एक वर्ष या उससे अधिक समय तक कोशिश करने के बाद भी जब कोई महिला प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असफल होती है तो उसे महिला बांझपन (Female Infertility) कहते हैं। दुनिया भर में बांझपन से पीड़ित महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है।
महिलाओं में बांझपन के अनेक कारण कारण हो सकते हैं। मुख्य रूप से महिलाओं में बांझपन का कारण निष्क्रिय और अस्वस्थ जीवनशैली, गलत खान-पान, तनाव, सिगरेट और शराब आदि का सेवन है।
इन सबसे महिला के शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है जिससे उनकी प्रजनन क्षमता बुरी तरह से प्रभावित होती है। उचित निदान, स्वस्थ जीवनशैली, हेल्दी डाइट और इलाज की मदद से महिला बांझपन का इलाज संभव है।
महिला बांझपन क्या है – What is Female Infertility in Hindi
जब कोई महिला प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ होती है तो इस स्थिति को मेडिकल भाषा में महिला बांझपन यानी फीमेल इनफर्टिलिटी कहते हैं।
बांझपन से पीड़ित महिला एक साल तक कोशिश करने के बाद भी प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असफल हो जाती है।
गर्भधारण नहीं करने का कारण महिला बांझपन के साथ-साथ पुरुष बांझपन भी हो सकता है।
जहाँ एक तरफ, कुछ महिलाओं को शादी के बाद पहली बार गर्भधारण करने में परेशानी होती है, वहीं दूसरी तरफ कुछ महिलाओं को एक बच्चे को जन्म देने के बाद दोबारा गर्भधारण करने में दिक्कते आती हैं।
महिला बांझपन के कारण – Causes of Female Infertility in Hindi
महिला में बांझपन कई कारणों से होता है जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हो सकते हैं:-
फैलोपियन ट्यूब बंद होना
फैलोपियन ट्यूब महिला की प्रजनन प्रणाली का एक ख़ास अंग है। जब किसी कारण फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज होता है तो निषेचन यानी फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया बाधित होती है।
अंडे मैच्योर होने के बाद ओवरी से बाहर निकलकर फैलोपियन ट्यूब में चले जाते हैं जहाँ पुरुष स्पर्म उन्हें फर्टिलाइज करता है। फर्टिलाइजेशन के बाद महिला गर्भवती हो जाती है।
एंडोमेट्रियोसिस
एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसा विकार है जिससे पीड़ित महिला के गर्भाशय की लाइनिंग बनाने वाले उत्तक गर्भाशय से बाहर विकसित होने लगते हैं। गर्भाशय की लाइनिंग को एंडोमेट्रियम कहते हैं। एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिला को गर्भधारण करने में काफी दिक्कतों का सामान करना पड़ता है। शोध के मुताबिक, एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित लगभग एक तिहाई महिलाएं बांझपन के साथ संघर्ष कर रही हैं।
ओवुलेशन विकार
शोध के मुताबिक, लगभग 15% महिलाएं ओवुलेशन विकारों से पीड़ित होने के कारण बांझपन के साथ संघर्ष कर रही हैं। ओवुलेशन डिसऑर्डर होने पर अंडे ओवरी से बाहर नहीं आते हैं जिसके कारण फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है। नतीजतन, गर्भधारण करने में दिक्कतें आती हैं।
एंडोक्राइन विकार
एंडोक्राइन विकार से पीड़ित महिला के शरीर में ग्रंथियां सामान्य से कम या अधिक हार्मोन का उत्पादन करती हैं जिसके कारण हार्मोन में असंतुलन होता है। हार्मोन में असंतुलन होने के कारण महिला में बांझपन का खतरा बढ़ जाता है और गर्भधारण में प्रॉब्लम हो सकती है।
उम्र
जब एक लड़की की उम्र 20 वर्ष होती है तो उसके गर्भधारण करने की संभावना सबसे अधिक होती है। 35 साल की उम्र होने के बाद महिला की प्रजनन क्षमता कम हो जाती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिला की फर्टिलिटी शक्ति कम होती है, क्योंकि अंडों की संख्या और गुणवत्ता दोनों में कमी आती है।
