प्रेगनेंट नहीं होने के कारण और इलाज

Dr. Prachi Benara
Dr. Prachi Benara

MBBS (Gold Medalist), MS (OBG), DNB (OBG) PG Diploma in Reproductive and Sexual health

16+ Years of experience
प्रेगनेंट नहीं होने के कारण और इलाज

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प्रेगनेंसी में होने वाली परेशानी, शारीरिक और भावनात्मक तौर पर बेहद चुनौती भरा अनुभव होता है। हालांकि, मेडिकल वजहों से फिर भी दुनिया भर में लाखों-करोड़ों दंपती इस समस्या से जूझते हैं। अलग-अलग कारणों से इनफ़र्टिलिटी से जूझने वाले पति-पत्नियों को अपने देश-समाज में कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है, जिनमें सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर बढ़ते दबाव से लेकर तानेबाज़ी तक शामिल हैं। इस लेख में इनफ़र्टिलिटी के कारणों, इलाज के उपलब्ध विकल्पों और प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाने के लिए उचित सुझावों की बात की गई है। इसके अलावा, हम इस विषय से जुड़े मिथ्स और अक्सर पूछे जाने वाले सवालों को भी जानने की कोशिश करेंगे।

इनफ़र्टिलिटी क्या है?

एक साल यानी 12 महीनों तक यौन संबंध बनाने के बावजूद गर्भ धारण नहीं कर पाने की क्षमता को मेडिकल की दुनिया में इनफ़र्टिलिटी कहा जाता है। अगर महिला की उम्र 35 साल से ज़्यादा है, तो उनके लिए यह समय सीमा 6 महीने निर्धारित की गई है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। प्रेगनेंसी न होने के कई कारण हैं इसके पीछे अलग-अलग शारीरिक, पर्यावरण और लाइफ़स्टाइल से जुड़ी वजहें हो सकती हैं। इसलिए, कारगर समाधान जानने के लिए इसके कारणों का पहचानना बेहद ज़रूरी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक़ इनफ़र्टिलिटी एक वैश्विक समस्या है, जो प्रजनन के लिए अनुकूल उम्र में हर छह में से एक दंपती को प्रभावित करती है। इसलिए, इसके कारणों के साथ-साथ यह समझना भी ज़रूरी है कि इसकी वजह से लोग किस तरह चिंता, अवसाद और संबंधों में दरार जैसी समस्याओं में जूझने लगते हैं। इन समस्याओं को समझने और इसके प्रति संवेदनशील नज़रिया बनाने के साथ-साथ इनफ़र्टिलिटी को दूर करने के तरीक़ों के बारे में हम आगे बात करेंगे।

प्रेगनेंसी न होने का कारण

सबसे पहले आइए जानते हैं कि महिलाओं और पुरुषों में इनफ़र्टिलिटी की समस्या क्यों आती है।

