एंडोमेट्रियोसिस क्या है (What is Endometriosis in Hindi)
एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। इसका नाम ‘एंडोमेट्रियम’ शब्द से आता है जो बच्चेदानी यानी गर्भाशय (यूट्रस) की अस्तर के टिशू (उत्तक) होते हैं।
जब एंडोमेट्रियम नामक उत्तक महिला के गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगता है तो एंडोमेट्रियोसिस की समस्या पैदा होती है।
शोध के मुताबिक, विश्व स्तर पर लगभग 17.6 करोड़ महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित हैं। भारत में लगभग 2.6 करोड़ महिलाएं इस समस्या से ग्रसित हैं।
एंडोमेट्रियोसिस सबसे अधिक निम्न अंगों में देखा जाता है:-
- अंडाशय (ओवरी)
- फैलोपियन ट्यूब
- गर्भाशय की बाहरी सतह
- उत्तक जो गर्भाशय को उसकी जगह पर रखते हैं
एंडोमेट्रियोसिस दूसरे अंगों में भी हो सकता है जिसमें शामिल हैं:-
- आंत
- योनि
- वल्वा
- गर्भाशय ग्रीवा
- श्रोणि गुहा की परत
- गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स)
- ब्लैडर (मूत्राशय)
- रेक्टम (मलाशय)
एंडोमेट्रियोसिस का समय पर उचित जांच और उपचार आवश्यक है। लंबे समय तक इसके लक्षणों को नजरअंदाज करना या इसकी इलाज में देरी करना अनेक गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है जिसमें बांझपन और कैंसर आदि शामिल हैं।
एंडोमेट्रियोसिस में खान-पान
एंडोमेट्रियोसिस होने पर आपको अपनी खान-पान पर ख़ास ध्यान देने की आवश्यकता होती है। खान-पान और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाकर एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों में सुधार और साथ ही साथ इसके दोबारा होने की संभावना को कम किया जा सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या करें?
अगर आप एंडोमेट्रियोसिस से ग्रसित हैं तो आपको निम्न बातों का ख़ास ध्यान रखना चाहिए:
- अपनी डाइट में ताजे फलों और हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें। ध्यान रहे की आप फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोने के बाद ही उसका सेवन करें। ऐसा करने से उनमें मौजूद कीटनाशक या विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
- फलों और सब्जियों का सलाद बनाकर उसे फ्रिज में रखें और कुछ समय के अंतराल पर उसका सेवन करें।
- 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे की सैल्मन और अखरोट आदि का सेवन करें। क्योंकि इससे एंडोमेट्रियसिस होने की संभावना उन महिलाओं की तुलना में 22% कम होती है जो इसका सेवन नहीं करती हैं।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। अपने शरीर को हमेशा हाइड्रेट रखने की कोशिश करें। इसके लिए आप पानी के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नारियल पानी और जूस का सेवन भी कर सकती हैं।
- नियमित रूप से व्यायाम करने से एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। व्यायाम के साथ-साथ आप मेडिटेशन और योग भी कर सकती हैं। इन सबकी मदद से एंडोमेट्रियोसिस का बेहतर रूप से प्रबंधन किया जा सकता है।
अगर आप खुद में एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों और खासकर दर्द को अनुभव करती हैं या आपको इस बात की शंका है की आपको यह समस्या है तो बिना देरी किए विशेषज्ञ से परामर्श लें। समय पर एंडोमेट्रियोसिस का निदान करने पर इसके उपचार के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। लक्षणों को नज़रअंदाज या इलाज में देरी करने पर दूसरी गंभीर स्थितियों का खतरा बढ़ जाता है।
एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या न करें?
