लेप्रोस्कोपी सर्जरी क्या है और क्यों किया जाता है?
- Published on April 16, 2022
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लेप्रोस्कोपी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके दौरान लेप्रोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है। लेप्रोस्कोप एक लंबा, पतला और लचीला ट्यूब है जिसके एक हिस्से पर लाइट और कैमरा लगा होता है। इस उपकरण की मदद से डॉक्टर कंप्यूटर स्क्रीन पर पेट के आंतरिक हिस्सों को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं।
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लेप्रोस्कोपी सर्जरी का इस्तेमाल क्यों होता है?
आमतौर पर लेप्रोस्कोपी का इस्तेमाल पेट या पेल्विक में दर्द की जांच और इलाज करने के लिए किया जाता है। डॉक्टर जब बिना चीरा लगाए जांच की प्रक्रिया ठीक से नहीं कर पाते हैं तो लेप्रोस्कोपी का उपयोग किया जाता है। निम्न स्थितियों में इस सर्जरी का इस्तेमाल किया जा सकता है:-
- एंडोमेट्रियोसिस
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी
- पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज
जब किसी महिला को गर्भधारण करने में कठिनाई होती हैं तो उसके कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर लेप्रोस्कोपी का इस्तेमाल करते हैं। इस स्थिति में डॉक्टर कुछ स्थितियों की जांच करते हैं जिनमें शामिल हैं:-
- ओवेरियन सिस्ट
- आसंजन (Adhesions)
- यूटेराइन फाइब्रॉइड्स
लेप्रोस्कोपी सर्जरी का इस्तेमाल पेट या पेल्विक क्षेत्र में असामान्य उत्पत्ति जैसे कि ट्यूमर की जांच, कैंसर पेट के दूसरे हिस्सों में फैल रहा है या नहीं, आदि का पता लगाने और शरीर के अंदरूनी अंगों में चोट की जांच करने के लिए भी किया जाता है।
इस सर्जरी का इस्तेमाल शरीर के कुछ अंगों को शरीर से बाहर निकालने के लिए भी करते हैं जैसे कि:-
- गर्भाशय
- स्प्लीन
- पित्ताशय
- अंडाशय
- अपेंडिक्स
- कोलोन (आंशिक रूप से)
लेप्रोस्कोपी का उपयोग शरीर के अन्य आंतरिक अंगों का परीक्षण करने के लिए किया जाता है जैसे कि:-
- हाइटल हर्निया
- इनगुइनल हर्निया
- पित्ताशय
- लिवर
- छोटी और बड़ी आंत
- पेल्विक या प्रजनन अंग
इस सर्जरी की मदद से बीमारी और उसके कारण का पता लगाने के बाद डॉक्टर इलाज की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।
लेप्रोस्कोपी सर्जरी से पहले क्या होता है?
सबसे पहले डॉक्टर, मरीज से बात करके इस बात की पुष्टि करते हैं कि मरीज लेप्रोस्कोपी सर्जरी के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार है या नहीं।
आमतौर पर डॉक्टर सर्जरी से एक सप्ताह पहले मरीज को अपने खानपान और जीवनशैली में कुछ बदलाव लाने का सुझाव देते हैं जैसे कि सिगरेट या शराब और पहले से चल रही दवाओं का सेवन बंद करना आदि।
साथ ही, मरीज से उसकी एलर्जी के बारे में भी पूछा जाता है ताकि सर्जरी के दौरान या बाद में होने वाली जटिलताओं की संभावना को कम या ख़त्म किया जा सके।
लेप्रोस्कोपी सर्जरी के दौरान क्या होता है?
लेप्रोस्कोपी सर्जरी शुरू करने से पहले मरीज अपने शरीर से सोने-चांदी और कॉन्टेक्ट लेंस एवं चश्मा आदि निकाल देते हैं। उसके बाद, मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है। डॉक्टर कौन सा एनेस्थीसिया देते हैं यह पूरी तरह से लेप्रोस्कोपी सर्जरी की आवश्यकता पर निर्भर करता है।
एनेस्थीसिया देने के बाद, एक छोटा सा चीरा लगाया जाता है। डॉक्टर कितना चीरा लगाते हैं यह लेप्रोस्कोपी की आवश्यकता यानी मरीज की स्थिति और उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। डॉक्टर लगाए चीरा के जरिए कैनुला नामक एक छोटी सी ट्यूब अंदर डालते हैं।
कैनुला की मदद से मरीज के पेट में कार्बन डाइऑक्साइड गैस भरी जाती है जिसके कारण पेट फूल जाता है और डॉक्टर अंदरूनी हिस्सों को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं। पेट फूलने के बाद, डॉक्टर दूसरा चीरा लगाकर उसके जरिए लेप्रोस्कोप नामक उपकरण को पेट के अंदर डालते हैं।
लेप्रोस्कोप की एक छोर पर कैमरा और लाइट लगा होता है जिसकी मदद से डॉक्टर कंप्यूटर स्क्रीन पर पेट के अंदरूनी हिस्सों को साफ-साफ देखते हैं।
लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद क्या होता है?
