प्रेगनेंसी के अनेक लक्षण होते हैं जिनकी मदद से आप या आपके डॉक्टर इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि आपने गर्भधारण कर लिया है यानी आप गर्भवती हैं। वैसे तो गर्भधारण करने के बाद आप खुद में ढेरों लक्षण अनुभव कर सकती हैं, लेकिन पीरियड का मिस होना इसका सबसे बड़ा लक्षण है।
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में निम्न शामिल हैं- Early Symptoms of Pregnancy in Hindi
- पीरियड्स मिस होना – प्रेगनेंसी के सबसे शुरुआती लक्षणों में पीरियड्स का मिस होना यानी अपने नियत समय पर नहीं आना शामिल है। जैसे ही आप गर्भधारण करती हैं आपके पीरियड्स रुक जाते हैं। कई बार तनाव, थकान या दूसरे कारणों से भी पीरियड्स रुक सकते हैं। ऐसे में आपको स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
- मूड में बदलाव – प्रेगनेंट होने के बाद आपके शरीर में बड़े पैमाने पर हार्मोनल बदलाव होता है जिसके कारण आपके मूड में अचानक से बदलाव आता है। आप छोटी-छोटी बात पर मुस्कुरा सकती हैं, गुस्सा हो सकती हैं और दुखी हो सकती हैं। अचानक मूड में बदलाव आना पीरियड्स मिस होने से पहले आने वाले लक्षणों में से एक है।
- स्तनों के आकार में बदलाव – गर्भधारण करने के तुरंत बाद ही आपके स्तनों में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। स्तनों का आकार बदलना, स्तनों में सूजन होना और उनमें भारीपन आना आदि।
- निप्पल के रंग में बदलाव – प्रेगनेंट होने के बाद आप अपने निप्पल के रंग में बदलाव देख सकती हैं। गर्भधारण करने के बाद आपके शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं जिसके कारण निप्पल के रंग में बदलाव आता है।
- रक्तस्राव और ऐंठन – अंडों के फर्टिलाइज होने के बाद जब आप गर्भवती होती हैं तो आपको हल्का रक्तस्राव होता है। साथ ही, शरीर में ऐंठन भी होता है। गर्भधारण करने के बाद इन दोनों लक्षणों को अनुभव किया जा सकता है।
- पेट में सूजन – गर्भधारण करने के बाद आप खुद में अनेक शुरुआती लक्ष्णों को अनुभव कर सकती हैं जैसे कि पेट में दर्द, सूजन और मरोड़ होना आदि। गर्भावस्था के शुरूआती सप्ताह में आपके शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण पाचन में प्रॉब्लम होती है। पाचन में प्रॉब्लम होने के कारण आंत में गैस फंस जाता है जिससे पेट में दर्द, तनाव, सूजन और मरोड़ जैसे समस्याएं होती हैं।
- भूख और प्यास लगना – प्रेगनेंट होने के बाद शरीर में खून का निर्माण बढ़ जाता है। साथ ही, हार्मोन में वृद्धि होती है जिसके कारण आपको बार-बार भूख और प्यास लग सकती है।
- कमजोरी – प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में कमजोरी महसूस करना भी शामिल है। कमजोरी के साथ-साथ आपको थकावट हो सकती है और चक्कर भी आ सकता है।
- थकान – गर्भधारण के बाद थकान महसूस करना सामान्य है। यह भी प्रेगनेंसी के लक्षणों में से एक है। पुरे दिन थकान महसूस करना, पर्याप्त मात्रा में सोने के बाद भी नींद पूरी नहीं होना, कमजोरी और नींद सोने की इच्छा गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है।
- जी मिचलाना – प्रेगनेंट होने के बाद आप सुबह के समय जी मिचलाना और शरीर में भारीपन जैसे लक्षण को अनुभव कर सकती हैं। जी मिचलाने के साथ-साथ आपको उल्टी भी हो सकती है।
- चक्कर आना – जी मिचलाने के साथ-साथ आपको चक्कर आ सकता है। चक्कर आने के कारण आपको उल्टी हो सकती है, आप बेहोश हो सकती है या आपको कमजोरी महसूस हो सकती है।
- दर्द – गर्भधारण करने के बाद आपके शरीर में बड़ी मात्रा में हार्मोनल असंतुलन होता है। हार्मोन में असंतुलन होने के कारण आपको पुरे शरीर में दर्द की शिकायत हो सकती है।
- सीने में जलन – प्रेगनेंट होने के बाद आपको कब्ज और गैस की शिकायत हो सकती है। इसके कारण आपको सीने में जलन भी सकती है। अगर सीने में जलन के कारण आपको अधिक परेशानी होती है तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए।
- सांस लेने में तकलीफ – प्रेगनेंट होने के बाद आपके शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन बढ़ जाता है। साथ ही, आपका वजन भी बढ़ता है जिसके कारण आपको घुटन जैसा महसूस हो सकता है यानी सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
- फुंसी और मुहांसे – गर्भधारण करने के बाद शरीर में बड़े स्तर पर हार्मोनल असंतुलन होने के कारण आपको फुंसी और मुहांसे की शिकायत हो सकती है। हालांकि, फुंसी और मुहांसे दूसरे भी अन्य कारणों से हो सकते हैं। आप इस बारे में अपने डॉक्टर से बात कर सकती हैं।
