प्रेगनेंट कैसे होते हैं (How To Get Pregnant in Hindi)
- Published on May 18, 2022

प्रेगनेंसी एक जटिल प्रक्रिया है जिसके दौरान एक गर्भवती महिला को अनेक बातों का ध्यान रखना होता है। प्रेगनेंसी को हिंदी में गर्भावस्था कहते हैं। यह हर महिले के जीवन की सभी खूबसूरत पलों में से एक होता है।
गर्भधारण करने के लिए महिला और पुरुष दोनों का फर्टाइल होना आवश्यक है। गर्भधारण करने, शिशु को जन्म देने और माता-पिता का बनने का सपना पूरा करने के लिए महिला का गर्भाशय, ओवरी और अंडा आदि का स्वस्थ होना महत्वपूर्ण है।
साथ ही, पुरुष के स्पर्म की संख्या और गुणवत्ता (Spert quantity and quality) का बेहतर होना भी आवश्यक है। इन सबके अलावा, महिला और पुरुष के प्रजनन अंग के ऐसे अनेक हिस्से हैं जो गर्भधारण में अहम भूमिका निभाते हैं।
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प्रेगनेंट कैसे होते हैं (How to Get Pregnant in Hindi)
प्रेगनेंसी एक लंबी प्रक्रिया है। इसकी सबसे शुरुआती स्टेज में ओवुलेशन शामिल है। ओवुलेशन के दौरान महिला की ओवरी से परिपक्व अंडा रिलीज होकर फैलोपियन ट्यूब में जाता है।
जब पुरुष और महिला शारीरिक संबंध बनाते हैं तो इजाकुलेशन के दौरान पुरुष के लिंग से स्पर्म बाहर निकलकर महिला की योनि में जाता है।
स्पर्म में सीमेन मौजूद होता है। योनि में स्पर्म जाने के बाद स्पर्म में मौजूद सीमेन फैलोपियन ट्यूब में जाता है और वहां मौजूद अंडा को फर्टिलाइज करता है। फर्टिलाइजेशन के बाद महिला गर्भवती हो जाती है
अगर आपके मन में यह प्रश्न उठता है कि प्रेगनेंट कैसे होते हैं (pregnant kaise hote hai), प्रेगनेंसी में कौन-कौन सी प्रक्रियाएं शामिल है तो यह ब्लॉग खास आपके लिए है।
इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद गर्भधारण कैसे करते हैं, प्रेगनेंसी कैसे होती है या एक महिला कैसे प्रेगनेंट होती है आदि के बारे में आप शुरू से लेकर अंत जान जाएंगे।
और पढ़े : प्रेग्नेंट होने के लक्षण
प्रेगनेंसी के लिए महिला और पुरुष के कौन से अंग महत्वपूर्ण हैं?
Pregnancy Kaise Hoti Hai – प्रेगनेंसी या गर्भावस्था की प्रक्रिया एक महिला के शरीर में पूरी होती है। जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि प्रेगनेंसी में एक महिला के प्रजनन अंगों की खास भूमिका होती है।
महिला के प्रजनन अंगों में मुख्य रूप से ओवरी, फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय शामिल हैं।
ओवरी क्या है (What is Ovary in Hindi)
ओवरी को हिंदी में अंडाशय कहते हैं। एक महिला में दो ओवरी होती है। गर्भधारण में ओवरी की मुख्य भूमिका होती है।
ओवरी में अंडों का निर्माण होता है जो आगे पुरुष स्पर्म के साथ फर्टिलाइज होते हैं। ओवरी में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का निर्माण होता है।
प्रेगनेंसी में ओवरी का आकार महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि छोटी ओवरी में अंडों की संख्या कम होती है जिससे गर्भधारण की संभावना घट सकती है।
ओवरी से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points Related to Ovary):-
अनेक कारक ओवरी को प्रभावित करते हैं जिसमें निम्न शामिल हो सकते हैं:-
- ओवरी का आकार महिला की उम्र के साथ बदलता रहता है
- पीरियड्स साईकिल के दौरान ओवरी के आकार में बदलाव आता है
- ओवरी जब एग्स (अंडों) का निर्माण करती है तब इसका आकार लगभग 5 सेंटीमीटर होता है
- ओवरी में किसी प्रकार का गांठ बनने पर इसके आकार में फर्क आता है
- मेनोपॉज के बाद ओवरी का आकार सिकुड़ने लगता है
- ओवरी पर तनाव का बुरा असर पड़ता है
- तनाव के कारण ओवरी अंडों का निर्माण बंद कर सकती है
