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Birla Fertility & IVF
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एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्या है: कारण, लक्षण और उपचार

  • Published on April 09, 2024
एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्या है: कारण, लक्षण और उपचार

एक्टोपिक प्रेगनेंसी तब होती है जब निषेचित अंडा गर्भाशय के बाहर फैलोपियन ट्यूब में प्लांट होता है। सभी प्रेगनेंसी निषेचित अंडे से होती शुरू होती हैं। सामान्य मामलों में, निषेचित अंडा गर्भाशय की परत से जुड़ता है। जबकि एक्टोपिक प्रेगनेंसी में, निषेचित अंडा गर्भाशय के बाहर प्लांट होता है और बढ़ता है।

ऐसी प्रेगनेंसी ज्यादातर फैलोपियन ट्यूब में होती हैं क्योंकि फैलोपियन ट्यूब ओवरीज़ से गर्भाशय तक अंडे को ले जाती हैं। ऐसे मामलों में, इसे ट्यूबल प्रेगनेंसी भी कहते हैं।

कुछ मामलों में, निषेचित अंडा शरीर के अन्य क्षेत्रों, जैसे ओवरीज़, सर्विक्स या पेट की गुहा में प्लांट हो जाता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी व्यवहार्य नहीं है क्योंकि निषेचित अंडा गर्भाशय के बाहर जीवित नहीं रह सकता है।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कारण

एक्टोपिक प्रेगनेंसी का सबसे आम प्रकार ट्यूबल प्रेगनेंसी है। यह तब होता है जब एक निषेचित अंडा गर्भाशय तक जाने में फेल हो जाता है और कहीं और प्लांट हो जाता है।

कभी-कभी निषेचित अंडा फैलोपियन ट्यूब के फटने या रुकावट होने पर उसमें फंस जाता है। निषेचित अंडे का असामान्य विकास भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी कर सकता है।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कारणों में हार्मोनल इम्बैलेंस भी है। किसी भी कारण से जब ओवरीज़ से गर्भाशय तक निषेचित अंडे की गति धीमी है, एक एक्टोपिक प्रेगनेंसी बन सकती है।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण

अर्ली स्टेज में एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता लगाना मुश्किल हो सकता है क्योंकि लक्षण नार्मल प्रेगनेंसी के जैसे होते हैं। अगर आप प्रेगनेंसी टेस्ट करेंगी तो आपको पॉजिटिव रिजल्ट मिलेगा।

लक्षण समय के साथ और ज्यादा सीवियर हो जाते हैं क्योंकि निषेचित अंडा गर्भाशय के बाहर बढ़ता रहता है।

अर्ली एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कुछ लक्षण –

  • मिस्ड पीरियड 
  • जी मिचलाना
  • कोमल और फूले हुए स्तन
  • थकावट 
  • ज्यादा पेशाब आना 
  • योनि से हलकी ब्लीडिंग 
  • पेल्विक पैन 
  • पेट में तेज ऐंठन
  • चक्कर आना

गंभीर एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण

जब निषेचित अंडा फैलोपियन ट्यूब में बढ़ना शुरू हो जाता है, तो आपको ज्यादा सीवियर लक्षण महसूस होने लगते हैं, जैसे :

  • फैलोपियन ट्यूब फटने पर हैवी ब्लीडिंग 
  • लो ब्लड प्रेशर (हाइपोटेंशन)
  • मलाशय में दर्द
  • कंधे और गर्दन में दर्द

एक्टोपिक प्रेगनेंसी के रिस्क फैक्टर 

ऐसे कई फैक्टर हैं जो एक महिला में एक्टोपिक प्रेगनेंसी के खतरे को बढ़ा सकते हैं। कुछ इस प्रकार हैं

  • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिसीज़ (पीआईडी) – पीआईडी, गेंटिकल ट्रैक्ट के इन्फेक्शन के कारण होने वाली बीमारी है जो एक महिला में एक्टोपिक प्रेगनेंसी के खतरे को बढ़ा सकती है। इन्फेक्शन आमतौर पर योनि से गर्भाशय, ओवरी और फैलोपियन ट्यूब तक फैलता है।
  • सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़ (एसटीडी) – क्लैमाइडिया या गोनोरिया जैसे एसटीडी से इन्फेक्टेड होने से एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा बढ़ सकता है।
  • फर्टिलिटी ट्रीटमेंट करवाना – जो महिलाएं ओव्यूलेशन बढ़ाने के लिए फर्टिलिटी ट्रीटमेंट लेती हैं, उनमें एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा ज्यादा होता है।
  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी की हिस्ट्री – अगर आपको पहले भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो चुकी है, तो आपको ऐसी दूसरी प्रेगनेंसी होना ज्यादा नुक्सान दे सकता है।
  • कंट्रासेप्टिव का फेल होना – कंट्रासेप्शन के लिए कॉइल या अंतर्गर्भाशयी डिवाइस (आईयूडी) का उपयोग करने वाली कुछ महिलाएं अभी भी प्रेग्नेंट हो सकती हैं। ऐसे में, एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा ज्यादा होता है।
  • फैलोपियन ट्यूब असामान्यताएं – अगर आपकी फैलोपियन ट्यूब में किसी पिछले इन्फेक्शन या सर्जरी के कारण सूजन हुई है, तो एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • धूम्रपान – अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो आपको एक्टोपिक प्रेगनेंसी का ज्यादा खतरा होता है।
  • उम्र – जो महिलाएं 35 वर्ष से ज्यादा उम्र की हैं उनमें एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा ज्यादा होता है।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी के विभिन्न प्रकार

निषेचित अंडे के प्लांट के हिसाब से एक्टोपिक प्रेगनेंसी के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसा कि बताया गया है:

  1. ट्यूबल प्रेगनेंसी – एक्टोपिक प्रेगनेंसी में जब निषेचित अंडा फैलोपियन ट्यूब में प्लांट होता है, ट्यूबल प्रेगनेंसी के रूप में जाना जाता है। ज्यादातर एक्टोपिक प्रेगनेंसी ट्यूबल प्रेगनेंसी होती हैं। ट्यूबल प्रेगनेंसी फैलोपियन ट्यूब के अंदर विभिन्न स्थानों पर हो सकती है:
  • सभी मामलों में से 80% में, एक्टोपिक प्रेगनेंसी एम्पुलरी सेक्शन में बढ़ती है
  • लगभग 12% में, प्रेगनेंसी फैलोपियन ट्यूब के इस्थमस में बढ़ती है
  • लगभग 5% में, प्रेगनेंसी फ़िम्ब्रियल एंड में बढ़ती है
  • लगभग 2% में, प्रेगनेंसी फैलोपियन ट्यूब के कॉर्नुअल और इंटरस्टिशियल हिस्से में होती है
  1. नॉन-ट्यूबल एक्टोपिक प्रेगनेंसी – जबकि ज्यादातर एक्टोपिक प्रेगनेंसी फैलोपियन ट्यूब में होती हैं, लगभग 2% ऐसी प्रेगनेंसी अन्य जगह पर होती हैं, जैसे ओवरी, सर्विक्स, या पेट की गुहा।
  1. हेटरोटोपिक प्रेगनेंसी – यह एक रेयर केस होता है जिसमें दो अंडे निषेचित होते हैं, जिनमें से एक गर्भाशय के अंदर प्लांट होता है जबकि दूसरा उसके बाहर प्लांट होता है। ऐसे में, एक्टोपिक प्रेगनेंसी का निदान अक्सर इंट्रा-यूट्रीन प्रेगनेंसी से पहले किया जाता है।

कुछ मामलों में, दोनों प्रेगनेंसी खत्म हो जाती हैं, जबकि कुछ मामलों में इंट्रा-यूट्रीन प्रेगनेंसी व्यवहार्य हो सकती है।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी का ट्रीटमेंट

एक्टोपिक प्रेगनेंसी में बढ़ते हुए एम्ब्रियो व्यवहार्य नहीं होते है और इसमें फुल-टर्म के बच्चे के रूप में बढ़ने की क्षमता नहीं होती है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी के ट्रीटमेंट में महिला को ज्यादा नुकसान पहुंचाने से पहले प्रेगनेंसी को खत्म करना होता है।

ये सामान्य ट्रीटमेंट ऑप्शंस हैं:

