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Birla Fertility & IVF
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शुक्राणु की कमी के कारण, लक्षण और इलाज (shukranu kya hota hai)

  • Published on April 20, 2022
शुक्राणु की कमी के कारण, लक्षण और इलाज (shukranu kya hota hai)

पुरुष में बांझपन धीरे-धीरे एक आम समस्या का रूप ले रहा है। पुरुष में बांझपन की शिकायत कई कारणों से होती है जिसमें मुख्य रूप से शुक्राणुओं की संख्या में कमी आना शामिल है।

Table of Contents

शुक्राणु क्या है (Sperm Meaning in Hindi)

शुक्राणु को अंग्रेजी में स्पर्म कहते हैं। यह पुरुष के सीमेन में मौजूद होता है। इसकी उपस्थिति ही एक महिला को गर्भवती बनने में सहयोग करता है। शुक्राणु ही महिला के अंडे के साथ निषेचित होकर एक बच्चे को पैदा करने के लिए जिम्मेदार होता है। शुक्राणु का उत्पादन वृषण यानी टेस्टिकल में होता है।

सक्रिय शुक्राणु क्या है?

शक्रिया शुक्राणु का मतलब है अच्छे यानी स्वस्थ शुक्राणु जिसकी पहचान उसकी संख्या, गति और आकार के आधार पर की जाती है। ये तीनों एक शक्रिय शुक्राणु की गुणवत्ता को दर्शाते हैं।

असक्रिय शुक्राणु क्या है?

असक्रिय शुक्राणु का मतलब बेकार शुक्राणु से है जो कई प्रकार के होते हैं। दो सिर, छोटे सिर, बड़े सिर, पतली या मुड़ी हुई गर्दन, दो या दो से अधिक पूंछ होना आदि असक्रिय शुक्राणु की पहचान है।

शुक्राणु की संख्या

शुक्राणु की संख्या से तातपर्य है एक सीमेन के नमूने यानि सैंपल में 40-300 मि.ली शुक्राणु होना आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अगर किसी के सीमेन सैंपल में शुक्राणु की मात्रा 15 मि.ली से  कम है तो उस पुरुष को पिता बनने में परेशानी होगी।

शुक्राणु की गति

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एक सीमेन के सैंपल में 40% शुक्राणु सक्रिय होने चाहिए और उनकी गति 25μm/s होना आवश्यक है।

शुक्राणु का आकार

शुक्राणु का आकार तीन हिस्सों में विभाजित होता है जिसमें सिर, गर्दन और पूंछ शामिल हैं।  शुक्राणु के सिर का हिस्सा हमेशा अंडाकार होना चाहिए। शुक्राणु के सिर के आधे हिस्से में एक्रोसोम होता है जो एक प्रकार का एंजाइम छोड़ता है। शुक्राणु का गर्दन सबसे ताकतवर हिस्सा है जिसमें माइटोकॉन्ड्रिया होता है। यह इसे तैरने में मदद करता है। शुक्राणु की पूंछ में प्रोटीन होता है।

शुक्राणु में कमी क्या है

वीर्य में सामान्य से कम शुक्राणुओं की स्थिति को शुक्राणु में कमी यानी स्पर्म काउंट कम होना कहते हैं। आमतौर पर जब एक पुरुष के वीर्य में 1.5 करोड़ प्रतिलीटर से कम शुक्राणु होते हैं तो उसे मेडिकल की भाषा में शुक्राणु में कमी (Low Sperm Count in Hindi) कहा जाता है।

शुक्राणु में कमी होने की स्थिति को मेडिकल भाषा में ओलिगोस्पर्मिया कहते हैं, लेकिन जब वीर्य में शुक्राणु पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं तो उसे एजुस्पर्मिया कहा जाता है। गर्भधारण करने के लिए वीर्य में शुक्राणु की पर्याप्त मात्रा आवश्यक होती है।

शुक्राणु में कमी होने पर गर्भधारण करने यानी माता-पिता बनने / संतान का सुख प्राप्त करने में दिक्कत आती है। हालांकि, कुछ मामलों में शुक्राणु की कमी के बावजूद भी कुछ पुरुष बच्चा पैदा करने में सक्षम हो पाते हैं।

वैसे तो महिला के अंडा को निषेचित यानी फर्टिलाइज करने के लिए एक ही शुक्राणु चाहिए, लेकिन शुक्राणु की संख्या जितनी अधिक होती है गर्भावस्था की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है।से परामर्श करें!

