हार्मोनल असंतुलन और आनुवंशिकी के कारण महिलाओं को कई तरह की समस्याएं होती हैं, पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (PCOD) भी उन्हीं में से एक है। तो आइए इसके कारण, लक्षण, जाँच और उपचार आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पीसीओडी क्या है?
पीसीओडी महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है, जिसका मुख्य कारण है हार्मोनल असंतुलन। इस समस्या से पीड़ित महिलाओं के शरीर में एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है और ओवरी यानी अंडाशय में सिस्ट बनने लगते हैं।
एक महिला के शरीर को पुरुष हार्मोन (टेस्टोस्टेरोन) और महिला हार्मोन (एण्ड्रोजन) दोनों की जरूरत होती है, लेकिन पीसीओडी से प्रभावित महिला में पुरुष हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिसके कारण महिला को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे कि:
- अनियमित माहवारी या पीरियड्स नहीं आना
- गर्भधारण में दिक्कतें आना (निःसंतानता)
- गर्भपात या समय से पहले शिशु का जन्म
- गर्भाशय से असामान्य रक्तस्राव
- चिंता या डिप्रेशन
इतना ही नहीं, मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान दर्द, चेहरे पर बाल और मुंहासे आना और श्रोणि में दर्द शामिल हैं। दुर्लभ मामलों में ब्रेस्ट कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज या प्रीडायबिटीज, एंडोमेट्रियल कैंसर और मेटाबोलिक सिंड्रोम आदि का ख़तरा भी होता है।
पीसीओडी के क्या लक्षण होते हैं?
पीसीओडी के लक्षणों की मदद से आप या आपके डॉक्टर इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि आपको पीसीओडी है। इसके लक्षणों में मुख्य रूप से शामिल हैं:-
- वजन बढ़ना
- नींद नहीं आना
- बाल पतले होना
- बालों का झड़ना
- सिर में दर्द होना
- ब्लड प्रेशर बढ़ना
- थकान महसूस होना
- चेहरे पर मुंहासे होना
- पीरियड्स का अनियमित होना
- मूड में अचानक से बदलाव आना
- दूसरे हार्मोन में असंतुलन होना
- शरीर और खासकर चेहरे पर बाल आना
- दुर्लभ मामलों में निःसंतानता की शिकायत होना
पीसीओडी के क्या कारण हैं?
पीसीओडी कई कारणों से होता है जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं:-
- आनुवंशिक कारण
- हमेशा तनाव में रहना
- जीवनशैली अस्वस्थ होना
- खान-पान में लापरवाही दिखाना
- शारीरिक गतिविधियां नहीं करना
- शराब और सिगरेट का सेवन करना
- लेट नाइट तक जगना और देर तक सोना
- वजन का तेजी से बढ़ना या मोटापा होना
- पोषक तत्वों से भरपूर चीजों का सेवन न करना
अगर आप खुद को पीसीओडी से बचाना चाहती हैं तो ऊपर दिए कारणों को ध्यान में रखते हुए कुछ सावधानियां बरतें और साथ ही विशेषज्ञ से परामर्श करें।
पीसीओडी का निदान
पीसीओडी का निदान करने के लिए डॉक्टर आपसे लक्षणों के बारे में पूछते हैं। साथ ही, शारीरिक जांच और ब्लड टेस्ट के जरिए हार्मोन, कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज के स्तर की पुष्टि करते हैं। इसके अलावा, गर्भाशय और अंडाशय को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड होता है।
- शारीरिक जांच: इस दौरान डॉक्टर आपके ब्लड प्रेशर, बॉडी मास इंडेक्स और कमर के साइज की जांच करते हैं। साथ ही, अनचाही जगहों पर बालों के विकास, मुहांसे की पुष्टि करने के लिए आपकी त्वचा को देखते हैं।
- पेल्विक परीक्षण: इस दौरान डॉक्टर, योनि, गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय जैसे क्षेत्र की जांच करते हैं।
- पेल्विक अल्ट्रासाउंड (सोनोग्राफी): अल्ट्रासाउंड की मदद से डॉक्टर अंडाशय में सिस्ट और गर्भाशय की परत की जांच करते हैं।
जांच की मदद से डॉक्टर को पीडीओडी के सटीक कारण को समझने में मदद मिलती है, जिसके बाद वे उपचार के प्रकार का चयन करके इलाज की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।
पीसीओडी का इलाज कैसे करें?
