गर्भपात क्या होता है? – Miscarriage Kya Hota Hai?
गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले भ्रूण की मृत्यु होना गर्भपात (miscarriage meaning in hindi) कहलाता है। जब किसी महिला को लगातार तीन या उससे अधिक बार गर्भपात या गर्भस्राव होता है तो उसे रीकरंट मिसकैरेज यानी ‘बार-बार गर्भपात होना’ कहते हैं। आइए गर्भपात के प्रकार, कारण, लक्षण और इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं:
गर्भपात कितने प्रकार के होते हैं?
कई महिलाओं के मन में यह प्रश्न होता है कि मिसकैरेज कैसे होते है (miscarriage kaise hota hai) तो हम दें कि जब गर्भ 20 हफ्तों से पहले अपने आप गिर जाता है तो इसे गर्भपात या मिसकैरेज कहते हैं। इसके कई प्रकार होते हैं, जिन्हें निम्न नामों से जानते हैं:
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थ्रेटेंड मिसकैरेज
यह तब होता है जब गर्भपात के लक्षण तो दिखते हैं, लेकिन गर्भ अभी भी बना रहता है और इसे सही इलाज से बचाया जा सकता है। अगर किसी महिला को उसके शुरुआती हफ्तों में हल्की ब्लीडिंग और पेट दर्द होता है, लेकिन अल्ट्रासाउंड में भ्रूण सही दिखता है, तो इसे थ्रेटेंड मिसकैरेज कहते हैं।
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इनकंप्लीट मिसकैरेज
इसमें गर्भपात हो जाता है, लेकिन गर्भ का कुछ हिस्सा गर्भाशय में रह जाता है, जिसे डॉक्टर को साफ करके निकालना पड़ता है। अगर किसी महिला को ज्यादा ब्लीडिंग होती है और गर्भ का कुछ हिस्सा बाहर आ जाता है, लेकिन वह पूर्ण रूप से नहीं निकलता है तो इसे इनकंप्लीट मिसकैरेज कहा जाता है।
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कम्प्लीट मिसकैरेज
जब गर्भ का पूरा टिशू गर्भाशय से बाहर आ जाता है और कोई मेडिकल प्रक्रिया की जरूरत नहीं पड़ती, तो इसे कम्प्लीट मिसकैरेज कहते हैं। अगर किसी महिला को तेज दर्द और ब्लीडिंग के बाद अल्ट्रासाउंड में दिखे कि गर्भाशय पूरी तरह साफ हो गया है, तो यह कम्प्लीट मिसकैरेज कहते हैं। अधूरा गर्भपात के लक्षण में योनि से ब्लीडिंग, पेट में दर्द या ऐंठन, गर्भाशय क्षेत्र में दर्द या कोमलता, बुखार, योनि से बदबूदार डिस्चार्ज होना, योनि से थक्के या टिशू निकलना आदि शामिल हैं।
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मिस्ड मिसकैरेज
इसमें एम्ब्रियो का विकास रुक जाता है, लेकिन शरीर तुरंत बाहर नहीं निकलता। आमतौर पर इसका पता जांच या अल्ट्रासाउंड से चलता है। अगर किसी महिला को कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन अल्ट्रासाउंड में एम्ब्रियो की धड़कन नहीं मिलती, तो इसे मिस्ड मिसकैरेज कहते हैं।
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रिकरंट मिसकैरेज
अगर किसी महिला को लगातार तीन या उससे ज्यादा बार गर्भपात हो जाए, तो इसे रिकरंट मिसकैरेज या बार-बार मिसकैरेज होना कहते हैं। यह किसी मेडिकल समस्या या जेनेटिक कारणों से हो सकता है। अगर कोई महिला हर बार 2-3 महीने की गर्भावस्था में गर्भ गिरने की समस्या झेलती है, तो यह रिकरंट मिसकैरेज हो सकता है।
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ब्लाइटेड ओवम
इसमें एम्ब्रियो का सही तरीके से विकास नहीं हो पाता, और गर्भाशय में खाली थैली (सैक) बनी रहती है। अगर किसी महिला को गर्भधारण के बाद कोई एम्ब्रियो विकसित नहीं होता और अल्ट्रासाउंड में केवल सैक दिखता है, तो यह ब्लाइटेड ओवम होता है।
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सेप्टिक मिसकैरेज
अगर गर्भपात के दौरान गर्भाशय में संक्रमण हो जाए, तो इसे सेप्टिक मिसकैरेज कहा जाता है। यह बहुत खतरनाक हो सकता है और तुरंत इलाज की जरूरत होती है। अगर किसी महिला को गर्भपात के बाद तेज बुखार, बदबूदार डिस्चार्ज और पेट में तेज दर्द होता है, तो यह सेप्टिक मिसकैरेज हो सकता है।
गर्भपात एक भावनात्मक और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण अनुभव हो सकता है। अगर किसी महिला को गर्भपात के लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। सही इलाज और देखभाल से भविष्य में स्वस्थ गर्भधारण की संभावना बनी रहती है।
गर्भपात के कारण – Miscarriage Kaise Hota Hai?
