आईवीएफ फेल होने के कारण (IVF Fail Hone k Karan)
- Published on June 25, 2022

बांझपन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका मुख्य कारण तनाव, अस्वस्थ जीवनशैली और नशीली पदार्थों का सेवन है। बांझपन का इलाज कई तरह से किया जाता है, लेकिन आईवीएफ को इसका सर्वोत्तम इलाज माना जाता है।
आईवीएफ का पूरा नाम इन विट्रो फर्टिलाइजेशन है। यह बांझपन से पीड़ित महिलाओं और पुरुषों के लिए एक वरदान से कम नहीं है। इस मॉडर्न और एडवांस प्रजनन उपचार की मदद से बांझपन से पीड़ित दंपति संतान का सुख प्राप्त कर सकते हैं।
आईवीएफ एक जटिल प्रक्रिया है जिसके दौरान एक महिला को ढेरों सावधानियां बरतनी होती है। जरा से लापरवाही इस उपचार की असफलता का कारण बन सकता है। आईवीएफ उपचार की सफलता दर कई चीजों पर निर्भर करती है।
इस ब्लॉग में हम आईवीएफ उपचार की सफलता को प्रभावित करने कारणों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
आईवीएफ फेल होने के कारण (Causes of IVF Failure in Hindi)
आईवीएफ एक लंबी प्रक्रिया है जिसके दौरान आपको अनेक बातों का ख़ास ध्यान रखना पड़ता है। कई बार सावधानी नहीं बरतने या दूसरे कारणों से आईवीएफ फेल हो जाता है।
विशेषज्ञ के मुताबिक, निम्न करक आईवीएफ फेल होने का कारण हो सकते हैं:-
आईवीएफ असफल क्यों होता है:
- महिला की उम्र
महिला की उम्र आईवीएफ उपचार में एक अहम् भूमिका निभाती है। महिला की उम्र बढ़ने पर उसके अंडों की गुणवत्ता और संख्या में कमी आती है जिसके कारण आईवीएफ के असफल होने का खतरा बढ़ सकता है।
- एम्ब्र्यो की गुणवत्ता
एम्ब्र्यो की गुणवत्ता उचित नहीं होने पर वह गर्भाशय के अस्तर में सही से इम्प्लांट यानी प्रत्यारोपित नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में आईवीएफ उपचार के सफल होने की संभावना कम हो जाती है।
- अंडे और स्पर्म की गुणवत्ता
आईवीएफ उपचार में अंडे और स्पर्म की गुणवत्ता का महत्व सर्वोत्तम होता है। इनकी गुणवत्ता में किसी भी तरह कमी या समस्या आईवीएफ उपचार की सफलता दर को प्रभावित कर सकता है।
- फर्टिलाइजेशन के दौरान समस्या
फर्टिलाइजेशन यानी निषेचन की प्रक्रिया आईवीएफ उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दौरान, लैब में तैयार किए गए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।
फर्टिलाइजेशन के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी या समस्या पैदा होने पर आईवीएफ उपचार में बाधा उत्पन्न होता है जो इस उपचार के फेल होने का कारण बन सकता है।
- एंडोमेट्रियल रिसेप्टिविटी
एंडोमेट्रियल रिसेप्टिविटी यानी गर्भाशय की परत की ग्रहणशीलता कम होने या एंडोमेट्रियम की परत अच्छी न होने पर भ्रूण ठीक तरह से इम्प्लांट नहीं हो पाता है।
इम्प्लांटेशन सही से नहीं होने पर आईवीएफ उपचार फेल हो जाता है और महिला गर्भधारण करने में असफल होती है।
- फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन
फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन का स्तर अधिक होने पर आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता की संभावना कम हो सकती है।
- क्रोमोसोमल असामान्यताएं
महिला या पुरुष या दोनों में किसी प्रकार की क्रोमोजोमल असामान्यताएं होने पर भी आईवीएफ के सफल होने का खतरा बढ़ जाता है।
- इम्यूनोलॉजिकल समस्याएं
एलर्जी, अस्थमा या ऑटोइंफ्लेमेटरी सिंड्रोम जैसी इम्यूनोलॉजिकल समस्याओं के कारण भ्रूण गर्भाशय में सही से इम्प्लांट नहीं हो पाता है जिसका परिणाम आईवीएफ उपचार की असफलता के रूप में सामने आता है।
- तनाव या डिप्रेशन
तनाव या डिप्रेशन का आईवीएफ पर बुरा असर पड़ता है। यह आईवीएफ उपचार की असफलता का मुख्य कारण हो सकता है। यही कारण है की आईवीएफ उपचार के दौरान डॉक्टर दंपति को तनावमुक्त और खुश रहने का सुझाव देते हैं।
- धूम्रपान
आईवीएफ उपचार के दौरान शराब, सिगरेट या दूसरी नशीले पदार्थों का सेवन गभधारण की संभावना को कम करता है।
बांझपन एक आम समस्या का रूप ले चूका है। इससे पीड़ित व्यक्तियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बांझपन के मुख्य कारणों में तनाव और धूम्रपान शामिल हैं।
आईवीएफ उपचार के दौरान, आपको किन बातों का ध्यान रखना है डॉक्टर इस बारे में विस्तार से बताते हैं। डॉक्टर द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश का पालन कर आईवीएफ उपचार के सफल होने की संभावना को बढ़ाया जा सकता है।
आईवीएफ फेल होने पर क्या करें?