- बार-बार पेशाब लगना – बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस करना प्रेगनेंसी की ओर इशारा हो सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान गर्भाशय यूरिनरी ब्लैडर पर प्रेशर डालता है जिसके कारण आपको बार-बार पेशाब लग सकता है।
- कब्ज – कब्ज की शिकायत होना गर्भावस्था के सामान्य लक्षणों में एक है। कब्ज के कारण आपको मल त्याग करने में दिक्कत हो सकती है। कब्ज के कारण पेट में गैस बन सकता है। गैस के कारण पेट में दर्द, सीने में जलन और भूख न लगने आदि जैसे समस्याएं हो सकती हैं। इन सबके अलावा, प्रेगनेंट होने के बाद आप अपने मुंह में अजीबो-गरीब स्वाद महसूस कर सकती हैं। आपको ऐसा महसूस होगा जैसे आपने कुछ बहुत ही बेकार चीज खा ली है।
प्रेग्नेंसी के लक्षणों को देखते हुए प्रेगनेंसी को कैसे कंफर्म करें
अगर आप कुछ सप्ताह से गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं और ऊपर दिए गए लक्षणों को खुद में अनुभव करती हैं तो इसका आमतौर पर यही मतलब हुआ की अपने गर्भधारण कर लिया है। जहां तक इन लक्षणों के आधार पर प्रेगनेंसी को कंफर्म करने की बात है तो बाजार पर में बहुत तरह के प्रेगनेंसी टेस्ट कीट मौजूद हैं जिनकी मदद से आप घर पर अपना प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकती हैं।
हालांकि, कई बार प्रेगनेंसी टेस्ट कीट के परिणाम गलत भी आ जाते हैं। ऐसे में क्लिनिक जाकर डॉक्टर से जांच कराने की सलाह दी जाती है। प्रेगनेंसी की पुष्टि करने के लिए आमतौर पर डॉक्टर ब्लड टेस्ट या यूरिन टेस्ट करते हैं। लेकिन जब डॉक्टर इन दोनों टेस्ट के रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होते हैं तो अल्ट्रासाउंड करते हैं। अल्ट्रासाउंड से प्रेगनेंसी की पुष्टि शत प्रतिशत की जा सकती है।
गर्भावस्था की शुरुआत में इन बातों का ध्यान रखें
गर्भावस्था की शुरुआत में, अपनी शारीरिक और भावनात्मक सेहत दोनों का विशेष ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। यह आपके और आपके बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। नीचे, हम मातृत्व की स्वस्थ और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने में मदद के लिए गर्भावस्था के शुरुआती चरणों के दौरान ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बता रहे हैं:
- प्रसव पूर्व देखभाल: प्रारंभिक और लगातार प्रसव पूर्व देखभाल महत्वपूर्ण है। जैसे ही आपको संदेह हो कि आप गर्भवती हैं या आपने घरेलू गर्भावस्था परीक्षण से इसकी पुष्टि कर ली है, तो अपनी पहली प्रसव पूर्व अपॉइंटमेंट शेड्यूल करें। आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य की निगरानी करने, किसी भी संभावित जटिलताओं की शीघ्र पहचान करने और उसका समाधान करने, और पोषण, व्यायाम और गर्भावस्था के अन्य पहलुओं पर मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए आपके डॉक्टर के साथ नियमित जांच आवश्यक है।
- पोषण: गर्भावस्था के दौरान संतुलित और पौष्टिक आहार खाना जरूरी है। सुनिश्चित करें कि आपको आवश्यक विटामिन और खनिज, विशेष रूप से फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम और अन्य प्रसवपूर्व पूरक मिल रहे हैं। शराब से बचें और कैफीन का सेवन सीमित करें। अपने बच्चे की वृद्धि और विकास में सहायता के लिए संपूर्ण खाद्य पदार्थों, फलों, सब्जियों और लीन प्रोटीन पर ध्यान दें।
- जलयोजन: पूरे दिन खूब सारा पानी पीकर हाइड्रेटेड रहें। गर्भावस्था के दौरान निर्जलीकरण से कब्ज और मूत्र पथ के संक्रमण जैसी जटिलताएँ और असुविधाएँ हो सकती हैं। अपनी डाइट में जूस और नारियल पानी को शामिल करें।
- हानिकारक पदार्थों से बचें: शराब, तंबाकू और कुछ दवाओं से दूर रहें। ये पदार्थ आपके बच्चे के विकास को नुकसान पहुंचा सकते हैं और जन्म दोष, समय से पहले जन्म और अन्य जटिलताओं का खतरा बढ़ा सकते हैं।
- औषधियाँ: कोई भी ओवर-द-काउंटर या प्रिस्क्रिप्शन दवाएं लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें। गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाएं हानिकारक हो सकती हैं, इसलिए किसी भी उपचार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टरसे सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