गर्भपात के कई कारण होते हैं। इसके मुख्य कारणों में खानपान पर ध्यान नहीं देना, पेट पर भार देना, पेट में चोट लगना या योनि में इंफेक्शन होना आदि शामिल हैं। इन सबके अलावा भी कई अन्य गर्भपात के कारण हो सकते हैं जैसे कि:-
- क्रोमोसोमल असामान्यता: जब माता-पिता या दोनों में से किसी एक के क्रोमोसोम में असमानता होने पर मिसकैरेज का खतरा होता है।
- इम्यून संबंधित समस्याएं: कई बार इम्यून संबंधित समस्याएं जैसे कि एलर्जी और अस्थमा या ऑटो इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम गर्भपात का कारण बनते हैं।
- एंडोक्रिनोलॉजिकल डिसऑर्डर: एंडोक्रिनोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे कि थायराइड, डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस और कुशिंग सिंड्रोम के कारण गर्भपात हो सकता है।
- अंडा या स्पर्म की क्वालिटी कम होना: अंडा या स्पर्म की क्वालिटी बेहतर नहीं होने पर गर्भपात का खतरा होता है।
- गर्भाशय की समस्या: जब गर्भाशय का आकार सामान्य नहीं होना या उसमें किसी तरह की कोई समस्या या बीमारी होना, गर्भपात का कारण बनते हैं।
- पीसीओडी या पीसीओएस: पॉलिसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित महिला में गर्भपात का खतरा अधिक होता है।
इन सबके अलावा, गर्भपात के अन्य कारणों में योनि या श्रोणि में संक्रमण, महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक होना, शराब और/या सिगरेट का सेवन करना, मोटापा आदि शामिल हैं।
गर्भपात के लक्षण – Miscarriage ke Lakshan
इस समस्या के कुछ खास लक्षण हैं जिसकी मदद से आपको इस बात का अंदाजा लग सकता है कि आपकी प्रेगनेंसी का गर्भपात हो रहा है या हो चुका है। इसके सामान्य लक्षणों में निम्न शामिल हैं:-
- योनि से रक्तस्राव होना
- पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द और ऐंठन
- योनि से तरल पदार्थ का डिस्चार्ज होना
- योनि से टिश्यू का डिस्चार्ज होना
- रक्तस्राव के दौरान खून के थक्के आना
- गर्भावस्था के लक्षणों का कम होना यानी स्तनों में दर्द और उल्टी कम होना या न होना
अगर आप इन लक्षणों को खुद में अनुभव करती हैं तो आपको तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
गर्भपात का निदान
गर्भपात का निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ जांचों का इस्तेमाल करते हैं जैसे कि:-
- गर्भाशय ग्रीवा की जांच: इस जांच के दौरान डॉक्टर मरीज के गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स की जांच करते हैं।
- अल्ट्रासाउंड: अल्ट्रासाउंड के दौरान डॉक्टर भ्रूण के दिल की धड़कन की पुष्टि करते हैं।
- खून जांच: खून जांच के दौरान डॉक्टर रक्त में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन के स्तर की पुष्टि करते हैं।
- टिशू की जांच: इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा से बाहर निकलने वाले टिशू की जांच करते हैं।
- क्रोमोसोम की जांच: डॉक्टर क्रोमोसोम से संबंधित समस्या की पुष्टि करने के लिए यह जांच करते हैं।
मिसकैरेज के बाद प्रेगनेंसी
अगर लक्षणों के आधार पर या जांच के दौरान डॉक्टर को इस बात की आशंका होती है कि गर्भपात का खतरा है, तो सबसे पहले डॉक्टर उसे रोकने की कोशिश करते हैं। गर्भपात के उपचार का उद्देश्य ब्लीडिंग को कम करना और संक्रमण एवं दूसरे संभावित खतरों को रोकना है।
गर्भपात का इलाज कई तरह से किया जाता है जिसमें सर्जरी, हेपरिन और एस्पिरिन, प्रोजेस्टेरोन और आईवीएफ शामिल हैं। सर्जरी की मदद से गर्भाशय की समस्याओं का इलाज किया जाता है।
खून के थक्कों को दूर करने के लिए डॉक्टर हेपरिन और एस्पिरिन दवाएं निर्धारित करते हैं। साथ ही, प्रोजेस्टेरोन दवाओं और सप्लीमेंट्स के उपयोग का भी सुझाव दिया जाता है, क्योंकि यह गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक हार्मोन हैं।
इसके अलावा, मिसकैरेज के बाद प्रेगनेंसी करने के लिए आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन का उपयोग किया जा सकता है। जिन दंपतियों को प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में समस्या होती है उनके लिए आईवीएफ एक वरदान है।
गर्भपात की संभावना को कम करने के लिए क्या करें?