तनाव
पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन में परेशानियां होने के कारण एक महिला तनाव का शिकार हो सकती है। तनाव महिला की प्रजनन क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित करता है। शोध के मुताबिक, तनाव महिला में बांझपन का कारण भी बन सकता है।
हार्मोनल असंतुलन
अस्वस्थ जीवनशैली, गलत खान-पान, सिगरेट या शराब का सेवन और थायरॉइड तथा पीसीओएस के कारण हार्मोन में असंतुलन होता है। यह भी महिला में बांझपन का कारण बन सकता है।
इन सबके अलावा, यूटेराइन फाइब्रॉइड्स, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, गर्भाशय का असामान्य आकार, पोलिप्स और योनि में इंफेक्शन आदि भी महिला में बांझपन का कारण बन सकते हैं।
महिला बांझपन के लक्षण – Symptoms of Female Infertility in Hindi
शोध के मुताबिक, दुनियाभर में महिलाओं बांझपन की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिसके कारण दंपति को गर्भधारण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
महिला में बांझपन यानी फीमेल इनफर्टिलिटी के अनेक लक्षण होते हैं जैसे कि:
एंडोमेट्रियोसिस
पीरियड्स के दौरान तेज दर्द होना एंडोमेट्रियोसिस की ओर इशारा हो सकता है। एंडोमेट्रियोसिस के दूसरे लक्षण जैसे कि:-
- पीरियड्स में अनियमितता
- पीरियड्स के दौरान क्रोनिक पैल्विन दर्द
- मल त्याग करते समय दर्द
- पीठ में तेज दर्द, थकान और मतली
अनियमित मासिक चक्र
अनियमित मासिक चक्र में पीरियड्स मिस होना शामिल हैं। मिस्ड पीरियड्स भी महिला में बांझपन का कारण बन सकता है।
अनियमित पीरियड्स के कारण ओवुलेशन नियमित रूप से नहीं होता है। ओवुलेशन में अनियमितता के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे कि:-
- पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
- मोटापा
- कम वजन
- थायरॉइड
हार्मोनल समस्याएं
हार्मोन में उतार-चढ़ाव होने से कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं जैसे कि:-
- चेहरे पर मुहांसे आना
- यौन इच्छा में कमी होना
- चेहरे पर बाल उगना
- सिर के बालों का पतला होना
- वजन बढ़ना और निप्पल से डिस्चार्ज होना
अगर आप इनमें से किसी भी लक्षण को खुद में अनुभव करती हैं तो आपको बिना देरी किए एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
सेक्स के दौरान दर्द
सेक्स के दौरान दर्द होना किसी ख़ास समस्या की ओर इशारा हो सकता है। सेक्स के दौरान दर्द महिला की प्रजनन क्षमता को बुरी तरह से प्रभवित कर सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस, फाइब्रॉइड्स या इंफेक्शन के कारण सेक्स के दौरान दर्द होता है।
पीरियड्स के दौरान रक्त
आमतौर पर मासिक धर्म की शुरुआत में रक्त चमकदार लाल रंग का होता है जो अगले कुछ दिनों में गहरा हो जाता है।
अगर पीरियड्स के दौरान रक्त सामान्य से हल्का लाल रंग का है या पीरियड्स के शुरुआती दिनों में बहुत गहरा है तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए, क्योंकि यह बांझपन का संकेत हो सकता है।
वजन बढ़ना
मोटापा से ग्रसित महिलाओं में गर्भधारण होने की संभावना कम होती है। महिला बांझपन के मुख्य कारणों में मोटापा भी शामिल है।
अगर अचानक से आपका वजन बढ़ने लगा है तो आपको डॉक्टर से मिलने का सुझाव दिया जाता है।
इन सबके अलावा, अगर आप खुद को निम्न बिंदुओं से जोड़ सकती हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलना चाहिए:-
- समय से पहले मेनोपॉज आना
- कैंसर या कैंसर का उपचार कराना
- ओवरी या फैलोपियन ट्यूब को क्षति पहुंचना
- पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम होना
समय पर बांझपन के सटीक कारण की पुष्टि करने के बाद उसका उचित इलाज संभव है।
