टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) एक ऐसा हार्मोन है जो पुरुषों में कामेक्षा और प्रजनन शक्ति के लिए ज़िम्मेदार होता है। यह हार्मोन महिलाओं के शरीर में भी पाया जाता है हालांकि महिलाओं में इसकी मात्रा न के बराबर होती है। इसके साथ ही यह हार्मोन पुरुषों में संपूर्ण विकास एवं स्वस्थ शरीर और दिमाग के संरक्षण के लिए आवश्यक है।
टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में कमी होने पर यह शुक्राणु में कमी कारण बन सकता है। टेस्टोस्टेरोन, पुरुष विशेषताओं के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। टेस्टोस्टेरोन का स्तर उम्र के साथ कम होता जाता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम टेस्टोस्टेरोन (testosterone meaning in hindi), इनकी कमी, इसका स्तर जांचने की प्रक्रिया और इसके लिए तैयारी करने से जुड़ी आवश्यक बातों पर चर्चा करेंगे|
टेस्टोस्टेरोन क्या है? – Testosterone Meaning in Hindi
टेस्टोस्टेरोन नामक पुरुष यौन हार्मोन के उत्पादन के लिए टेस्टिकल्स एक प्राथमिक अंग हैं। यौन सम्बन्ध बनाने और प्रजनन क्षमता के रखरखाव के लिए यह हार्मोन बहुत आवश्यक है। यह मर्दाना विशेषताओं जैसे भारी आवाज, शरीर के बाल और मांसपेशियों के विकास के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा, स्वस्थ और मज़बूत हड्डियां, शरीर में फैट और समग्र ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने के लिए टेस्टोस्टेरोन एक आवश्यक कारक है। टेस्टोस्टेरोन महिलाओं में कम मात्रा में होता है।
टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी के लक्षण – Symptoms of low testosterone in Hindi
जिन पुरुषों के टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी है वे कुछ लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं, जैसे कि:
- थकान और कमजोरी: हर समय सुस्ती महसूस होना, जल्दी थक जाना और ऊर्जा की कमी रहना।
- सेक्स की इच्छा में कमी: टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी के लक्षण में इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी शामिल है। साथ ही, इससे सेक्स और उत्तेजना में कमी आती है।
- मांसपेशियों में कमजोरी: शरीर में ताकत कम होना और मांसपेशियों का सिकुड़ना।
- वजन बढ़ना: खासकर पेट और कमर के आसपास चर्बी जमा होना, जिससे वजन बढ़ना या मोटापा होना।
- मूड स्विंग्स और तनाव: चिड़चिड़ापन, उदासी, डिप्रेशन और चिंता की समस्या बढ़ना।
- याददाश्त और ध्यान में कमी: चीजें जल्दी भूल जाना, दिमाग सुस्त लगना और फोकस करने में दिक्कत होना।
- बाल झड़ना: सिर, चेहरे और शरीर के बाल तेजी से गिरना और नए बालों का ना आना।
- हड्डियों में कमजोरी: हड्डियां कमजोर होना, दर्द रहना और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाना।
आपके टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम है या नहीं, इसका मूल्यांकन करने के लिए आपको टेस्टोस्टेरोन टेस्ट कराने की आवश्यकता है।
टेस्टोस्टेरोन की कमी के जोखिम कारक
निम्नलिखित जोखिम कारक हैं जिनके कारण पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी हो सकती है:
- किसी दुर्घटना के परिणामस्वरूप टेस्टिकल में चोट
- कैंसर की रोकथाम के लिए शुक्राणु हटाने के कारण
- न्यूक्लिअर रेडिएशन या कीमोथेरेपी
- पिट्यूटरी ग्रंथि के विकार जो हार्मोन की कमी का कारण बनते हैं
- संक्रमण
- इम्म्यून मीडिएटेड बीमारी (जब शरीर एंटीबॉडी बनाता है जो अपनी कोशिकाओं पर हमला करती है)
- उम्र बढ़ना/मोटापा
- मेटाबोलिक सिंड्रोम
- एंटीडिप्रेसेंट और दर्द निवारक दवाओं का सेवन
- एचआईवी या एड्स जैसी विशेष स्वास्थ्य स्थितियों से पीड़ित
टेस्टोस्टेरोन टेस्ट क्यों किया जाता है?
