ओवरी क्या है और इसका आकार क्यों बदलता है?

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ओवरी क्या है और इसका आकार क्यों बदलता है?

गर्भधारण में अंडाशय (Ovary) की अहम भूमिका होती है। इसमें अंडों का निर्माण होता है जो पुरुष स्पर्म के साथ फर्टिलाइज होकर भ्रूण का निर्माण करते हैं। यहीं से प्रेगनेंसी की प्रक्रिया शुरू होती है।

ओवरी क्या है?

ओवरी महिलाओं की प्रजनन अंगों का हिस्सा है जो पेल्विस में स्थित होता है। एक महिला में दो ओवरी होते हैं जिनका काम अंडे और एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का निर्माण करना है।

प्रत्येक महीने, मासिक धर्म के दौरान ओवरी में एक अंडे का निर्माण होता है जो फॉलिकल नामक थैली में विकसित होता है। जब यह अंडा परिपक्व (मैच्योर) हो जाता है तो वह फॉलिकल को तोड़कर उससे बाहर निकल जाता है।

परिपक्व अंडा फैलोपियन ट्यूब में पुरुष स्पर्म के साथ फर्टिलाइज होता है जो कि प्रेगनेंसी की सबसे शुरुआती स्टेज है।

ओवरी से संबंधित कुछ मुख्य बिंदु:

गर्भधारण करना हर महिला के लिए एक सुखद एहसास है, लेकिन कई बार कुछ कारणों से उन्हें गर्भधारण करने में परेशानी होती है। गर्भधारण में ओवरी का आकार काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एक स्वस्थ अंडाशय का सामान्य आकार 30 मिमी लंबा, 25 मिमी चौड़ा और 15 मिमी मोटा होता है।

  • ओवरी का आकार महिला की उम्र के साथ बदलता है।
  • मासिक धर्म चक्र के दौरान महिला की ओवरी का आकार बदलता है।
  • ओवरी में किसी प्रकार का गांठ बनने से इसके आकार में बदलाव आता है।
  • मेनोपॉज शुरू होने के बाद ओवरी का आकार बढ़ने के बजाय सिकुड़ने लगता है।
  • तनाव के कारण महिला की ओवरी का आकार प्रभावित होता है।
  • जब एक महिला तनाव में होती है तो उसकी ओवरी अंडों का निर्माण कम या बंद कर देती है।
  • जब ओवरी में अंडों का निर्माण होता है तब इसका आकार लगभग 5 सेंटीमीटर होता है।
  • ओवरी में बनने वाले गांठ अधिकतर मामलों में कुछ महीनों के अंदर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं।

ओवरी का आकार बदलने के कारण

ओवरी का आकार कई कारणों से बदलता है। यौवन (पुबर्टी) की उम्र में पहुंचने से पहले और मेनोपॉज आने के बाद – ओवरी का आकार छोटा होता है। उम्र के अलावा, अन्य कारक भी इसके आकार को प्रभावित करते हैं।

प्रजनन उपचार और प्रेगनेंसी के दौरान एवं अंडाशय से जुड़े विकारों के कारण ओवरी के आकार में बदलाव आता है। ओवरी के आकार का संबंध सीधा महिला के गर्भधारण करने की क्षमता से है। अंडों के फर्टिलाइज होने की क्षमता भी ओवरी के आकार पर निर्भर करती है।

अगर ओवरी का आकार सामान्य से कम है तो महिला को गर्भधारण करने में परेशानी होती है, क्योंकि इस स्थिति में ‘एग रिजर्व’ सामान्य से कम होता है। अल्ट्रासाउंड और खून की जांच से ओवरी के आकार की पुष्टि की जाती है।

अल्ट्रासाउंड से ओवरी में फॉलिकल की संख्या को गिना जा सकता है। फॉलिकल की संख्या से पता चलता है कि एग रिजर्व कम है या सामान्य। ओवरी का आकार बड़ा होने का मतलब यह नहीं है कि एग रिजर्व अधिक है।

विकार या ट्यूमर के कारण ओवरी का आकार बढ़ सकता है। इस स्थिति में महिला सामान्य रूप से ओवुलेट नहीं करती है। साथ ही, गर्भधारण करने में परेशानी होती है। अगर आपको प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में दिक्कतें आ रही हैं तो डॉक्टर से परामर्श करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रेग्नेंट होने के लिए महिला की ओवरी का साइज 3 सेमी x 2.5 सेमी x 1.5 सेमी होना चाहिए।

एक महिला में दो अंडाशय होते हैं।

ओवरी का साइज प्रेगनेंसी में अहम होता है। अगर ओवरी का साइज नॉर्मल से कम है तो महिला को गर्भधारण करने में परेशानी होती है।