गर्भपात क्या है – कारण, लक्षण और इलाज
- Published on April 16, 2022
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गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले भ्रूण की मृत्यु होना गर्भपात कहलाता है। जब किसी महिला को लगातार तीन या उससे अधिक बार गर्भपात होता है तो उसे रीकरंट मिसकैरेज यानी ‘बार-बार गर्भपात होना’ कहते हैं। आइए गर्भपात के प्रकार, कारण, लक्षण और इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं:
Table of Contents
गर्भपात के प्रकार
मुख्य रूप से गर्भपात को पांच भागों में बांटा गया है जिनमें शामिल हैं:-
- मिस्ड गर्भपात
- अधूरा गर्भपात
- पूर्ण गर्भपात
- अपरिहार्य गर्भपात
- संक्रामक गर्भपात
गर्भपात क्यों होता है?
गर्भपात के कई कारण होते हैं। इसके मुख्य कारणों में खानपान पर ध्यान नहीं देना, पेट पर भार देना, पेट में चोट लगना या योनि में इंफेक्शन होना आदि शामिल हैं। इन सबके अलावा भी गर्भपात के कई अन्य कारण हो सकते हैं जैसे कि:-
- क्रोमोसोमल असामान्यता — जब माता-पिता या दोनों में से किसी एक के क्रोमोसोम में असमानता होने पर गर्भपात का खतरा होता है।
- प्रतिरक्षा संबंधित समस्याएं — कई बार इम्यून संबंधित समस्याएं जैसे कि एलर्जी और अस्थमा या ऑटो इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम गर्भपात का कारण बनते हैं।
- एंडोक्रिनोलॉजिकल डिसऑर्डर — एंडोक्रिनोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे कि थायराइड, डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस और कुशिंग सिंड्रोम के कारण गर्भपात हो सकता है।
- अंडा या स्पर्म की गुणवत्ता में कमी — अंडा या स्पर्म की क्वालिटी बेहतर नहीं होने पर गर्भपात का खतरा होता है।
- गर्भाशय की समस्या — जब गर्भाशय का आकार सामान्य नहीं होना या उसमें किसी तरह की कोई समस्या या बीमारी होना, गर्भपात का कारण बनते हैं।
- पीसीओडी या पीसीओएस — पॉलिसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित महिला में गर्भपात का खतरा अधिक होता है।
इन सबके अलावा, गर्भपात के अन्य कारणों में योनि या श्रोणि में संक्रमण, महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक होना, शराब और/या सिगरेट का सेवन करना, मोटापा आदि शामिल हैं।
गर्भपात के लक्षण
इस समस्या के कुछ खास लक्षण हैं जिसकी मदद से आपको इस बात का अंदाजा लग सकता है कि आपकी प्रेगनेंसी का गर्भपात हो रहा है या हो चुका है। सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:-
- योनि से रक्तस्राव होना
- पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द और ऐंठन
- योनि से तरल पदार्थ का डिस्चार्ज होना
- योनि से टिश्यू का डिस्चार्ज होना
- रक्तस्राव के दौरान खून के थक्के आना
- गर्भावस्था के लक्षणों का कम होना यानी स्तनों में दर्द और उल्टी कम होना या न होना
अगर आप इन लक्षणों को खुद में अनुभव करती हैं तो आपको तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
गर्भपात का निदान
गर्भपात का निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ जांचों का इस्तेमाल करते हैं जैसे कि:-
- गर्भाशय ग्रीवा की जांच: इस जांच के दौरान डॉक्टर मरीज के गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स की जांच करते हैं।
- अल्ट्रासाउंड: अल्ट्रासाउंड के दौरान डॉक्टर भ्रूण के दिल की धड़कन की पुष्टि करते हैं।
- खून जांच: खून जांच के दौरान डॉक्टर रक्त में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन के स्तर की पुष्टि करते हैं।
- टिशू की जांच: इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा से बाहर निकलने वाले टिशू की जांच करते हैं।
- क्रोमोसोम की जांच: डॉक्टर क्रोमोसोम से संबंधित समस्या की पुष्टि करने के लिए यह जांच करते हैं।
गर्भपात का उपचार
अगर लक्षणों के आधार पर या जांच के दौरान डॉक्टर को इस बात की आशंका होती है कि गर्भपात का खतरा है, तो सबसे पहले डॉक्टर इसे रोकने की कोशिश करते हैं। गर्भपात के उपचार का उद्देश्य ब्लीडिंग को कम करना और संक्रमण एवं दूसरे संभावित खतरों को रोकना है।
गर्भपात का इलाज कई तरह से किया जाता है जिसमें सर्जरी, हेपरिन और एस्पिरिन, प्रोजेस्टेरोन और आईवीएफ शामिल हैं। सर्जरी की मदद से गर्भाशय की समस्याओं का इलाज किया जाता है।
खून के थक्कों को दूर करने के लिए डॉक्टर हेपरिन और एस्पिरिन दवाएं निर्धारित करते हैं। साथ ही, प्रोजेस्टेरोन दवाओं और सप्लीमेंट्स के उपयोग का भी सुझाव दिया जाता है, क्योंकि यह गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक हार्मोन हैं।
इसके अलावा, गर्भपात के बाद दोबारा गर्भधारण करने के लिए आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन का उपयोग किया जा सकता है। जिन दंपतियों को प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में समस्या होती है उनके लिए आईवीएफ एक वरदान है।
गर्भपात की संभावना को कम करने के लिए क्या करें?
