Pregnancy me period aata hai kya: क्या प्रेगनेंसी में पीरियड्स आते हैं?

Dr. Prachi Benara
Dr. Prachi Benara

MBBS (Gold Medalist), MS (OBG), DNB (OBG), PG Diploma in Reproductive and Sexual health

16+ Years of experience
Pregnancy me period aata hai kya: क्या प्रेगनेंसी में पीरियड्स आते हैं?

Table of Contents

कई महिलाओं के मन में यह सवाल आता है कि क्या प्रेगनेंसी में पीरियड्स होते हैं? इस वजह से कई लोग दुविधा, चिंता और भ्रम में रहते हैं। इसलिए, प्रेगनेसी के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों को समझना ज़रूरी है। इन बदलावों में योनि से ख़ून आना, स्पॉटिंग होना और ऐंठन जैसे लक्षण शामिल हैं। इस लेख में आपके मन में उठने वाले ऐसे ही आम सवालों के जवाब देने की कोशिश की जाएगी। साथ ही, हम जानेंगे कि प्रेगनेंसी में पीरियड्स जैसा दर्द कब तक होता है, इससे जुड़े मिथ्स और फ़ैक्ट्स क्या-क्या हैं, प्रेगनेंसी के दौरान किन बातों का ख़याल रखना चाहिए और ब्लीडिंग की चिंताओं को दूर करने के कारगर उपाय क्या हैं?

क्या प्रेगनेंसी में पीरियड्स होते हैं?

नहीं, प्रेगनेंसी के दौरान पीरियड्स नहीं होते। मेंस्ट्रुएशन यानी पीरियड्स शरीर की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें गर्भाशय की परतें झड़कर बाहर निकलती हैं। ऐसा तब तक होता है, जब तक यूटरस में एग फ़र्टिलाइज़ न हो जाए। फ़र्टिलाइज़ेशन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से यूटरस (बच्चेदानी) की परतें बरकरार रहती हैं। ऐसा, गर्भ में भ्रूण (एम्ब्रियो) के विकास की प्रक्रिया शुरू करने के लिए होता है। यूटरस की परतें सुरक्षित होने का मतलब ही है कि पीरियड्स अब नहीं आएंगे। हालांकि, प्रेगनेंसी के दौरान योनि से ख़ून आना आम है और इसी वह से कई महिलाएं इसे पीरियड्स समझ बैठते हैं।

प्रेगनेंट होने के बाद ख़ून आना कितना सामान्य है?

प्रेगनेंसी के दौरान ख़ून आना काफ़ी सामान्य है, ख़ासकर पहली तिमाही में। अध्ययन बताते हैं कि लगभग 25% महिलाओं को प्रेगनेंसी के शुरुआती फ़ेज़ में किसी न किसी रूप से योनि से ख़ून निकलने का अनुभव होता है। हालांकि, ज़्यादातर मामलों में इससे कोई नुक़सान नहीं होता, लेकिन अगर ब्लीडिंग ज़्यादा है तो यह गंभीर जटिलताओं का संकेत हो सकता है।

शुरुआती ट्राइमेस्टर में रक्तस्राव के कारण

  • इंप्लांटेशन ब्लीडिंग: फ़र्टिलाइज़्ड एग जब यूटरस की दीवारों से चिपकता है, तो ब्लीडिंग हो सकती है। यह आमतौर पर हल्का होता है और कुछ दिनों में समाप्त हो जाता है।
  • सर्विक्स में बदलाव: हार्मोनल बदलाव की वजह से सर्विक्स में ब्लड फ़्लो बढ़ जाता है, जिससे यौन संबंध बनाने या पेल्विक टेस्ट के बाद हल्का ख़ून आ सकता है।
  • सबकोरियोनिक हेमरेज: यूटरस की दीवार और जेस्टेशनल सैक के बीच कम मात्रा में ख़ून जमा हो सकता है। इस वजह से स्पॉटिंग या हल्की ब्लीडिंग हो सकती है।
  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी: जब फ़र्टिलाइज हुआ एग, यूटरस से बाहर फ़ैलोपियन ट्यूब में इंप्लांट होता है, तो ब्लीडिंग हो सकती है। ऐसे मामलों में तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
  • मिसकैरेज: प्रेगनेंसी की शुरुआती तिमाही में भारी ब्लीडिंग और तेज़ दर्द मिसकैरेज का संकेत हो सकते हैं।

क्या यह किसी समस्या का संकेत हो सकता है?

कुछ मामलों में खून आने से कोई ख़तरा नहीं होता, लेकिन अगर तेज़ दर्द और चक्कर के साथ ब्लीडिंग ज़्यादा मात्रा में हो रही है, तो यह कई जटिलताओं का संकेत हो सकती है। जैसे, एक्टोपिक प्रेगनेंसी, प्लेसेंटा एबरप्शन या मिसकैरेज

प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा दर्द होना क्या है?