पीसीओडी का इलाज कई तरह से किया जाता है। इलाज का मुख्य उद्देश्य लक्षणों को कम या ख़त्म करना और उनके कारण भविष्य में आने वाली परेशानियों को रोकना है।
पीसीओडी का इलाज हर मरीज के लिए अलग-अलग हो सकता है। इसका इलाज निम्न तरीकों से किया जाता है:-
जीवनशैली में बदलाव
जीवनशैली और खान-पान में कुछ ख़ास बदलाव लाकर हार्मोन को संतुलित किया जाता है जिससे पीसीओडी के लक्षण अपने आप ही दूर हो जाते हैं।
- तनाव से दूर रहें
- संतुलित आहार लें
- फाइबर से भरपूर चीजों का सेवन करें
- कार्बोहाइड्रेट से भरपूर चीजों का सेवन करें
- उन कामों को करें जिससे आपको खुशी मिलती है
- अपने आहार में दही, पनीर और अंडा को शामिल करें
- दालचीनी का सेवन करें क्योंकि यह इंसुलिन को संतुलित रखता है
- आलू, नमकीन और ब्रेड आदि से परहेज करें
- मीठी चीजों को अपनी डाइट से कम करें
- शराब, सिगरेट और दूसरी नशीली चीजों से दूर रहें
- हरी पत्तेदार सब्जियों और ताजा फलों को अपनी डाइट में शामिल करें।
- एक्टिव जीवनशैली को अपनाएं। रोजाना सुबह या शाम में हल्का-फुल्का व्यायाम करें।
साथ ही, अगर आपका वजन ज्यादा है तो इसे कम करें। इसके लिए आप ट्रेनर की मदद ले सकती हैं।
दवाओं से पीसीओडी का इलाज
जीवनशैली और डाइट में बदलाव लाने के बाद भी, जब कोई फायदा नहीं होता है तो डॉक्टर कुछ ख़ास दवाएं निर्धारित करते हैं। ये दवाएं हार्मोन को संतुलित करने का काम करती हैं जिससे पीसीओडी के लक्षण से राहत मिलती है।
डॉक्टर आपको प्रोजेस्टिन हार्मोन लेने का सुझाव देते हैं, क्योंकि यह पीरियड्स को नियमित और गर्भाशय कैंसर के खतरे को कम करता है। इसके अलावा, डॉक्टर मेटफॉर्मिन की सलाह देते हैं।
मेटफॉर्मिन आपके शरीर में इंसुलिन के स्तर को कम करता है। साथ ही साथ वजन कम करने, प्रजनन क्षमता बढ़ाने एवं टाइप 2 डायबिटीज को रोकने का भी काम करता है।
पीसीओडी से कैसे बचें?
अगर आप खुद में पीसीओडी के खतरे को कम या ख़त्म करना चाहती है तो आपको कुछ बातों का ख़ास ध्यान देना होगा जैसे कि:
- नियमित रूप से व्यायाम करना
- समय पर दवाओं का सेवन करना
- शराब, सिगरेट और दूसरी नशीली चीजों से दूर रहना
- अपने वजन का ख़ास ध्यान रखना
- अधिक तैलीय और मसालेदार चीजों के सेवन से बचना
साथ ही, अधिक कोलेस्टेरोल, फैट और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर चीजों का सेवन नहीं करना आदि।
पीसीओडी एक हार्मोनल डिसऑर्डर है जो आमतौर पर युवा महिलाओं में देखने को मिलता है। यह कई कारणों से हो सकता है, लेकिन यह अधिकतर मामलों में अस्वस्थ जीवनशैली, गलत खान-पान, निष्क्रिय दैनिक जीवन, तनाव और नशीली पदार्थों का सेवन करने से होता है।
पीसीओडी से पीड़ित महिला में कई लक्षण देखे जा सकते हैं जैसे कि शरीर और ख़ासकर चेहरे पर बाल आना, वजन बढ़ना, मुहांसे आना आदि। दुर्लभ मामलों में पीसीओडी के कारण गर्भधारण करने में भी समस्या आ सकती है। इसलिए समय पर इसका उचित इलाज आवश्यक है।
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