महिला बांझपन की जांच – Diagnosis of Female Infertility in Hindi
महिला में बांझपन का निदान करने के लिए डॉक्टर कई प्रकार के टेस्ट करते हैं। जांचों की मदद से फीमेल इनफर्टिलिटी के सटीक कारण का पता चलता है।
महिला में बांझपन का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्न टेस्ट करने का सुझाव दे सकते हैं।
ओवुलेशन टेस्ट
इस टेस्ट के दौरान ओवुलेशन परीक्षण किया जाता है। ओवुलेशन टेस्ट को क्लिनिक या हॉस्पिटल में डॉक्टर की निगरानी में या किट की मदद से घर पर भी किया जा सकता है।
हार्मोनल टेस्ट
ल्यूटिनाइलिंग हार्मोन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की जांच से महिला बांझपन की पुष्टि की जा सकती है। इसके साथ-साथ प्रोलैक्टिन हार्मोन के स्तर की भी जांच हो सकती है।
हिस्टेरोसल पिंगोग्राफी
यह एक एक्स-रे परीक्षण है जिसके दौरान गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब तथा उनके आसपास के हिस्से को देखकर किसी प्रकार की असामान्यता का पता लगाया जाता है।
ओवेरियन रिजर्व टेस्ट
इस जांच की मदद से डॉक्टर अंडे की क्वालिटी और मात्रा की पुष्टि करते हैं। बांझपन से पीड़ित महिला के अंडों की संख्या और गुणवत्ता कम होती है।
इमेजिंग टेस्ट
इमेजिंग टेस्ट में पेल्विक अल्ट्रासाउंड किया जाता है। डॉक्टर गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब की रोग का पता लगाने के लिए पेल्विक अल्ट्रासाउंड करते हैं।
थायरॉइड और पिट्यूटरी हार्मोन की जांच
महिला बांझपन का निदान करने के लिए डॉक्टर थायरॉइड और पिट्यूटरी हार्मोन की जांच कर सकते हैं। इन सभी जांचों की मदद से डॉक्टर फीमेल इनफर्टिलिटी के सटीक कारण का पता लगा पाते हैं जिसके बाद उचित इलाज की मदद से इस समस्या को दूर करना आसान हो जाता है।
महिला बांझपन का इलाज – Treatment of Female Infertility in Hindi
महिला में बांझपन का उपचार मुख्य रूप से इसके कारण और अवधि एवं महिला की आयु पर निर्भर करता है।
महिला बांझपन यानी फीमेल इनफर्टिलिटी का इलाज कई तरह से किया जाता है। बांझपन के इलाज में महिला की शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और वित्तीय स्थिति बहुत मायने रखते हैं।
महिला में बांझपन का उपचार करने के लिए डॉक्टर निम्न विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं:-
दवाएं
ओवुलेशन विकार के कारण जब किसी महिला को गर्भधारण करने में प्रॉब्लम होती है तो डॉक्टर कुछ ख़ास प्रकार की दवावें निर्धारित करते हैं।ये दवाएं प्राकृतिक हार्मोन फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की तरह काम करती हैं। इन दवाओं की मदद से ओवुलेशन को ट्रिगर किया जाता है।
आईयूआई
आईयूआई का पूरा नाम इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन है और इसे हिंदी में अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान कहते हैं। फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज से पीड़ित महिलाओं के लिए यह एक प्रभावशाली इलाज है। इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर स्पर्म से शुक्राणु (सीमेन) को अलग करके लैब में उसका शुद्धिकरण करते हैं। उसके बाद, तैयार किए गए शुक्राणु को डॉक्टर एक कैथिटर की मदद से महिला की गर्भाशय में ट्रांसफर करते हैं।
आईयूआई के बारे में विस्तार से पढ़ने, इसकी आवश्यकता और पूरी प्रक्रिया को अच्छी तरह समझने के लिए इस ब्लॉग “आईयूआई क्या है – प्रक्रिया, फायदे, नुकसान और खर्च” को अवश्य पढ़ें।
आईवीएफ