शुक्राणु की जांच

शुक्राणु में कमी का निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ खास जांच का सहारा लेते हैं जिनमें निम्न शामिल हो सकते हैं:-

  • सामान्य शारीरिक परीक्षण
  • वीर्य विश्लेषण
  • हार्मोन परीक्षण
  • जेनेटिक परीक्षण
  • टेस्टिक्युलर बायोप्सी
  • अंडकोष का अल्ट्रासाउंड
  • ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड टेस्ट
  • इजैक्युलेशन के बाद यूरिन की जांच
  • शुक्राणु रोधक एंटीबॉडी परीक्षण
  • शुक्राणु के विशेष कार्य का परीक्षण

इन सभी जांच की मदद से डॉक्टर शुक्राणु में कमी के कारण और स्तर की पुष्टि करते हैं। उसके बाद, इलाज की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।

शुक्राणु की कमी के कारण

शुक्राणु की कमी होने के अनेक कारण हो सकते हैं। शुक्राणु का उत्पादन एक जटिल और लंबी प्रक्रिया है। शुक्राणु के उत्पादन के लिए वृषण (Testis) के साथ-साथ हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथियों को सामान्य रूप से काम करने की आवश्यकता होती है।

वृषण में शुक्राणु का उत्पादन होने के बाद ये जब तक वीर्य में मिल कर लिंग के जरिए बाहर नहीं निकल जाते, एक पतली ट्यूब में रहते हैं। इनमें से किसी भी अंग के ठीक तरह से काम नहीं करने या उन्हें किसी तरह की समस्या होने पर शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता प्रभावित होती है।

शुक्राणु की कमी के निम्न मेडिकल कारण हो सकते हैं:-

  • संक्रमण
  • वैरीकोसेल
  • हार्मोन असंतुलन
  • स्खलन समस्याएं
  • ट्यूमर
  • गुप्तवृषणता
  • सीलिएक रोग
  • शुक्राणु वाहिनी में दोष
  • शुक्राणु रोधक एंटीबॉडी
  • कुछ खास प्रकार की दवाएं 

शुक्राणु की कमी के पर्यावरण संबंधित कारण:- 

  • विकिरण या एक्स-रे
  • भारी धातु के संपर्क में आना
  • वृषण का अधिक गर्म होना
  • लंबे समय तक साइकिल चलाना

जीवनशैली से संबंधित शुक्राणु में कमी के कारण:-

  • नशीली चीजों का सेवन
  • कुछ खास प्रकार की दवाओं का सेवन
  • शराब और सिगरेट का सेवन
  • तनाव होना
  • वजन बढ़ना या मोटापा होना

इन सबके अलावा भी शुक्राणु में कमी के दूसरे कारण हो सकते हैं। शुक्राणु की संख्या कम होने के सटीक कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर जांच का सहारा लेते हैं।

शुक्राणु की कमी के लक्षण

वैसे तो शुक्राणु कम होने के अनेक लक्षण हैं, लेकिन इसका मुख्य लक्षण है एक पुरुष को बच्चा पैदा करने में असमर्थ होना। शुक्राणु कम होने के कारण यह महिला के अंडा को निषेचित नहीं कर पाता है। नतीजतन, महिला गर्भधारण करने में फेल हो जाती है।

शुक्राणु की कमी के संभावित लक्षण में निम्न शामिल हो सकते हैं:-

  • यौन समस्याएं होना
  • कामेच्छा में कमी आना
  • लिंग में तनाव बनाए रखने में दिक्कत आना
  • स्तंभन दोष या नपुंसकता होना
  • वृषण क्षेत्र में दर्द, सूजन या गांठ होना
  • चेहरे या शरीर के बालों का कम होना

अगर आप ऊपर दिए गए लक्षणों को खुद में अनुभव करते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करनी चाहिए।