महिलाओं में इनफ़र्टिलिटी की मुख्य वजहें

  1. फ़ैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होना
    • कारण: संक्रमण, पेल्विक इनफ़्लेमेटरी डिज़ीज़ (पीआईडी) या पहले की किसी सर्जरी की वजह से फ़ैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो सकता है।
    • असर: एग और स्पर्म आपस में मिल नहीं पाते और इस वजह से प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण करना मुमकिन नहीं हो पाता।
  2. एंड्रोमेट्रियोसिस
    • कारण: यूटरस की टिशू, यूटरस के बाहर (अक्सर ओवरीज़, फ़ैलोपियन ट्यूब या फिर पेल्विक लाइनिंग मे) फैलने लगते हैं।
    • असर: इससे ओव्यूलेशन और इंप्लांटेशन की प्रक्रिया बाधित होती है। इस वजह से काफ़ी दर्द महसूस हो सकता है और यह इनफ़र्टिलिटी की वजह बनता है। एंड्रोमेट्रियोसिस की वजह से दुनिया की 25-50% महिलाएं इनफ़र्टिलिटी से जूझती हैं।
  3. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
    • कारण: हार्मोन में होने वाले असंतुलन की वजह से ओव्यूलेशन की प्रकिया अनियमित हो जाती है, ओवरी में सिस्ट हो जाता है या फिर दूसरे लक्षण दिखने लगते हैं।
    • असर: यह इनफ़र्टिलिटी के सबसे आम कारणों में से एक है और इससे दुनिया भर की 10 फ़ीसदी महिलाएं प्रभावित होती हैं।
  4. उम्र की वजह से क्षमता में गिरावट
    • कारण: बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं के एग की संख्या और गुणवत्ता में गिरावट आने लगती है। ख़ासकर 35 साल के बाद।
    • असर: 40 साल की उम्र तक महिलाओं में प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण करने की क्षमता गिरकर प्रति साइकल लगभग 5 फ़ीसदी रह जाती है।
  5. यूटरस या फिर सर्विक्स से जुड़ी समस्याएं
    • कारण: फ़ाइब्रॉयड्स, पॉलिप्स या सर्वाइकल म्यूकस में गड़बड़ियों की वजह से गर्भ धारण करने में रुकावट आ सकती है।
    • असर: इन वजहों से एग तक स्पर्म नहीं पहुंच पाते और इंप्लांटेशन की प्रक्रिया बाधित हो जाती है।

पुरुषों में इनफ़र्टिलिटी की मुख्य वजहें

  • स्पर्म काउंट में कमी: प्रति मिलीलीटर डेढ़ करोड़ से कम स्पर्म काउंट होने से फ़र्टिलिटी क्षमता में काफ़ी गिरावट आ जाती है। लाइफ़स्टाइल में बदलाव या स्पर्म रिट्रीवल तकनीक के ज़रिए स्पर्म काउंट बढ़ाया जा सकता है।
  • कमज़ोर स्पर्म मोबिलिटी: अगर स्पर्म सही तरीक़े से तैर नहीं रहा, तो वह एग तक नहीं पहुंच पाएगा और इस तरह एग फ़र्टिलाइज़ नहीं हो पाएगा। इंट्रायूटराइन इनसेमिनेशन (आईयूआई) या आईवीएफ़ जैसी तकनीक से इस समस्या को हल किया जा सकता है।
  • असामान्य स्पर्म मोर्फ़ोलॉजी: अनियमित आकार के स्पर्म होने से भी एग को फ़र्टिलाइज़ होने में परेशानी आती है। इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) एक विकल्प है, जिसमें सिंगल स्पर्म को सीधे एग में इंजेक्ट कर दिया जाता है।

इनके अलावा, धूम्रपान, शराब पीने, ड्रग के सेवन या किसी भी विषैली चीज़ों के संपर्क में रहने से स्पर्म की क्वालिटी में गिरावट आ सकती है।

केस स्टडी: 35 साल के एक युवक ने सिगरेट, शराब छोड़कर और पौष्टिक आहार अपनाकर अपने स्पर्म काउंट में सुधार किया और इस वजह से छह महीने के भीतर उसे इनफ़र्टिलिटी की समस्या से निज़ात मिल गई।

स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं और हार्मोनल असंतुलन

  • थाइरॉयड डिसऑर्डर: हाइपोथाइरॉयडिज़म और हाइपरथाइरॉयडिज़म, दोनों ही ओव्यूलेशन और स्पर्म प्रोडक्शन को प्रभालित कर सकते हैं।
  • डाइबिटीज़: अनियंत्रित डाइबिटीज़ का असर हार्मोन बैलेंस, सेक्शुअल फ़ंक्शन और स्पर्म की क्वालिटी पर पड़ता है।
  • प्रोलैक्टिन असंतुलन: प्रोलैक्टिन का बढ़ा हुआ स्तर, ओव्यूलेशन और स्पर्म के प्रॉडक्शन को प्रभावित कर सकता है।

