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Birla Fertility & IVF
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ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड क्या होता है?

  • Published on December 29, 2023
ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड क्या होता है?

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड (टीवीएस) एक टेस्टिंग है। इसका इस्तेमाल महिला के गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, सर्विक्स और पेल्विक क्षेत्र को देखने के लिए किया जाता है। ट्रांसवजाइनल का मतलब है योनि के आर-पार। टेस्ट के दौरान अल्ट्रासाउंड प्रोब को योनि के अंदर रखा जाता है।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड पेल्विक क्षेत्र में असामान्य संरचना या ग्रोथ का पता लगा सकता है। यह किसी स्थिति या बीमारी का संकेत दे सकता है। इसके अलावा, गर्भावस्था का पता लगाने या निगरानी के लिए भी ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड की मदद ली जा सकती है।

अल्ट्रासाउंड और ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के बीच क्या अंतर है?

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड को कभी-कभी “एंडोवजाइनल अल्ट्रासाउंड” कहा जाता है, क्योंकि इसमें पेल्विक कैविटी (ट्रांसड्यूसर) की तस्वीरों को रिकॉर्ड करने वाला उपकरण योनि के अंदर डाला जाता है। यह प्रक्रिया पेट के पारंपरिक अल्ट्रासाउंड से अलग है, जहां तस्वीरों को रिकॉर्ड करने के लिए ट्रांसड्यूसर को पेट में घुमाया जाता है। ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड आपके अंगों और पेल्विक कैविटी के अंदर के नरम टिश्यू का ज्यादा व्यापक व्यू उपलब्ध कराता है।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड का समय?

वैसे ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड पर रोक लगाने वाली स्थितियां बहुत कम होती है। उदाहरण के लिए, माहवारी या गर्भवती होने के दौरान भी ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है। ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड भी अलग-अलग तरह का होता है। अगर सेलाइन इन्फ्यूजन सोनोहिस्टेरोग्राफी या सोनोहिस्टेरोग्राम का सुझाव दिया जाता है, तो इसकी सीमाएं हैं।

सोनोहिस्टेरोग्राम: इसमें गर्भाशय की कैविटी को फैलाने के लिए थोड़ी मात्रा में तरल पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि बेहतर तस्वीर प्राप्त की जा सके। गर्भवती होने या पेल्विक सूजन की बीमारी (पीआईडी) होने पर सोनोहिस्टेरोग्राम का सुझाव नहीं दिया जाता है।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड की जरूरत कब पड़ती है?

पेल्विक दर्द या असामान्य रक्तस्राव जैसे लक्षणों का इलाज करने के लिए ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है। अगर पेल्विक टेस्ट के दौरान कुछ असमान्य लगता है, तो बेहतर जानकारी पाने के लिए भी यह अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है। गर्भावस्था की निगरानी के लिए भी ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड की मदद ली जाती है।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड इन चीजों की पहचान करने में मददगार है:

  • सिस्ट
  • ट्यूमर
  • फाइब्रॉएड
  • पॉलीप्स
  • पैल्विक संक्रमण के लक्षण
  • कैंसर के लक्षण
  • गर्भपात के लक्षण
  • प्रजनन संबंधी समस्याओं के संभावित कारण।
  • इसके अलावा, गर्भावस्था के पहले और बारहवें हफ्ते के दौरान ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है। इसकी ये वजहें हो सकती हैं:
  • गर्भावस्था की पुष्टि करना
  • तय करना कि गर्भावस्था का स्टेज क्या है
  • गर्भस्थ शिशु के दिल की धड़कन पर नजर रखने के लिए
  • गर्भपात या समय से पहले प्रसव से जुड़े संकेतों को पहचानने के लिए

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड किस तरह काम करता है?

