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पीसीओएस (PCOS): चरण, प्रकार, और लक्षण

  • Published on January 10, 2024
पीसीओएस (PCOS): चरण, प्रकार, और लक्षण

पीसीओएस क्या होता है?

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) महिलाओं में हार्मोन से जुड़ी एक समस्या है। यह प्रजनन के सालों के दौरान होती है। पीसीओएस होने पर माहवारी का चक्र अनियमित हो जाता है। या फिर पीरियड्स की अवधि सामान्य से ज्यादा हो सकती है। पीसीओएस में एण्ड्रोजन नामक हार्मोन बहुत ज्यादा बन सकता है। एण्ड्रोजन पुरुषों के सेक्स से जुड़ा हार्मोन है जो सामान्य तौर पर महिलाओं में बहुत कम मात्रा में होता है।

पीसीओएस के चलते अंडाशय के बाहरी किनारे पर तरल पदार्थ की कई छोटी थैलियां बन जाती हैं। इन्हें सिस्ट कहा जाता है। इन सिस्ट में अपरिपक्व अंडे होते हैं। इन्हें फॉलिकल्स कहा जाता है। इस दौरान फॉलिकल्स नियमित तौर पर अंडे रिलीज नहीं कर पाते हैं।

अब तक पीसीओएस होने की सटीक वजह का पता नहीं चल पाया है। अगर समय रहते इसका इलाज हो जाए, तो लंबी अवधि में टाइप-2 मधुमेह और हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है।

पीसीओएस के लक्षण

पीसीओएस के लक्षण अक्सर पहले मासिक धर्म के समय के आसपास शुरू होते हैं। कभी-कभी माहवारी के बाद भी ये लक्षण सामने आ सकते हैं।

पीसीओएस के लक्षण अलग-अलग होते हैं। पीसीओएस का इलाज तब किया जाता है जब इनमें से कम से कम दो लक्षण हों:

  • अनियमित पीरियड्स: मासिक धर्म की अवधि कम होना या नियमित ना होना पीसीओएस के सामान्य लक्षण हैं। इसमें मासिक धर्म कई दिनों तक या सामान्य अवधि से ज्यादा समय तक हो सकता है। जैसे, आपको एक साल में नौ से कम माहवारी हो सकती है। और इन अवधियों में 35 दिनों से ज्यादा का अंतर हो सकता है। इससे आपको गर्भधारण करने में परेशानी हो सकती है।
  • बहुत ज्यादा एण्ड्रोजन: एण्ड्रोजन हार्मोन का स्तर बहुत ज्यादा होने से चेहरे और शरीर पर अतिरिक्त बाल उग सकते हैं। कभी-कभी, बहुत अधिक मुंहासे और पुरुषों की तरह बाल भी उड़ सकते हैं।
  • पॉलिसिस्टिक ओवरी: ओवरी बड़ी हो सकती है। ओवरी के किनारे अपरिपक्व अंडे वाले कई फॉलिकल्स बन सकते हैं। हो सकता है कि अंडाशय उस तरह से काम ना करें जिस तरह से उन्हें करना चाहिए।

आमतौर पर पीसीओएस के लक्षण मोटापे से ग्रस्त लोगों में ज्यादा गंभीर होते हैं।

पीसीओएस के प्रकार

पीसीओएस के प्रकार में ये शामिल हो सकते हैं:

  • इंसुलिन प्रतिरोध: इंसुलिन एक हार्मोन है जो अग्न्याशय में बनता है। यह कोशिकाओं को आपके शरीर की प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति यानी चीनी का इस्तेमाल करने की अनुमति देता है। अगर कोशिकाएं इंसुलिन की क्रिया के प्रति प्रतिरोधी हो जाती हैं, तो खून में शुगर का स्तर बढ़ सकता है। इससे आपके शरीर को रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए ज्यादा इंसुलिन बनाना पड़ सकता है। बहुत ज्यादा इंसुलिन बनने से आपका शरीर पुरुष हार्मोन एण्ड्रोजन का बहुत अधिक उत्पादन कर सकता है। इससे आपको ओव्यूलेशन में परेशानी हो सकती है।
  • रीप्रोडक्टिव पीसीओएस: यह पीसीओएस परिवार के आधार पर होता है। इसका मतलब है कि इसमें आनुवंशिक घटक होने की संभावना है। चूंकि इस प्रकार के पीसीओएस में मेटाबोलिक असंतुलन का कोई इतिहास नहीं होता है, फिर भी, आपका बीएमआई ज्यादा हो सकता है और आप इस श्रेणी में फिट हो सकते हैं। यह मेटाबोलिक पीसीओएस की तुलना में आहार परिवर्तनों के प्रति कम प्रतिक्रियाशील हो सकता है।
  • दवा से होने वाला पीसीओएस: यह प्रकार दूसरा सबसे आम पीसीओएस है। यह गर्भ निरोधक गोलियों के कारण होता है जो ओव्यूलेशन को दबा देते हैं। अधिकांश महिलाओं में, ये असर लंबे समय तक नहीं रहता है। गोली का असर खत्म होने के बाद उनमें ओव्यूलेशन फिर से शुरू हो जाता है। लेकिन कुछ महिलाओं में गोलियों का असर खत्म होने के बाद भी महीनों और सालों तक ओव्यूलेशन फिर से शुरू नहीं होता है।
  • सूजन संबंधी पीसीओएस: पीसीओएस में सूजन के कारण ओव्यूलेशन रुक जाता है। हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं और एण्ड्रोजन का उत्पादन होता है। सूजन की वजह तनाव, प्रदूषण और ग्लूटेन जैसे सूजन वाले आहार होते है। अगर सिरदर्द, संक्रमण या त्वचा की एलर्जी जैसे लक्षण हैं और विटामिन डी की कमी है, थायराइड का स्तर बढ़ा हुआ है, तो आप सूजन संबंधी पीसीओएस से पीड़ित हो सकते हैं।
  • वंशानुगत: शोध से पता चलता है कि कुछ जीन पीसीओएस से जुड़े हो सकते हैं। पीसीओएस का पारिवारिक इतिहास होने से भी इसकी संभावना बन सकती है।