कुछ कारक एंडोमेट्रियोसिस की संभावना को बढ़ाने के साथ-साथ इसके लक्षणों को गंभीर भी करते हैं जिसके कारण आपको अन्य गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। एंडोमेट्रियोसिस होने पर आपको निम्न से परहेज करना चाहिए:
- एंडोमेट्रियोसिस होने पर आपको गाय के मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसमें फैट यानी वसा की मात्रा अधिक होती है जिससे शरीर में प्रोस्टाग्लैंडीन नामक रसायनों का उत्पादन होता है जो एस्ट्रोजेन के उत्पादन को प्रोत्साहित करता है। शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा अधिक होने पर एंडोमेट्रियल उत्तक के बढ़ने, एंडोमेट्रियोसिस पनपने और उसके गंभीर होने का खतरा होता है।
- आपको कम से कम या लगभग न के बराबर ट्रांस फैट का सेवन करना चाहिए। कम ट्रांस फैट का सेवन करने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक मात्रा में ट्रांस फैट का सेवन करने वाली महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस होने का खतरा 48% अधिक होता है।
- शराब और कैफीन का सेवन कम से कम या न करें। शराब का सेवन करने से महिला में एंडोमेट्रियोसिस का खतरा बढ़ता है। शराब को एंडोमेट्रियोसिस के उच्च जोखिमों में से एक माना जाता है।
- इन सबके अलावा, आपको सोडा का सेवन करने से भी बचना चाहिए। सोडा भी एंडोमेट्रियोसिस के खतरे को बढ़ाता है।
- एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों को सहन न करें। यौन संबंध बनाते समय दर्द या सामान्य पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द होना एंडोमेट्रियसिस के लक्षणों में से एक है। अगर आप खुद में इन लक्षणों को अनुभव करती हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और उन्हें इस बारे में बताएं।
- एंडोमेट्रियोसिस होने पर खुद ही डॉक्टर बनकर उसका निदान या उपचार करने से बचना चाहिए। एंडोमेट्रियोसिस होने पर आपको विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलकर बात करनी चाहिए।
इन सबके अलावा, कई बार एंडोमेट्रियोसिस के कारण आपको तनाव या डिप्रेशन का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आपको बिना देरी किए अपने पार्टनर, परिवार वालों, दोस्तों और डॉक्टर से इस बारे में बात करनी चाहिए।
एंडोमेट्रियोसिस का घरेलू उपचार (Home Remedy for Endometriosis Treatment in Hindi)
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ओवर-द-काउंटर नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं
ओवर-द-काउंटर नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं एंडोमेट्रियोसिस के कारण होने वाले दर्दनाक ऐंठन से तेजी से राहत दे सकती हैं। इन दवाओं में इबुप्रोफेन और नेपरोक्सन शामिल हैं। पेट खराब और अल्सर को रोकने के लिए सुनिश्चित करें कि आप उन्हें भोजन या पेय के साथ लेती हैं, और एक सप्ताह से अधिक समय तक उनका उपयोग न करें।
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अरंडी का तेल
एंडोमेट्रियोसिस के इलाज के लिए अरंडी के तेल का उपयोग सैकड़ों वर्षों से किया जाता रहा है। इसका उपयोग बहुत शुरुआत में किया जा सकता है, जब ऐंठन पहली बार महसूस होती है, खासकर शरीर को अतिरिक्त ऊतकों से छुटकारा पाने में मदद करने के लिए। यह महत्वपूर्ण है कि इस तकनीक का उपयोग केवल मासिक धर्म प्रवाह से पहले किया जाता है, न कि मासिक धर्म प्रवाह के दौरान।
