Sperm Count in Hindi: शुक्राणु की कमी के कारण, लक्षण और इलाज

Dr. Deepika Nagarwal
Dr. Deepika Nagarwal

MBBS, MS (Obstetrics and Gynaecology), DNB, DCR (Diploma in clinical ART)​

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Sperm Count in Hindi: शुक्राणु की कमी के कारण, लक्षण और इलाज

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शुक्राणु क्या है?

स्पर्म को हिन्दी में शुक्राणु (Sperm Meaning in Hindi) कहते हैं। यह पुरुष के सीमेन में मौजूद होता है। इसकी उपस्थिति ही एक महिला को गर्भवती बनने में सहयोग करती है। शुक्राणु, महिला के अंडे के साथ निषेचित होकर एक बच्चे को पैदा करने के लिए जिम्मेदार होता है। इसका उत्पादन वृषण (Testicle) में होता है। आइए शुक्राणु के बारे में विस्तार से जानते हैं।

शुक्राणु में कमी क्या है?

वीर्य में सामान्य से कम शुक्राणुओं की स्थिति को शुक्राणु में कमी यानी स्पर्म काउंट कम होना कहते हैं। आमतौर पर जब एक पुरुष के वीर्य में 1.5 करोड़ प्रतिलीटर से कम शुक्राणु होते हैं तो उसे मेडिकल की भाषा में “शुक्राणु में कमी” कहते हैं।

शुक्राणु में कमी होने की स्थिति को मेडिकल भाषा में “ओलिगोस्पर्मिया” कहते हैं, लेकिन जब वीर्य में शुक्राणु पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं तो उसे “एजुस्पर्मिया” कहा जाता है। ओलिगोस्पर्मिया वाले पुरुषों में प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से कम शुक्राणु की मात्रा होती है। गर्भधारण करने के लिए वीर्य में शुक्राणु की पर्याप्त मात्रा आवश्यक है।

शुक्राणु में कमी होने पर गर्भधारण करने यानी पिता बनने में दिक्कत आती है। हालांकि, कुछ मामलों में शुक्राणु की कमी के बावजूद भी कुछ पुरुष बच्चा पैदा करने में सक्षम हो पाते हैं।

वैसे तो महिला के अंडा को निषेचित (Fertilise) करने के लिए एक ही शुक्राणु चाहिए, लेकिन शुक्राणु की संख्या जितनी अधिक होती है, गर्भावस्था की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है।

सक्रिय शुक्राणु क्या है?

सक्रिय शुक्राणु (Motile Sperm in Hindi) का मतलब है अच्छे यानी स्वस्थ शुक्राणु से, जिसकी पहचान उसकी संख्या, गति और आकार के आधार पर की जाती है। ये तीनों एक शक्रिय शुक्राणु की गुणवत्ता को दर्शाते हैं। सक्रिय शुक्राणु तेजी से और सही दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। गर्भधारण के लिए शुक्राणु का अंडों तक पहुंचना आवश्यक होता है और इसके लिए उनका सक्रिय और गतिशील होना ज़रूरी है। स्पर्म मोटिलिटी (Sperm Motility) यानी शुक्राणुओं की गति प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है।

असक्रिय शुक्राणु क्या है?

असक्रिय शुक्राणु (Immotile Sperm in Hindi) का मतलब बेकार शुक्राणु से है जो अपने स्थान से हिल-डुल नहीं सकते। ये कई प्रकार के होते हैं। दो सिर, छोटे सिर, बड़े सिर, पतली या मुड़ी हुई गर्दन, दो या दो से अधिक पूंछ होना आदि असक्रिय शुक्राणु की पहचान है। चूंकि गर्भधारण के लिए शुक्राणुओं का अंडों तक पहुंचना जरूरी होता है, इसलिए असक्रिय शुक्राणु पुरुष में निःसंतानता (Male Infertility) का एक प्रमुख कारण हो सकते हैं।

शुक्राणु का आकार 

शुक्राणु का आकार तीन हिस्सों में विभाजित होता है जिसमें सिर, गर्दन और पूंछ शामिल हैं। शुक्राणु का सिर आमतौर पर 5-6 माइक्रोमीटर लंबा और 2.5 से 3.5 माइक्रोमीटर चौड़ा होता है। साथ ही, शुक्राणु के सिर पर एक टोपी के आकार की रचना होती है जो उसके सिर के 40% से 70% हिस्से को ढकती है।