शुक्राणु की कमी का इलाज

शुक्राणु की कमी, पुरुष निःसंतानता का एक सामान्य कारण हो सकता है। शुक्राणुओं की संख्या कम होने पर उपचार के विकल्प इसके अंतर्निहित कारणों और स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। अपनी विशिष्ट स्थिति के लिए सबसे उपयुक्त उपचार निर्धारित करने के लिए प्रजनन विशेषज्ञ से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। शुक्राणु की कमी होने पर डॉक्टर निम्न उपचार विकल्प पर विचार कर सकते हैं:

जीवनशैली और आहार परिवर्तन

  • धूम्रपान, अत्यधिक शराब के सेवन और नशीली दवाओं के उपयोग से बचकर एक स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें।
  • समग्र स्वास्थ्य और शुक्राणु उत्पादन में सुधार के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें और शरीर का वजन अनुकूल बनाए रखें।
  • विटामिन सी और ई, जिंक और सेलेनियम सहित विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर संतुलित आहार का पालन करें।

औषधियाँ

  • हार्मोन थेरेपी: यदि हार्मोनल असंतुलन के कारण शुक्राणुओं की संख्या कम हो रही है, तो शुक्राणु उत्पादन को बढ़ावा देने वाले हार्मोन के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी या क्लोमीफीन साइट्रेट जैसी दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं।
  • एंटीबायोटिक्स: यदि किसी संक्रमण के कारण शुक्राणुओं की संख्या कम हो रही है, तो संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स निर्धारित की जा सकती हैं।

शल्य चिकित्सा

  • वैरिकोसेलेक्टॉमी: ऐसे मामलों में जहां वैरीकोसेल मौजूद है और इसे कम शुक्राणुओं की संख्या का कारण माना जाता है, वैरीकोसेल की सर्जिकल रिपेयर से शुक्राणु उत्पादन में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
  • पुरुष नसबंदी रिवर्सल: यदि पिछली पुरुष नसबंदी कम शुक्राणुओं की संख्या का कारण है, तो पुरुष नसबंदी रिवर्सल प्रक्रिया एक विकल्प हो सकती है।

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी)

  • इंट्रा यूटेराईन इन्सेमिनेशन (आईयूआई): निषेचन की संभावना बढ़ाने के लिए संकेंद्रित शुक्राणु तैयार किया जा सकता है और फिर उसे फर्टाइल पीरियड के दौरान सीधे महिला के गर्भाशय में इंजेक्ट किया जा सकता है।
  • इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ): अन्य उपचार सफल नहीं होने पर आईवीएफ का उपयोग किया जा सकता है। इसमें अंडों को पुनः प्राप्त करना और परिणामी भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित करने से पहले एक प्रयोगशाला सेटिंग में शुक्राणु के साथ अंडों का निषेचन शामिल है।

शुक्राणु पुनर्प्राप्ति

यदि शुक्राणुओं की संख्या बेहद कम है, तो सर्जिकल शुक्राणु पुनर्प्राप्ति तकनीक, जैसे टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन या परक्यूटेनियस एपिडीडिमल स्पर्म एस्पिरेशन का उपयोग सहायक प्रजनन में उपयोग के लिए अंडकोष या एपिडीडिमिस से सीधे शुक्राणु प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।

प्राकृतिक पूरक

शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता में सुधार के लिए कुछ प्राकृतिक पूरक, जैसे एल-कार्निटाइन, कोएंजाइम Q10 और फोलिक एसिड का सुझाव दिया गया है।

इस बात का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन उपचारों की प्रभावशीलता शुक्राणु की कमी के अंतर्निहित कारणों और व्यक्तिगत कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आपको विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।

शुक्राणु की संख्या कम होने पर उसका प्रबंधन

शुक्राणुओं की कम संख्या के प्रबंधन में जीवनशैली में बदलाव शामिल हैं, जैसे स्वस्थ आहार बनाए रखना, व्यायाम करना और तंबाकू और अत्यधिक शराब जैसे हानिकारक पदार्थों से बचना। शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करने वाले असंतुलन को दूर करने के लिए हार्मोन उपचार पर विचार किया जा सकता है। एंटीऑक्सीडेंट की खुराक भी शुक्राणु स्वास्थ्य का समर्थन कर सकती है।

