Trust img
Ovary Meaning in Hindi: ओवरी क्या है और इसका आकार क्यों बदलता है?

Ovary Meaning in Hindi: ओवरी क्या है और इसका आकार क्यों बदलता है?

Dr. Rakhi Goyal
Dr. Rakhi Goyal

MBBS, MD (Obstetrics and Gynaecology)

23+ Years of experience

गर्भधारण में अंडाशय (Ovary) की अहम भूमिका होती है। इसमें अंडों का निर्माण होता है जो पुरुष स्पर्म के साथ फर्टिलाइज होकर भ्रूण का निर्माण करते हैं। यहीं से प्रेगनेंसी की प्रक्रिया शुरू होती है।

ओवरी क्या है? – Ovary Kya Hota Hai?

ओवरी महिलाओं की प्रजनन अंगों का हिस्सा है जो पेल्विस में स्थित होता है। एक महिला में दो ओवरी होते हैं जिनका काम अंडे और एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का निर्माण करना है।

प्रत्येक महीने, पीरियड्स के दौरान ओवरी में एक अंडे का निर्माण होता है जो फॉलिकल नामक थैली में विकसित होता है। जब यह अंडा परिपक्व (मैच्योर) हो जाता है तो वह फॉलिकल को तोड़कर उससे बाहर निकल जाता है।

परिपक्व अंडा फैलोपियन ट्यूब में पुरुष स्पर्म के साथ फर्टिलाइज होता है जो कि प्रेगनेंसी की सबसे शुरुआती स्टेज है।

ओवरी से संबंधित कुछ मुख्य बिंदु:

गर्भधारण करना हर महिला के लिए एक सुखद एहसास है, लेकिन कई बार कुछ कारणों से उन्हें गर्भधारण करने में परेशानी होती है। गर्भधारण में ओवरी का आकार काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एक स्वस्थ अंडाशय का सामान्य आकार 30 मिमी लंबा, 25 मिमी चौड़ा और 15 मिमी मोटा होता है।

  • ओवरी का आकार महिला की उम्र के साथ बदलता है।
  • मासिक धर्म चक्र के दौरान महिला की ओवरी का आकार बदलता है।
  • ओवरी में किसी प्रकार का गांठ बनने से इसके आकार में बदलाव आता है।
  • मेनोपॉज शुरू होने के बाद ओवरी का आकार बढ़ने के बजाय सिकुड़ने लगता है।
  • तनाव के कारण महिला की ओवरी का आकार प्रभावित होता है।
  • जब एक महिला तनाव में होती है तो उसकी ओवरी अंडों का निर्माण कम या बंद कर देती है।
  • जब ओवरी में अंडों का निर्माण होता है तब इसका आकार लगभग 5 सेंटीमीटर होता है।
  • ओवरी में बनने वाले गांठ अधिकतर मामलों में कुछ महीनों के अंदर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं।

उम्र के साथ अंडाशय के आकार में परिवर्तन

अंडाशय का आकार एक महिला के पूरे जीवन में स्थिर नहीं रहता है। उम्र बढ़ने के साथ इसमें कैसे बदलाव आते हैं, इसका एक संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

आयु सीमा

अंडाशय का आकार

नवजात

व्यास में लगभग 1 सेमी

यौवन

हार्मोनल परिवर्तन के कारण आकार में वृद्धि

वयस्कता

अधिकतम आकार तक पहुँचता है, औसतन 3.5 x 2 x 1 सेमी

रजोनिवृत्ति 

व्यास 20 मिमी से कम हो जाता है

ओवरी का आकार बदलने के कारण

ओवरी का आकार कई कारणों से बदलता है। यौवन (पुबर्टी) की उम्र में पहुंचने से पहले और मेनोपॉज आने के बाद – ओवरी का आकार छोटा होता है। उम्र के अलावा, अन्य कारक भी इसके आकार को प्रभावित करते हैं।

