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Birla Fertility & IVF
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आईवीएफ क्या है – प्रक्रिया, फायदे और साइड इफेक्ट्स

  • Published on March 15, 2022
आईवीएफ क्या है – प्रक्रिया, फायदे और साइड इफेक्ट्स

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन को आम बोलचाल की भाषा में आईवीएफ कहते हैं। यह एक प्रजाजन उपचार, यानी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है। आईवीएफ में, महिला के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज करके, भ्रूण को तैयार किया जाता है। फिर उस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। दुनिया भर में हर वर्ष आईवीएफ के जरिए, लगभग 80 लाख शिशु जन्म लेते हैं।

आईवीएफ इलाज से जन्मे शिशु को ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ भी कहते हैं। यह एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है, जिसके दौरान आपको काफी बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। आइए आईवीएफ के बारे में विस्तार से जानते हैं।

आईवीएफ की आवश्यकता कब होती है?

आईवीएफ उपचार से बांझ दंपति को संतान का सुख प्राप्त करने में मदद मिलती है। जब इलाज के अन्य सभी विकल्प असफल हो जाते हैं तो डॉक्टर आईवीएफ का इस्तेमाल करते हैं। निम्न स्थितियों में आईवीएफ उपचार की आवश्यकता होती है:-

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  • एंडोमेट्रियोसिस : इसमें गर्भाशय में असामान्य टिश्यू विकसित होते हैं, जो फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय को भी प्रभावित करते हैं।
  • ओव्यूलेशन से संबंधित डिसऑर्डर : इस स्थिति में गर्भधारण के लिए आईवीएफ उपचार की जरूरत होती है।
  • फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या खराब होना : फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या खराब होने पर महिला गर्भधारण नहीं कर पाती। इस स्थिति में, आईवीएफ एक अच्छा उपचार विकल्प होता है।
  • यूटेराइन फाइब्रॉइड्स : यह महिला बांझपन का एक प्रमुख कारण है। यूटेराइन फाइब्रॉइड्स से पीड़ित महिलाएं आईवीएफ से गर्भधारण कर सकती हैं।
  • अस्पष्टीकृत बांझपन : जब जांच के बाद भी बांझपन का सटीक कारण नहीं पता चलता, तो इसे अस्पष्टीकृत बांझपन कहते हैं। आईवीएफ इसका उचित इलाज है।
  • स्पर्म की क्वालिटी खराब होना : खराब स्पर्म क्वालिटी और कम संख्या के कारण अंडा फर्टिलाइज नहीं हो पाता, जिससे गर्भधारण में समस्या होती है। इस स्थिति में आईवीएफ और आईसीएसआई का उपयोग किया जाता है।
  • आनुवंशिक विकार : कुछ मामलों में आनुवंशिक विकार के कारण गर्भधारण में समस्याएं होती हैं। ऐसी स्थिति में फर्टिलिटी एक्सपर्ट, आईवीएफ उपचार से मदद करते हैं।

अगर आप ऊपर दी गई समस्याओं से पीड़ित हैं या किसी अन्य कारण से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं, तो हमारे अनुभवी फर्टिलिटी डॉक्टर से अप्वाइंटमेंट बुक कर फ्री परामर्श लें।

आईवीएफ के लिए खुद को कैसे तैयार करें?

अगर आप आईवीएफ उपचार से गर्भधारण करना चाहती हैं, तो निम्न बातों का ध्यान रखें:

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  1. खुद को मानसिक रूप से तैयार करें। साथी, परिवार और दोस्तों की मदद लें।
  2. एक भरोसेमंद डॉक्टर और फर्टिलिटी सेंटर का चयन करें। रिसर्च कर लें।
  3. डाइट में प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन से भरपूर चीजों को शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियां और फल खाएं।
  4. वजन संतुलित रखें। जरूरत होने पर डॉक्टर से परामर्श लें और उनकी सलाह फॉलो करें।
  5. रोजाना समय पर सोएं और जागें। सुबह उठकर नहाएं और ताजगी महसूस करें।
  6. हल्का व्यायाम करें। मन शांत करने के लिए मेडिटेशन और योग करें। हेवी एक्सरसाइज से बचें।
  7. सिगरेट, शराब और नशीली चीजों से दूर रहें।
  8. तनाव से दूर रहें। खुश रहने की कोशिश करें। मनपसंद फिल्में देखें, किताबें पढ़ें और गाने सुनें।
  9. किसी परेशानी पर परिवार, दोस्तों और डॉक्टर से खुलकर बात करें।

आईवीएफ से पहले कौन से जांच किए जाते हैं?

आईवीएफ उपचार शुरू करने से पहले, प्रजनन विशेषज्ञ पुरुषों में निम्नलिखित जांच करने का सुझाव देते हैं:

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पुरुषों के साथ-साथ, आईवीएफ उपचार से पहले महिलाओं की भी जांच की जाती है, जिसमें शामिल हैं:

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  • ओव्युलेशन टेस्ट
  • ओवेरियन रिजर्व टेस्ट
  • पेल्विक अल्ट्रासाउंड
  • हिस्टेरोस्कोपी

इन जांचों के बाद, डॉक्टर आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया शुरू करते हैं।

आईवीएफ के दौरान क्या होता है?

यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में लगभग 6-8 सप्ताह का समय लगता है। आईवीएफ उपचार में निम्न प्रक्रियाएं शामिल हैं:-

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  1. डॉक्टर के साथ परामर्श : यदि प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने की कोशिश असफल हो जाती है, तो फर्टिलिटी डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री जानने के बाद, लक्षणों से संबंधित प्रश्न पूछते हैं और विशिष्ट परीक्षणों का सुझाव देते हैं।
  2. हार्मोनल दवाएं और इंजेक्शन : हर महीने, महिला के अंडाशय से एक अंडा उत्पन्न होता है, लेकिन आईवीएफ के लिए कई अंडों की आवश्यकता होती है। अंडों की संख्या बढ़ाने के लिए, डॉक्टर 4-12 दिनों तक हार्मोनल दवाएं और इंजेक्शन देते हैं।
  3. ट्रिगर इंजेक्शन : यह इंजेक्शन अंडों को मैच्योर बनाता है। इसके 33-36 घंटों बाद, डॉक्टर एग रिट्रीवल यानी अंडाशय से अंडे निकालने की प्रक्रिया शुरू करते हैं।
  4. अंडे निकालना : इस प्रक्रिया में, डॉक्टर अंडाशय से मैच्योर अंडों को निकालते हैं। इसमें लगभग 20-30 मिनट लगते हैं, और 8-16 अंडे निकाले जाते हैं।
  5. स्पर्म लेना : अंडे निकालने के बाद, उसी दिन पुरुष साथी से स्पर्म कलेक्ट किया जाता है। पुरुष हस्तमैथुन करके स्पर्म को एक छोटे डब्बे में क्लिनिक में जमा करते हैं। डोनर स्पर्म या फ्रोजेन स्पर्म की स्थिति में, डॉक्टर पहले से ही लैब में स्पर्म तैयार रखते हैं।
  6. फर्टिलाइजेशन : अंडे और स्पर्म को शुद्धिकरण के बाद इनक्यूबेटर में फर्टिलाइजेशन के लिए रखा जाता है।
  7. भ्रूण का विकास : फर्टिलाइजेशन के बाद, अंडा भ्रूण में विकसित होता है। इसे 5-6 दिनों तक एक अलग इनक्यूबेटर में मॉनिटर किया जाता है।
  8. एम्ब्र्यो ट्रांसफर : इस प्रक्रिया में, डॉक्टर विकसित भ्रूण को इनक्यूबेटर से निकालकर यूटेराइन वॉल पर इम्प्लांट करते हैं। यह 15-20 मिनट में पूरी हो जाती है और महिला कुछ घंटों बाद घर जा सकती है।
  9. गर्भावस्था की जांच : आईवीएफ उपचार के 2 सप्ताह बाद, डॉक्टर खून की जांच करते हैं। इस जांच में खून में एचसीजी (hCG) की मौजूदगी की पुष्टि की जाती है।

आईवीएफ प्रक्रिया समय और धैर्य की मांग करती है, लेकिन इसके माध्यम से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।

आईवीएफ सफल होने पर, खून में एचसीजी की मौजूदगी से पॉजिटिव रिजल्ट मिलता है। गर्भधारण के बाद, डॉक्टर प्रेगनेंसी टिप्स देते हैं।

आईवीएफ के फायदे

जो दंपति किसी कारण से माता-पिता नहीं बन पा रहे हैं, उनके लिए आईवीएफ उपचार एक वरदान साबित हो सकता है। इसके कई फायदे हैं, जैसे:

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  1. आईवीएफ सरोगेसी के लिए श्रेष्ठ विकल्प माना जाता है। यदि आप सरोगेसी के माध्यम से माता-पिता बनने की योजना बना रहे हैं, तो आईवीएफ उपचार आपके लिए एक प्रेरणादायक विकल्प है।
  2. आईवीएफ के बाद, गर्भपात का खतरा कम होता है। यह बांझपन का एक सुरक्षित और सफल उपचार है।
  3. आईवीएफ प्रेगनेंसी के समय तय करने की स्वतंत्रता देता है। आप खुद फैसला कर सकते हैं कि आपको गर्भधारण कब करना है।
  4. जब महिला की फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज होता है या पुरुष में स्वस्थ स्पर्म नहीं बनते हैं, तो आईवीएफ उपचार का चयन किया जाता है।

आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स

अपने अनेक लाभों के अलावा, आईवीएफ के कुछ संभावित साइड इफेक्ट्स भी होते हैं जैसे:

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  1. अंडे निकालते समय जटिलता
  2. एक से अधिक शिशु के जन्म का खतरा
  3. मानसिक और भावनात्मक असंतुलन
  4. तनाव, कब्ज और हल्के क्रैम्प्स
  5. जन्म के समय शिशु का वजन कम होना
  6. हेवी वेजाइनल ब्लीडिंग
  7. दस्त और मतली
  8. पेडू में दर्द और पेशाब में खून

इन आईवीएफ की जटिलताओं के अलावा, कुछ गंभीर नुकसान भी हो सकते हैं जैसे:

  1. शिशु में जन्मजात दोष
  2. ओवेरियन कैंसर
  3. गर्भपात का खतरा
  4. एक्टोपिक प्रेगनेंसी
  5. समय से पहले प्रसव
  6. ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम

डॉक्टर की सलाह का पालन करके, आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स के खतरे को कम किया जा सकता है।

Written by:
Dr. Aabha

Dr. Aabha

Consultant
Dr. Aabha is a distinguished OB-GYN with expertise in laparoscopy and ART procedures, specializing in female factor infertility. She is skilled in evaluating and investigating infertile couples and conducting ovulation induction and IUI procedures.
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