कुछ मामलों में, अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (आईयूआई) या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जैसी सहायक प्रजनन तकनीकों की सिफारिश की जा सकती है। प्रगति का आकलन करने और उपचार योजनाओं को समायोजित करने के लिए एक्सपर्ट के साथ नियमित निगरानी और फॉलोअप एक्शन आवश्यक है। अंतर्निहित कारणों के अनुरूप व्यक्तिगत दृष्टिकोण कम शुक्राणु संख्या का व्यापक प्रबंधन सुनिश्चित करते हैं।

शुक्राणु को कैसे बढ़ाएं

शुक्राणु की कमी का उपचार कर इसकी संख्या को बढ़ाया जा सकता है। शुक्राणु की संख्या कम होने के कारणों के आधार पर इसका उपचार किया जाता है। शुक्राणु की कमी का इलाज करने के लिए डॉक्टर निम्न माध्यमों का इस्तेमाल कर सकते हैं:-

  • हार्मोन उपचार और दवाएं
  • संक्रमण का इलाज
  • सर्जरी 
  • असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीक

कुछ मामलों में पुरुष की प्रजनन संबंधित समस्याओं का इलाज करना संभव नहीं होता है। ऐसी स्थिति में माता-पिता बनने का सपना पूरा करने के लिए आप और आपकी साथी या तो डोनर शुक्राणु का उपयोग कर सकते हैं या बच्चे को गोद ले सकते हैं।

शुक्राणु बढ़ाने के लिए क्या खाएं

शुक्राणु की संख्या बढ़ाने के लिए आप निम्न चीजों को अपनी डाईट में शामिल कर सकते हैं

  • सब्जियां जैसे कि लौकी, तोरई, करेला और कद्दू
  • फल जैसे कि आम, अंगूर, अनार और केला
  • मूंग दाल, मसूर दाल, अरहर दाल और चना
  • गाजर, चुकंदर, ब्रोकली और पत्ता गोभी
  • ड्राई फ्रूट्स में बादाम, अखरोट, अंजीर, मखाना, किशमिश और खजूर
  • मक्का, बाजरा, पुराना चावल, गेहूं, रागी, जई और सोयाबीन

ये सभी शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं। आपको इस बात का ध्यान रखना है कि शुक्राणु की संख्या बढ़ाने की नियत से किसी भी चीज का सेवन करने से पहले एक बार विशेषज्ञ डॉक्टर की अवश्य राय लें।

शुक्राणु की कमी से बचाव

शुक्राणु की संख्या को कम होने से रोका जा सकता है। कुछ ख़ास ऐसे कारक हैं जो वीर्य की संख्या और क्वालिटी को प्रभावित करते हैं। इन्हें अपनी जीवनशैली से दूर करके शुक्राणु में होने वाली कमी से बचाव किया जा सकता है।

शुक्राणु की कमी यानी स्पर्म काउंट को कम होने से बचाने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें:-

  • नशीली चीजों के सेवन से दूर रहें
  • शराब का सेवन न करें
  • सिगरेट से दूर रहें
  • ड्रग्स को ना कहें
  • अपना वजन कम करें
  • गर्मी से बचें 
  • तनाव से दूर रहें
  • खुश रहने की कोशिश करें

उन कामों को करें जिससे आपका मन फ्रेश होता है और आपको खुशी मिलती है। साथ ही, अपने डॉक्टर से उन दवाओं के बारे में बात करें जो शुक्राणुओं के उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं।

शुक्राणु की कम संख्या का मनोवैज्ञानिक प्रभाव

शुक्राणुओं की कम संख्या के निदान का गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकता है, जिससे अपर्याप्तता, अपराधबोध और तनाव की भावनाएँ पैदा हो सकती हैं। पुरुषों को अपनी मर्दानगी और बच्चे पैदा करने की क्षमता के बारे में विफलता और चिंता की भावना का अनुभव हो सकता है। रोगियों की सहायता में खुले संचार को बढ़ावा देना, सहानुभूतिपूर्ण परामर्श प्रदान करना और उन्हें उपलब्ध विभिन्न उपचार विकल्पों के बारे में शिक्षित करना शामिल है। सहायता समूहों या थेरेपी में भागीदारी को प्रोत्साहित करने से व्यक्तियों को भावनात्मक चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सकती है। 