प्रजनन उपचार और प्रेगनेंसी के दौरान एवं अंडाशय से जुड़े विकारों के कारण ओवरी के आकार में बदलाव आता है। ओवरी के आकार का संबंध सीधा महिला के गर्भधारण करने की क्षमता से है। अंडों के फर्टिलाइज होने की क्षमता भी ओवरी के आकार पर निर्भर करती है।

अगर ओवरी का आकार सामान्य से कम है तो महिला को गर्भधारण करने में परेशानी होती है, क्योंकि इस स्थिति में ‘एग रिजर्व’ सामान्य से कम होता है। अल्ट्रासाउंड और खून की जांच से ओवरी के आकार की पुष्टि की जाती है।

अल्ट्रासाउंड से ओवरी में फॉलिकल की संख्या को गिना जा सकता है। फॉलिकल की संख्या से पता चलता है कि एग रिजर्व कम है या सामान्य। ओवरी का आकार बड़ा होने का मतलब यह नहीं है कि एग रिजर्व अधिक है।

विकार या ट्यूमर के कारण ओवरी का आकार बढ़ सकता है। इस स्थिति में महिला सामान्य रूप से ओवुलेट नहीं करती है। साथ ही, गर्भधारण करने में परेशानी होती है। अगर आपको प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में दिक्कतें आ रही हैं तो डॉक्टर से परामर्श करें।

ओवरी कौन से हार्मोन का उत्पादन करती हैं?

ओवरी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बनाती हैं। ये पीरियड्स, फर्टिलिटी और प्रेगनेंसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ओवरी में किसी प्रकार की समस्या, स्वास्थ्य स्थितियां एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में असंतुलन का कारण बनती हैं जिससे महिला की फर्टिलिटी प्रभावित होती है और अंतत उसे गर्भधारण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

ओवरी कहाँ स्थित होती हैं?

ओवरी पेट के निचले हिस्से में, गर्भाशय के दोनों ओर होती हैं। ये अंडे और हार्मोन बनाने का काम करती हैं। ओवरी में कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं जैसे कि ओवेरियन सिस्ट। इस स्थिति में ओवरी में गांठ बन जाती हैं, जो आमतौर पर दर्द रहित होती हैं। ओवरी में होने वाला कैंसर, ओवेरियन कैंसर कहलाता है। साथ ही, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) एक हार्मोनल समस्या है जिसमें ओवरी में कई छोटी-छोटी सिस्ट हो जाती हैं।

ओवरी के कार्य

ओवरी अंडे बनाती हैं और हार्मोन का उत्पादन करती हैं। ये मेंस्ट्रुअल साइकिल, फर्टिलिटी और प्रेगनेंसी की प्रक्रिया को कंट्रोल करती हैं। जब किसी कारण ओवरी में किसी प्रकार की समस्या पैदा होती है तो उनके काम करने की क्षमता प्रभावित होती है, जिसके कारण अंडे मैच्योर होकर ओवरीज से रिलीज नहीं होते है। इससे ओवुलेशन में बाधा उत्पन्न होती है। ओवुलेशन नहीं होने के कारण फर्टिलाइजेशन और प्रेगनेंसी की संभावना खत्म हो जाती है। इसलिए ओवरी का स्वस्थ होना और सही से काम करना आवश्यक है।

ओवरी कितनी होती हैं?

महिलाओं में दो ओवरी होती हैं—एक बाईं ओर (लेफ्ट ओवरी) और दूसरी दाईं ओर (राइट ओवरी)। दोनों अंडे और हार्मोन बनाती हैं। दोनों में किसी भी ओवरी में कोई बीमारी या समस्या होने पर महिला का ओवुलेशन प्रभावित होता है, जिससे उसे गर्भवती होने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। एक महिला को गर्भवती होने के लिए कम से कम उसके एक ओवरी का स्वस्थ होने और सही से काम करना आवश्यक है।

लेफ्ट ओवरी क्या है?

