी जांच करने के बाद कुछ खास प्रकार की दवाएं निर्धारित कर सकते हैं जिससे आपको गर्भधारण करने में मदद मिल सकती है। पीसीओडी होने पर डॉक्टर आईवीएफ उपचार का सुझाव दे सकते हैं।

 

आखिरी बात

पीसीओडी एक हार्मोनल डिसऑर्डर है जो आमतौर पर युवा महिलाओं में देखने को मिलता है। यह कई कारणों से हो सकता है, लेकिन यह अधिकतर मामलों में अस्वस्थ जीवनशैली, गलत खान-पान, निष्क्रिय दैनिक जीवन, तनाव और नशीली पदार्थों का सेवन करने से होता है।

पीसीओडी से पीड़ित महिला में कई लक्षण देखे जा सकते हैं जैसे कि शरीर और ख़ासकर चेहरे पर बाल उगना, वजन बढ़ना, मुहांसे आना आदि। दुर्लभ मामलों में पीसीओडी के कारण गर्भधारण करने में भी समस्या पैदा हो सकती है। इसलिए इसके लक्षण नजर आते ही तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

Written by:
Dr Prachi Benara

Dr Prachi Benara

Consultant
Dr Prachi Benara is a skilled infertility specialist with more than a decade of experience. Trained from some of the most premier institutes in the field in India which include Maulana Azad Medical College, BJ Medical College (Ahmedabad), PG Diploma in Reproductive and Sexual Health. She further trained in the United Kingdom to pursue her interest in Reproductive medicine and IVF. Her focus areas include advanced laparoscopic and hysteroscopic surgery, IVF, IUI, Frozen embryo transfer and correction of uterine anomalies including uterine septum to improve chances of pregnancy.

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