फॉलिकल्स क्या होते हैं? फर्टिलिटी के लिए यह क्यों ज़रूरी होते हैं?

Author : Dr. Manjunath CS September 6 2024
Dr. Manjunath CS
Dr. Manjunath CS

MBBS, MS (OBG), Fellowship in Gynac Endoscopy (RGUHS), MTRM (Homerton University, London UK), Fellowship in Regenerative Medicine (IASRM)

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फॉलिकल्स क्या होते हैं? फर्टिलिटी के लिए यह क्यों ज़रूरी होते हैं?

फॉलिकल्स क्या होते हैं: फर्टिलिटी में इनकी अहमियत क्या है

क्या आपने कभी यह सोचा है कि फॉलिकल्स की आपकी फर्टिलिटी में क्या भूमिका होती है? अगर आप बच्चा प्लान कर रहे हैं, तो फॉलिकल्स की अहमियत को समझना जरूरी है। इस ब्लॉग में, हम आपको विस्तार से बताएंगे कि फॉलिकल्स होते क्या हैं। उनका काम क्या है और प्रजनन में उनका क्या महत्व है।

फॉलिकल्स क्या होते हैं?

दरअसल, फॉलिकल्स अंडाशय के भीतर छोटी-छोटी थैलियां होती हैं। इनमें अपरिपक्व अंडे होते हैं। इन्हें ओसाइट्स भी कहा जाता है। माहवारी के दौरान हर महीने कई फॉलिकल्स बनते हैं। हालांकि, फॉलिकल्स के बनने भर से काम नहीं होता। इसके बनने की प्रक्रिया में कोई एक फॉलिकल परिपक्व होता है गर्भ धारण के लिए वही फॉलिकल संभावित अंडा रिलीज करता है। इसलिए ओवलेशन के लिए फॉलिकल का साइज कई बार अहम हो जाता है।

फॉलिकल्स कैसे काम करते हैं?

फॉलिकल्स का विकास पिट्यूटरी ग्लैंड और अंडाशय में बनने वाले हार्मोन पर निर्भर करता है। माहवारी के शुरुआती दिनों में फॉलिकल्स की गति को तेज करने वाला हार्मोन (फॉलिकल्स स्टुमिलेटिंग हार्मोन/एफएसएच), इन्हें परिपक्व करने में भूमिका निभाता है। इन फॉलिकल्स के बढ़ने के साथ ही एस्ट्रोजन का निर्माण होता है, जो गर्भाशय को गर्भावस्था के लिए तैयार करता है।

माहवारी के मध्य के आसपास, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) में बढ़ोतरी ओव्यूलेशन को ट्रिगर करती है। परिपक्व फॉलिकल से एक अंडा रिलीज होता है। यह अंडा फिर फैलोपियन ट्यूब में चला जाता है जहां इसे शुक्राणु (स्पर्म) का साथ मिलता है और आखिरकार गर्भधारण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

ओवेरियन रिजर्व और फॉलिकल काउंट को समझना

ओवेरियन रिजर्व का मतलब किसी महिला के अंडाशय में अंडों की संख्या और उनकी क्वालिटी से है। यह प्रजनन क्षमता तय करने का अहम फैक्टर है। ओवेरियन रिजर्व का आकलन करने का एक तरीका फॉलिकल काउंट या एंट्रल फॉलिकल काउंट (एएफसी) है। यह महिला के माहवारी के शुरुआती चरण के दौरान अल्ट्रासाउंड टेस्ट के जरिए किया जाता है।

इन छोटे फॉलिकल्स की गिनती और इन्हें माप कर, डॉक्टर किसी महिला के अंडाशय में बाकी बचे अंडों की संख्या का अनुमान लगा सकते हैं। ज्यादा एएफसी बेहतर ओवेरियन रिजर्व और सफल गर्भ धारण की बेहतर संभावना का संकेत देता है।

फर्टिलिटी के इलाज में फॉलिकल्स की भूमिका

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (इंट्रायूटराइन इनसेमिनेशन/आईयूआई) जैसे फर्टिलिटी से जुड़े इलाज में फॉलिकल्स की अहम भूमिका होती है। आईवीएफ में, प्रजनन से जुड़ी दवाओं का इस्तेमाल करके अंडाशय को कई परिपक्व फॉलिकल्स बनाने के लिए तैयार करना लक्ष्य होता है। फिर इन फॉलिकल्स को एक छोटी सर्जरी के दौरान हासिल किया जाता है। इसके बाद लेबोरेटरी में शुक्राणु के साथ फर्टिलाइज किया जाता है। इससे मिले भ्रूण को फिर गर्भाशय में इम्पलांट कर दिया जाता है।

