इरेक्टाइल डिसफंक्शन क्या है – कारण, लक्षण, जांच और उपचार

IVF
Author : Dr. Deepika Nagarwal September 13 2024
Dr. Deepika Nagarwal
Dr. Deepika Nagarwal

MBBS, MS ( Obstetrics and Gynaecology), DNB, FMAS, DCR( Diploma in clinical ART)

8+Years of experience:
इरेक्टाइल डिसफंक्शन क्या है – कारण, लक्षण, जांच और उपचार

यौन संबंध बनाते समय इरेक्शन न होने की वजह से – पेनिट्रेशन में दिक्कत आने की समस्या को इरेक्टाइल डिसफंक्शन कहते हैं। इसे स्तंभन दोष या नपुंसकता भी कहा जाता है।

कुछ पुरुषों को सेक्स के दौरान इरेक्शन बिलकुल भी नहीं आता है। अगर कुछ मामलों में आता भी है तो इरेक्शन को बरकरार नहीं रख पाते हैं। इरेक्शन कुछ सेकेंड के अंदर ही खत्म हो जाता है।

जब एक पुरुष सेक्शुअली उत्तेजित होता है तो उसे इरेक्शन महसूस होता है। उसके बाद, उसका दिमाग प्राइवेट पार्ट की नसों में खून के प्रवाह को बढ़ाने का सिग्नल भेजता है। इसे ही इरेक्शन कहते हैं।

वैसे तो इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या किसी भी पुरुष को हो सकती है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह 40 से अधिक उम्र के पुरुषों में देखने को मिलता है। यह पुरुष निःसंतानता के मुख्य कारणों में से एक है।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन के प्रकार और उनके कारण

हम नीचे इस बीमारी के विभिन्न प्रकार और कारणों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

  1. ऑर्गेनिक इरेक्टाइल डिसफंक्शन: यह उन स्थितियों के कारण होता है जो रक्त प्रवाह, तंत्रिका कार्य या लिंग की संरचना को प्रभावित करती हैं। सामान्य कारणों में हृदय संबंधी रोग, मधुमेह, तंत्रिका संबंधी विकार, हार्मोनल असंतुलन, लिंग की असामान्यताएं, पेल्विक चोट  या सर्जरी शामिल हैं।
  2. साइकोजेनिक इरेक्टाइल डिसफंक्शन: मनोवैज्ञानिक कारक इसके प्राथमिक कारण होते हैं। यह तनाव, चिंता, अवसाद, रिश्तों में समस्याएं या प्रदर्शन की चिंता के कारण होता है। यह बल्कि मानसिक और भावनात्मक कारकों से संबंधित है।
  3. मिश्रित इरेक्टाइल डिसफंक्शन: जब ईडी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों कारणों से होता है तो उसे मिश्रित ईडी कहते हैं। इसमें दोनों पहलुओं को संबोधित करने वाले उपचार के समायोजन की आवश्यकता होती है।
  4. दवा से होने वाला इरेक्टाइल डिसफंक्शन: कुछ दवाएं दुष्प्रभाव के रूप में ईडी में योगदान कर सकती हैं। जो दवाएं ईडी का कारण बन सकती हैं उनमें एंटीहाइपरटेन्सिव, एंटीडिप्रेसेंट्स, एंटीसाइकोटिक्स और कुछ अन्य दवाएं शामिल हैं।
  5. जीवनशैली से संबंधित इरेक्टाइल डिसफंक्शन: अनहेल्दी जीवनशैली भी इसका कारण हो सकता है। इसमें धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, नशीली दवाओं का उपयोग, मोटापा और शारीरिक गतिविधि की कमी शामिल हैं। इन जीवनशैली कारकों को संबोधित करने से इरेक्टाइल डिसफंक्शन में सुधार होता है।
  6. वैस्कुलर इरेक्टाइल डिसफंक्शन: रक्त वाहिकाओं से जुड़ी समस्याएं, जैसे एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों का सिकुड़ना) और लिंग में रक्त का प्रवाह कम होना, वैस्कुलर ईडी का कारण बनता है।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लक्षण

पुरुष का सेक्स के दौरान इरेक्शन और पेनिट्रेशन न होना इरेक्टाइल डिफंक्शन का सबसे बड़ा लक्षण है। इसके अलावा, अन्य लक्षणों में शामिल हैं:-

erectile-dysfunction-symptoms-in-hindi

  • यौन इच्छा में कमी आना
  • लिंग में उत्तेजना लाने में परेशानी होना
  • समय से पहले स्खलन होना
  • स्खलन में देरी होना
  • पर्याप्त उत्तेजना होने के बाद भी सेक्सुअली संतुष्ट नहीं होना
  • सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान उत्तेजना को बनाए रखने में परेशानी होना

