बांझपन पुरुष और महिला दोनों को एक सामान प्रभावित करता है। आज इस समस्या से दुनियाभर में करोड़ों लोग ग्रसित हैं। पुरुष में बांझपन का इलाज कई तरह से किया जाता है, आईसीएसआई (ICSI Treatment in Hindi) भी उन्हीं में से एक है।
आईसीएसआई क्या है (ICSI Treatment in Hindi)
इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन को आम बोलचाल की भाषा में आईसीएसआई (ICSI in Hindi) कहते हैं। जब किसी कारण फर्टिलाइजेशन में समस्या पैदा होती है तो डॉक्टर इस उपचार का सुखाव देते हैं।
आईसीएसआई के दौरान प्रजनन डॉक्टर उन्नत माइक्रोमैनिपुलेशन स्टेशन की मदद से वीर्य के नमूने में से एक स्वस्थ शुक्राणु को व्यक्तिगत रूप से चयनित करते हैं। फिर उस शुक्राणु को एक अंडे (साइटोप्लाज्म) के सेंटर में इंजेक्ट किया जाता है।
उसके बाद, फर्टिलाइज्ड यानी निषेचित अंडे को महिला साथी के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। जिस पुरुष में शुक्राणु की संख्या शून्य या कम होती है तो उसका उपचार करने के लिए डॉक्टर आईसीएसआई का इस्तेमाल करते हैं।
आमतौर पर अंडकोष से पहले ही प्राप्त किए गए अपरिपक्व शुक्राणु गतिशील नहीं होते हैं, इसलिए आईसीएसआई की मदद से अंडे को फर्टिलाइज किया जाता है।
आईसीएसआई क्यों किया जाता है?
जिन्हें स्टैंडर्ड आईवीएफ के दौरान सफलता नहीं मिली है उनके लिए आईसीएसआई एक प्रभावशाली उपचार साबित हो सकता है। साथ ही, यह उपचार उन पुरुषों के लिए सही है जो निम्न समस्याओं से पीड़ित हैं:-
- शुक्राणु आकृति खराब होना
- शुक्राणु की गतिशीलता कम होना
- शुक्राणु की संख्या कम होना
- एंटीस्पर्म एंटीबॉडीज
- पुरुष नसबंदी, जो शुक्राणु को छोड़ने से रोकती है
अगर आप ऊपर दिए गए बिंदुओं से खुद को जोड़ सकते हैं तो डॉक्टर से परामर्श करने के बाद आईसीएसआई उपचार का चयन कर सकते हैं।
आईसीएसआई की प्रक्रिया (Process of ICSI in Hindi)
आईसीएसआई को प्रयोगशाला में किया जाता है। उपचार की इस प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग 4-6 सप्ताह का समय लगता है। आईसीएसआई का मुख्य उद्देश्य पुरुष में पर्याप्त मात्रा में शुक्राणु उत्पन्न करना है ताकि वह अपनी महिला पार्टनर को गर्भवती कर सके।
आईसीएसआई का उपयोग पुरुष बांझपन यानी मेल इनफर्टिलिटी का इलाज करने के लिए भी किया जा सकता है। आईसीएसआई उपचार की प्रक्रिया में निम्न स्टेज शामिल हैं:-
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अंडाशय को उत्तेजित करना
अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए डॉक्टर इंजेक्शन की मदद से ओवुलेशन को बढ़ाते हैं जिसके कारण अंडाशय एक समय पर ज्यादा अंडों को उत्पन्न कर सके।
आईसीएसआई को आईवीएफ की तरह किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान अधिक संख्या में भ्रूण का निर्माण करने के लिए अधिक अंडों की आवश्यकता पड़ती है।
ऐसा करने से आईसीएसआई उपचार के सफल होने की संभावना बढ़ती है।
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एग रिट्रीव करना
हार्मोन परीक्षण और अल्ट्रासाउंड की मदद से डॉक्टर एग रिट्रीवल के सटीक समय को तय करते हैं। जब पर्याप्त मात्रा में अंडाशय में अंडे हो जाते हैं तो उन्हें अंडाशय से रिट्रीव किया जाता है।
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स्पर्म जमा करना
इस दौरान महिला के अंडाशय से अंडों को रिट्रीव किया जाता है, उसी दिन पुरुष के शुक्राणु यानी स्पर्म को भी जमा किया जाता है।
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फर्टिलाइजेशन
अंडों और शुक्राणु को जमा करने के बाद, डॉक्टर ऐसे शुक्राणु का चयन करते हैं जिसकी क्वालिटी और गतिशीलता सबसे अधिक होती है। उसके बाद, चयनित शुक्राणु को अंडे के सेंटर में इंजेक्ट कर दिया जाता है जिससे फर्टिलाइजेशन होता है।
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विकसित भ्रूण को गर्भाशय में ट्रांसफर करना
फर्टिलाइजेशन के बाद, विकसित हुए सभी भ्रूण का उपयोग किया जाता है। हालांकि, उनमें से कुछ भ्रूण कमजोर या बेकार भी हो सकते हैं।
इस दौरान, डॉक्टर गर्भाशय में ट्रांसफर करने के लिए केवल उन्हीं भ्रूणों का चयन करते हैं जिनकी गुणवत्ता सबसे अधिक होती है।
विकसित किए गए भ्रूण को लगभग 3-6 दिनों तक प्रयोगशाला में रखा जाता है। उसके बाद, डॉक्टर भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर देते हैं।
क्या है आईसीएसआई के लाभ?
बांझपन से जूझ रहे पुरुष आईसीएसआई की मदद से संतान का सुख प्राप्त कर सकते हैं। इस उपचार के फायदों में निम्न शामिल हैं:-
- संतान प्राप्ति का बेहतर विकल्प है
- नसबंदी के बाद पिता बनने का बेहतर तरीका
- पुरुष बांझपन यानी मेल इनफर्टिलिटी का सटीक उपचार
आईसीएसआई के क्या जोखिम होते हैं (Side-Effects of ISCI Surgery)
आईसीएसआई के अनेक फायदे होने के साथ-साथ इसके कुछ संभावित नुकसान यानी साइड इफेक्ट्स हैं जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हो सकते हैं:-
- भ्रूण का खराब होना
- एक से अधिक बच्चे होना
- अंडों का विकास रुक जाना
हालांकि, आईसीएसआई के दौरान सावधानियां बरतकर इन जटिलताओं के खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
आईसीएसआई और आईवीएफ में क्या अंतर है?
आईसीएसआई और आवीएफ में बहुत अंतर है। जहां आईसीएसआई के दौरान निषेचन के लिए शुक्राणु को सीधा अंडे में इंजेक्ट किया जा है। वहीं, आईवीएफ के दौरान अंडे और शुक्राणु को एक पेट्री डिश में अपने आप निषेचित करने के लिए छोड़ दिया जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
क्या मुझे आईवीएफ के साथ आईसीएसआई करना चाहिए?
कुछ मामलों में आईवीएफ और आईसीएसआई को एक साथ किया जा सकता है।
क्या आईसीएसआई के दौरान दर्द होता है?
आमतौर पर आईसीएसआई के दौरान दर्द नहीं होता है, लेकिन कुछ मामलों में हल्का-फुल्का दर्द हो सकता है।
क्या आईसीएसआई निषेचन की संभावना को बढ़ाता है?
आईसीएसआई के दौरान सबसे अच्छे शुक्राणु का चयन किया जाता है, इसलिए निषेचन की संभावना अधिक होती है।