लेप्रोस्कोपी सर्जरी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मेडिकल उपकरण को मरीज के शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। फिर लगाए चीरा को टांकों या सर्जिकल टेप से बंद करके उसके ऊपर बैंडेज लगा दिया जाता है।
लेप्रोस्कोपी सर्जरी ख़त्म होने के बाद मरीज को रिकवरी रूप में शिफ्ट किया जाता है जहां डॉक्टर कुछ घंटों के लिए मरीज के समग्र स्वास्थ्य को मॉनिटर करते हैं। इस दौरान डॉक्टर कुछ चीजों की पुष्टि करते हैं जैसे कि:-
- मरीज सही से सांस ले रहा है
- उसकी धधकने संतुलित हैं
- एनेस्थीसिया को कोई साइड इफेक्ट नहीं है
- चीरा वाली जगह से ब्लीडिंग नहीं हो रही है
इन सभी चीजों की पुष्टि करने के बाद डॉक्टर मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करते हैं। साथ ही, सर्जरी के बाद घर पर किन बातों का ध्यान रखना है इस बारे में भी सलाह देते हैं।
लेप्रोस्कोपी सर्जरी के कितने समय बाद मरीज को डिस्चार्ज किया जाएगा, यह पूर्ण रूप से लेप्रोस्कोपी सर्जरी की आवश्यकता और मरीज के समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
लेप्रोस्कोपी सर्जरी के फायदे
लेप्रोस्कोपी एक संक्षिप्त, सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है जिसके दौरान मरीज को कम से कम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेप्रोस्कोपी सर्जरी के निम्न फायदे हैं:-
- इसको एनेस्थीसिया के प्रभाव में किया जाता है इसलिए मरीज को दर्द नहीं होता है
- सर्जरी के दौरान बहुत ही छोटा सा चीरा लगता है, इसलिए ब्लीडिंग कम से कम या लगभग न के बराबर होती है
- सर्जरी के बाद चीरा का निशान नहीं बनता है
- प्रक्रिया के दौरान या बाद में इंफेक्शन का खतरा कम से कम या नहीं के बराबर होता है
- नैदानिक परीक्षणों के बाद हॉस्पिटल में रुकने की आवश्यकता नहीं होती है
लेप्रोस्कोपी सर्जरी के दुष्प्रभाव
किसी भी सर्जरी की तरह लेप्रोस्कोपी सर्जरी के भी कुछ संभावित दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे कि:-
- संक्रमण: कुछ मामलों में मरीज या डॉक्टर की लापरवाही के कारण संक्रमण हो सकता है। हालांकि, इसकी संभावना कम होती है।
- कमजोरी: अगर मरीज की उम्र 50-60 साल से अधिक है तो लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद उन्हें कमजोरी की शिकायत हो सकती है।
- बुखार लगना: कमजोरी के कारण बुखार आना संभव है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करनी चाहिए।
- उल्टी होना: लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद कुछ लोगों को मितली आ सकती है और उल्टी भी हो सकती है।
- जलन: लेप्रोस्कोपी सर्जरी के दौरान लगाए गए चीरा के आसपास जलन होना इसके साइड इफेक्ट्स में से एक है।
- खून का थक्का: कुछ मामलों में लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद नस में खून का थक्का बन सकता है।
अगर आप लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण को अनुभव करते हैं तो आपको इस बारे में तुरंत अपने डॉक्टर को बताना चाहिए ताकि जल्द से जल्द इसका मैनेज किया जा सके।
FAQ
- लेप्रोस्कोपी में कितना समय लगता है?
जब किसी स्थिति का निदान करने के लिए लेप्रोस्कोपी का उपयोग किया जाता है, तो प्रक्रिया में आमतौर पर 30-60 मिनट लगते हैं। सर्जरी के प्रकार के आधार पर, यदि सर्जन किसी बामारी का इलाज कर रहे हैं तो इसमें अधिक समय लगेगा।
- लेप्रोस्कोपी सर्जरी से ठीक होने में कितना समय लगता है?
यदि आपने किसी स्थिति का पता लगाने के लिए लेप्रोस्कोपी कराई है, तो आप संभवत: 1-5 दिनों के भीतर अपनी सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू कर पाएंगे।
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Written by:
Dr. Muskaan Chhabra
Consultant
Dr. Muskaan Chhabra is an experienced obstetrician-gynecologist and a renowned IVF expert, specializing in infertility-related hysteroscopy and laparoscopy procedures. She has made significant contributions to various hospitals and reproductive medicine centers across India, establishing herself as an expert in the field of reproductive healthcare.
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