लाइफ़स्टाइल का प्रजनन क्षमता पर असर

तनाव और भावनात्मक स्वास्थ्य

लगातार मानसिक तनाव का असर फ़र्टिलिटी के ऊपर पड़ सकता है। कोर्टिसोल जैसे मानसिक तनाव से जुड़े हार्मोन के बढ़ने से ओव्यूलेशन और स्पर्म प्रॉडक्शन के लिए ज़रूरी हार्मोन संतुलन बिगड़ सकता है। रिसर्च के मुताबिक़ तनाव को मैनेज करने से फ़र्टिलिटी की संभावना बेहतर हो जाती है। योगा, मेडिटेशन और इस तरह की बाक़ी थेरेपी से तनाव कम हो सकता है।

आहार और पोषण

फ़र्टिलिटी के ऊपर पोषण का काफ़ी असर होता है। ज़रूरी विटामिन और मिनरल की कमी से प्रजनन तंत्र कमज़ोर हो सकता है। फ़ोलिक एसिड, ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड, आयरन और विटामिन डी ख़ास तौर पर इसके लिए बेहद ज़रूरी है। हरी पत्तेदार साग-सब्ज़ियां, सैलमन, अवाकाडो, साबुत अनाज और नट्स के सेवन से फ़र्टिलिटी क्षमता मे सुधार हो सकता है।

शारीरिक वज़न

ज़्यादा या कम वज़न से भी हार्मोन का स्तर और फ़र्टिलिटी की क्षमता प्रभावित होती है। रिसर्च बताते हैं कि 18.5 से लेकर 24.9 की सीमा से बाहर बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाली महिलाओं में इनफ़र्टिलिटी के मामले ज़्यादा देखे जाते हैं। ज़्यादा बीएमआई वाले पुरुषों में स्पर्म की क्वालिटी अच्छी नहीं होती।

ज़हरीले या नशीले पदार्थों से संपर्क

शराब और सिगरेट के सेवन के अलावा, कीटनाशक, प्लास्टिक और औद्योगिक कचरों के साथ नियमित संपर्क में रहने से भी फ़र्टिलिटी की क्षमता में गिरावट आती है। वैज्ञानिक अध्ययनों में पता चला है कि एंडोक्राइन-डिसरप्टिंग केमिकल का असर ओव्यूलेशन और स्पर्म काउंट के ऊपर पड़ता है।

फ़र्टिलिटी के लिए डॉक्टर से कब संपर्क करें?

प्रजनन से जुड़ी समस्याओं के उपचार के लिए यह जानना बेहद ज़रूरी है कि आपको कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सही समय पर डॉक्टर से सलाह लेने से फ़र्टिलिटी की गुंजाइश बढ़ जाती है।

  • 35 साल से कम उम्र में: अगर 12 महीनों तक नियमित यौन संबंध बनाने से बावजूद बच्चा नहीं ठहरता।
  • 35 साल से ज़्यादा उम्र में: अगर छह महीनों तक नियमित यौन संबंध बनाने के बावजूद बच्चा नहीं ठहरता।
  • बार-बार गर्भपात: ऐसे मामलों में डॉक्टर की सलाह बेहद ज़रूरी है।

ज़रूरी टेस्ट और स्क्रीनिंग

महिलाओं के लिए

टेस्ट क्या होता है
ब्लड टेस्ट हार्मोन से जुड़ी जानकारी (एएमएच, एफ़एसएच, एलएच)
अल्ट्रासाउंड ओवेरियन हेल्थ और यूटरस के स्ट्रक्चर का पता चलता है
हिस्टेरियोसालपिंगोग्राफ़ी (एचएसजी) फ़ैलोपियन ट्यूब के ब्लॉकेज और यूटराइन एबनॉर्मलिटी का पता चलता है

 

पुरुषों के लिए 

टेस्ट क्या होता है
सीमेन एनालिसिस इससे स्पर्म काउंट, मोबिलिटी और मोर्फ़ोलॉजी का पता चलता है
हार्मोन टेस्ट इससे स्पर्म प्रॉडक्शन पर असर डालने वाले हार्मोनल असंतुलन का पता चलता है
स्क्रोटल अल्ट्रासाउंड वैरिकोसील या दूसरी तरह की स्ट्रक्चरल समस्याओं का पता चलता है