पीरियड जैसा दर्द का मतलब आम तौर पर हल्की या गंभीर ऐंठन से है, जो प्रेगनेंसी के अलग-अलग फ़ेज़ में हो सकता है। आइए समझते हैं कि प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा दर्द कब तक और क्यों होता है:

पीरियड जैसे दर्द के कारण

  • इंप्लांटेशन क्रैंप: शुरुआती हफ़्तों में हल्की ऐंठन।
  • यूटरस का फैलाव: यूटरस बढ़ने के साथ मांसपेशियों और लिगामेंट में खिंचाव होता है।
  • ब्रैक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन: दूसरी तिमाही से शुरू होने वाली हल्की और अनियमित ऐंठन।
  • पाचन से जुड़ी समस्याएं: कब्ज और गैस की वजह से भी ऐंठन हो सकती है।

पीरियड जैसे दर्द को कब गंभीर मानें?

जैसा कि पहले भी बताया गया है, हल्का दर्द सामान्य है। हालांकि, तेज़ दर्द इन चीज़ों का संकेत हो सकता है:

  • प्रीटर्म लेबर: प्रेगनेंसी के 37 हफ़्ते से पहले ही तेज़ ऐंठन
  • प्लेसेंटा एबरप्सन: समय से पहले ही यूटरस की दीवार से प्लेसेंटा का अलग होना
  • यूरिनरी ट्रैक्ट इनफ़ेक्शन (यूटीआई): प्रेगनेंसी में यह बहुत आम है और इससे पेट के निचले हिस्स में तेज़ दर्द हो सकता है।

प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा दर्द कब तक होता है?

दर्द की अवधि उसकी वजहों पर निर्भर करती है:

  • इंप्लांटेशन क्रैंपिंग: कुछ घंटों से लेकर दो दिन तक
  • यूटरस का फैलाव: समूची प्रेगनेंसी के दौरान समय-समय यह हो सकता है
  • ब्रैक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन: अनियमित और कुछ सेकंड से कुछ मिनटों तक

अगर दर्द गंभीर या लगातार है, तो यह सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर से संपर्क करना ज़रूरी है कि यह प्रीटर्म लेबर या प्लेसेंटा से जुड़ी जटिलताओं का संकेत तो नहीं है।

प्रेगनेंसी के दौरान स्पॉटिंग और ब्लीडिंग को कैसे समझें?

हल्की स्पॉटिंग और हैवी ब्लीडिंग को अलग-अलग देखना चाहिए। आइए जानते हैं इन दोनों के मुख्य कारण क्या-क्या हैं:

हल्की स्पॉटिंग के कारण

  • इंप्लांटेशन ब्लीडिंग: हल्का गुलाबी या भूरा डिसचार्ज
  • सर्विक्स में जलन: यौन संबंध या पेल्विक टेस्ट के बाद
  • हार्मोनल बदलाव: कभी-कभी बिना किसी ख़ास कारण के स्पॉटिंग 

भारी ब्लीडिंग के संकेत और सावधानियां

  • लक्षण: ब्राइट रेड ब्लड, बड़े थक्कों का डिसचार्ज, तेज़ दर्द, बुखार या चक्कर
  • सावधानियां:
    • आराम करें और भारी श्रम से बचें।
    • खून का रंग, गाढ़ापन और मात्रा नोट करें।
    • लक्षण गंभीर होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

केस स्टडी-1: हल्की स्पॉटिंग को पीरियड समझना

मामला: नेहा (29) को पीरियड वाली तारीख़ के आस-पास हल्की ब्लीडिंग हुई। उसने इसे पीरियड समझ लिया, लेकिन छह हफ़्ते बाद की जांच में पता चला कि वह गर्भवती थी।

विश्लेषण: यह ब्लीडिंग इंप्लांटेशन स्पॉटिंग थी। यह प्रेगनेंसी के संकेतों को पहचानने की अहमियत को बताता है।

केस स्टडी 2: प्लेसेंटा प्रिविया के कारण भारी ब्लीडिंग

मामला: रानी (32) को दूसरी तिमाही में ब्राइट रेड ब्लीडिंग हुई। अल्ट्रासाउंड में प्लेसेंटा प्रिविया का पता चला।

नतीजा: सही देखभाल के साथ, उसने सी-सेक्शन से एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

विश्लेषण: जटिलताओं की स्थिति में सही समय पर मेडिकल इलाज ज़रूरी है।

केस स्टडी 3: यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) के कारण ऐंठन

मामला: प्रिया (28) को दूसरी तिमाही में पीरियड जैसी ऐंठन हुई। जांच में यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का पता चला।

नतीजा: एंटीबायोटिक्स से इलाज के बाद, उसके लक्षण ठीक हो गए और प्रेगनेंसी सामान्य तरीक़े से आगे बढ़ी।

विश्लेषण: सामान्य संक्रमण भी प्रेगनेंसी के दौरान गंभीर चिंता पैदा कर सकते हैं।

 

गर्भावस्था में पीरियड्स जैसा दर्द होने पर क्या करें?