शुक्राणु की संरचना

  • सिर (Head): इसमें न्यूक्लियस होता है, जो पिता का आनुवंशिक पदार्थ (DNA) लेकर जाता है। सिर के आगे एक्रोसोम (Acrosome) नामक हिस्सा होता है, जो अंडों की बाहरी झिल्ली को पार करने में मदद करता है।
  • गर्दन (Neck): यह सिर और मध्य भाग (Midpiece) को जोड़ता है और ऊर्जा के प्रवाह को कंट्रोल करता है।
  • मध्य भाग (Midpiece): इसमें माइटोकॉन्ड्रिया होते हैं, जो शुक्राणु को आगे बढ़ने के लिए एनर्जी प्रदान करते हैं।
  • पूंछ (Tail/Flagellum): यह शुक्राणु को तेजी से आगे बढ़ने में मदद करती है।

शुक्राणु के सही आकार का महत्व

  • सही संरचना वाला शुक्राणु अंडे तक आसानी से पहुंच सकता है।
  • सिर का सही आकार निषेचन (Fertilization) में मदद करता है।
  • माइटोकॉन्ड्रिया की पर्याप्त मात्रा शुक्राणु को गतिशील बनाए रखती है।
  • पूंछ की लंबाई और लचीलापन शुक्राणु की गति को प्रभावित करते हैं।

असामान्य शुक्राणु आकार

कई बार शुक्राणु का आकार असामान्य हो सकता है, जैसे कि:

  • बड़ा या छोटा सिर जो निषेचन की क्षमता को प्रभावित करता है।
  • कुंडलित या दोहरी पूंछ जिसके कारण शुक्राणु को तेजी से आगे बढ़ने में कठिनाई होती है।
  • असमान मध्य भाग जिससे ऊर्जा की कमी के कारण शुक्राणु कमजोर हो सकता है।

शुक्राणु की संख्या

एक सीमेन के नमूने (Sample) में 40-300 मि.ली शुक्राणु होना आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अगर किसी के सीमेन सैंपल में शुक्राणु की मात्रा 15 मि.ली से  कम है तो उस पुरुष को पिता बनने में परेशानी होगी।

शुक्राणु की गति

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एक सीमेन के सैंपल में 40% शुक्राणु सक्रिय होने चाहिए और उनकी गति 25μm/s होना आवश्यक है।

  • आमतौर पर, शुक्राणु सैम्पल में कम से कम 40% शुक्राणु गतिशील होने चाहिए।
  • शुक्राणुओं में से 32% से ज़्यादा शुक्राणुओं को प्रगतिशील गतिशीलता दिखानी चाहिए।
  • शुक्राणु की गतिशीलता कम होने को एस्थेनोज़ोस्पर्मिया कहते हैं। 
  • शुक्राणु गतिशीलता कम होने से गर्भधारण करने में मुश्किलें आती हैं।

शुक्राणु गतिशीलता को बढ़ाने के लिए, नियमित व्यायाम, सही मात्रा में नींद लेना और कुछ सप्लीमेंट्स लेना फायदेमंद हो सकता है.

शुक्राणु की जांच

शुक्राणु में कमी का निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ खास जांच का सहारा लिया जाता है जैसे कि:-

  • सामान्य शारीरिक परीक्षण
  • वीर्य विश्लेषण
  • हार्मोन परीक्षण
  • जेनेटिक परीक्षण
  • टेस्टिक्युलर बायोप्सी
  • अंडकोष का अल्ट्रासाउंड
  • ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड टेस्ट
  • इजैक्युलेशन के बाद यूरिन की जांच
  • शुक्राणु रोधक एंटीबॉडी परीक्षण
  • शुक्राणु के विशेष कार्य का परीक्षण

इन सभी जांचों की मदद से डॉक्टर शुक्राणु में कमी के कारण और स्तर की पुष्टि करते हैं। उसके बाद, इलाज शुरू करते हैं।

शुक्राणु की कमी के कारण

शुक्राणु की कमी के अनेक कारण होते हैं। इसका उत्पादन एक जटिल और लंबी प्रक्रिया है। शुक्राणु के उत्पादन के लिए वृषण (Testis) के साथ-साथ हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्लैंड का सामान्य रूप से काम करना आवश्यकता है।