आपसी समझ को मजबूत करने के लिए साझेदारों को चर्चा में शामिल किया जाना चाहिए। इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि कम शुक्राणुओं की संख्या किसी के मूल्य या पुरुषत्व को परिभाषित नहीं करती है। डॉक्टर यथार्थवादी अपेक्षाएँ प्रदान करने, चिंताओं को दूर करने और उपचार के सकारात्मक पहलुओं को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक समग्र दृष्टिकोण जो चिकित्सा हस्तक्षेप के साथ-साथ भावनात्मक कल्याण पर भी विचार करता है, पुरुषों को कम शुक्राणुओं की संख्या के मनोवैज्ञानिक प्रभाव से निपटने में मदद करने के लिए आवश्यक है।

मिथक और तथ्य

मिथक: टाइट अंडरवियर के कारण शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है।

तथ्य: गर्मी शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकती है। तंग अंडरवियर का प्रभाव न्यूनतम है। यह कोई महत्वपूर्ण कारण नहीं है।

मिथक: हस्तमैथुन की आवृत्ति शुक्राणुओं की संख्या को प्रभावित करती है।

तथ्य: नियमित स्खलन से शुक्राणुओं की संख्या को कोई नुकसान नहीं होता है। वास्तव में, यह स्वस्थ शुक्राणु को बढ़ावा दे सकता है।

मिथक: कम शुक्राणु संख्या का मतलब पूर्ण इनफर्टिलिटी है।

तथ्य: शुक्राणुओं की कम संख्या का मतलब इनफर्टिलिटी नहीं है। कई लोग कम गिनती के साथ गर्भधारण करते हैं। सहायक प्रजनन तकनीकें मदद कर सकती हैं।

मिथक: केवल वृद्ध पुरुषों को ही कम शुक्राणुओं की संख्या का सामना करना पड़ता है।

तथ्य: उम्र प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है, कम शुक्राणु संख्या जीवनशैली और आनुवंशिकी सहित विभिन्न कारकों के कारण सभी उम्र के पुरुषों को प्रभावित करती है।

मिथक: हर्बल सप्लीमेंट हमेशा शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाते हैं।

तथ्य: कम शुक्राणुओं की संख्या के इलाज में हर्बल उपचारों की प्रभावकारिता का समर्थन करने वाले वैज्ञानिक प्रमाण सीमित हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

  • स्पर्म काउंट कम होने से क्या होता है?

स्पर्म काउंट कम होने के कारण महिला को गर्भधारण करने में दिक्कत आती है।

  • आमतौर पर शुक्राणु की संख्या कितनी होनी चाहिए?

आमतौर पर शुक्राणु की संख्या एक मिलीलीटर वीर्य में 1.5 करोड़ होनी चाहिए। अगर आपके एक मिलीलीटर वीर्य में शुक्राणु की संख्या 1.5 करोड़ से कम है तो इसे शुक्राणु की सामान्य संख्या से कम समझा जाता है।

  • शुक्राणु की कमी कब होती है?

शुक्राणु की कमी तब होती है जब किसी पुरुष के वीर्य में शुक्राणु कोशिकाओं की संख्या असामान्य रूप से कम हो जाती है। इस स्थिति का आमतौर पर निदान तब किया जाता है जब प्रति मिलीलीटर वीर्य में 15 मिलियन से कम शुक्राणु होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्रजनन क्षमता कम हो सकती है और गर्भावस्था प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है। हार्मोनल असंतुलन, चिकित्सीय स्थितियां, जीवनशैली विकल्प और आनुवंशिक कारकों सहित विभिन्न कारक शुक्राणु की कमी में योगदान कर सकते हैं, जिससे यह पुरुष निःसंतानता का एक सामान्य कारण बन जाता है।

Written by:
Dr. Pooja Verma

Dr. Pooja Verma

Consultant
With over 11 years of experience, Dr. Pooja Verma  is a dedicated healthcare professional with expertise in male and female infertility. In her decade-long experience, she has worked with renowned hospitals and fertility clinics. Additionally, she has handled multiple complicated cases and has also completed several research projects related to reproductive health.
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