गर्भपात क्या है – कारण, लक्षण और इलाज (Miscarriage in Hindi)
- Published on April 16, 2022

गर्भावस्था यानी प्रेगनेंसी हर महिला के जीवन की खूबसूरत पलों में से एक होता है। गर्भधारण कर शिशु को जन्म देना दुनिया के सभी खास एहसासों में से एक है। गर्भावस्था के दौरान एक महिला अनेक बातों को ध्यान रखती है, लेकिन फिर कई बार कुछ कारणों से गर्भपात हो जाता है।
गर्भपात को अंग्रेजी में मिसकैरेज कहते हैं। गर्भपात का एक महिला पर मानसिक और शारीरिक रूप से बुरा असर पड़ता है। गर्भपात के ग़म से बाहर निकलना एक महिला के लिए बहुत कठिन होता है। गर्भपात के बाद दोबारा गर्भधारण करने के लिए महिला का भावनात्मक और शारीरिक रूप से तैयार होना आवश्यक है।
इस ब्लॉग में हम आपको गर्भपात को हिंदी में (Miscarriage meaning in Hindi) विस्तार से बताने वाले हैं। आइए गर्भपात के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में जानते हैं।
Table of Contents
गर्भपात क्या है (What is the meaning of miscarriage in Hindi)
गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले जब भ्रूण की मृत्यु हो जाती है तो उसे मेडिकल की भाषा में गर्भपात कहते हैं। जब किसी महिला को लगातार तीन या उससे अधिक बार गर्भपात होता है तो उसे रीकरंट मिसकैरेज यानी बार-बार गर्भपात होना कहते हैं।
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गर्भपात के प्रकार (Types of Miscarriage in Hindi)
मुख्य रूप से गर्भपात को पांच भागों में बांटा गया है जिनमें निम्न शामिल हैं:-
- मिस्ड गर्भपात
- अधूरा गर्भपात
- पूर्ण गर्भपात
- अपरिहार्य गर्भपात
- संक्रामक गर्भपात
गर्भपात क्यों होता है (Miscarriage Reasons in Hindi)
गर्भपात के कई कारण होते हैं। गर्भपात के मुख्य कारणों में खानपान पर ध्यान नहीं देना, पेट पर भार देना, पेट में चोट लगना या योनि में इंफेक्शन होना आदि शामिल हैं।
इन सबके अलावा भी गर्भपात के दूसरे कई कारण हो सकते हैं जैसे कि:-
- क्रोमोसोमल असामान्यता — जब माता-पिता या दोनों में से किसी एक के क्रोमोसोम में किसी प्रकार की असमानता होती है तो गर्भपात का खतरा होता है।
- प्रतिरक्षा संबंधित समस्याएं — कई बार प्रतिरक्षा से संबंधित समस्याएं भी गर्भपात का कारण बन सकती हैं। प्रतिरक्षा संबंधित समस्याएं जैसे कि एलर्जी और अस्थमा या ऑटो इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम की समस्याओं के कारण गर्भाशय में भ्रूण का स्थानांतरण (इम्प्लांटेशन) नहीं होता है।
- एंडोक्रिनोलॉजिकल डिसऑर्डर — डॉक्टर का कहना है कि एंडोक्रिनोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे कि थायराइड, डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस और कुशिंग सिंड्रोम के कारण भी गर्भपात हो सकता है।
- अंडा या स्पर्म की गुणवत्ता में कमी — अंडा या स्पर्म की क्वालिटी बेहतर नहीं होने पर गर्भपात का खतरा हो सकता है। डॉक्टर के मुताबिक, स्पर्म की संख्या भी स्वस्थ गर्भावस्था में बड़ी भूमिका निभाता है।
- गर्भाशय की समस्या — जब गर्भाशय का आकार उचित नहीं होता है या उसमें किसी तरह की कोई समस्या या बीमारी होती है तो गर्भपात की संभावना होती है।
- पीसीओडी या पीसीओएस — पॉलिसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित महिला में गर्भपात का खतरा होता है।
इन सबके अलावा, मिसकैरेज के दूसरे भी अनेक कारण हो सकते हैं जैसे कि योनि या श्रोणि में संक्रमण होना, महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक होना, शराब और/या सिगरेट का सेवन करना, मोटापा आदि।
गर्भपात के लक्षण (Miscarriage Symptoms in Hindi)
गर्भपात के कुछ खास लक्षण होते हैं जिसकी मदद से एक महिला को इस बात का अंदाजा लग सकता है कि उसकी प्रेगनेंसी का गर्भपात हो रहा है या हो चुका है। मिसकैरेज के निम्न लक्षण हो सकते हैं:-
- योनि से रक्तस्राव होना
- पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द और ऐंठन होना
- योनि से तरल पदार्थ का डिस्चार्ज होना
- योनि से उत्तक का डिस्चार्ज होना
- रक्तस्राव के दौरान खून के थक्के आना
- गर्भावस्था के लक्षणों का कम होना यानी स्तनों में दर्द और उल्टी कम होना या न होना
अगर आप इन लक्षणों को खुद में अनुभव करती हैं तो आपको तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
गर्भपात का निदान कैसे किया जाता है (Diagnosis of Miscarriage in Hindi)
गर्भपात की जांच को कई तरह से किया जाता है जिनमें निम्न शामिल हैं:-
- पेल्विक की जांच — इस जांच के दौरान डॉक्टर मरीज के गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स की जांच करते हैं।
