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गर्भाशय कैंसर का कारण, लक्षण और इलाज – Garbhashay Cancer in Hindi

  • Published on December 20, 2022
गर्भाशय कैंसर का कारण, लक्षण और इलाज – Garbhashay Cancer in Hindi

गर्भाशय कैंसर क्या है – Garbhashay Cancer Kya Hai

गर्भाशय की आंतरिक कोशिकाओं का असामान्य होकर अनियंत्रित रूप से विभाजन और विकसित होना गर्भाशय कैंसर कहलाता है। इसे एंडोमेट्रियल कैंसर, बच्चेदानी में कैंसर या यूटेराइन कैंसर के नाम से भी जाना जाता है।

गर्भाशय की कोशिकाओं में जब आनुवंशिक बदलाव आता है तो वे असामान्य हो जाती हैं। असामान्य होने के बाद, ये कोशिकाओं गर्भाशय में जमा होकर ट्यूमर का निर्माण करती हैं जो आगे जाकर कैंसर में बदल जाता है।

इन कोशिकाओं में आनुवंशिक बदलाव क्यों होता है – इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है। गर्भाशय कैंसर दो प्रकार के होते हैं जिन्हे हम यूटेराइन सार्कोमा और एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा के नाम से जानते हैं।

गर्भाशय कैंसर की गंभीरता और वह शरीर के किस हिस्से में फैला है – आदि के आधार पर इसे चार चरणों में बांटा गया है। पहले चरण में गर्भाशय कैंसर केवल गर्भाशय में फैला होता है। दूसरे चरण में यह गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा तक फ़ैल जाता है।

गर्भाशय कैंसर अपने तीसरे चरण में गर्भाशय के बाहरी हिस्से जैसे कि श्रोणि लिम्फ नॉड्स में फ़ैल जाता है। लेकिन मूत्राशय या मलाशय तक नहीं फैला होता है। हालाँकि, चौथे यानी अपने आखिरी चरण में यह पेल्विक क्षेत्र के बाहर और मलाशय, मूत्राशय एवं शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैलने लगता है।

गर्भाशय कैंसर का कारण – Garbhashay Cancer Ke Kaaran

जैसा कि हमने ऊपर ही बताया की गर्भाशय की आंतरिक कोशिकाओं में आनुवंशिक बदलाव आने से वे अनियंत्रित रूप से विभाजित और बढ़ने लगती हैं। इससे गर्भाशय में ट्यूमर बनता है जो आगे जाकर कैंसर का रूप धारण करता है – इसे ही मेडिकल भाषा में गर्भाशय का कैंसर कहते हैं।

हालाँकि, अभी तक इस बात का पता नहीं लगाया जा सका है कि इन कोशिकाओं में आनुवंशिक बदलाव क्यों होता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एक महिला के शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ने पर गर्भाशय कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

शोध से भी यह बात सामने आई है कि जब एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ता है लेकिन प्रोजेस्टेरोन का स्तर नहीं बढ़ता है तो एंडोमेट्रियम की परत मोटी होने लगती हैं जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।

इन सबके अलावा, कुछ ऐसे कारक हैं जो उन महिलाओं में गर्भाशय कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं:

  • जिनकी उम्र 60-70 वर्ष से अधिक है
  • जिन्हें मेनोपॉज आ चूका है
  • जिनका हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी हुआ है
  • जिन्हें मेनोपॉज काफी देर से आया है
  • जिनका पीरियड बहुत कम उम्र में शुरू हो गया था
  • जो निःसंतानता की शिकार हैं या जिन्होंने कभी गर्भधारण नहीं किया है
  • जिन्हें हार्मोनल परिवर्तन की समस्या है
  • जो मोटापा से ग्रसित हैं
  • जिन्हें शुगर और हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) की शिकायत है

एक महिला ऊपर दिए गए कारकों पर ध्यान देकर खुद में गर्भाशय कैंसर के खतरे को कम कर सकती है।

गर्भाशय कैंसर का लक्षण – Bachedani Me Cancer Ke Lashan

आमतौर पर गर्भाशय कैंसर की शुरुआत में इसके लक्षण अनुभव नहीं होते हैं। लेकिन जब यह एक से दूसरे चरण में शिफ्ट होता है तो इसके लक्षण अनुभव होने शुरू होते हैं। इस बीमारी से पीड़ित महिला खुद में निम्न लक्षणों को देख सकती है:

  • असामान्य रक्तस्राव होना
  • स्पॉटिंग की शिकायत होना
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
  • पीरियड्स के बीच रक्तस्राव होना
  • पीरियड्स का लंबे समय तक जारी रहना
  • मेनोपॉज के बाद योनि से सफेद द्रव आना
  • यौन संबंध बनाते समय योनि में दर्द महसूस होना
  • योनि से अत्याधिक और लंबे समय तक रक्तस्राव होना

अगर एक महिला खुद में ऊपर दिए गए लक्षणों को अनुभव करती है तो उसे जल्द से जल्द एक विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। डॉक्टर जांच की मदद से लक्षण के सटीक कारण का पता लगा सकते हैं। कई बार ये लक्षण स्वास्थ्य संबंधित अन्य समस्याओं के कारण भी हो सकते हैं। 

गर्भाशय कैंसर का इलाज – Garbhashay Cancer Ka Ilaj

गर्भाशय कैंसर का इलाज करने के लिए अनेक तरीके मौजूद हैं जिसमें मुख्य रूप से सर्जरी, रेडियोथेरेपी, हार्मोनल थेरेपी और कीमोथेरेपी शामिल हैं। अधिकतर मामलों में सर्जरी से गर्भाशय कैंसर का इलाज किया जाता है। लेकिन कई बार कैंसर के प्रकार, गंभीरता और महिला की उम्र एवं संपूर्ण स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर एक से अधिक उपचार के तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बच्चेदानी के कैंसर का कैसे पता चलता है?

बच्चेदानी में कैंसर होने पर आप खुद में अनेक लक्षणों को अनुभव कर सकती हैं। उन लक्षणों के आधार पर आपको इस बात का अंदाजा हो सकता है कि शायद आप बच्चेदानी के कैंसर से ग्रसित हैं। साथ ही, आपके लक्षणों के आधार पर डॉक्टर पेल्विक जांच, पैप टेस्ट, ट्रांसवैजिनल अल्ट्रासाउंड और बायोप्सी करके इस बात का शत प्रतिशत पता लगा सकते हैं कि आपको बच्चेदानी का कैंसर है या नहीं।

गर्भाशय में कैंसर कैसे होता है?

जब गर्भाशय की आंतरिक कोशिकाएं असामान्य होकर अनियंत्रित रूप से विभाजित और विकसित होने लगती हैं तो उनके कारण ट्यूमर का निर्माण होता है जो बाद में कैंसर का रूप धारण करता है। इसके अलावा, बहुत से ऐसे कारक हैं जो एक महिला में गर्भशय कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं।

क्या बच्चेदानी का कैंसर ठीक हो सकता है?

हाँ. बच्चेदानी के कैंसर को ठीक किया जा सकता है। अगर बच्चेदानी के कैंसर का निदान उसकी शुरुआत में होता है तो उपचार के सफल होने की संभवाना बढ़ जाती है। यही कारण है कि खुद में इस बीमारी के लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द कैंसर विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।

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