एम्ब्र्यो ट्रांसफर और उसके बाद प्रेगनेंसी के लक्षण
- Published on June 02, 2022

निष्क्रिय जीवनशैली, अस्वस्थ खान-पान, तनाव और नशीली पदार्थों का सेवन पुरुष और महिलाओं दोनों में बांझपन का मुख्य कारण है। दुनिया भर में करोड़ों दंपति बांझपन यानी इनफर्टिलिटी से ग्रसित हैं।
बांझपन एक ऐसी स्थिति है जब एक पुरुष या महिला नियमित रूप से एक वर्ष या उससे अधिक समय तक असुरक्षित रूप से यौन संबंध बनाने के बाद गर्भधारण करने में असफल हो जाते हैं।
वैसे तो बांझपन का उपचार कई तरह से किया जाता है, लेकिन आवीएफ इन सबमें सबसे ऊपर है। आईवीएफ का पूरा नाम इन विट्रो फर्टिलाइजेशन है। यह बांझपन से ग्रसित पुरुष और महिला के लिए एक वरदान से कम नहीं है।
आईवीएफ उपचार में अनेक स्टेप (चरण) शामिल हैं और उन्हीं में से एक है एम्ब्र्यो ट्रांसफर यानी भ्रूण स्थानांतरण। इस ब्लॉग में आज हम भ्रूण स्थानांतरण यानि भ्रूण ट्रांसफर के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
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एम्ब्र्यो ट्रांसफर क्या है (Embryo Transfer in Hindi)
एम्ब्र्यो ट्रांसफर को हिंदी में भ्रूण स्थानांतरण या भ्रूण ट्रांसफर कहते हैं। यह आईवीएफ उपचार का एक हिस्सा जिसके दौरान डॉक्टर लैब में विकसित किए गए भ्रूण महिला की युटरीन वॉल पर इम्प्लांट करते हैं।
एम्ब्र्यो ट्रांसफर एक छोटी प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में मात्र 15-20 मिनट का समय लगता है। इस प्रक्रिया के समाप्त होने के कुछ ही घंटों एक भीतर महिला अपने घर जा सकती है। एम्ब्र्यो ट्रांसफर होने के लगभग 14 दिनों के बाद डॉक्टर महिला को क्लिनिक बुलाकर उसका प्रेगनेंसी टेस्ट करते हैं।
प्रेगनेंसी टेस्ट के दौरान डॉक्टर खून में एचसीजी की उपस्थिति की पुष्टि करते हैं। एम्ब्र्यो ट्रांसफर सफल होने पर जांच का परिणाम सकारात्मक आता है और खून में एचसीजी की उपस्थिति पाई जाती है।
एम्ब्र्यो ट्रांसफर क्यों किया जाता है?
जैसा कि हमने ऊपर ही बताया कि एम्ब्र्यो ट्रांसफर आईवीएफ का एक हिस्सा है। आईवीएफ को कई कारणों से किया जाता है। निम्न स्थितियों से पीड़ित पुरुष और महिला को एम्ब्र्यो ट्रांसफर की आवश्यता पड़ती है:-
- एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित होना
- ओव्यूलेशन से संबंधित डिसऑर्ड होना
- फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या खराब होना
- यूटेराइन फाइब्रॉइड्स होना
- अस्पष्टीकृत बांझपन से पीड़ित होना
- स्पर्म की क्वालिटी खराब होना
- आनुवंशिक विकार होना
एम्ब्र्यो ट्रांसफर के बाद प्रेगनेंसी के लक्षण
एम्ब्र्यो ट्रांसफर करने के 14 दिनों के बाद डॉक्टर गर्भावस्था की पुष्टि करने के लिए जांच करते हैं। स्थानांतरण के बाद भ्रूण गर्भाशय के अस्तर से जुड़ता है और फिर उसका विकास शुरू होता है।
धीरे-धीरे भ्रूण विकास करके एक गर्भस्थ शिशु के रूप में परिवर्तित होता है। भ्रूण को गर्भाशय के अस्तर से जुड़ने में लगभग 10 दिनों का समय लगता है। यही कारण है कि एम्ब्र्यो ट्रासंफर के बाद गर्भावस्था की जांच करने के लिए 14 दिनों का समय उपयुक्त माना जाता है।
ऐसी स्थिति में किसी भी महिला के लिए दो सप्ताह तक का इंतजार बहुत लंबा लगता है। वह चाहती है कि भ्रूण ट्रांसफर का परिणाम चाहे जो भी हो लेकिन जल्दी सामने आ जाए।
ऐसे में एक महिला अपने अंदर कुछ लक्षणों को अनुभव कर सकती है जो एक सफल गर्भावस्था की ओर इशारा करते हैं। लेकिन कभी-कभी ये लक्षण गलत भी साबित हो सकते हैं।
एम्ब्र्यो ट्रांसफर के बाद प्रेगनेंसी के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:-
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श्रोणि क्षेत्र में ऐंठन
