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पीसीओडी और पीसीओएस में अंतर

  • Published on December 21, 2022
पीसीओडी और पीसीओएस में अंतर

अधिकतर लोगों और खासकर महिलाओं को यही लगता है की पीसीओएस और पीसीओडी एक ही हैं। लेकिन वास्तविकता यह है की ये दोनों एक दूसरे से भिन्न हैं। हालाँकि, ये दोनों स्थितियां ओवरीज यानी अंडाशय से जुड़ी हैं और इनसे ग्रसित महिला के शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है।

महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन होने पर कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं – पीसीओडी और पीसीओएस भी उन्हीं में शामिल हैं। आइए, इस ब्लॉग में हम पीसीओएस और पीसीओडी के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।

पीसीओएस क्या है?

पीसीओएस का पूरा नाम पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है। यह एक गंभीर समस्या है जिससे ग्रसित महिलाओं को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पीसीओएस की स्थिति में महिला के मेटाबॉलिक और हार्मोन्स में असंतुलन होता है। विशेषज्ञ का मानना है कि जिन महिलाओं को लंबे समय तक पीरियड्स नहीं आता है उन्हें पीसीओएस का खतरा अधिक होता है।

पीसीओएस से पीड़ित महिला के शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिससे ओवुलेशन अनियमित हो जाता है। पीसीओएस के सटीक कारणों की पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन इसके संभावित कारणों में आनुवंशिकी, पुरुष हार्मोन, अनहेल्दी जीवनशैली और गलत खान-पान आदि शामिल हैं।

पीसीओएस के लक्षणों में अनियमित पीरियड्स, हेवी ब्लीडिंग, बालों का झड़ना, अचानक वजन बढ़ना, मूड में अचानक बदलाव आना, ठीक से नींद नहीं आना आदि शामिल हैं। पीसीओएस का उपचार करने के लिए जीवनशैली में बदलाव लाने का सुझाव और कुछ ख़ास दवाएं निर्धारित की जाती हैं।

पीसीओडी क्या है?

पीसीओडी का पूरा नाम पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज है। हार्मोन में असंतुलन के कारण महिलाओं को होने वाली यह एक आम समस्या है। इससे ग्रसित महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का स्तर बढ़ जाता है। साथ ही, महिला के अंडाशय में सिस्ट बनने लगते हैं।

पीसीओडी के कारणों में अस्वस्थ एवं निष्क्रिय जीवनशैली, खान-पान में लापरवही, पीरियड्स में असंतुलन, आनुवंशिकी, शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ना, अचानक से वजन बढ़ना और अत्याधिक मात्रा में शराब, सिगरेट या दूसरी नशीली चीजों का सेवन करना आदि शामिल हैं।

पीसीओडी से ग्रसित महिला खुद में अनेक लक्षणों को अनुभव कर सकती है जिसमें बाल झड़ना, शरीर के कुछ हिस्सों में एक्स्ट्रा बाल उगना, श्रोणि में दर्द होना, वजन बढ़ना, त्वचा का तैलीय होना, रक्तचाप बढ़ना, नींद नहीं आना, थकान महसूस करना, सिर में दर्द होना, अचानक से मूड में बदलाव आना और निःसंतानता यानी इनफर्टिलिटी की शिकायत होना आदि शामिल हैं।

पीसीओडी का उपचार कई तरह से किया जाता है। सबसे पहले डॉक्टर महिला को जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने, खान-पान पर ध्यान देने, नियमित रूप से व्यायाम और मेडिटेशन करने एवं मासिक धर्म तथा ओवुलेशन को ठीक करने के लिए कुछ ख़ास दवाओं का सुझाव देते हैं।

पीसीओडी और पीसीओएस में अंतर

  • पीसीओडी एक आम समस्या है जिसे जीवनशैली में बदलाव लाकर और खान-पान पर ख़ास ध्यान देकर इसे दूर किया जा सकता है।
  • पीसीओएस एक मेटाबोलिक विकार है। यह एक गंभीर स्थिति है जिसके लिए उचित उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
  • पीसीओडी एक कॉमन समस्या है। शोध के मुताबिक हर तीन में से एक महिला को पीसीओडी की शिकायत होती है।
  • पीसीओडी की तुलना में पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं की संख्या कम पाई जाती है।
  • पीसीओडी होने पर महिला को निःसंतानता, गर्भपात, गर्भाशय से असामान्य रक्तस्राव, चिंता और अवसाद, दुर्लभ मामलों में ब्रेस्ट कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज, एंडोमेट्रियल कैंसर, मेटाबोलिक सिंड्रोम, गर्भकालीन मधुमेह और प्री-एक्लेमप्सिया होने का खतरा होता है
  • पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं को आगे जाकर अनेक गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल से संबंधित समस्याएं आदि। 

पीसीओडी और पीसीओएस से कैसे बचें

आज की जीवनशैली, खान-पान और अस्वस्थ आदतों के कारण महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है जिससे कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं – पीसीओडी और पीसीओएस भी उन्हीं में से एक हैं।

जीवनशैली और खान-पान में सकारात्मक बदलाव लाकर इन समस्याओं से बचा जा सकता है। पीसीओडी और पीसीओएस का बचाव करने के लिए एक महिला निम्न बातों का ध्यान रख सकती है:

  • तनाव और चिंता को कम करें
  • अपने वजन को नियंत्रित रखें
  • नियमित रूप से व्यायाम, मेडिडेशन और योग करें
  • शराब, सिगरेट या दूसरी नशीली चीजों के सेवन से बचें
  • खुद को उन गतिविधियों में शामिल करें जिससे आपको ख़ुशी मिलती है
  • अत्याधिक फ़ास्ट फूड्स, कोल्ड ड्रिंक्स और तैलीय एवं मसालेदार चीजों का सेवन करने से बचें

इन सबके अलावा, जैसे ही आपके पीरियड्स में अनियमित्ता आए या आप खुद में पीसीओडी या पीसीओएस के लक्षणों को अनुभव करें, जल्द से जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

पीसीओडी कितने दिन में ठीक होता है?

स्वस्थ जीवनशैली, खान-पान और उचित उपचार से अधिक से अधिक 6 महीनों में पीसीओडी को हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है।

पीसीओडी में बेबी कंसीव कैसे करें?

विशेषज्ञ डॉक्टर के अनुसार, पीसीओडी से ग्रसित महिला अपनी जीवनशैली में निम्न बदलाव लाकर सफलतापूर्वक गर्भधारण कर सकती हैं:

  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाना
  • खान-पान पर खास ध्यान देना
  • सब्जियों और फलों को डाइट में शामिल करना
  • अत्याधिक तैलीय और मसालेदार चीजों से बचना
  • फ़ास्ट फूड्स, कोल्ड ड्रिंक्स, सिगरेट और शराब आदि से परहेज करना

इन सबके अलावा, विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा निर्धारित डाइट चार्ट को फॉलो करना, अगर दवाएं निर्धारित हैं तो उन्हें नियमित रूप से लेना तथा डॉक्टर द्वारा दिए गए सभी दिशा-निर्देशों का भली भांति पालन करना आदि।

क्या पीसीओएस ठीक हो सकता है?

पीसीओएस का परमानेंट इलाज संभव नहीं है। हालाँकि, कुछ दवाओं के सेवन और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

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