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थायराइड में प्रेग्नेंट कैसे हों: जानें थायराइड और प्रेगनेंसी के बीच का संबंध

थायराइड में प्रेग्नेंट कैसे हों: जानें थायराइड और प्रेगनेंसी के बीच का संबंध

Dr. Prachi Benara
Dr. Prachi Benara

MBBS (Gold Medalist), MS (OBG), DNB (OBG), PG Diploma in Reproductive and Sexual health

16 Years of experience

थायराइड रोग का संबंध खराब डाइट और बिगड़ती लाइफस्टाइल से है। हालांकि, थायराइड विकार का संबंध प्रेगनेंसी से भी है, क्योंकि इसकी वजह से प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) पर बुरा प्रभाव पड़ता है। थायराइड रोग के कारण अनियमित पीरियड,ओव्यूलेशन में कमी, प्रेगनेंसी में जटिलताएं, पीरियड साइकिल प्रभावित होना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उचित इलाज और देखभाल के साथ थायराइड रोग का इलाज और प्रेगनेंसी दोनों ही संभव है। चलिए जानते हैं कैसे?

थायराइड विकार क्या है और इसके प्रकार?

थायराइड एक तितली के आकार का ग्रंथि है जो गले में स्थित होता है। यह ग्रंथि थायराइड हार्मोन (T3 और T4) का निर्माण करती है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस हार्मोन का स्तर सामान्य से कम या अधिक होने पर कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। थायराइड विकार अलग-अलग प्रकार के होते हैं जैसे –

  • हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism): इस स्थिति में थायराइड हार्मोन का निर्माण कम होता है, जिससे मेटाबॉलिज्म भी धीमा हो जाता है। यह तब होता है जब थायराइड ग्लैंड पर्याप्त मात्रा में T3 और T4 हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है।
  • हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism): इस स्थिति में थायराइड ग्लैंड अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करते हैं, जिसकी वजह से शरीर में मेटाबोलिज्म बढ़ जाता है। यह तब होता है जब थायराइड ग्रंथि बहुत अधिक T3 और T4 हार्मोन का उत्पादन करती है।
  • थायराइड के कारण गर्भधारण में आने वाली समस्याएं: थायराइड ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थायरोक्सिन (T4) नामक हार्मोन का उत्पादन करती है, जो गर्भधारण और गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब शरीर में थायराइड हार्मोन का स्तर कम होता है, जिसे हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं, तो ऑव्यूलेशन प्रभावित हो सकता है। इससे गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है। हाइपोथायरायडिज्म से मिसकैरेज का जोखिम भी बढ़ जाता है और भ्रूण के विकास में दिक्कतें आ सकती हैं। वहीं, जब थायराइड हार्मोन का स्तर अधिक होता है, यानी हायपरथायरायडिज्म, तो यह शरीर के अन्य हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करता है, जिससे गर्भधारण में समस्या हो सकती है। हायपरथायरायडिज्म से समय से पहले प्रसव और मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है।
  •  क्या थायराइड होने पर गर्भधारणकर सकते हैं : शरीर में थायराइड हार्मोन का स्तर सामान्य न होने पर गर्भधारण में मुश्किलें आ सकती हैं। कई बार गर्भधारण हो भी जाता है, तो मिसकैरेज या बच्चे के उचित विकास में बाधा का खतरा बना रहता है। इसलिए, थायराइड के दौरान गर्भधारण करने या गर्भवती होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर से नियमित परामर्श आवश्यक है।
  • थायराइड में गर्भधारण के लिए चिकित्सा उपचार : थायराइड की समस्याओं से जूझ रही महिलाओं के लिए उचित चिकित्सा जरूरी होती है। हाइपोथायरायडिज्म के लिए लिवोथायरॉक्सिन (Levothyroxine) नामक दवा दी जाती है, जो थायराइड हार्मोन की कमी को पूरा करती है और गर्भधारण की संभावना बढ़ाती है। हायपरथायरायडिज्म के उपचार में एंटीथायरॉइड दवाएं जैसे प्रोपिलथियोउरासिल (Propylthiouracil) और मेथिमाजोल (Methimazole) शामिल हैं, जो हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित करती हैं। ये उपचार गर्भधारण के साथ-साथ गर्भस्थ बच्चे को स्वस्थ रखने में भी मदद करते हैं।
  • थायराइड के साथ गर्भधारण के लिए जीवनशैली में बदलाव: थायराइड समस्या के साथ गर्भधारण की योजना बनाने वाली महिलाओं को अपने खान-पान और जीवनशैली में सुधार करने की सलाह दी जाती है। पोषक तत्वों जैसे आयोडीन, सेलेनियम, जिंक, और विटामिन D से भरपूर आहार लें। साथ ही नियमित व्यायाम करें ताकि हार्मोनल संतुलन बना रहे और शरीर स्वस्थ रहे।
  • थायराइड में गर्भधारण होने पर क्‍या करें : यदि थायराइड के साथ गर्भधारण हो जाए तो तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें, अपनी स्थिति स्पष्ट करें और उनकी सलाह अनुसार दवाइयां तथा सावधानियां अपनाएं ताकि गर्भावस्था सुरक्षित और सुचारु रूप से पूरी हो सके।
  • थायराइड के इलाज के लिए वैकल्पिक चिकित्सा : कुछ महिलाएं वैज्ञानिक उपचार के अतिरिक्त आयुर्वेद या अन्य वैकल्पिक चिकित्सा अपनाती हैं। लेकिन इन उपचारों को डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं अपनाना चाहिए, क्योंकि इनके प्रभाव पर पूर्ण शोध उपलब्ध नहीं है।
  • थायराइड के साथ गर्भधारण के दौरान डॉक्टर से सलाह अवश्य लें : थायराइड विकारों के कारण गर्भधारण और गर्भपात की समस्याएं आम हैं। इसलिए थायराइड के साथ गर्भवती होने पर नियमित डॉक्टर से परामर्श अत्यंत आवश्यक है। डॉक्टर को अपनी स्थिति के बारे में पूरी जानकारी दें और उचित इलाज करवाएं।