लेफ्ट ओवरी गर्भाशय के बाईं ओर होती है। यह अंडे रिलीज करती है और प्रजनन हार्मोन बनाती है, जिससे पीरियड्स और प्रेगनेंसी संभव होते हैं। जब बाएं ओवरी का आकार सामान्य से बड़ा होता है तो इस स्थिति को मेडिकल भाषा में ‘बड़े बाएं अंडाशय’ यानी (bulky left ovary) कहते हैं। आमतौर पर लेफ्ट ओवरी में वाले ओवेरियन सिस्ट हानिकारक नहीं होते हैं और ज्यादातर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं।

राइट ओवरी साइज

राइट ओवरी का सामान्य आकार 3-5 सेमी होता है। उम्र, हार्मोनल बदलाव और स्वास्थ्य समस्याओं के कारण इसका आकार बदल सकता है। राइट ओवरी यानी दाएं अंडाशय से ओवुलेशन अधिक बार होता है। लेफ्ट ओवरी से निकलने वाली अंडकोशिकाओं की तुलना में, राइट ओवरी से निकलने वाली अंडकोशिकाओं से कंसीव करने यानी गर्भधारण करने की संभावना अधिक होती है।

ओवरी एंड प्रेगनेंसी

ओवरी से अंडे रिलीज होते हैं, जिससे प्रेगनेंसी संभव होती है। स्वस्थ ओवरी हार्मोन को बैलेंस रखती हैं और प्रेगनेंसी में मदद करती हैं। ओवरी में बनने वाले हार्मोन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन गर्भावस्था के लिए जरूरी हैं। ओवरी का आकार भी गर्भधारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ओवरी में सिस्ट बनने या कोई और समस्या होने पर ओवुलेशन की प्रक्रिया बाधित होती है और गर्भधारण में दिक्कत आ सकती है। ओवरी में सिस्ट होने पर पेट दर्द, पेट में भारीपन, सूजन, बार-बार पेशाब आना, इर्रेगुलर पीरियड्स जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इतना ही नहीं, अगर सिस्ट का आकार काफी बड़ा हो तो और इलाज असर न करे, तो सर्जरी से इसे ओवरी को निकालना पड़ सकता है। ऐसा करने पर गर्भधारण की संभावना खत्म हो जाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रेग्नेंट होने के लिए कितना होना चाहिए ओवरी साइज?

प्रेग्नेंट होने के लिए महिला की ओवरी का साइज 3 सेमी x 2.5 सेमी x 1.5 सेमी होना चाहिए।

एक महिला के पास कितने अंडाशय होते हैं?

एक महिला में दो अंडाशय होते हैं।

क्या ओवरी का साइज प्रेगनेंसी के लिए अहम होता है?

ओवरी का साइज प्रेगनेंसी में अहम होता है। अगर ओवरी का साइज नॉर्मल से कम है तो महिला को गर्भधारण करने में परेशानी होती है।

Our Fertility Specialists

Dr. Sonal Chouksey

Bhopal, Madhya Pradesh

Dr. Sonal Chouksey

MBBS, DGO

17+
Years of experience: 
  1200+
  Number of cycles: 
View Profile
Dr. Akriti Gupta

Gorakhpur, Uttar Pradesh

Dr. Akriti Gupta

MBBS, MS (Obstetrics & Gynaecology)

10+
Years of experience: 
  2000+
  Number of cycles: 
View Profile
Dr. Aaheli Maiti

Kolkata New Town, West Bengal

Dr. Aaheli Maiti

MBBS, MS (Obstetrics & Gynaecology)

2+
Years of experience: 
  
  Number of cycles: 
View Profile
Dr. Anjali Chauhan

Lajpat Nagar, Delhi

Dr. Anjali Chauhan

MBBS, MS, DNB, FRM - DCR (Obstetrics & Gynaecology)

8+
Years of experience: 
  350+
  Number of cycles: 
View Profile
Dr. Rakhi Goyal

Chandigarh

Dr. Rakhi Goyal

MBBS, MD (Obstetrics and Gynaecology)

23+
Years of experience: 
  4000+
  Number of cycles: 
View Profile

To know more

Birla Fertility & IVF aims at transforming the future of fertility globally, through outstanding clinical outcomes, research, innovation and compassionate care.

Need Help?

Talk to our fertility experts

Had an IVF Failure?

Talk to our fertility experts