 

प्रेग्नेंट होने का उपाय और इलाज के विकल्प

मेडिकल उपचार

  • क्लोमिफ़ेन साइट्रेट: यह महिला में ओव्यूलेशन को उत्तेजित करने वाली दवा है।
  • गोनाडोट्रोपिंस: एग प्रॉडक्शन को बढ़ावा देने के लिए यह एक हार्मोनल इंजेक्शन है।
  • मेटफ़ॉर्मिन: पीसीओएस वाली महिलाओं में इंसुलिन सेनसिटिविटी ठीक करने वाली दवा है।

असिस्टेड रिप्रोडक्शन टेकनीक (एआरटी)

  • इंट्रायूटराइन इनसेमिनेशन (आईयूआई): स्पर्म को सीधे यूटरस में डाला जाता है, ताकि गर्भधारण की संभावना बढ़ सके।
  • इन विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशन (आईवीएफ़): एग को शरीर के बाहर फ़र्टिलाइज़ किया जाता है और बाद में इसे यूटरस में इंप्लांट किया जाता है।
  • इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई): इसमें सिंगल स्पर्म को सीधे एग में इंजेक्ट किया जाता है, ताकि स्पर्म की मोबिलिटी की समस्या को ख़त्म किया जा सके।

सर्जरी के विकल्प

  • फ़ाइब्रॉइड या पॉलिप हटाना: महिलाओं के यूटरस में मौजूद गड़बड़ियों को सर्जरी के ज़रिए ठीक किया जा सकता है।
  • फ़ैलोपियन ट्यूब सर्जरी: लैप्रोस्कोपिक प्रक्रियाओं के ज़रिए ट्यूब को अनब्लॉक किया जा सकता है।

प्रेगनेंसी नहीं हो रही तो क्या करे? यह सवाल कई बार लोगों के दिमाग़ में आता है। आइए अलग-अलग स्थितियों के लिए इलाज के विकल्प को इस टेबल में आसानी से समझते हैं।

स्थिति उपचार के विकल्प
ओव्यूलेशन डिसऑर्डर क्लोमिफीन, लेट्रोज़ोल या गोनाडोट्रोपिन जैसी प्रजनन संबंधी दवाएं
फ़ैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज सर्जरी या ट्यूब को बायपास करने के लिए आईवीएफ़
एंडोमेट्रियोसिस हार्मोनल थेरेपी या लेप्रोस्कोपिर सर्जरी
लो स्पर्म काउंट दवाएं, लाइफ़स्टाइल में बदलाव या सर्जिकल तरीक़े

 

केस स्टडी: इनफ़र्टिलिटी से आगे की राह

चुनौती

अर्जुन और ऋतु, पति-पत्नी हैं और दोनों की उम्र 30 साल से ज़्यादा है। बीते दो साल से वे माता-पिता बनने की पूरी कोशिश कर रहे थे। नियमित कोशिशों के बावजूद, ऋतु गर्भ धारण नहीं कर पा रही थी। ऋतु को अनियमित पीरियड और अर्जुन को हाई प्रेशर वाली नौकरी की वजह से लगातार तनाव से जूझना पड़ रहा था।

क्या थी समस्या

डॉक्टर की सलाह के बाद पता चला कि ऋतु को पीसीओएस है और अर्जुन के स्पर्म की मोबिलिटी कम है।

उपचार

ऋतु को पीसीओएस मैनेज करने के लिए मेटफ़ॉर्मिन दी गई और आहार में बदलाव करने की सलाह दी गई। वहीं, अर्जुन ने तनाव मैनेज करने के लिए थेरेपी ली और अपनी लाइफ़स्टाइल में बदलाव किए। आख़िरकार प्रेगनेंसी कंसीव करने के उपाय कारगर साबित हुए और उन्होंने आईयूआई का विकल्प चुना। इस तरह, ऋतु का सपना पूरा हुआ।