अगर प्रेगनेंसी के दौरान ऐंठन या ब्लीडिंग हो, तो ये क़दम उठाएं:

शुरुआती क़दम

  1. शांत रहें: ज़्यादा तनाव से ऐसे लक्षण और गंभीर हो सकते हैं।
  2. डिटेल नोट करें: देखें कि दर्द का समय और तीव्रता कितनी है, ख़ून का रंग और उसकी मात्रा कितनी है, क्या कोई अन्य लक्षण भी है?
  3. डॉक्टर से संपर्क करें: उचित उपचार के लिए डॉक्टर से मिलें।

कब समझें कि इमर्जेंसी है?

  • एक घंटे में पैड पूरी तरह भिगोने वाली भारी ब्लीडिंग
  • तेज़ और लगातार दर्द
  • चक्कर, बेहोशी या बुखार

प्रेगनेंसी में ऐसी ब्लीडिंग को कैसे मैनेज करें

  • नियमित जांच: समय-समय पर जांच कराते रहें।
  • पर्याप्त पानी पिएं और आराम करें: इससे ऐंठन कम करने में मदद मिलती है।
  • प्रीनेटल केयर: इससे चिंता दूर होती है और सुकून मिलता है।

प्रेगनेंसी में पीरियड्स होने से जुड़े मिथ्स और फ़ैक्ट्स

मिथ्स फ़ैक्ट्स
प्रेगनेंसी के दौरान नियमित पीरियड्स हो सकते हैं ग़लत। प्रेगनेंसी में पीरियड्स पूरी तरह रुक जाते हैं। दूसरी वजहों से ब्लीडिंग हो सकती है।
ब्लीडिंग का मतलब हमेशा मिसकैरेज होता है ग़लत। कई महिलाओं को हल्की ब्लीडिंग होती है और उनकी प्रेगनेंसी सामान्य रहती है।
प्रेगनेंसी के दौरान ऐंठन असामान्य है ग़लत। हल्की ऐंठन अक्सर देखी जाती है और यूटरस के विकास या इंप्लांटेशन की वजह से ऐसा होता है।

प्रेगनेंसी के दौरान पीरियड्स होने से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल: क्या पहली तिमाही में स्पॉटिंग सामान्य है?

जवाब: हल्की स्पॉटिंग सामान्य हो सकती है, लेकिन डॉक्टर से इस पर चर्चा ज़रूर करें।

सवाल: प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग कब चिंताजनक हो जाती है?

जवाब: अगर भारी ब्लीडिंग के साथ-साथ दर्द और चक्कर जैसे दूसरे लक्षण भी दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

सवाल: क्या ऐंठन से बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है?

जवाब: हल्की ऐंठन आमतौर पर नुक़सानदेह नहीं होती। गंभीर या लगातार होने वाले दर्द के लिए डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है।

सवाल: क्या प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स के बाद ब्लीडिंग सामान्य है?

जवाब: यूटरस में ब्लड फ़्लो बढ़ने के कारण सेक्स के बाद हल्की स्पॉटिंग सामान्य है, लेकिन इसे डॉक्टर को बताना चाहिए।

निष्कर्ष

प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग और ऐंठन को समझने से ग़ैर-ज़रूरी चिंताओं से निज़ात मिलता है। साथ ही, यह समझ में आता है कि किस तरह की ब्लीडिंग और स्पॉटिंग ख़तरनाक हो सकती है। इससे, समय रहते इलाज करने की गुंजाइश बढ़ जाती है। हमेशा याद रखें कि प्रेगनेंसी के बाद पीरियड्स कभी नहीं आते। अगर ब्लीडिंग हो रही है, तो इसकी वजहें दूसरी होंगी। हालांकि, इन वजहों को समझना सबसे ज़रूरी है। कई बार जानकारी के अभाव में हर तरह की ब्लीडिंग को महिलाएं सामान्य समझने की भूल कर देती हैं, लेकिन प्रीटर्म लेबर या प्लेसेंटा से जुड़ी जटिलताओं के मामले में यह ख़तरनाक हो सकता है। इसलिए, डॉक्टर से अपने स्वास्थ्य से जुड़ी हर बात शेयर करें, जागरूक और सतर्क रहें। ऐसा करके आप इन चुनौतियों से पार पा सकती हैं और मातृत्व का सफर पूरे आत्मविश्वास के साथ पूरा कर सकती हैं।

Our Fertility Specialists

Related Blogs