थायराइड में प्रेग्नेंट कैसे हों: जानें थायराइड और प्रेगनेंसी के बीच का संबंध

Author : Dr. Deepika Nagarwal September 13 2024
Dr. Deepika Nagarwal
Dr. Deepika Nagarwal

MBBS, MS ( Obstetrics and Gynaecology), DNB, FMAS, DCR( Diploma in clinical ART)

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थायराइड में प्रेग्नेंट कैसे हों: जानें थायराइड और प्रेगनेंसी के बीच का संबंध

थायराइड रोग का संबंध खराब डाइट और बिगड़ती लाइफस्टाइल से है। हालांकि, थायराइड विकार का संबंध प्रेगनेंसी से भी है, क्योंकि इसकी वजह से प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) पर बुरा प्रभाव पड़ता है। थायराइड रोग के कारण अनियमित पीरियड,ओव्यूलेशन में कमी, प्रेगनेंसी में जटिलताएं, पीरियड साइकिल प्रभावित होना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उचित इलाज और देखभाल के साथ थायराइड रोग का इलाज और प्रेगनेंसी दोनों ही संभव है। चलिए जानते हैं कैसे?

थायराइड विकार क्या है और इसके प्रकार?

थायराइड एक तितली के आकार का ग्रंथि है जो गले में स्थित होता है। यह ग्रंथि थायराइड हार्मोन (T3 और T4) का निर्माण करती है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस हार्मोन का स्तर सामान्य से कम या अधिक होने पर कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। थायराइड विकार अलग-अलग प्रकार के होते हैं जैसे –

  • हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism): इस स्थिति में थायराइड हार्मोन का निर्माण कम होता है, जिससे मेटाबॉलिज्म भी धीमा हो जाता है। यह तब होता है जब थायराइड ग्लैंड पर्याप्त मात्रा में T3 और T4 हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है।
  • हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism): इस स्थिति में थायराइड ग्लैंड अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करते हैं, जिसकी वजह से शरीर में मेटाबोलिज्म बढ़ जाता है। यह तब होता है जब थायराइड ग्रंथि बहुत अधिक T3 और T4 हार्मोन का उत्पादन करती है।

गर्भधारण में थायराइड के जोखिम

प्रेगनेंसी के दौरान यदि हाइपोथायरायडिज्म का इलाज नहीं होता है, तो इसके कारण प्रेगनेंसी और बच्चे के जन्म में जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। हाइपोथायरायडिज्म से प्री-इक्लेम्पसिया (Severe Hypertension), एनीमिया (खून की कमी), प्लेसेंटा का अलग होना, मिसकैरेज (Miscarriage), शिशु का वजन कम होना, मृत जन्म और कभी-कभी शिशु का हार्ट फेल्योर जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

सामान्य तौर पर प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में बच्चों के दिमाग का विकास मां से मिलने वाले थायराइड हार्मोन पर निर्भर करता है। इसलिए थायराइड हार्मोन का सही मात्रा में होना बहुत ज्यादा आवश्यक है, अन्यथा शिशु के दिमाग का विकास रुक सकता है।

थायराइड में गर्भधारण कब कर सकते हैं?

हमने यह जान लिया है कि थायराइड रोग प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) को कैसे प्रभावित करता है। चलिए अब जानते हैं कि योग, दवाओं और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से थायराइड के स्तर को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है और बिना किसी जटिलता के गर्भधारण कैसे संभव है? थायराइड रोग की स्थिति में कुछ सावधानियों का पालन कर महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं जैसे कि –

  • दवाएं और स्वस्थ जीवनशैली का सहारा लें। इसमें डाइटिशियन आपकी मदद कर सकते हैं।
  • डॉक्टर से नियमित जांच से थायराइड हार्मोन के स्तर के ग्राफ को समझने में मदद मिलेगी।
  • गर्भधारण की योजना बनाने के लिए डॉक्टर से पूछें कि स्वस्थ प्रेगनेंसी के लिए थायराइड हार्मोन का स्तर कितना होना चाहिए।

इन बातों का सावधानी से पालन करने से महिलाएं भविष्य में स्वस्थ संतान को जन्म दे सकती हैं।

​गर्भधारण के दौरान थायराइड कैसे कंट्रोल करें?

प्रेगनेंसी के लिए थायराइड हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है, और इस कारक को कंट्रोल करने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करने की सलाह दी जाती है –

  • दवा का नियमित सेवन: थायराइड हार्मोन के स्तर को कंट्रोल करने वाली दवाओं का कोर्स पूरा करें और समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लें। वह हर कुछ समय में डोज को बदल भी सकते हैं।
  • स्वस्थ और संतुलित आहार: प्रेगनेंसी के दौरान अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन, आयरन, विटामिन B12 और फोलेट को जोड़ें। इसके अतिरिक्त प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट और फाइबर भी उनके लिए लाभकारी होंगे। वहीं दूसरी तरफ कैफीन, अल्कोहल और प्रोसेस्ड फूड से भी दूरी बनाएं।
  • नियमित व्यायाम और योग: नियमित व्यायाम, प्राणायाम और योग तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  • तनाव प्रबंधन: प्रेगनेंसी में तनाव से दूरी बनाना बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। मेडिटेशन, संगीत या अन्य तरीकों से तनाव कम करें।
  • नींद: पर्याप्त नींद शरीर को अगले दिन के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।

निष्कर्ष

इस ब्लॉग से थायराइड और प्रेगनेंसी के बीच का संबंध बहुत स्पष्ट हो गया है। सही देखभाल और उपचार से थायराइड के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है और उसी दौरान महिलाएं प्रेग्नेंट भी हो सकती हैं। इसमें सबसे आवश्यक है, डॉक्टरों के द्वारा दिए गए निर्देशों का सही से पालन करना और कुछ भी समस्या दिखने पर तुरंत परामर्श लेना।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

हाइपोथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म दोनों ही प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती हैं। लेकिन सही समय पर उचित इलाज और सही देखभाल की मदद से थायराइड विकार में भी प्रेगनेंसी संभव है।

हां, थायराइड रोग की स्थिति में बच्चा हो सकता है। हालांकि इसके लिए फैमिली प्लानिंग से पहले डॉक्टर से मिलें और थायराइड के स्तर को नियंत्रित करने की योजना पर बात करें।

प्रेगनेंसी में थायराइड का लेवल एक समान नहीं होता है। पहली तिमाही में टीएसएच का स्तर 0.1-2.5 एमआईयू / एल होना चाहिए। दूसरी तिमाही में 0.2-3.0 एमआईयू / एल और तीसरी तिमाही में 0.3-3.5 एमआईयू / एल (तीसरी तिमाही) होना चाहिए।

थायराइड विकार के ठीक होने का समय रोग की स्थिति, प्रकार, गंभीरता और इलाज के विकल्प पर निर्भर करता है। दवाओं और जीवनशैली में बदलाव की मदद से थायराइड की समस्या 2-6 महीने में ठीक हो सकती है।

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