दूसरी तरफ आईयूआई में, अल्ट्रासाउंड स्कैन का इस्तेमाल करके फॉलिकल्स के विकास को मॉनिटर किया जाता है। एक बार जब फॉलिकल्स तय साइज तक पहुंच जाते हैं, तो तैयार शुक्राण का नमूना सीधे गर्भाशय में डाला जाता है, जिससे फर्टिलाइजेशन की संभावना बढ़ जाती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:

  • फॉलिकल्स क्या हैं?

फॉलिकल्स तरल पदार्थ से भरी छोटी-छोटी थैलियां होती हैं जो महिलाओं के अंडाशय के भीतर बनती हैं। ये संरचनाएं अंडों को व्यवस्थित और पोषित करके मासिक धर्म के चक्र और प्रजनन क्षमता में अहम भूमिका निभाती हैं।

  • फॉलिकल्स प्रजनन क्षमता में किस तरह मदद करते हैं?

माहवारी के हर चक्र के दौरान, कई फॉलिकल्स परिपक्व होने लगते हैं। लेकिन आमतौर पर, ओव्यूलेशन के दौरान सिर्फ एक मुख्य फॉलिकल कूप ही अंडा रिलीज करता है। सफल गर्भाधान के लिए स्वस्थ फॉलिकल्स की मौजूदगी और उनका बनना जरूरी है।

  • फर्टिलिटी के इलाज में फॉलिकल के विकास को मॉनिटर करना क्यों जरूरी है?

फॉलिकल के विकास को मॉनिटर करना फर्टिलिटी के इलाज का एक अहम पहलू है, क्योंकि इससे डॉक्टरों को यह तय करने में मदद मिलती है कि अंडे रिट्राइव करने या संभोग करने का सही समय कब हैं। बढ़ते फॉलिकल्स के साइज और संख्या को ट्रैक करने के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन और खून की टेस्टिंग का इस्तेमाल किया जाता है।

  • क्या पुरुषों और महिलाओं दोनों को अपने फॉलिकल्स में समस्या हो सकती है?

हां। पुरुष और महिला दोनों ही फॉलिकल्स से जुड़ी समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं। महिलाओं में, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओसी) जैसी स्थितियों के चलते कई छोटे सिस्टिक फॉलिकल्स हो सकते हैं जो ठीक से विकसित नहीं हो पाते हैं। पुरुषों में, कुछ हार्मोनल असंतुलन शुक्राणु की क्वालिटी और इसके बनने की प्रक्रिया पर असर डाल सकते हैं, जो आखिरकार फर्टिलाइजेशन को प्रभावित करता है।

  • कोई क्लिनिक पुरुषों और महिलाओं दोनों में फॉलिकल्स से जुड़ी समस्याओं का मूल्यांकन और इलाज किस तरह कर सकता है?

हमारे क्लीनिक फर्टिलिटी में मदद चाहने वाले पुरुषों और महिलाओं के लिए इलाज के विकल्पों का मूल्यांकन और ऑफर करके एक संतुलित अप्रोच अपनाते हैं। हार्मोन लेवल टेस्टिंग, शुक्राणु एनालिसिस, अल्ट्रासाउंड स्कैन और अन्य डायग्नोस्टिक प्रक्रियाओं सहित व्यापक मूल्यांकन के जरिए, हमारे एक्सपर्ट पुरुषों और महिलाओं दोनों में फॉलिकल्स के विकास को प्रभावित करने वाले किसी भी मसले की पहचान कर सकते हैं। इलाज के विकल्पों में लाइफस्टाइल में बदलाव, दवाएं, फर्टिलिटी में मददगार तकनीक जैसे अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (आईयूआई) या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) शामिल हो सकते हैं।

“फॉलिकल्स क्या है” पर हमारे अक्सर पूछे जाने वाले सवाल के सेक्शन को पढ़ने के लिए समय निकालने के लिए धन्यवाद। अगर आपके पास इस विषय या किसी अन्य फर्टिलिटी संबंधी पूछताछ के बारे में कोई और सवाल या चिंता है, तो कृपया हमारे जानकार एक्सपर्ट की टीम से संपर्क करने में संकोच ना करें। हम माता-पिता बनने की दिशा में आपके सफर में आपको सपोर्ट करने के लिए यहां हैं।

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