गर्भधारण में थायराइड के जोखिम

प्रेगनेंसी के दौरान यदि हाइपोथायरायडिज्म का इलाज नहीं होता है, तो इसके कारण प्रेगनेंसी और बच्चे के जन्म में जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। हाइपोथायरायडिज्म से प्री-इक्लेम्पसिया (Severe Hypertension), एनीमिया (खून की कमी), प्लेसेंटा का अलग होना, मिसकैरेज (Miscarriage), शिशु का वजन कम होना, मृत जन्म और कभी-कभी शिशु का हार्ट फेल्योर जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

सामान्य तौर पर प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में बच्चों के दिमाग का विकास मां से मिलने वाले थायराइड हार्मोन पर निर्भर करता है। इसलिए थायराइड हार्मोन का सही मात्रा में होना बहुत ज्यादा आवश्यक है, अन्यथा शिशु के दिमाग का विकास रुक सकता है।

थायराइड में गर्भधारण कब कर सकते हैं?

हमने यह जान लिया है कि थायराइड रोग प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) को कैसे प्रभावित करता है। चलिए अब जानते हैं कि योग, दवाओं और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से थायराइड के स्तर को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है और बिना किसी जटिलता के गर्भधारण कैसे संभव है? थायराइड रोग की स्थिति में कुछ सावधानियों का पालन कर महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं जैसे कि –

  • दवाएं और स्वस्थ जीवनशैली का सहारा लें। इसमें डाइटिशियन आपकी मदद कर सकते हैं।
  • डॉक्टर से नियमित जांच से थायराइड हार्मोन के स्तर के ग्राफ को समझने में मदद मिलेगी।
  • गर्भधारण की योजना बनाने के लिए डॉक्टर से पूछें कि स्वस्थ प्रेगनेंसी के लिए थायराइड हार्मोन का स्तर कितना होना चाहिए।

इन बातों का सावधानी से पालन करने से महिलाएं भविष्य में स्वस्थ संतान को जन्म दे सकती हैं।

गर्भधारण के दौरान थायराइड कैसे कंट्रोल करें?

प्रेगनेंसी के लिए थायराइड हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है, और इस कारक को कंट्रोल करने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करने की सलाह दी जाती है –

  • दवा का नियमित सेवन: थायराइड हार्मोन के स्तर को कंट्रोल करने वाली दवाओं का कोर्स पूरा करें और समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लें। वह हर कुछ समय में डोज को बदल भी सकते हैं।
  • स्वस्थ और संतुलित आहार: प्रेगनेंसी के दौरान अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन, आयरन, विटामिन B12 और फोलेट को जोड़ें। इसके अतिरिक्त प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट और फाइबर भी उनके लिए लाभकारी होंगे। वहीं दूसरी तरफ कैफीन, अल्कोहल और प्रोसेस्ड फूड से भी दूरी बनाएं।
  • नियमित व्यायाम और योग: नियमित व्यायाम, प्राणायाम और योग तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  • तनाव प्रबंधन: प्रेगनेंसी में तनाव से दूरी बनाना बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। मेडिटेशन, संगीत या अन्य तरीकों से तनाव कम करें।
  • नींद: पर्याप्त नींद शरीर को अगले दिन के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।

निष्कर्ष

इस ब्लॉग से थायराइड और प्रेगनेंसी के बीच का संबंध बहुत स्पष्ट हो गया है। सही देखभाल और उपचार से थायराइड के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है और उसी दौरान महिलाएं प्रेग्नेंट भी हो सकती हैं। इसमें सबसे आवश्यक है, डॉक्टरों के द्वारा दिए गए निर्देशों का सही से पालन करना और कुछ भी समस्या दिखने पर तुरंत परामर्श लेना।

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