पीसीओएस से जुड़ी जटिलताएं

पीसीओएस की जटिलताओं में ये शामिल हो सकते हैं:

  • नि:संतानता
  • गर्भावस्था के दौरान मधुमेह या हाई ब्लड प्रेशर
  • गर्भपात या समय से पहले जन्म
  • नॉनअल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस – लीवर में वसा के जमा होने से लीवर में सूजन
  • मेटाबोलिक सिंड्रोम – हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ स्तर या ट्राइग्लिसराइड के स्तर जो जो हृदय और खून की नलियों (हृदय) में बीमारी के खतरे को काफी हद तक बढ़ा देता है।
  • टाइप 2 मधुमेह या प्रीडायबिटीज
  • स्लीप एप्निया
  • अवसाद, चिंता और खान-पान संबंधी विकार
  • गर्भाशय की परत का कैंसर (एंडोमेट्रियल कैंसर)

पीसीओएस का इलाज

पीसीओएस का कोई तय इलाज नहीं है। इलाज उन लक्षणों का होता है जो पीसीओएस की वजह सामने आते हैं। इनमें शामिल हैं:

मधुमेह की दवाएं

मधुमेह की दवाएं पीसीओएस को मैनेज करने में मदद करेंगी, क्योंकि शुगर का बढ़ा हुआ स्तर पीसीओएस का कारण बन सकता है।

प्रजनन संबंधी दवाएं

दवाओं की मदद से इनफर्टिलिटी का इलाज किया जाता है। इनमें क्लोमिड और इंजेक्टेबल दवाओं का इस्तेमाल शामिल है।

नि:संतानता का इलाज

इनफर्टिलिटी के इलाज जैसे आईयूआई (अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान) या आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) से पीसीओएस को मैनेज करने में मदद मिल सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  • पीसीओएस क्या होता है?

पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है जिसमें अंडाशय असामान्य मात्रा में पुरुष हार्मोन एण्ड्रोजन बनाता है। पीसीओएस अंडाशय में बनने वाले कई छोटे सिस्ट के बारे में बताता है। कुछ मामलों में, किसी महिला में अंडे रिलीज करने के लिए पर्याप्त हार्मोन नहीं बन पाता है। जब ओव्यूलेशन नहीं होता है, तो अंडाशय में कई छोटे सिस्ट बन सकते हैं। ये सिस्ट एण्ड्रोजन नामक हार्मोन बनाते हैं। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में अक्सर एण्ड्रोजन का स्तर ज्यादा होता है। इससे महिला के मासिक धर्म चक्र में समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

  • क्या पीसीओएस से जीवन को खतरा होता है?

पीसीओएस को अक्सर इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता में कमी से जोड़ा जाता है। इसके चलते डायबिटीज, स्ट्रोक और हृदय रोग की आशंका बढ़ जाती है। पीसीओएस गर्भाशय कैंसर का भी कारण बन सकता है।

  • क्या पीसीओएस का पूरी तरह इलाज संभव है?

मौजूदा समय में डॉक्टर पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के अलग-अलग लक्षणों का ही इलाज कर सकते हैं। वजन घटाने के अलावा लक्षणों के आधार पर इसका इलाज किया जाता है। उदाहरण के लिए अगर ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है, तो इसका इलाज किया जाएगा।

Written by:
Dr. Shikha Tandon

Dr. Shikha Tandon

Consultant
Dr. Shikha Tandon is an experienced OB-GYN with a strong clinical background, particularly in reproductive medicine and diverse fertility-related issues. She is also actively engaged in various social causes, related to women’s reproductive health.
17+ years of experience
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