यह बांझपन का एक मॉडर्न और एडवांस उपचार है। इसे बांझपन से पीड़ित दंपति के लिए एक वरदान के रूप में भी देखा जाता है। आईवीएफ के दौरान स्त्री के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज करके भ्रूण का निमर्ण किया जाता है। भ्रूण तैयार होने के बाद, डॉक्टर उसे महिला के गर्भाशय में डालते हैं। शोध के मुताबिक, आईवीएफ के जरिए हर वर्ष दुनिया भर में लाखों शिशुओं का जन्म होता है। आईवीएफ उपचार से जन्म लेने वाले शिशु को टेस्ट ट्यूब बेबी कहते हैं।
अगर आप आईवीएफ के बारे में विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो यह ब्लॉग “आईवीएफ क्या है – प्रक्रिया, फायदे और साइड इफेक्ट्स” आपको अवश्य पढ़ना चाहिए।
इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई)
आईसीएसआई आईवीएफ का एक रूप है जिसमें निषेचन की सुविधा के लिए एक शुक्राणु को सीधे अंडे में इंजेक्ट करना शामिल है। इस तकनीक का उपयोग अक्सर गंभीर पुरुष कारक निःसंतानता के मामलों में किया जाता है या जब पिछले आईवीएफ प्रयास विफल हो गए हों।
सर्जरी
महिला बांझपन को दूर करने या महिला की प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाने के लिए अनेक सर्जिकल प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं। हालांकि, ऊपर दी गई प्रक्रियाओं की तुलना में सर्जरी की आवश्यकता बहुत कम पड़ती है। फीमेल इनफर्टिलिटी को दूर करने, महिला की प्रजनन शक्ति और गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने के लिए लेप्रोस्कोपी या हिस्ट्रेस्कोपी सर्जरी का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही, फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज होने पर ट्यूबल सर्जरी भी की जा सकती है।
अंडा दान
कम डिम्बग्रंथि रिजर्व या खराब अंडे की गुणवत्ता वाली महिलाओं के लिए, युवा, उपजाऊ दाता से दान किए गए अंडे का उपयोग करना एक विकल्प हो सकता है। दान किए गए अंडों को आईवीएफ के माध्यम से शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है, और परिणामी भ्रूण को प्राप्तकर्ता के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
जेस्टेशनल सरोगेसी
ऐसे मामलों में जहां कोई महिला चिकित्सीय कारणों से गर्भधारण करने में असमर्थ है, जेस्टेशनल सरोगेसी पर विचार किया जा सकता है। इसमें आईवीएफ के माध्यम से बनाए गए भ्रूण को सरोगेट के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है, जो इच्छित माता-पिता की ओर से गर्भावस्था को पूरा करती है।
महिलाएं अपनी प्रजनन क्षमता को कैसे बढ़ा सकती हैं
बांझपन से बचने और अपनी प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाने के लिए एक महिला को अपनी जीवनशैली, डाइट और वजन का खास ध्यान रखना चाहिए।
हरी पत्तेदार सब्जियों और फलों का सेवन करना चाहिए। अपनी डाइट में दूध और दही को शामिल करना चाहिए।
शराब और सिगरेट या दूसरी नशीली चीजों के सेवन से दूर रहना चाहिए। शरीर को चुस्त और दुरुस्त बनाए रखने के लिए रोजाना हल्का-फुल्का व्यायाम करना चाहिए।
मन को शांत करने के लिए मेडिटेशन करना चाहिए, फास्ट फूड्स और कोल्ड ड्रिंक्स के अत्याधिक सेवन से बचना चाहिए और खुद को तनाव से दूर रखने की कोशिश करनी चाहिए।
निष्कर्ष
महिला बांझपन एक स्थिति है जिसमें महिला प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ होती है।
विश्व स्तर पर फीमेल फर्टिलिटी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इसका मुख्य कारण है अस्वस्थ जीवनशैली, गलत खानपान, शराब और सिगरेट का सेवन, मोटापा और तनाव आदि।
समय पर महिला बांझपन का निदान कर इसका उचित इलाज संभव है।
अगर आप बांझपन से पडीत हैं या दूसरे किसी कारण से आपको गर्भधारण करने में समस्या हो रही है तो आप अभी अपॉइंटमेंट बुक कर हमारे विश्वसनीय और अनुभवी प्रजनन विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श कर सकती हैं।
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