चेकलिस्ट: गर्भ धारण की तैयारी

काम क्यों ज़रूरी है
प्रेगनेंट होने से पहले चेक-अप कराएं इससे संभावित समस्याओं की पहचान और उन्हें ठीक करना आसान होता है
ओव्यूलेशन साइकल पर नज़र रखें इससे गर्भ धारण करने की संभावना ज़्यादा होती है
प्री-नैटल विटामिन लें भ्रूण के शुरुआती विकास के लिए ज़रूरी है
कैफ़ीन का सेवन कम करें ज़्याद मात्रा में कैफ़ीन से फ़र्टिलिटी की क्षमता कमज़ोर होती है
लंबे समय से कोई स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है, तो उसका इलाज कराएं डाइबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर को मैनेज करना फ़र्टिलिटी के लिए बेहद ज़रूरी है

 

फ़र्टिलिटी से जुड़े मिथ्स और फ़ैक्ट्स

मिथ्स फ़ैक्ट्स
इनफ़र्टिलिटी हमेशा महिलाओं में होती है पुरुष और महिला, दोनों समान रूप से इनफ़र्टिलिटी के शिकार हो सकते हैं
उम्र का असर पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर नहीं पड़ती पुरुषों की प्रजनन क्षमता भी उम्र के साथ कम होती जाती है और उनके स्पर्म की गुणवत्ता और संख्या कम होने लगती है
सिर्फ़ मानसिक तनाव की वजह से इनफ़र्टिलिटी होती है तनाव का असर हमारे स्वास्थ्य पर निश्चित रूप से पड़ता है, लेकिन इनफ़र्टिलिटी के पीछे तनाव के अलावा स्वास्थ्य से जुड़ी और भी मेडिकल वजहें हैं
आईवीएफ़ सिर्फ़ पहली बार में क़ामयाब होता है आईवीएफ़ की क़ामयाबी की दर उम्र और अन्य स्थितियों पर निर्भर करती है

 

इनफ़र्टिलिटी को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल: इनफ़र्टिलिटी कितना सामान्य है?

जवाब: इनफ़र्टिलिटी दुनियाभर में लगभग 10–15% दंपत्तियों को प्रभावित करता है, जिसमें पुरुष और महिलाओं की संख्या लगभग समान है।

सवाल: क्या लाइफ़स्टाइल में बदलाव करने से प्रजनन क्षमता में सुधार हो सकता है?

जवाब: हां, सही वज़न मेनटेन करना, पौष्टिक आहार लेना, सिगरेट, शराब और विषैली चीज़ों से दूरी बरतने से प्रजनन क्षमता पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।

सवाल: क्या इनफ़र्टिलिटी स्थायी होती है?

जवाब: ज़रूरी नहीं। इनफ़र्टिलिटी के कई कारण लाइफ़स्टाइल में बदलावों, दवाओं या आधुनिक तकनीकों की मदद से ठीक किए जा सकते हैं।

सवाल: क्या गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल से इनफ़र्टिलिटी होती है?

जवाब: नहीं, गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल से इनफ़र्टिलिटी नहीं होती। इन गोलियों का इस्तेमाल बंद करने पर ओव्यूलेशन की प्रकिया आम तौर पर दोबारा शुरू हो जाती है।

निष्कर्ष

इनफ़र्टिलिटी एक जटिल समस्या है, लेकिन इसका इलाज मुमकिन है। समय पर डॉक्टर से सलाह लेने, स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और मानसिक तौर पर तनाव मुक्त रहने से प्रजनन क्षमता को बेहतर किया जा सकता है। आईवीएफ़ और हार्मोनल थेरेपी जैसी आधुनिक तकनीक दंपत्तियों के लिए आशा की किरण बनकर सामने आई है। यह बहुत ज़रूरी है कि फ़र्टिलिटी से जुड़ी जानकारी आप रखें, लेकिन उससे भी ज़रूरी है किसी भी तरह के इलाज का फ़ैसला सिर्फ़ डॉक्टर की सलाह के बाद ही लें।

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