पीरियड्स में पेट में दर्द की समस्या: क्या हो सकते हैं कारण?

Dr. Prachi Benara
Dr. Prachi Benara

MBBS (Gold Medalist), MS (OBG), DNB (OBG) PG Diploma in Reproductive and Sexual health

16+ Years of experience
पीरियड्स में पेट में दर्द की समस्या: क्या हो सकते हैं कारण?

पीरियड्स एक महिला के प्रजनन स्वास्थ्य का एक प्राकृतिक और आवश्यक पहलू है, लेकिन कई महिलाओं के लिए, यह कुछ असुविधाओं के साथ आता है। एक आम शिकायत पेट दर्द है, जिसे पीरियड्स में ऐंठन या डिसमेनोरिया भी कहते हैं। पीरियड्स के दौरान पेट दर्द के कारणों को समझने और प्रभावी मैनेजमेंट रणनीतियों को अपनाने से महिलाओं को इस समस्या से आसानी से निपटने में मदद मिल सकती है।

पीरियड में पेट दर्द क्यों होता है

पीरियड्स में पेट दर्द के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे कि यूटेराइन कॉन्ट्रैक्शन, प्रोस्टाग्लैंडिंस, एंडोमेट्रियोसिस, फाइब्रॉएड, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी), एडेनोमायोसिस, ओवेरियन सिस्ट, सर्वाइकल स्टेनोसिस, आईयूडी प्लेसमेंट आदि।

आइए पीरियड्स के दौरान पेट दर्द के कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं:

  1. यूटेराइन कॉन्ट्रैक्शन: पीरियड्स के दौरान यूट्रस (गर्भाशय) अपनी परत को छोड़ने के लिए सिकुड़ने लगता है। मजबूत कॉन्ट्रैक्शन से दर्द हो सकता है, क्योंकि वह यूट्रस की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह और ऑक्सीजन की आपूर्ति को अस्थायी रूप से कम कर देता है।
  2. प्रोस्टाग्लैंडिंस: प्रोस्टाग्लैंडिंस नामक हार्मोन जैसे यौगिक यूटेराइन कॉन्ट्रैक्शन को ट्रिगर करते हैं। उच्च स्तर अधिक तीव्र ऐंठन और असुविधा पैदा कर सकता है।
  3. एंडोमेट्रियोसिस: यह स्थिति तब होती है जब यूट्रस की परत के समान टिशू गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगते हैं। इससे पीरियड्स में गंभीर दर्द हो सकता है।
  4. फाइब्रॉएड: यूट्रस में गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि पीरियड्स के दौरान हेवी ब्लीडिंग और ऐंठन में योगदान कर सकती है।
  5. पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी): प्रजनन अंगों के संक्रमण से पेल्विक दर्द हो सकता है, जो पीरियड्स के दौरान खराब हो सकता है।
  6. एडेनोमायोसिस: एंडोमेट्रियोसिस के समान, इस स्थिति में यूट्रस की परत यूट्रस की मांसपेशियों में बढ़ती है, जिससे पीरियड्स के दौरन पेट में दर्द होता है।
  7. ओवेरियन सिस्ट: ओवरी पर द्रव से भरी थैली असुविधा पैदा कर सकती है, खासकर पीरियड्स के समय जिससे दर्द होता है।
  8. सर्वाइकल स्टेनोसिस: एक संकीर्ण यूटेराइन सर्विक्स पीरियड्स के ब्लड फ्लो में बाधा डाल सकती है, जिससे पीरियड्स के दौरान होने वाला दबाव और दर्द बढ़ सकता है।
  9. आईयूडी प्लेसमेंट: कुछ महिलाओं को इंट्रायूटेराइन डिवाइस (आईयूडी) डालने के बाद दर्द और ऐंठन का अनुभव होता है।
  10. सेकेंडरी डिसमेनोरिया:पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, एंडोमेट्रियोसिस या फाइब्रॉएड जैसी अंतर्निहित स्थितियां अधिक गंभीर ऐंठन का कारण बन सकती हैं।

मासिक धर्म के दौरान पेट दर्द के लक्षण

आमतौर पर पीरियड्स में पेट दर्द होने के अलावा आप खुद में अन्य लक्षणों को भी अनुभव कर सकती हैं जैसे कि:

  • मितली और उल्टी होना
  • चक्कर आना और बेहोशी होना
  • बिना किसी मतलब के पसीना आना
  • पेट में सूजन और सिर में दर्द होना
  • कब्ज और दस्त की शिकायत होना
  • पेट के निचले हिस्से और जाँघों में दर्द

अगर आप खुद में ऊपर दिए गए लक्षणों को अनुभव करती हैं या आपके लक्षण समय के साथ बदतर होते हैं, ब्लड क्लॉट एक चौथाई से बड़े होते हैं या पीरियड्स के बाद भी पेट दर्द बना रहता है तो बिना देरी किए एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।

पीरियड में दर्द का इलाज

पीरियड्स के दौरान होने वाले पेट का दर्द का इलाज करने के अनेक तरीके हैं जिसमें हीट थेरेपी, हाइड्रेशन, हेल्दी डाइट, रेगुलर व्यायाम, विश्राम तकनीक, एक्यूपंक्चर आदि शामिल हैं।

आइए पीरियड्स के दौरान पेट दर्द का उपचार के बारे में विस्तार से जानते हैं:

  1. हीट थेरेपी: पेट के निचले हिस्से पर हीटिंग पैड या गर्म पानी की बोतल लगाने से मांसपेशियों को आराम मिल सकता है और दर्द कम हो सकता है।
  2. हाइड्रेशन: अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहना समग्र स्वास्थ्य का सपोर्ट करता है और ऐंठन को कम करने में मदद कर सकता है।
  3. स्वस्थ आहार: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कम फैट वाले प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार बेहतर मेंस्ट्रुअल हेल्थ में योगदान देते हैं।
  4. व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करती है, तनाव कम करती है और पीरियड्स की परेशानी को कम कर सकती है।
  5. विश्राम तकनीक: गहरी साँस लेना, ध्यान और योग जैसे अभ्यास तनाव को मैनेज करने और मांसपेशियों को आराम देने में मदद कर सकते हैं।
  6. एक्यूपंक्चर: कुछ महिलाओं को एक्यूपंक्चर के माध्यम से पीरियड्स के दर्द से राहत मिलती है। एक्सपर्ट से परामर्श करने के बाद इसे भी आजमा सकती हैं।
  7. आराम: पीरियड्स के दौरान पर्याप्त नींद और आराम दर्द को प्रबंधित करने और समग्र हेल्थ को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

इन सबके अलावा, कैफीन और अल्कोहल को सीमित करना भी फायदेमंद साबित होता है। इससे ऐंठन और असुविधा को कम करने में मदद मिल सकती है।

पीरियड में पेट दर्द की टेबलेट

पीरियड के दौरान पेट में दर्द होने पर डॉक्टर कुछ टैबलेट भी निर्धारित कर सकते हैं जैसे कि:

  1. हार्मोनल दवाएं: गंभीर मामलों में डॉक्टर हार्मोनल दवाएं लिख सकते हैं जिनका सेवन पेट दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।
  2. पेन किलर्स: इबुप्रोफेन या नेप्रोक्सन जैसी ओवर-द-काउंटर पेट किलर टैबलेट पेट में ऐंठन और सूजन को कम करने में मदद कर सकती हैं।
  3. हार्मोनल बर्थ कंट्रोल: बर्थ कंट्रोल पिल्स, पैच या अंतर्गर्भाशयी उपकरण (इंट्रायूटेराइन डिवाइस) आदि पीरियड्स के कारण होने वाले पेट दर्द और ऐंठन को कम करने में मदद कर सकते हैं।

साथ ही, आपकी निजी ज़रूरतों और समग्र स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर अन्य टैबलेट लेने का सुझाव भी दे सकते हैं। आपको बस इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार के टैबलेट का सेवन न करें।

पीरियड में पेट दर्द का घरेलू उपाय

पीरियड्स के दौरान पेट में दर्द होने पर आप कुछ घरेलू उपायों को भी आजमा सकती हैं। इनसे आपको पेट में हो रहे दर्द और ऐंठन से राहत मिल सकती है। घरेलू उपायों में निम्न शामिल हैं:

  1. हीट पैड: कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान मसल्स क्रैम्प्स होते हैं जिसके कारन उन्हें दर्द और अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में हीट पैड का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। पेट के जिस हिस्से में दर्द हो वहां पर गर्म पानी की थैली या हीटिंग पैड से सिकाई करें। इससे पेट और उसके आसपास ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है जो पेट दर्द और ऐंठन से राहत दिलाने में मदद करता है।
  2. पर्याप्त मात्रा में लिक्विड लें: अपने शरीर को हमेशा हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में लिक्विड लें। लिक्विड में पानी, जूस, नारियल पानी आदि शामिल हैं। आपको जिन फलों या सब्जियों से से एलर्जी है उसका जूस पीने से बचें। दिन भर में कम से कम 2-3 लीटर पानी पीने का लक्ष्य रखें। बॉडी हाइड्रेट रहने से पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द और ऐंठन से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
  3. हेल्दी डाइट लें: हेल्दी डाइट लेने से आपको पीरियड्स के दौरान होने वाले पेट दर्द और ऐंठन के अलावा अन्य भी फायदे होते हैं। शोध से यह बात सामने आई है कि हाई फैट डाइट लेने वाली महिलाओं की तुलना में लो फैट डाइट फॉलो करने वाली महिलाओं में पीरियड्स के दौरान कम से कम दर्द और असुविधा होती है। साथ ही, अनहेल्दी डाइट लेने वाली महिलाओं में डिसमेनोरिया का खतरा भी अधिक होता है। इसलिए यह आवश्यक है कि आप पौष्टिक आहार लें, कम फैट वाला भोजन करें और ज़रूरत होने पर डायटीशियन की मदद लें।

इन सबके अलावा, नशीले पदार्थों के सेवन से बचें, चीनी या प्रोसेस्ड फूड्स आदि को सीमित करें या उन्हें न कहें, कैफीन का सेवन सीमित या कम करें और बिच-बिच में अपने डॉक्टर से परामर्श लेते रहें।

निष्कर्ष

पीरियड्स के दौरान पेट दर्द एक महिला के प्रजनन स्वास्थ्य का एक सामान्य और अक्सर प्रबंधनीय पहलू है। अंतर्निहित कारणों को समझकर और प्रभावी मैनेजमेंट रणनीतियों को लागू करके, महिलाएं पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को कम और अपने समग्र स्वास्थ्य में सुधार कर सकती हैं।

ओवर-द-काउंटर दर्द से राहत से लेकर विश्राम तकनीकों और स्वस्थ जीवन शैली विकल्पों तक, पीरियड्स की ऐंठन की चुनौतियों से निपटने में मदद करने के लिए कई दृष्टिकोण हैं। यदि दर्द गंभीर या लगातार है, तो यह सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा सलाह लेना आवश्यक है कि किसी भी अंतर्निहित स्थिति को ठीक से एड्रेस किया जाए, जिससे महिलाओं को पीरियड्स के दौरान दर्द या अन्य समस्याओं का सामना न करना पड़े।

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