गर्भवस्था नौ महीने की एक लंबी प्रक्रिया है, जिसके दौरान आपको अनेक और खासकर अपने दैनिक जीवन एवं खान-पान पर ख़ास ध्यान देने की आवश्यकता होती है। स्त्री प्रसूति रोग विशषज्ञ के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान अपनी जीवनशैली और डाइट पर ध्यान देकर गर्भपात के खतरे को कम से कम — यहाँ तक की खत्म भी किया जा सकता है।
गर्भपात के खतरे को दूर करने के लिए निम्नलिखित प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं:
- विटामिन सी से भरपूर चीजों का अत्यधिक मात्रा में सेवन न करें
- पुदीना के तेल या पुदीना की चाय का रोजाना सेवन नहीं करें
- ग्रीन टी का सेवन न करें
- वसायुक्त पदार्थ जैसे कि मक्खन और पानी से बचें
- भारी सामान न उठाएं
- नियमित रूप से अपना जांच करवाते रहें
- जंक फूड जैसे कि पिज़्ज़ा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक, पेस्ट्री आदि को ना कहें
- कम फाइबर स्टार्च वाले पदार्थ जैसे कि इंस्टेंट चावल, अंडा और नूडल्स आदि से परहेज करें
इन सबके अलावा, पपीता और अनानास का सेवन न करें, क्योंकि इसमें पपेन नामक रसायन होता है जो गर्भपात का कारण बन सकता है।
गर्भपात की संभावना को कम करने के लिए आपको अपने शरीर पर ख़ास ध्यान देना चाहिए। गर्भपात का अधिकतर खतरा पहले महीने में होता है। इसलिए जैसे ही आपको इस बात का पता चले कि आप गर्भवती हैं — तुरंत स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें, क्योंकि 80% मामलों में गर्भावस्था के शुरुआती महीने में कुछ लापरवाही या गलतियों के कारण गर्भपात होता है।
मिसकैरेज से बचाव
डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर एवं डॉक्टर की मदद से गर्भपात की रोकथाम की जा सकती है। हालाँकि, गर्भपात को पूरी तरह रोकना हमेशा संभव नहीं होता, लेकिन कुछ सावधानियां अपनाकर जोखिम कम किया जा सकता है। मिसकैरेज से बचाव के लिए निम्न बातों का पालन करें:
- संतुलित आहार: आयरन, फोलिक एसिड और प्रोटीन युक्त आहार लें।
- तनाव से बचें: मानसिक शांति के लिए योग और मेडिटेशन करें।
- संक्रमण से बचाव: साफ-सफाई का ध्यान रखें और संक्रमित लोगों से दूर रहें।
- धूम्रपान व शराब न करें: गर्भ में सही विकास के लिए जरूरी।
- रेगुलर चेकअप: डॉक्टर की सलाह लें और नियमित जांच करवाएं।
- सावधानीपूर्वक व्यायाम: हल्का व्यायाम करें, लेकिन भारी गतिविधियों से बचें।
- डॉक्टर से संपर्क बनाए रखें: गर्भावस्था के हर चरण में डॉक्टर की निगरानी में रहें।
गर्भपात के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बार-बार मिसकैरेज क्यों होता है?
हार्मोनल असंतुलन, गर्भाशय की समस्या, जेनेटिक कारण, इंफेक्शन, थायराइड, पीसीओएस या इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी के कारण बार-बार मिसकैरेज हो सकता है। डॉक्टर से जांच करवाना जरूरी है।
कैसे पता करें कि मिसकैरेज हो गया है?
हैवी ब्लीडिंग, पेट या कमर में तेज दर्द, भूरे या लाल रंग का डिस्चार्ज, कमजोरी और अचानक प्रेगनेंसी लक्षणों का खत्म होना मिसकैरेज के संकेत हो सकते हैं। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भपात की पुष्टि कैसे की जाती है?
गर्भपात की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर एचसीजी ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, भ्रूण के दिल की धड़कन की स्कैनिंग और पैल्विक टेस्ट आदि करते हैं।
क्या तनाव के कारण गर्भपात हो सकता है?
हां. तनाव गर्भपात का कारण हो सकता है। यही कारण है कि डॉक्टर गर्भवती महिला को तनाव से दूर रहने का सुझाव देते हैं।
गर्भपात (मिसकैरेज) होना कितना कॉमन है?
शोध के मुताबिक लगभग पांच में से एक गर्भावस्था गर्भपात में ख़त्म हो जाती है।