- अल्ट्रासाउंड — अल्ट्रासाउंड के दौरान डॉक्टर भ्रूण के दिल की धड़कन की पुष्टि करते हैं कि भ्रूण सामान्य रूप से विकसित हो रहा है या नहीं।
- खून की जांच — खून जांच के दौरान डॉक्टर रक्त में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन के स्तर की पुष्टि करते हैं।
- उत्तक की जांच — इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा से बाहर निकलने वाले उत्तक की जांच करते हैं।
- क्रोमोसोम की जांच — इस जांच के दौरान डॉक्टर क्रोमोसोम से संबंधित समस्या की पुष्टि करते हैं। इसके लिए खून की जांच की जाती है।
गर्भपात का उपचार (Miscarriage Treatment in Hindi)
अगर लक्षणों के आधार पर या जांच के दौरान डॉक्टर को इस बात की आशंका होती है कि गर्भपात का खतरा है तो सबसे पहले डॉक्टर गर्भपात को रोकने की कोशिश करते हैं। गर्भपात के उपचार का उद्देश्य ब्लीडिंग को कम करना और संक्रमण एवं दूसरे संभावित खतरों को रोकना होता है।
गर्भपात या मिसकैरेज का इलाज कई तरह से किया जाता है जिसमें सर्जरी, हेपरिन और एस्पिरिन, प्रोजेस्टेरोन और आईवीएफ आदि शामिल हैं। सर्जरी की मदद से गर्भाशय की समस्याओं का इलाज किया जाता है।
खून के थक्कों को दूर करने के लिए डॉक्टर हेपरिन और एस्पिरिन दवाएं निर्धारित करते हैं। साथ ही, डॉक्टर प्रोजेस्टेरोन दवाओं और सप्लीमेंट्स के उपयोग का भी सुझाव दे सकते हैं, क्योंकि यह गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक हार्मोन है।
इन सबके अलावा, गर्भपात के बाद दोबारा गर्भधारण करने के लिए आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन का उपयोग किया जा सकता है। जिन दंपतियों को प्राकृतिक तरह से गर्भधारण करने में समस्या होती है उनके लिए आईवीएफ एक वरदान की तरह है।
गर्भपात को रोकने के प्राकृतिक तरीके
जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि गर्भवस्था नौ महीने की एक लंबी प्रक्रिया है जिसके दौरान महिला को अनेक और खासकर अपने दैनिक जीवन और खान-पान पर ख़ास ध्यान देने की आवश्यकता होती है। स्त्री प्रसूति रोग विशषज्ञ के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान अपनी जीवनशैली और डाइट पर ध्यान देकर गर्भपात के खतरे को कम से कम — यहाँ तक की खत्म भी किया जा सकता है।
गर्भपात के खतरे को दूर करने के लिए निम्नलिखित प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है:
- विटामिन सी से भरपूर चीजों का अत्यधिक मात्रा में सेवन न करें
- पुदीना के तेल या पुदीना की चाय का रोजाना सेवन नहीं करें
- ग्रीन टी का सेवन न करें
- वसायुक्त पदार्थ जैसे कि मक्खन और पानी से बचें
- भरी सामान न उठाएं
- नियमित रूप से अपना जांच करवाते रहें
- जंकफूड जैसे कि पिज्जा, बर्गर, कोल्डड्रिंक्स, पेस्ट्री आदि को ना कहें
- कम फाइबर स्टार्च वाले पदार्थ जैसे कि इंस्टेंट चावल, अंडा और नूडल्स आदि का परहेज न करें
इन सबके अलावा, पपीता और अनानास का सेवन न करें, क्योंकि इनमें पपेन नमक रसायन होता है जिससे गर्भपात का खतरा बढ़ता है।
गर्भपात की संभावना को कम करने के लिए महिला को अपने शरीर पर ख़ास ध्यान देना चाहिए। गर्भपात का अधिकतर खतरा गर्भवस्था के पहले महीने में होता है। इसलिए जैसे ही महिला को इस बात का पता चले कि वह गर्भवती है — उसे तुरंत स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि 80% मामलों में गर्भपात गर्भावस्था के शुरुआती महीने में होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
गर्भपात की पुष्टि कैसे की जाती है?
गर्भपात का निदान करने के लिए डॉक्टर एचसीजी ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, भ्रूण के दिल की धड़कन की स्कैनिंग और पैल्विक टेस्ट आदि करते हैं।
क्या तनाव के कारण गर्भपात हो सकता है?
हां. तनाव गर्भपात का कारण हो सकता है। यही कारण है कि डॉक्टर गर्भवती महिला को तनाव से दूर रहने का सुझाव देते हैं।
गर्भपात (मिसकैरेज) होना कितना कॉमन है?
शोध के मुताबिक लगभग पांच में से एक गर्भावस्था गर्भपात में ख़त्म हो जाती है।
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Written by:
Dr Rachita Munjal
Consultant – Birla Fertility and IVF
Dr Rachita Munjal completed her MBBS from Dr D. Y. Patil Medical College, Hospital & Research Centre, Pune and MS (Obstetrics and gynaecology) from Dr. D.Y Patil Vidyapeeth Pune. She has also completed her DAGE (Diploma in Advanced Gynae Endoscopy) from Germany and MRCOG-I (Royal College of Obstetricians & Gynaecologists, UK) Membership Examination.
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