अरंडी के तेल की मालिश सीधे पेट पर करनी चाहिए। आप पैल्विक मांसपेशियों को आराम देने में मदद करने के लिए लैवेंडर जैसे आराम देने वाले आवश्यक तेल की कुछ बूंदों के साथ भी अरंडी के तेल में मिलाकर पेट पर उसका मालिश करने के बाद गर्म सेक लगा सकती हैं।
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हल्दी
हल्दी में मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों का अनुभव करने महिलाओं के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसका उपयोग लंबी अवधि में एंडोमेट्रियोसिस के प्रबंधन के लिए भी किया जा सकता है। कुछ शोधों में यह भी पाया गया है कि इसमें एंडोमेट्रियल वृद्धि को बाधित करने की क्षमता है।
आप हल्दी के कैप्सूल ले सकती हैं, या एक कप पानी उबालकर उसमें एक चम्मच हल्दी और अदरक पाउडर दोनों मिलाकर उसका चाय बना सकती हैं। आप उसमें शहद और नींबू भी मिला सकती हैं। लक्षणों का अनुभव होने पर इसे रोजाना तीन बार पिएं, और जब आप इसे रखरखाव के लिए उपयोग कर रही हों तो कम से कम एक बार रोजाना पिएं।
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एंटी इंफ्लामेटरी फूड्स
यह तेजी से लक्षण से राहत प्रदान नहीं करेंगे, लेकिन यह लंबे समय तक एंडोमेट्रियोसिस को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। सूजन पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करके और अपने आहार में सूजन-रोधी गुणों वाले खाद्य पदार्थों को बढ़ाकर, आप भविष्य में इसके लक्षणों को कम कर सकती हैं।
निम्न को अपनी डाइट में शामिल करें:
- हरी पत्तेदार सब्जियां
- ब्रोकोली
- अजमोदा
- ब्लूबेरीज
- सैल्मोन
- अदरक
- चिया बीज
- हड्डी का सूप
निम्न से परहेज करें:
- डेयरी
- शराब
- कैफीन
- प्रोसेस्ड फूड्स जिसमें रिफाइंड शुगर की अधिक मात्रा होती है
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श्रोणि की मांसपेशियों की मालिश
श्रोणि की मांसपेशियों की मालिश करने से उन्हें आराम मिलता है और सूजन और ऐंठन कम होती है। उच्च गुणवत्ता वाले लैवेंडर आवश्यक तेल की कुछ बूंदों का उपयोग करने से मांसपेशियों को और आराम करने में मदद मिल सकती है। एक बार में प्रभावित जगह पर 10 से 15 मिनट तक धीरे-धीरे मसाज करें।
पैल्विक मालिश का उपयोग मासिक धर्म चक्र से पहले ही किया जाना चाहिए; यदि आप इसे अपनी अवधि के दौरान उपचार के रूप में उपयोग करती हैं तो यह लक्षणों को बढ़ा सकता है।
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अदरक की चाय
स्थिति के परिणामस्वरूप एंडोमेट्रियोसिस से ग्रसित कुछ महिलाएं मतली का अनुभव करती हैं। मतली के इलाज के लिए अदरक की चाय सबसे अच्छे घरेलू उपचारों में से एक है, और शोध ने लगातार दिखाया है कि यह सुरक्षित और प्रभावी दोनों है।
एंडोमेट्रियोसिस दर्दनाक लक्षण पैदा कर सकता है जिसे प्रबंधित करना मुश्किल होता है। ऊपर चर्चा किए गए घरेलू उपचार लक्षण प्रबंधन में मदद कर सकते हैं, लेकिन आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित अन्य उपचार विकल्पों के संयोजन के साथ इनका सबसे अच्छा उपयोग किया जाता है।
डॉक्टर से कब मिलें?