वृषण में शुक्राणु का उत्पादन होने के बाद, ये जब तक वीर्य में मिल कर लिंग के जरिए बाहर नहीं निकल जाते, एक पतली ट्यूब में रहते हैं। इनमें से किसी भी अंग के ठीक तरह से काम नहीं करने या उनमें किसी तरह की समस्या होने पर, शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता प्रभावित होती है।

शुक्राणु की कमी के निम्न मेडिकल कारण हो सकते हैं:-

  • संक्रमण
  • वैरीकोसेल
  • हार्मोन असंतुलन
  • स्खलन समस्याएं
  • ट्यूमर
  • सीलिएक रोग
  • शुक्राणु वाहिनी में दोष
  • शुक्राणु रोधक एंटीबॉडी
  • कुछ खास प्रकार की दवाएं

शुक्राणु की कमी के पर्यावरण संबंधित कारण:- 

  • विकिरण या एक्स-रे
  • भारी धातु के संपर्क में आना
  • वृषण का अधिक गर्म होना
  • लंबे समय तक साइकिल चलाना

जीवनशैली से संबंधित शुक्राणु में कमी के कारण:-

  • नशीली चीजों का सेवन
  • कुछ खास प्रकार की दवाओं का सेवन
  • शराब और सिगरेट का सेवन
  • तनाव होना
  • वजन बढ़ना या मोटापा होना

शुक्राणु की कमी के लक्षण

वैसे तो शुक्राणु कम होने के अनेक लक्षण हैं, लेकिन इसका मुख्य लक्षण है एक पुरुष को बच्चा पैदा करने में असमर्थ होना। शुक्राणु कम होने के कारण यह महिला के अंडा को निषेचित नहीं कर पाता है। नतीजतन, महिला गर्भधारण करने में असफल हो जाती है।

शुक्राणु की कमी के लक्षणों में निम्न शामिल हैं:-

  • यौन समस्याएं होना
  • कामेच्छा में कमी आना
  • लिंग में तनाव बनाए रखने में दिक्कत आना
  • स्तंभन दोष या नपुंसकता होना
  • वृषण क्षेत्र में दर्द, सूजन या गांठ होना
  • चेहरे या शरीर के बालों का कम होना

अगर आप ऊपर दिए गए लक्षणों को खुद में अनुभव करते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करनी चाहिए।

शुक्राणु की कमी का इलाज

शुक्राणु की कमी, पुरुष निःसंतानता का एक सामान्य कारण है। शुक्राणुओं की संख्या कम होने पर उपचार के विकल्प इसके अंतर्निहित कारणों और स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। शुक्राणु की कमी का उपचार निम्न विकल्पों से किया जाता है:

जीवनशैली और आहार परिवर्तन

  • धूम्रपान, अत्यधिक शराब के सेवन और नशीली दवाओं के उपयोग से बचकर एक स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें।
  • समग्र स्वास्थ्य और शुक्राणु उत्पादन में सुधार के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें और शरीर का वजन अनुकूल बनाए रखें।
  • विटामिन सी और ई, जिंक और सेलेनियम सहित विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर संतुलित आहार का पालन करें।

औषधियाँ

  • यदि हार्मोनल असंतुलन के कारण शुक्राणुओं की संख्या कम होने पर, शुक्राणु उत्पादन को बढ़ावा देने वाले हार्मोन के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए – हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी या क्लोमीफीन साइट्रेट जैसी दवाएं निर्धारित की जाती हैं।
  • यदि संक्रमण के कारण शुक्राणुओं की संख्या कम हो रही है, तो संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स निर्धारित की जाती हैं।

सर्जरी

  • अगर शुक्राणुओं की संख्या कम होने का कारण का वैरीकोसेल है तो सर्जिकल रिपेयर से शुक्राणु उत्पादन में सुधार करने में मदद मिलती है।
  • यदि पिछली पुरुष नसबंदी कम शुक्राणुओं की संख्या का कारण है, तो पुरुष नसबंदी रिवर्सल प्रक्रिया एक विकल्प है।

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी)

  • निषेचन की संभावना बढ़ाने के लिए संकेंद्रित शुक्राणु तैयार किया जा सकता है और फिर उसे फर्टाइल पीरियड के दौरान सीधे महिला के गर्भाशय में इंजेक्ट किया जाता है। इसे आईयूआई कहते हैं।
  • अन्य उपचार सफल नहीं होने पर आईवीएफ का उपयोग किया जाता है।

कैसे बढ़ाएं शुक्राणु की संख्या?