- व्यायाम: नियमित, मध्यम व्यायाम आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद है। पैदल चलना, तैराकी, या प्रसव पूर्व योग जैसी गतिविधियों में शामिल हों, लेकिन कोई भी नया व्यायाम दिनचर्या शुरू करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से बात करें। सक्रिय रहने से वजन प्रबंधन, तनाव कम करने और गर्भावस्था की कुछ सामान्य असुविधाओं को कम करने में मदद मिल सकती है।
- आराम: प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त आराम करना आवश्यक है। आपका शरीर आपके बच्चे के विकास में सहायता के लिए कड़ी मेहनत करता है, इसलिए अपने शरीर की बात सुनें और यदि आपको थकान महसूस हो तो अतिरिक्त नींद लें। पर्याप्त आराम थकान, चिड़चिड़ापन और मॉर्निंग सिकनेस को कम करने में मदद कर सकता है।
- तनाव प्रबंधन: तनाव आपके स्वास्थ्य और आपके बच्चे के विकास दोनों को प्रभावित कर सकता है। तनाव कम करने की तकनीकों जैसे गहरी साँस लेना, ध्यान या प्रसवपूर्व योग का अभ्यास करें। इसके अतिरिक्त, अपने साथी, परिवार या दोस्तों से भावनात्मक समर्थन लें।
- गर्भावस्था के पड़ावों (स्टेजेज) के बारे में सूचित रहें: गर्भावस्था के चरणों और आपके शरीर में होने वाले परिवर्तनों को समझें। अपने बच्चे की वृद्धि और विकास की निगरानी करें, और प्रत्येक माइलस्टोन का जश्न मनाएं, जैसे कि दिल की धड़कन सुनना या पहली किक महसूस करना आदि।
- लक्षणों से सावधान रहें: किसी भी असामान्य लक्षण जैसे गंभीर मतली, रक्तस्राव, या गंभीर ऐंठन पर ध्यान दें, और यदि आपको इनमें से कोई भी अनुभव हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। संभावित जटिलताओं के समाधान में शीघ्र हस्तक्षेप महत्वपूर्ण हो सकता है।
गर्भावस्था की शुरुआत में आपकी और आपके बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए अपनी उचित देखभाल करना आवश्यक है। प्रसवपूर्व देखभाल को प्राथमिकता दें, स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें, तनाव का प्रबंधन करें और अपने प्रियजनों से सहायता लें। सूचित रहने और सक्रिय रहने से गर्भावस्था का सहज और सुखद अनुभव सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
1. प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दीखते है?
प्रेगनेंट होने के लगभग 1-2 सप्ताह के भीतर लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इस दौरान दिखाई देने वाले लक्षणों को प्रेगनेंसी का शुरुआती लक्षण कहते हैं।
2. ओवुलेशन के बाद प्रेग्नेंसी के क्या लक्षण होते हैं?
ओवुलेशन के बाद प्रेगनेंसी के लक्षणों में पेशाब के रंग में बदलाव आना, चक्कर आना, कब्ज और गैस की शिकायत होना शमिल हैं। इसके अलावा, दूसरे भी अन्य लक्षण हो सकते हैं।
3. प्रेगनेंसी के पहले हफ्ते में क्या होता है?
डॉक्टर के मुताबिक, प्रेगनेंसी का पहला सप्ताह महिला के आखिरी पीरियड्स के सात दिनों के बाद शुरू होता है। प्रेगनेंसी के पहले सप्ताह में एक महिला खुद में कुछ लक्षणों को अनुभव कर सकती है, जैसे कि जी मिचलाना, उल्टी होना, बार-बार पेशाब लगना, थकान होना, सिर में दर्द, पैरों में सूजन, ब्लीडिंग, ऐंठन, कमर दर्द, कब्ज, स्तनों में बदलाव आदि।
4. पीरियड आने से पहले कैसे पता करें कि प्रेग्नेंट हूं?
पीरियड्स आने से पहले प्रेगनेंसी के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:-
- स्तनों में सूजन आना और उनका संवेदनशील होना
- एरिओला का रंग गहरा होना
- बार-बार पेशाब लगना
- हल्की ब्लीडिंग होना
ऊपर दिए गए लक्षण प्रेगनेंसी की ओर इशारा कर सकते हैं।
5. प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण कितने दिन में दिखाई देते हैं?
गर्भावस्था के लक्षण आमतौर पर निषेचन के लगभग 6-8 दिन बाद दिखाई देते हैं, जब भ्रूण गर्भाशय से जुड़ जाता है। सबसे आम शुरुआती संकेतों में मासिक धर्म का न आना, स्तन में कोमलता, थकान और मतली शामिल हैं। हालाँकि, व्यक्तिगत अनुभव अलग-अलग हो सकते हैं, और कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के कुछ हफ्तों तक लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
6. प्रेग्नेंट होने के बाद भी पीरियड आता है क्या?
नहीं, प्रेग्नेंट होने के बाद महिलाओं को पीरियड्स नहीं आते। इसका कारण यह है कि गर्भाशय की परत बच्चेदानी के अंदर होती है, और उसमें बच्चे का विकास होता है, जिसके कारण पीरियड्स रुक जाते हैं।