यदि आप पेल्विक दर्द, सेक्स के दौरान दर्द, या भारी या असामान्य मासिक धर्म का अनुभव कर रही हैं तो अपने डॉक्टर से मिलें। आपके डॉक्टर संभवतः एक पैल्विक परीक्षा आयोजित करेंगे और अल्ट्रासाउंड का सुझाव देंगे।
डॉक्टर आपके लिए सही उपचार की योजना तैयार करने में आपकी मदद कर सकते हैं। चूंकि एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में निःसंतानता यानी बांझपन का कारण बन सकता है, अगर आपको एंडोमेट्रियोसिस है और गर्भवती होने की योजना बना रही हैं तो आपको जल्द से विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलना चाहिए।
और पढ़े : बांझपन क्या है — प्रकार और कारण
एंडोमेट्रियोसिस के चरण (Stages of Endometriosis in Hindi)
एंडोमेट्रियोसिस के चार चरण होते है। इन चरणों के बारे में हम आपको नीचे विस्तार से बता रहे हैं।
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पहला चरण
इस चरण में छीछले प्रत्यारोपण होते हैं जिन्हें कभी-कभी अल्सर या ओवेरियन कैंसर भी समझा जा सकता है।
ये प्रत्यारोपण श्रोणि की सतह पर छोटे धब्बों की तरह दिखाई देते हैं जिससे जलन और सूजन हो सकती है।
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दूसरा चरण
इस दौरान गर्भाशय और मलाशय के बीच के हिस्से में घाव हो जाते हैं। एंडोमेट्रियोसिस जब दूसरी चरण में होता है तो इसमें रेशेदार एढ़ीजन के ऊपर काले धब्बे दिखाई देते हैं जिसके कारण महिला को ओवुलेशन के दौरान श्रोणि में दर्द हो सकता है।
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तीसरा चरण
एंडोमेट्रियोसिस के तीसरे चरण में एंडोमेट्रीओमा दिखाई देने लगता है। इस स्थिति में अगर रसौली फट जाती है तो पेट में तेज दर्द और श्रोणि में सूजन हो सकती है।
जैसे-जैसे एंडोमेट्रिओसिस का आकार और संख्या बढ़ता हैं, इनके कारण होने वाले एढ़ीजन भी बढ़ जाते हैं।
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चौथा चरण
यह एंडोमेट्रियोसिस का आखिरी चरण है जिसके दौरान गंभीर अल्सर और एढ़ीजन की संख्या बढ़ जाती है।
इस चरण में एंडोमेट्रियोसिस का आकार एक अंगूर जितना बड़ा हो सकता है। एंडोमेट्रियोसिस का आकार 2 सेमी से अधिक होने पर डॉक्टर सर्जरी का उपयोग करके उसे हटाते हैं।
एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण (Symptoms of Endometriosis in Hindi)
एंडोमेट्रियोसिस के अनेक लक्षण होते हैं जिनकी मदद से आपको या आपके डॉक्टर को इस बात का अंदाजा हो सकता है कि आपको एंडोमेट्रियोसिस है।
एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों में निम्न शामिल हैं:-
- बांझपन की शिकयत होना
- यौन संबंध बनाते समय दर्द होना
- पीरियड्स के दौरान तेज दर्द होना
- बिना पीरियड्स के श्रोणि के हिस्से में दर्द होना
अगर आप पीरियड्स के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो इस ब्लॉग पीरियड्स क्या है और क्यों होता है? को अवश्य पढ़ें।
ऊपर दिए गए लक्षणों के अलावा, एंडोमेट्रियोसिस होने पर आप खुद में चक्रीय लक्षण को अनुभव कर सकती हैं।
चक्रीय लक्षण वो लक्षण हैं जो पीरियड्स के कुछ दिनों पहले शुरू होते हैं और कुछ दिनों के बाद दूर चले जाते है।
ये लक्षण पीरियड्स बंद होने के बाद अगले महीने फिर से आ सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं:-
- कंधे में दर्द होना
- गुदा से ब्लीडिंग होना
- मूत्र के साथ खून आना
- शौच करते समय दर्द या मुश्किल होना
- समय-समय पर सूजन, दस्त या कब्ज की शिकायत होना
अगर आप इनमें से एक या एक से अधिक लक्षणों को खुद में अनुभव करती हैं तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करने की आवश्यकता है।
एंडोमेट्रियोसिस के कारण (Causes of Endometriosis in Hindi)
अभी तक एंडोमेट्रियोसिस के सही कारण निश्चित नहीं है। हालांकि, निम्न में से कुछ स्थितयां इस समस्या का कारण हो सकती हैं:-
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भ्रूण कोशिका
एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन यौवन के दौरान भ्रूण कोशिकाओं (विकास के शुरुआती चरणों वाली कोशिकाएं) को एंडोमेटियल कोशिका प्रत्यारोपण में परिवर्तित कर सकते हैं जिससे एंडोमेट्रियोसिस का खतरा बढ़ सकता है।
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उम्र