गर्भवस्था नौ महीने की एक लंबी प्रक्रिया है, जिसके दौरान आपको अनेक और खासकर अपने दैनिक जीवन एवं खान-पान पर ख़ास ध्यान देने की आवश्यकता होती है। स्त्री प्रसूति रोग विशषज्ञ के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान अपनी जीवनशैली और डाइट पर ध्यान देकर गर्भपात के खतरे को कम से कम — यहाँ तक की खत्म भी किया जा सकता है।
गर्भपात के खतरे को दूर करने के लिए निम्नलिखित प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं:
- विटामिन सी से भरपूर चीजों का अत्यधिक मात्रा में सेवन न करें
- पुदीना के तेल या पुदीना की चाय का रोजाना सेवन नहीं करें
- ग्रीन टी का सेवन न करें
- वसायुक्त पदार्थ जैसे कि मक्खन और पानी से बचें
- भरी सामान न उठाएं
- नियमित रूप से अपना जांच करवाते रहें
- जंकफूड जैसे कि पिज्जा, बर्गर, कोल्डड्रिंक्स, पेस्ट्री आदि को ना कहें
- कम फाइबर स्टार्च वाले पदार्थ जैसे कि इंस्टेंट चावल, अंडा और नूडल्स आदि से परहेज करें
इन सबके अलावा, पपीता और अनानास का सेवन न करें, क्योंकि इनमें पपेन नमक रसायन होता है जो गर्भपात का कारण बन सकता है।
गर्भपात की संभावना को कम करने के लिए आपको अपने शरीर पर ख़ास ध्यान देना चाहिए। गर्भपात का अधिकतर खतरा पहले महीने में होता है। इसलिए जैसे ही आपको इस बात का पता चले कि आप गर्भवती हैं — तुरंत स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें, क्योंकि 80% मामलों में गर्भावस्था के शुरुआती महीने में कुछ लापरवाही या गलतियों के कारण गर्भपात होता है।
FAQ
- गर्भपात की पुष्टि कैसे की जाती है?
गर्भपात की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर एचसीजी ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, भ्रूण के दिल की धड़कन की स्कैनिंग और पैल्विक टेस्ट आदि करते हैं।
- क्या तनाव के कारण गर्भपात हो सकता है?
हां. तनाव गर्भपात का कारण हो सकता है। यही कारण है कि डॉक्टर गर्भवती महिला को तनाव से दूर रहने का सुझाव देते हैं।
- गर्भपात (मिसकैरेज) होना कितना कॉमन है?
शोध के मुताबिक लगभग पांच में से एक गर्भावस्था गर्भपात में ख़त्म हो जाती है।
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Written by:
Dr. Madhulika Sharma
Consultant
Dr. Madhulika Sharma is an esteemed Fertility Specialist with more than 16 years of clinical experience. She is renowned for her exceptional expertise and compassionate approach to helping aspiring parents navigate their fertility journey. With over a decade of experience in reproductive medicine, she specializes in cutting-edge IVF techniques and individualized treatment plans tailored to each couple's unique needs. Her commitment to patient care is evident in her warm, empathetic demeanor and the personalized attention she gives to every case. She is a member of the following societies European Society of Human Reproduction and Embryology, Federation of Obstetrics and Gynecological Societies of India (FOGSI), Indian Fertility Society and Indian Society of Assisted Reproduction.
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