साथ ही, इससे पीड़ित पुरुष खुद में भावनात्मक लक्षणों को अनुभव कर सकते हैं जैसे कि मन चिंतित और उदास रहना, शर्म और लज्जा महसूस करना आदि।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन के जोखिम कारक

इस समस्या के खतरे को बढ़ाने वाले कारक निम्न हैं:-

risk-factors-of-erectile-dysfunction-in-hindi

  • मोटापा
  • डायबिटीज
  • धूम्रपान करना
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • हाई कोलेस्ट्रॉल
  • मेटाबोलिक सिंड्रोम
  • तंबाकू का सेवन करना

ऊपर दिए गए कारकों को ध्यान में रखकर कुछ सावधानियां बरती जाएं तो इरेक्टाइल डिसफंक्शन के खतरे को दूर किया जा सकता है।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन की जांच

इस बीमारी की जांच करने के लिए, आपके लक्षणों और स्वास्थ्य संबंधित कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं। साथ ही, सटीक कारणों की पुष्टि करने के लिए निम्न जांच की जाती है:

diagnosis-of-erectile-dysfunction-in-hindi

  1. शारीरिक परीक्षण: इस दौरान डॉक्टर लिंग और वृषण (Testicles) की जांच करते हैं। साथ ही, उत्तेजना की जांच करने के लिए डॉक्टर नसों को चेक करते हैं। शारीरिक परीक्षण के दौरान, डॉक्टर ब्लड प्रेशर चेक करते हैं, ह्रदय और फेफड़ों की आवाज सुनते हैं और प्रोस्टेट की जांच करने के लिए रेक्टल एक्जाम भी करते हैं।
  2. खून जांच: इस दौरान खून का सैंपल लेकर उसे लैब भेजा जाता है जिससे दिल से संबंधित बीमारियां, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और दूसरी स्थितियों की जांच की जाती है।
  3. पेशाब की जांच: इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर पेशाब का सैंपल लेकर डायबिटीज और दूसरी स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की जांच करते हैं।
  4. अल्ट्रासाउंड: अल्ट्रासाउंड के दौरान वाहिका (Vessels) संबंधित समस्या की पुष्टि की जाती है।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज

इस बीमारी का उपचार करने के लिए डॉक्टर कुछ ऐसी दवाएं निर्धारित कर सकते हैं जिसमें नाइट्रिक एसिड मौजूद होता है। इसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हो सकते हैं:-

  • सिल्डेनाफिल
  • टेडलाफिल
  • वार्डनफिल
  • अवैनाफिल

ऊपर दी गई दवाओं में नाइट्रिक एसिड होता है जिससे लिंग की मांसपेशियों को आराम मिलता है और उत्तेजना बढ़ती है। उतेजना बढ़ने के कारण इरेक्शन करने में कोई प्रॉब्लम नहीं आती है। उपचार के अन्य विकल्पों में एलप्रोस्टेडिल सेल्फ इंजेक्शन, टेस्टोस्टेरोन रिप्ल्समेंट और एल-आर्जिनिन आदि शामिल हैं।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए विटामिन

निम्न विटामिन की मात्रा को बढ़ाकर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को दूर किया जा सकता है:

  • एल अर्गिनीन और पिक्नोगेनोल: ये विटामिन लिंग में रक्त प्रवाह को को नियंत्रित करते हैं।
  • जिंक: यह टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर को बढ़ाने में और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लक्षणों का उपचार करता है।
  • डिहाइड्रोएपियनड्रोस्टेरोन (डीएचईए): यह रक्त वाहिकाहों को उत्तेजित करके इरेक्टाइल डिस्फंक्शन में सुधार करता है।
  • फ्लेवोनोइड युक्त खाद्य पदार्थ: ऐसी खाद्य पदार्थों का सेवन करने से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का उपचार करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

लक्षणों के ज़रिए इरेक्टाइल डिसफंक्शन के बारे में पता चलता है। इसके मुख्य लक्षणों में सेक्स के दौरान इरेक्शन और पेनिट्रेशन नहीं होना, यौन इच्छा में कमी आना, समय से पहले इजैक्युलेशन होना या इजैक्युलेशन में देरी होना आदि शामिल हैं।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन होने पर आपको सब्जियां, फलों, फलियां, मेवा, बिन्स, अनाज, मछली, अनसैचुरेटेड फैट जैसे कि जैतून का तेल, बादाम और कद्दू के बीज आदि का सेवन करना चाहिए।

Patient Testimonials