एंडोमेट्रिओसिस किसी भी उम्र की महिला को हो सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह 25-40 वर्ष के बीच की महिलाओं में देखने को मिलता है।
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परिवार का इतिहास
अगर आपके परिवार में किसी को एंडोमेट्रियोसिस है तो आपको यह होने का जोखिम बढ़ जाता है।
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रेट्रोग्रेड पीरियड्स
इस स्थिति में पीरियड्स के दौरान खून की एंडोमेट्रिअल कोशिकाएं फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से शरीर से बाहर निकलने के बजाय पेल्विक कैविटी में चली जाती हैं।
ये एंडोमेट्रिअल कोशिकाएं पेल्विक अंगों की सतहों और उनकी दीवारों पर चिपक जाती हैं। और ये प्रत्येक मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान अधिक मोटी होती हैं और रक्तस्राव करती हैं।
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पेरिटोनियल कोशिकाएं
यौवन (प्यूबर्टी) के दौरान पेट के अंदरूनी भाग को रेखांकित करने वाली पेरिटोनियल कोशिकाएं जब एंडोमेट्रिअल कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं तो एंडोमेट्रियोसिस की समस्या पैदा हो सकती है।
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गर्भावस्था का इतिहास
गर्भावस्था महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस से बचाता है। जिन महिलाओं ने कभी शिशु को जन्म नहीं दिया है उनमें इसका खतरा अधिक होता है। हालांकि, यह उन महिलाओं को भी हो सकता है जो पहले गर्भवती हो चुकी हैं।
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मासिक धर्म का इतिहास
मासिक धर्म से संबंधित समस्याएं जैसे कि कम या ज्यादा समय के लिए मासिक धर्म होना, भारी मासिक धर्म होना, कम उम्र में मासिक धर्म धुरु हो जाना आदि तो आपमें इस समस्या का जोखिम बढ़ सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस की जांच (Endometriosis Diagnosis in Hindi)
एंडोमेट्रियोसिस का उपचार करने से पहले लक्षणों के आधार पर एंडोमेट्रियोसिस का आकार, संख्या और गंभीरता का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ जांच करते हैं। इसमें मुख्य रूप से अल्ट्रासाउंड, एमआरआई, लेप्रोस्कोपी और पेल्विक परीक्षा आदि शामिल हैं। पेल्विक टेस्ट के दौरान डॉक्टर पेल्विस यानी श्रोणि की जांच करते हैं। इससे श्रोणि में उपस्थित किसी भी तरह की असामान्यता या प्रजनन अंगों में मौजूद सिस्ट की पुष्टि की जाती है।
एंडोमेट्रियोसिस से कैसे बचें (How to Prevent Endometriosis in Hindi)
एंडोमेट्रियोसिस को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन आप अपने शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर को कम करके इसको विकसित होने की आशंका को कम कर सकती हैं। मासिक धर्म चक्र के दौरान एस्ट्रोजन आपके गर्भाशय की लाइनिंग को मोटा करता है।
अपने शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर को कम रखने या कम करने के लिए आप निम्न बिंदुओं का पालन कर सकती हैं:-
नियमित रूप से व्यायाम करना। इससे आपके शरीर का फैट कम होगा और शरीर फिट रहेगा। फैट कम होने से शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा भी कम होती है।
गर्भनिरोधक गोलियां, पैच या एस्ट्रोजन की कम खुराक वाले छल्ले के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
शराब का सेवन सिमित या बंद कर दें। अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने से शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है।
अधिक मात्रा में कैफीन-युक्त पेय पदार्थ जैसे कि चाय, कॉफी आदि का सेवन न करें। आप एक दिन में एक चाय या कॉफी पी सकती हैं।
निष्कर्ष
एंडोमेट्रियोसिस का समय पर उचित निदान और उपचार आवश्यक है। यह फैलोपियन ट्यूब या अंडाशय को नुकसान पहुंचा सकता है जिससे प्रजनन संबंधित समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
दवाएं और सर्जरी एंडोमेट्रियोसिस के पैच हटाने में मदद कर सकती हैं, लेकिन इसकी गारंटी नहीं कि इसके बाद आप गर्भवती हो पाएंगी।
एंडोमेट्रियोसिस होने या इसके लक्षण अनुभव होने पर आपको तुरंत एक अनुभवी और विश्वसनीय स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।