श्रोणि क्षेत्र में ऐंठन होना इस बात की ओर एक इशारा हो सकता है कि आईवीएफ उपचार सफल रहा। हालाँकि, कुछ महिलाओं को आईवीएफ उपचार के कारण भी श्रोणि क्षेत्र में ऐंठन की शिकायत हो सकती है।
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योनि से ब्लीडिंग
आईवीएफ उपचार के सफल होने पर एक महिला योनि से हल्की ब्लीडिंग को अनुभव कर सकती है। योनि से हल्की ब्लीडिंग होना इस बात की पुष्टि करता है कि भ्रूण युटरीन लाइनिंग में इम्प्लांट हो गया है।
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जी मिचलाना
जी मिचलाना और मॉर्निंग सिकनेस जैसे लक्षण नजर आना एम्ब्र्यो ट्रांसफर की सफलता का प्रतिक है। लेकिन एम्ब्र्यो ट्रांसफर के तुरंत बाद इन लक्षणों का आना बुरा भी हो सकता है।
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स्तनों में दर्द
गर्भधारण करने के बाद एक महिला के स्तनों में काफी बदलाव आते हैं जैसे कि स्तनों का कोमल होना, उनका आकार बढ़ना, उनमें हल्का सूजन आना, उन्हें छूने में हल्का दर्द होना आदि। ये सभी गर्भावस्था के लक्षण हैं।
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कमजोरी और थकान
एम्ब्र्यो ट्रांसफर के बाद महिला का कमजोरी और थकान महसूस करना भी गर्भावस्था की ओर इशारा कर सकते हैं। अगर आप उचित खान-पान के बाद भी कमजोरी और थकान महसूस करती हैं तो आपके गर्भवती होने की अधिक संभावना है।
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बार-बार पेशाब लगना
बार-बार पेशाब करने की आवश्यकत महसूस होना शुरुआती गर्भावस्था की सफलता की ओर इशारा करता है। एम्ब्र्यो ट्रांसफर के बाद गर्भधारण करने पर रात के समय पेशाब करने की आवश्यकता बढ़ सकती है।
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सूजन
एम्ब्र्यो ट्रांसफर करने बाद जब महिला गर्भवती होती है तो उसके पेट में सूजन की शिकायत हो सकती है। यह सूजन फर्टिलिटी ड्रग्स के कारण हो सकता है।
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पीरियड मिस होना
आईवीएफ उपचार के बाद अगर आपके पीरियड समय पर नहीं आते हैं तो इस बात की अधिक संभावना है कि आप गर्भवती हैं।
अगर आप एम्ब्र्यो ट्रासंफर के बाद ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण को खुद में अनुभव करती हैं तो इस बात का अंदाजा लगा सकती हैं कि आपने गर्भधारण कर लिया है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
एंब्रियो ट्रांसफर के बाद कैसे सोना चाहिए?
एम्ब्र्यो ट्रांसफर के बाद नींद सोने की पोजीशन को लेकर किसी तरह की कोई दिशा-निर्देश नहीं है। इस प्रक्रिया के बाद आप जैसे चाहें वैसे, किसी भी पोजीशन (पेट के बल, पीठ के बल, दाएं या बाएं करवट लेकर) नींद सो सकती हैं।
एम्ब्र्यो ट्रांसफर के बाद क्या खाना चाहिए?
एम्ब्र्यो ट्रांसफर के बाद आपको अनार, अंडा, पालक, अखरोट, चिया का बीज, विटामिन ए से भरपूर आहार जैसे कि गाजर, ब्रोकली आदि का सेवन करना चाहिए।
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Written by:
Dr Swati Mishra
Consultant
Dr Swati Mishra is an internationally trained obstetrician-gynecologist and reproductive medicine specialist. She has trained and worked at some of the most reputed medical institutions in India and abroad. She has worked as a visiting consultant at multiple reputed reproductive medicine centers across Kolkata and as a chief consultant in ARC Fertility Center, Kolkata. Her unique skills and diverse work experience in India and the USA have made her a respected name in the field of IVF. She is also a trained specialist in all types of laparoscopic, hysteroscopic and operative procedures related to fertility treatment
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