शुक्राणु की कमी का इलाज करने के लिए डॉक्टर निम्न माध्यमों का इस्तेमाल कर सकते हैं:-

  • हार्मोन उपचार और दवाएं
  • संक्रमण का इलाज
  • सर्जरी 
  • असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीक

कुछ मामलों में पुरुष की प्रजनन संबंधित समस्याओं का इलाज करना संभव नहीं होता है। ऐसी स्थिति में माता-पिता बनने का सपना पूरा करने के लिए आप और आपकी साथी या तो डोनर शुक्राणु का उपयोग कर सकते हैं या बच्चे को गोद ले सकते हैं।

शुक्राणु बढ़ाने के लिए क्या खाएं?

शुक्राणु की संख्या बढ़ाने के लिए आप निम्न को अपनी डाईट में शामिल करें:

  • सब्जियां जैसे कि लौकी, तोरई, करेला और कद्दू
  • फल जैसे कि आम, अंगूर, अनार और केला
  • मूंग दाल, मसूर दाल, अरहर दाल और चना
  • गाजर, चुकंदर, ब्रोकली और पत्ता गोभी
  • ड्राई फ्रूट्स में बादाम, अखरोट, अंजीर, मखाना, किशमिश और खजूर
  • मक्का, बाजरा, पुराना चावल, गेहूं, रागी, जई और सोयाबीन

ये शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता को बढ़ाने में मददगार होते हैं। आपको इस बात का ध्यान रखना है कि शुक्राणु की संख्या बढ़ाने की नियत से किसी भी चीज का सेवन करने से पहले एक बार विशेषज्ञ डॉक्टर की अवश्य राय लें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

स्पर्म काउंट कम होने से क्या होता है?

स्पर्म काउंट कम होने के कारण पुरुष को पिता बनने में दिक्कत आती है।

आमतौर पर शुक्राणु की संख्या कितनी होनी चाहिए?

आमतौर पर शुक्राणु की संख्या एक मिलीलीटर वीर्य में 1.5 करोड़ होनी चाहिए। अगर आपके एक मिलीलीटर वीर्य में शुक्राणु की संख्या 1.5 करोड़ से कम है तो इसे शुक्राणु की सामान्य संख्या से कम समझा जाता है।

क्या आप ओलिगोस्पर्मिया से गर्भवती हो सकती हैं?

कम प्रजनन क्षमता के बावजूद, कुछ पुरुष अभी भी गर्भधारण कर सकते हैं। ओलिगोस्पर्मिया वाले कुछ पुरुषों को गर्भधारण करने में कोई समस्या नहीं हो सकती है, जबकि अन्य को कुछ कठिनाई हो सकती है और प्रजनन समस्या वाले लोगों की तुलना में अधिक प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है।

क्या दूध शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाता है?

हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि दूध जैसे कम वसा वाले डेयरी खाद्य पदार्थों का उच्च शुक्राणु सांद्रता और प्रगतिशील गतिशीलता के साथ सकारात्मक संबंध था, जबकि पनीर शुक्राणु उत्पादन को बाधित कर सकता है।

ओलिगोस्पर्मिया का प्राकृतिक उपचार क्या है?

एक अध्ययन से पता चलता है कि रक्त में विटामिन डी की मात्रा सीधे शुक्राणुओं की संख्या से जुड़ी होती है। इसलिए, पर्याप्त धूप और विटामिन डी प्राप्त करना ओलिगोस्पर्मिया के इलाज का एक प्राकृतिक तरीका हो सकता है। तंबाकू और शराब छोड़ना भी बहुत फायदेमंद हो सकता है।

क्या मैं कम शुक्राणु गतिशीलता के साथ गर्भवती हो सकती हूँ?

यह निर्भर करता है – यदि शुक्राणु की गुणवत्ता स्वस्थ है, तो कम गतिशीलता के साथ भी गर्भावस्था संभव है।

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