गर्भाशय का अर्थ (Uterus Meaning in Hindi) आकार और इसके कार्य

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Author : Dr. Nidhi Gohil November 21 2024
Dr. Nidhi Gohil
Dr. Nidhi Gohil

MBBS, MS (Obstetrics & Gynaecology), Fellowship in IVF

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गर्भाशय का अर्थ (Uterus Meaning in Hindi) आकार और इसके कार्य

गर्भाशय क्या है?

गर्भाशय (Uterus) एक महिला के पेल्विस में नाशपाती के आकार का अंग है, जिसे गर्भ या बच्चेदानी भी कहते हैं। यह वह जगह है जहां गर्भावस्था के दौरान शिशु का विकास होता है। इसमें मोटी मांसपेशियों की दीवारें होती हैं, जो बढ़ते शिशु को सपोर्ट करने के लिए फैल सकती हैं।

गर्भाशय का शीर्ष भाग फंडस कहलाता है। मध्य भाग को बॉडी और निचले हिस्से को गर्भाशय ग्रीवा कहते हैं, जो योनि में खुलता है। हर महीने, संभावित गर्भावस्था के लिए गर्भाशय की परत मोटी हो जाती है।

अगर गर्भधारण न हो तो पीरियड्स के दौरान यह परत योनि के ज़रिए बाहर निकल जाती है। गर्भाशय, प्रजनन और मेंस्ट्रुअल साइकिल के लिए महत्वपूर्ण है।

गर्भाशय का कार्य

गर्भाशय के कई महत्वपूर्ण कार्य होते हैं, जैसे:

  1. प्रजनन: यह गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के विकास में मदद करता है और उसके लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है।
  2. पीरियड्स: हर महीने, गर्भाशय की परत मोटी हो जाती है। यदि गर्भधारण नहीं होता, तो यह परत पीरियड्स के दौरान निकल जाती है।
  3. प्रसव: प्रसव के समय गर्भाशय की मांसपेशियां सिकुड़ती हैं, जिससे शिशु बाहर आ पाता है।
  4. हार्मोन उत्पादन: गर्भाशय हार्मोन रेगुलेशन में भी मदद करता है, जो मेंस्ट्रुअल साइकिल और प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

गर्भाशय, महिला प्रजनन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है जो गर्भावस्था, मासिक धर्म, प्रसव और हार्मोन नियंत्रण में मुख्य भूमिका निभाता है।

गर्भाशय का आकार

गर्भाशय का आकार अलग-अलग हो सकता है, लेकिन एक गैर-गर्भवती महिला में यह आमतौर पर एक छोटे नाशपाती के आकार का होता है।

यह लगभग 7.5 सेमी (3 इंच) लंबा, 5 सेमी (2 इंच) चौड़ा, और 2.5 सेमी (1 इंच) मोटा होता है। गर्भावस्था के दौरान, बढ़ते शिशु को एडजस्ट करने के लिए गर्भाशय का आकार काफी बढ़ जाता है।

गर्भाशय कहां होता है?

गर्भाशय, जिसे यूट्रस (Uterus) भी कहा जाता है, महिलाओं के शरीर में एक प्रमुख प्रजनन अंग है। यह महिला के पेल्विक क्षेत्र में होता है, जो नाभि और गुदा (Anus) के बीच में स्थित होता है।

गर्भाशय और बच्चेदानी में क्या अंतर है?

इन दोनों में कोई फर्क नहीं है। गर्भाशय को बच्चेदानी और यूट्रस के नाम से भी जाना जाता है।  “गर्भाशय” एक वैज्ञानिक नाम है, जबकि “बच्चेदानी” आम बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल किया जाता है। यह महिलाओं के शरीर का वह अंग है, जहां गर्भधारण होता है और बच्चे का विकास होता है।

गर्भाशय से संबंधित सामान्य समस्याएँ

गर्भाशय से संबंधित कुछ सामान्य समस्याओं में निम्न शामिल हैं:

  1. फाइब्रॉएड: गर्भाशय की दीवार में गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि, जो दर्द और भारी रक्तस्राव का कारण बन सकती है।
  2. एंडोमेट्रियोसिस: एक स्थिति जहां गर्भाशय के बाहर बढ़ता हुआ टिश्यू दर्द और निःसंतानता का कारण बन सकता है।
  3. एंडोमेट्रियल पॉलीप्स: गर्भाशय की आंतरिक दीवार पर छोटी, सौम्य वृद्धि जो अनियमित रक्तस्राव का कारण बन सकती है।
  4. एडेनोमायोसिस: जब गर्भाशय की परत में मांसपेशियों का विकास होता है, तो दर्द और हेवी पीरियड्स हो सकते हैं।
  5. गर्भाशय का बाहर निकलना: जब पेल्विक की मांसपेशियां कमज़ोर होती हैं तो गर्भाशय, योनि से बाहर निकल जाता है।
  6. कैंसर: गर्भाशय या एंडोमेट्रियल कैंसर गर्भाशय की परत में विकसित हो सकता है।
  7. संक्रमण: पेल्विक सूजन की बीमारी (पीआईडी) गर्भाशय को प्रभावित कर सकती है, जिससे दर्द और प्रजनन संबंधी समस्याएं होती हैं।

ये स्थितियाँ एक महिला के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए इनका समय पर इलाज ज़रूरी है।

क्या गर्भाशय में किसी भी समस्या से निःसंतानता हो सकता है?

हां, गर्भाशय में फाइब्रॉइड्स, एंडोमेट्रियोसिस या अन्य समस्याओं से निःसंतानता का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए नियमित चेकअप और समय पर उपचार महत्वपूर्ण है।

गर्भाशय की देखभाल के लिए सुझाव

गर्भाशय के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  1. नियमित जांच: अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से नियमित पेल्विक जांच करवाएं।
  2. स्वस्थ आहार: फल, सब्जी, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार खाएं।
  3. हाइड्रेट रहें: पर्याप्त पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें, जूस का सेवन करें।
  4. व्यायाम: नियमित रूप से हल्का-फुल्का व्यायाम करें।
  5. सुरक्षित यौन संबंध: संक्रमणों से बचने के लिए सुरक्षित यौन संबंध बनाएं।
  6. तनाव प्रबंधन: तनाव को कम करने के लिए योग या ध्यान अभ्यास करें।
  7. धूम्रपान और शराब: इन सब से बचें या इनकी मात्रा को सीमित करें।
  8. मेंस्ट्रुअल साइकिल: इसे ट्रैक करें और अनियमितता के मामलों में अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

इन सुझावों का पालन करने से आपके गर्भाशय के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। अगर आपको अधिक जानकारी या सहायता की आवश्यकता हो, तो हमसे परामर्श लें।

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