  • एक्सपेक्टेंट मैनेजमेंट – अगर महिला को एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने के बावजूद बहुत कम या कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है, तो डॉक्टर कुछ समय तक मॉनिटर करते हैं क्योंकि प्रेगनेंसी के अपने आप समाप्त होने की संभावना होती है। एक्सपेक्टेंट मैनेजमेंट में, आपके ब्लड में एचसीजी के लेवल और अन्य हार्मोनल के लेवल चेक करने के लिए ब्लड टेस्ट होंगे। वजाइनल ब्लीडिंग और हल्के पेट में ऐंठन होने की संभावना है। अगर आपको ज्यादा सीवियर लक्षण दीखते हैं तो अपने डॉक्टर से परामर्श करने का सुझाव दिया जाएगा।
  • दवा – एक्टोपिक प्रेगनेंसी का जल्दी पता लगने पर, अगर एक्सपेक्टेंट मैनेजमेंट के बारे में समझ नहीं आता है तो आपका इलाज दवा से किया जा सकता है। डॉक्टर आमतौर पर मेथोट्रेक्सेट लिखते हैं, जो प्रेगनेंसी को बढ़ने से रोकता है। यह दवा इंजेक्शन के रूप में दी जाती है। ट्रीटमेंट चेक करने के लिए आपको रेगुलर ब्लड टेस्ट कराने की आवश्यकता होगी। अगर पहला डोज़ फेल हो जाती जाता है, तो आपको इंजेक्शन से दूसरा डोज़ दिया जाएगा। इस दवा के साइड इफेक्ट्स में पेट में ऐंठन, चक्कर आना और बीमार महसूस करना शामिल है।
  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी सर्जरी – कुछ एक्टोपिक  प्रेगनेंसी के इलाज के लिए दो प्रकार की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, सैल्पिंगोस्टॉमी और सैल्पिंगेक्टोमी किए जाते हैं। इन प्रक्रियाओं में नेवल एरिया के पास एक छोटा चीरा लगाकर ट्यूबल क्षेत्र को देखने के लिए लेप्रोस्कोप का उपयोग होता है। सैल्पिंगोस्टॉमी में, एक्टोपिक प्रेगनेंसी को खत्म कर दिया जाता है और ट्यूब को हील होने के लिए छोड़ दिया जाता है। सैल्पिंगेक्टॉमी में, एक्टोपिक प्रेगनेंसी और ट्यूब दोनों को हटा दिया जाता है। स्थिति की गंभीरता से पता चलता है कि इनमें से कौन सा तरीका उपयोग किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

अगर समय पर इलाज न किया जाए तो एक्टोपिक प्रेगनेंसी एक महिला के स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक हो सकती है। साथ ही, कुछ मामलों में यह घातक भी सकती है। हालांकि, समय पर मेडिकल देखभाल मिलने से एक्टोपिक  प्रेगनेंसी का इलाज किया जा सकता है, वह भी एक महिला के रिप्रोडक्टिव अंगों को सबसे कम क्षति पहुंचाकर। एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कुछ महीनों बाद एक स्वस्थ प्रेगनेंसी संभव हो सकती है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बेस्ट इलाज के लिए बिरला फर्टिलिटी और आईवीएफ क्लिनिक पर जाएं या हमारे फर्टिलिटी विशेषज्ञ से निःशुल्क परामर्श के लिए या अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए, हमें कॉल करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

  1. क्या एक्टोपिक प्रेगनेंसी का मतलब बच्चा गवां देना है?

नहीं, एक्टोपिक प्रेगनेंसी केवल एक अव्यवहार्य एम्ब्रियो है जिसमें फुल-टर्म बच्चे जैसे विकसित होने की संभावना नहीं होती है।

  1. क्या कोई बच्चा एक्टोपिक प्रेगनेंसी से बच सकता है?

नहीं, एक्टोपिक प्रेगनेंसी एक फुल-टर्म बच्चे में विकसित नहीं हो सकती है। इस तरह की प्रेगनेंसी अव्यवहार्य होती हैं और आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाते हैं या मेडिकली खत्म करना पड़ता है।

  1. एक्टोपिक प्रेगनेंसी को कैसे दूर किया जाता है?

कुछ मामलों में, एक्टोपिक प्रेगनेंसी अपने आप ही खत्म हो जाती है। बाकी मामलों में, दवाई देकर या सर्जरी करके करना पड़ता है।

  1. क्या एक्टोपिक प्रेगनेंसी दर्दनाक है?

हां। एक्टोपिक प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में पेट के निचले हिस्से में दबाव महसूस होना, ज्यादा ब्लीडिंग होना और कभी-कभी पेट के बाईं या दाईं ओर तेज दर्द महसूस होना शामिल है। इसलिए, एक्टोपिक प्रेगनेंसी में इमरजेंसी मेडिकल सहायता लेना जरूरी है।

  1. क्या स्पर्म से एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती है?

किसी भी तरह की प्रेगनेंसी के लिए स्पर्म जरूरी है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी भी स्पर्म के अंडे को फर्टिलाइज़ करने से शुरू होती है | 

Written by:
Dr. Madhuri Thakur

Dr. Madhuri Thakur

Consultant
Dr. Madhuri Thakur is a fertility specialist with over 3 years of experience and has successfully performed more than 100 IVF cycles. She specializes in laparoscopy, hysteroscopy, and minimally invasive surgeries for complex infertility cases.
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