- ओवरी में सिस्ट होने की स्थिति को मेडिकल भाषा में ओवेरियन सिस्ट कहते हैं
- ओवेरियन सिस्ट कई बार कुछ महीनों के अंदर अपने आप ही ठीक हो जाता है
फैलोपियन ट्यूब क्या है (What is Fallopian Tube in Hindi)
हर महिला में दो फैलोपियन ट्यूब होते हैं। अंडे मैच्योर होने के बाद ओवरी से रिलीज होकर फैलोपियन ट्यूब में चले जाते हैं जहां पुरुष स्पर्म अंडा को फर्टिलाइज करता है।
जब किसी कारण से एक फैलोपियन ब्लॉक हो जाता है तो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की संभावना लगभग 50% कम हो जाती है।
जब दोनों फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होते हैं तो प्राकृतिक गर्भधारण की संभावना खत्म हो जाती है। प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने के लिए दोनों फैलोपियन ट्यूब का खुला होना आवश्यक है।
फैलोपियन ट्यूब बंद होने का कोई सटीक कारण नहीं है। कई कारणों से इसमें ब्लॉकेज हो सकता है।
फैलोपियन ट्यूब से संबंधित बिंदु (Points Related to Fallopian Tube):-
- फैलोपियन ट्यूब की सामान्य लंबाई 8-10 सेंटीमीटर होती है
- फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने पर डॉक्टर आईवीएफ उपचार करते हैं
- सोनोग्राफी, ट्यूब टेस्ट और एक्स-रे की मदद से फैलोपियन ट्यूब की जांच की जाती है
- बांझपन से पीड़ित 20 महिलाओं में लगभग 10-12 महिलाओं के फैलोपियन ट्यूब में किसी प्रकार की संसय होती है
बांझपन से पीड़ित लोगों के लिए आईवीएफ एक वरदान की तरह है। इस उपचार की मदद से बांझपन से पीड़ित दंपति अपने माता-पिता बनने का सपना पूरा कर सकते हैं।
अगर आप आईवीएफ क्या है, क्यों किया जाता है और इसके क्या फायदे हैं आदि के बारे में जानने के लिए आईवीएफ क्या है – प्रक्रिया, फायदे और साइड इफेक्ट्स को पढ़ सकते हैं।
गर्भाशय क्या है (What is Uterus in Hindi)
गर्भाशय को अंग्रेजी में यूट्रस कहते हैं। यह महिला की प्रजनन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गर्भाशय में भ्रूण का प्रत्यारोपण (इम्प्लांटेशन) होकर शिशु का विकास होता है।
जब किसी कारण गर्भाशय में कोई समस्या पैदा होती है तो महिला की प्रजनन क्षमता बुरी तरह से प्रभावित होती है।
गर्भाशय में कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं:-
- पॉलिप्स
- फाइब्रॉइड्स
- इंट्रयूटरीन आसंजन
- पतला एंडोमेट्रियल अस्तर
- जन्मजात गर्भाशय असामान्यताएं
गर्भाशय से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु (Points Related to Uterus):-
- गर्भाशय एक नाशपाती के आकार (70 मिमी लंबा और 45 मिमी चौड़ा) का होता है
- गर्भाशय मलाशय और मूत्राशय के बीच में स्थित होता है
- गर्भधारण करने के बाद गर्भ के साथ-साथ गर्भाशय का आकार बढ़ता है
- गर्भाशय अत्यंत लचीली पेशी-तंतुओं से बना होता है
- गर्भ की अवधि में गर्भाशय फैलकर एक फुट तक बढ़ जाता है
- मासिक धर्म की शुरुआत गर्भाशय से होती है
- गर्भस्थ शिशु नौ महीने तक गर्भाशय में ही रहता है
- सेक्स का अंतिम परिणाम गर्भाशय में ही पोषित होता है, यही कारण है कि यह महिला की प्रजनन अंगों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
महिला के साथ-साथ पुरुष के प्रजनन अंग भी गर्भधारण में अहम् भूमिका निभाते हैं। पुरुष के प्रजनन अंगों में मुख्य रूप से लिंग और अंडकोष शामिल हैं।
लिंग क्या है (What is Penis in Hindi)
लिंग पुरुष की प्रजनन प्रणाली का एक खास अंग है जो तीन भाग में होता है। लिंग का पहला भाग पेट से जुड़ा होता है, दूसरा भाग शरीर यानी शाफ्ट और तीसरा सिर होता है।
लिंग का सिर एक पतली त्वचा से ढका होता है जिसे मेडिकल की भाषा में फोरस्किन कहते हैं। पुरुष सेक्स के दौरान जब एजाकुलेशन करता है तो उसके लिंग से स्पर्म निकलता है।