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड पेल्विक कैविटी और अंगों को रिकॉर्ड करने और इनकी तस्वीरों को स्क्रीन पर प्रोजेक्ट करने के लिए ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल करता है।

  • इसमें ट्रांसड्यूसर नामक छड़ी जैसा उपकरण आपकी योनि में डाला जाता है।
  • यह ध्वनि तरंगें छोड़ता है जो आपके पेल्विक के अंदर अलग-अलग संरचनाओं से टकराती हैं।
  • ध्वनि तरंगें वापस ट्रांसड्यूसर तक जाती हैं, जहां वे विद्युत संकेतों में बदल जाती हैं।
  • ये सिग्नल आपके पेल्विक अंगों के रियल टाइम समय विजुअल को स्क्रीन पर दिखाते हैं।
  • अल्ट्रासाउंड स्क्रीन पर तस्वीरें भी उतारता है। इससे चिकित्सक बाद में इनकी जांच कर सकते हैं। इन तस्वीरों को “सोनोग्राम” कहा जाता है।
  • इस पूरी प्रक्रिया में 15 मिनट से लेकर एक घंटा तक लग सकता है।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के लिए तैयारी

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के लिए ज्यादा तैयारी की जरूरत नहीं होती है। यह प्रक्रिया तेज होने के साथ-साथ दर्दनाक भी नहीं है। इसके साइड-इफेक्ट भी बहुत कम हैं।

घर से ऐसे कपड़े पहन कर निकलें जिन्हें आप आसानी से बदल सकते हैं, क्योंकि अल्ट्रासाउंड के दौरान आपको गाउन पहनना पड़ सकता है।

अगर पीरियड में हैं तो इस प्रक्रिया से पहले अपने टेम्पोन को हटा दें।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के असामान्य नतीजों का मतलब

असामान्य नतीजे कई वजहों से हो सकते है। हालांकि इससे इन चीजों के बारे में पता चल सकता है:

  • जन्म के समय दोष
  • गर्भाशय, अंडाशय, योनि और अन्य पेल्विक संरचनाओं के कैंसर
  • पेल्विक सूजन की बीमारी समेत संक्रमण
  • गर्भाशय और अंडाशय में या उसके आसपास वृद्धि (जैसे सिस्ट या फाइब्रॉएड)
  • गर्भाशय के बाहर गर्भावस्था (एक्टोपिक गर्भावस्था)
  • अंडाशय का मुड़ जाना

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  • क्या ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड दर्दनाक होता है?

नहीं। ट्रांसड्यूसर को आपकी योनि के आकार की तरह डिज़ाइन किया जाता है, ताकि प्रक्रिया में बहुत कम दर्द हो। इसके अलावा, ट्रांसड्यूसर पर लगाया गया चिकनाई वाला जेल भी दर्द को बहुत हद तक कम कर देता है। फिर भी, जब तकनीशियन आपकी योनि में ट्रांसड्यूसर डालता है तो आपको कुछ असुविधा या दबाव महसूस हो सकता है।

  • क्या एंडोवजाइनल अल्ट्रासाउंड के साथ कोई जोखिम है?

नहीं। एंडोवजाइनल अल्ट्रासाउंड के साथ स्वास्थ्य से जुड़ा कोई जोखिम नहीं है। हालांकि, यह थोड़ा असुविधाजनक लग सकता है। सामान्य तौर पर, ज्यादातर महिलाओं को बस हल्का दबाव महसूस होता है, लेकिन अगर आपको इससे अधिक कुछ भी महसूस होता है, तो तुरंत डॉक्टर को बताना जरूरी है। इससे डॉक्टर ट्रांसड्यूसर की स्थिति को समायोजित करके प्रक्रिया को और ज्यादा आरामदायक बना सकते हैं।

  • क्या इससे गर्भ को खतरा है?

नहीं। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर किसी को ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के बाद रक्तस्राव दिखाई देता है, तो इसका कारण योनि के ऊपर खून जमा होना हो सकता है और ट्रांसड्यूसर की वजह से यह बाहर आ गया है।

Written by:
Dr. Pooja Verma

Dr. Pooja Verma

Consultant
With over 11 years of experience, Dr. Pooja Verma  is a dedicated healthcare professional with expertise in male and female infertility. In her decade-long experience, she has worked with renowned hospitals and fertility clinics. Additionally, she has handled multiple complicated cases and has also completed several research projects related to reproductive health.
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