आईवीएफ उपचार फेल होने पर आपका निराश होना प्राकृतिक है, लेकिन आपको इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि अधिकतर महिलाओं को गर्भधारण करने के लिए एक से अधिक आईवीएफ साइकिल की आवश्यकता पड़ती है।
अगर यह आपका पहला आईवीएफ साईकिल था तो आपको ज्यादा निराश होने की आवश्यकता नहीं है। कुछ दिनों तक रेस्ट लेने के बाद, आपको डॉक्टर से बातकर करके खुद को दूसरे आईवीएफ साईकिल के तैयार करना चाहिए।
खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करने के लिए आप निम्न बिंदुओं को अपने जीवन में लागु कर सकती हैं:-
- मेडिटेशन और योग करें
- डाइट पर ख़ास ध्यान दें
- अपने वजन को मेंटेन रखें
- जंक फूड्स का सेवन न करें
- चिंता और अवसाद से दूर रहें
- खुश रहने की कोशिश करें
- कोल्ड ड्रिंक्स, सिगरेट और शराब के सेवन से बचें
- अत्यधिक तैलीय और मसालेदार चीजों से बचें
- अधिक तापमान वाली जगह पर जाने से बचें
- अनुभवी डॉक्टर और विश्वसनीय आईवीएफ क्लिनिक का चयन करें
- अंडे या स्पर्म की क्वालिटी खराब होने पर डोनर अंडे या स्पर्म का इस्तेमाल करें
- उन गतिविधियों में खुद को शामिल करें जिनसे आपको ख़ुशी मिलती है
- शराब, सिगरेट या दूसरी नशीली चीजों का सेवन बिलकुल भी न करें
- किसी तरह की चिंता होने पर अपने परिवार, दोस्तों और डॉक्टर से बात करें
इन सभी बातों का पालन कर आप खुद को दूसरे आईवीएफ साईकिल के पूर्ण रूप से तैयार कर सकती हैं।
अगर आप बेस्ट आईवीएफ उपचार पाना चाहती हैं तो हमसे संपर्क करें। हमारे प्रजनन विशेषज्ञ को 21,000 से अधिक आईवीएफ साइकिल्स का अनुभव प्राप्त है। हमारे क्लिनिक में आईवीएफ की सफलता दर 75% और पेशेंट संतुष्टि स्कोर 95% है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
क्या तनाव आईवीएफ की सफलता को प्रभावित करता है?
हां. तनाव आईवीएफ की सफलता दर को काफी हद तक प्रभावित करता है। कुछ मामलों, तनाव आईवीएफ फेल होने का कारण भी बन सकता है।
आईवीएफ के बाद क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
आईवीएफ के बाद आपको काफी बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे कि डाइट, लाइफस्टाइल, नियमित रूप से डॉक्टर से फॉलो-अप मीटिंग, व्यायाम आदि।
आईवीएफ फेल होने के बाद पीरियड कब आता है?
आईवीएफ फेल होने पर पीरियड एम्ब्र्यो ट्रांसफर के लगभग 12-16 दिनों के बाद आता है।
आईवीएफ प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दीखते है?
आईवीएफ उपचार के बाद इम्प्लांट के लगभग दो सप्ताह बाद से प्रेगनेंसी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
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Written by:
Dr Souren Bhattacharjee
Consultant, Birla Fertility & IVF
Dr Souren Bhattacharjee possesses 32+ years of experience as an IVF Specialist. He has extensive experience in the management of male and female infertility, including IVF and Ultrasound. Along with this, Dr Souren has encountered more than 6000 IVF cycles with a very high success rate. Dr Bhattacharjee is a graduate of Gauhati University, 1983. He earned a diploma in gynaecology and obstetrics in 1991 from Dr MGR Medical University. In 1994, he did his Member Royal College of Obstetricians & Gynaecologists from London and in 2009, he did his Fellow of the Royal College of Obstetricians & Gynaecologists from London.
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