स्पर्म में सीमेन मौजूद होता है। जब पुरुष एक स्त्री के साथ संबंध बनाता है तो स्पर्म लिंग से बाहर निकलकर योनि में प्रवेश करता है।
स्पर्म योनि में प्रवेश करने के बाद, गर्भाशय से होते हुए फैलोपियन ट्यूब में चला जाता है। फैलोपियन ट्यूब में महिला का अंडा पुरुष स्पर्म के साथ फर्टिलाइज होता है और गर्भधारण की प्रक्रिया शुरू होती है।
लिंग से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु (Points Related to Penis in Hindi):-
- छोटे लिंग में बड़ा इरेक्शन हो सकता है
- लिंग एक मांसपेशी नहीं है
- अगर लिंग पूरी तरह टाइट है तो बुरी तरह घूमने पर टूट सकता है
- लिंग कम उत्तेजित होने या संभोग नहीं करने पर सिकुड़ने लगता है
- लिंग की ऊपरी त्वचा को फोरस्किन कहते हैं
- खतना (सरकमसिजन) के दौरान लिंग के सिर की ऊपरी त्वचा को काटकर हटा दिया जाता है
- लिंग को शेप में रखने के लिए नियमित रूप से संभोग करना आवश्यक है
- उम्र बढ़ने पर धीरे-धीरे लिंग की संवेदनशीलता कम होने लगती है
- एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 37% से 39% पुरुषों का खतना हो चूका है।
लिंग में कई प्रकार की समस्याएं पैदा होती हैं जो पुरुष की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। इसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हो सकते हैं:-
- इरेक्टाइल डिस्फंक्शन
- प्रियपिज्म
- हायपोस्पेडियस
- फाइमोसिस
- बैलेनाइटिस
- बालानोपोसथेटिस
- चोरडी
- लिंग का टेढ़ापन
- यूरेथ्राइटिस
- गोनोरिया
- क्लैमाइडिया
- सिफलिस
- हर्पीस
- माइक्रोपेनिस (छोटा लिंग)
- लिंग के अग्रभाग पर मस्सा (पेनिस वार्ट्स)
- लिंग का कैंसर
अंडकोष क्या है (What is Testicle in Hindi)
अंडकोष को वृषण और अंग्रेजी में टेस्टिकल नाम से जाना जाता है। यह भी पुरुष के प्रजनन प्रणाली का एक खास अंग है।
हर पुरुष में दो अंडकोष होते हैं जिनका काम स्पर्म और टेस्टोस्टेरोन का निर्माण करना है। अंडकोष एक पतली थैली में मौजूद होते हैं जिसे स्क्रोटम कहा जाता है।
स्क्रोटम गर्मी में अधिक बढ़कर लटक जाती है और सर्दी में सिकुड़कर छोटी हो जाती है। एक पुरुष में दो अंडकोष होते हैं और एक अंडकोष का आकार लगभग 5 सेमी लंबा और 2.5 सेमी चौड़ा होता है।
अंडकोष से जुड़े कुछ बिंदु (Points Related to Testicles in Hindi):-
- एक अंडकोष में लगभग 700-900 ट्यूब होते हैं
- एक अंडकोष की लंबाई 5 सेमी और चौड़ाई 2.5 सेमी होती है
- हर पुरुष में दो अंडकोष होते हैं
- अंडकोष स्क्रोटम नाम थैली में स्थित होते हैं
- अंडकोष स्पर्म और टेस्टोस्टेरोन का निर्माण करते हैं
- टेस्टोस्टेरोन को सेक्स हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है
- टेस्टोस्टेरोन की कमी के कारण स्पर्म की संख्या और गुणवत्ता में कमी आती है
- अंडकोष में कई तरह की बीमारियां होती हैं
- अंडकोष की बीमारी के कारण पुरुष को बांझपन हो सकता है
- जब स्पर्म का उत्पादन विर्योत्पादक नलिकाओं में होता है तो यह अधिवृषण (Epididymis) से गुजरते हैं
- अधिवृषण एक लंबे कुंडलित नलिका है जिसमें स्पर्म मैच्योर होते हैं
- स्पर्म मैच्योर होने के बाद वास डेफरेंस के जरिए स्खलन के दौरान रिलीज होने के लिए तैयार होते हैं
- वास डेफरेंस में वीर्य पुटिकाओं और प्रोस्टेट ग्रंथि द्वारा तरल पदार्थ, स्पर्म कोशिकाओं के साथ मिलकर वीर्य (सीमेन) का निर्माण होता है
- यही वीर्य स्खलन के दौरान लिंग के माध्यम से शरीर से बाहर निकलता है
अंडकोष में कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं जो पुरुष की प्रजनन क्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं। इसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हो सकते हैं:-
- हाइड्रोसील
- वैरीकोसेल
- रिट्रैकटाइल टेस्टिकल
- अनडिसेंडेड वृषण या गुप्तवृषणता
- वृषण मरोड़
- अंडकोष में सूजन
- अंडकोष में कैंसर
- हाइपोगोनैडिज्म
- क्लाइनफेक्टर सिंड्रोम
प्रेगनेंसी के स्टेज (What are the Stages of Pregnancy in Hindi)
प्रेगनेंसी को मुख्य रूप से चार स्टेज में बांटा जा सकता है जिसमें ओवुलेशन, फर्टिलाइजेशन और इम्प्लांटेशन शामिल हैं।
गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) का पहला स्टेज — ओवुलेशन (What is Ovulation in Hindi)
औसतन 28-दिवसीय मासिक धर्म चक्र में, ओव्यूलेशन आमतौर पर अगले मासिक धर्म की शुरुआत से लगभग 14 दिन पहले होता है।
मैच्योर होने के बाद अंडा के ओवरी से बाहर आने की प्रक्रिया को ओवुलेशन कहते हैं। आमतौर पर ओवुलेशन के दौरान एक, दो या तीन अंडे रिलीज होते हैं।
गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) का दूसरा स्टेज — फर्टिलाइजेशन (What is Fertilization in Hindi)
ओवुलेशन हर महीने रिपीट होता है और इस दौरान एक महिला के गर्भधारण करने की संभावना सबसे अधिक होती है।
ओवुलेशन के दौरान अंडा ओवरी से बाहर निकलकर फैलोपियन ट्यूब में जाता है जहां स्पर्म उसे फर्टिलाइज करता है।
फैलोपियन ट्यूब में अंडा लगभग 24 घंटे और स्पर्म लगभग 5-7 दिनों तक जीवित रहते हैं। अगर इस दौरान अंडा और स्पर्म मिल जाते हैं तो फर्टिलाइजेशन की संभावना बढ़ जाती है। फर्टिलाइजेशन के बाद महिला गर्भवती हो जाती है।
गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) का तीसरा और आखिरी स्टेज — इम्प्लांटेशन (What is Implantation in Hindi)
फर्टिलाइजेशन के 24 घंटे के भीतर फर्टिलाइज्ड अंडे की कोशिकाएं तेजी से विभाजित होने लगती हैं और धीरे-धीरे फैलोपियन ट्यूब से गर्भाशय की ओर जाने लगती हैं। फिर गर्भाशय के अस्तर से जुड़ने लगती हैं। इस प्रक्रिया को इम्प्लांटेशन कहते हैं।
गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु (Points Related to Pregnancy in Hindi):-
- प्रेगनेंसी के दौरान गर्भाशय का आकार बड़ा हो जाता है
- अब तक दर्ज की गई सबसे लंबी गर्भावस्था 375 दिन लंबी थी
- सबसे छोटी प्रेगनेंसी 21 सप्ताह चार दिन की थी
- गर्भवती महिला के रक्त की मात्रा 40-50% बढ़ जाती है
- गर्भवती होने पर आपके दिल का आकार बढ़ जाता है
- गर्भावस्था के दौरान आपकी आवाज में बदलाव आ सकता है
- बच्चे गर्भ के अंदर से अपनी मां की आवाज सुन सकते हैं
- कुछ गर्भवती महिलाओं को मधुमेह (डायबिटीज) हो सकता है
- गर्भावस्था के दौरान आपके जोड़ (Joints) ढीले हो जाते हैं
- आपके सूंघने की क्षमता में बदलाव आ सकता है
- आपके शरीर के कुछ अंगों में बदलाव आता है
- शिशु गर्भ में कुछ खाद्य पदार्थों का स्वाद चख सकते हैं
- 30 साल की उम्र में एक जोड़े के गर्भधारण करने की 20% संभावना होती है
- बच्चे गर्भ में रो सकते हैं
- आपके मसूड़े में सूजन और सांसों में दुर्गंध हो सकती है
- जन्म के दौरान, श्रोणि की हड्डी अलग हो जाती है
और पढ़े : Baccha kese banta hai
महिलाएं गर्भावस्था के लिए अपने शरीर को कैसे तैयार कर सकती हैं — How Can Women Prepare Their Body For Pregnancy
जल्दी प्रेगनेंट होने के लिए क्या करें (How to Get Pregnant Fast)
अगर आप गर्भधारण करने की योजना बना रही हैं तो आपको यह मालूम होना चाहिए कि एक सफल गर्भावस्था के लिए आपका स्वस्थ होना आवश्यक है। आपके स्वास्थ्य का सीधा असर आपके शिशु पर पड़ता है।
यही कारण है कि एक महिला के गर्भधारण करने से पहले डॉक्टर उसे अपनी सेहत और खान-पान पर खास ध्यान देने के सुझाव देते हैं।
अगर आप एक महिला हैं और आप खुद को गर्भधारण के लिए तैयार कर रही हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जिसमें निम्न शामिल हैं:-
01. डॉक्टर से मिलें
अगर आप गर्भधारण करने की सोच रही हैं तो सबसे पहले डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर जांच करके आपकी प्रजनन क्षमता और ओवुलेशन आदि की पुष्टि कर सकते हैं जिसके बाद आवश्यकता होने पर वह कुछ टिप्स और सुझाव भी दे सकते हैं।
02. विटामिन बी से भरपूर चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें
अपनी डाइट में विटामिन बी से भरपूर चीजें जैसे कि हरी पत्तेदार सब्जियों, साबुत अनाज, अंडे और मांस को शामिल करें।
03. फोलिक एसिड से भरपूर चीजों का सेवन करें
फोलिक एसिड से भरपूर चीजें जैसे कि सोयाबीन, आलू, गेंहू, चुकंदर, केला और ब्रोकली आदि का सेवन करने। ये आपके गर्भधारण करने की क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं।
04. पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं
अगर आप गर्भधारण करने यानी बच्चा पैदा करने की सोच रही हैं तो आपको पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आपके शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन न हो।
05. डेयरी उत्पादों का करें सेवन
डेयरी उत्पाद कैल्शियम से भरपूर होते हैं जो आपकी प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ आपकी हड्डियों को भी मजबूत बनाते हैं।
अगर आपकी प्रजनन क्षमता कमजोर है तो आप दूध, दही, अंडे और मछली आदि को अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं।
06. ओमेगा 3 फैटी एसिड है जरूरी
अगर आप मां बनने का प्लान बन रही हैं तो आपको ओमेगा 3 से भरपूर चीजों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। बादाम, अखरोट और मछली ओमेगा 3 फैटी एसिड के बड़े स्रोत हैं।
इन सबके आलावा, आपको ताजा फलों का सेवन करना चाहिए। अपने शरीर को चुस्त और दुरुस्त रखने के लिए आप रोजाना सुबह या शाम में हल्का-फुल्का व्यायाम कर सकती हैं।
साथ ही, मन को शांत और मजबूत बनाने के लिए आप मेडिटेशन कर सकती हैं।
निष्कर्ष
प्रेगनेंसी एक लंबी प्रक्रिया है जिसके दौरान एक महिला में अनेक बदलाव आते हैं। अगर आप गर्भधारण करने का प्लान बना रही हैं तो आपके मन में ऐसे ढेरों प्रश्न हो सकते हैं कि गर्भधारण कैसे करते हैं, गर्भधारण की सबसे शुरुआती स्टेज क्या है और प्रेगनेंट होने के लिए पुरुष और महिला की प्रजनन शक्ति किस हद तक मायने रखती है आदि।
अगर आपके मन में pregnant kaise hote hai, pregnancy kaise hoti hai ya pregnancy ke shuruati stage आदि से संबंधित प्रश्न हैं तो हम उम्मीद करते हैं कि इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद आपको अपने प्रश्नों के उत्तर मिल गए होंगे।
अगर आप बांझपन से पीड़ित हैं या आपको किसी कारणवश गर्भधारण करने में समस्याएं आ रही हैं तो आप अभी अपॉइंटमेंट बुक कर हमारे फर्टिलिटी एक्सपर्ट से परामर्श कर अपनी परेशानियों का समाधान प्राप्त कर सकती हैं।
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Written by:
Dr Prachi Benara
Consultant
Dr Prachi Benara is a skilled infertility specialist with more than a decade of experience. Trained from some of the most premier institutes in the field in India which include Maulana Azad Medical College, BJ Medical College (Ahmedabad), PG Diploma in Reproductive and Sexual Health. She further trained in the United Kingdom to pursue her interest in Reproductive medicine and IVF. Her focus areas include advanced laparoscopic and hysteroscopic surgery, IVF, IUI, Frozen embryo transfer and correction of uterine anomalies including uterine septum to improve chances of pregnancy.
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