हाइपोगोनाडिज्म को कम टेस्टोस्टेरोन के स्तर के रूप में संदर्भित किया जाता है, टेस्टोस्टेरोन टेस्ट की मदद से इसका निदान और निगरानी की जा सकती है। टेस्ट यह निर्धारित करने में सहायता कर सकता है कि कम टेस्टोस्टेरोन के स्तर के लक्षणों को कम करने के लिए टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की आवश्यकता है या नहीं। इसके अलावा, टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की प्रभावकारिता का मूल्यांकन करने के लिए भी इस टेस्ट का उपयोग किया जाता है।
टेस्टोस्टेरोन मानव शरीर में एक महत्वपूर्ण हार्मोन है और इसके स्तर को विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के निदान में मदद के लिए मापा जा सकता है।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि टेस्टोस्टेरोन के स्तर में समय-समय पर उतार-चढ़ाव हो सकता है और तनाव, बीमारी और दवाओं जैसे विभिन्न कारकों से इसका स्तर प्रभावित हो सकता है। यही कारण है कि कई बार टेस्ट दोबारा करना पड़ता है, और डॉक्टर भी व्यक्ति की आयु, लिंग और समग्र स्वास्थ्य पर विचार करते हुए परिणामों का मूल्यांकन करते हैं।
टेस्टोस्टेरोन टेस्ट के प्रकार
टेस्टोस्टेरोन टेस्ट के मुख्य तीन प्रकार होते हैं, जिसमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
- टोटल टेस्टोस्टेरोन टेस्ट: इस टेस्ट से शरीर में मौजूद कुल टेस्टोस्टेरोन की मात्रा को मापा जाता है, जिसमें बाउंड और फ्री टेस्टोस्टेरोन दोनों शामिल होते हैं।
- फ्री टेस्टोस्टेरोन टेस्ट: यह टेस्ट केवल उस टेस्टोस्टेरोन को मापता है जो शरीर में सक्रिय रूप से काम कर रहा होता है।
- बायोअवेलेबल टेस्टोस्टेरोन टेस्ट: इस टेस्ट की मदद से शरीर द्वारा उपयोग किए जा सकने वाले टेस्टोस्टेरोन की मात्रा का विश्लेषण किया जाता है।
यह टेस्ट डॉक्टर की सलाह पर कराना चाहिए ताकि सही उपचार और जीवनशैली में सुधार किया जा सके।
टेस्टोस्टेरोन टेस्ट कैसे किया जाता है?
टेस्टोस्टेरोन के लिए टेस्ट एक सीधा रक्त टेस्ट है जो या तो आपके डॉक्टर के क्लिनिक में या प्रयोगशाला में किया जा सकता है। एक प्रशिक्षित चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा आपके हाथ की नस से रक्त का नमूना लिया जाएगा, और फिर नमूना टेस्ट के लिए प्रयोगशाला में ले जाया जाएगा। ज्यादातर मामलों में, टेस्ट के परिणाम वापस आने में कुछ दिन लगते हैं।
टेस्टोस्टेरोन टेस्ट की तैयारी कैसे करें?
टेस्टोस्टेरोन टेस्ट पर विश्वसनीय परिणाम की गारंटी के लिए पर्याप्त रूप से तैयारी करना महत्वपूर्ण है। टेस्ट की बेहतर तैयारी के लिए आप निम्न कदम उठा सकते हैं:
- टेस्ट से पहले, आपको 8 से 12 घंटे का उपवास करना चाहिए। उपवास यह सुनिश्चित करता है कि परिणाम आपके हाल ही के भोजन या पेय की खपत से प्रभावित न हो।
- टेस्ट से कुछ घंटे पहले शराब और कैफीन का सेवन करने से बचें। कैफीन और शराब दोनों में टेस्ट के निष्कर्षों को कम करने की क्षमता है।
- टेस्ट से पहले बहुत अधिक व्यायाम करने से बचें। क्योंकि व्यायाम से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि हो सकती है और परिणाम गलत हो सकते हैं।
- आप वर्तमान में जो भी दवाएं ले रहे हैं, उनके बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। क्योंकि कुछ दवाओं से टेस्टोस्टेरोन का स्तर प्रभावित हो सकता है, इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर को उन सभी दवाओं के बारे में बताएं जो आप टेस्ट के दिनों में ले रहे हैं।
टेस्टोस्टेरोन टेस्ट के नतीजे क्या बताते हैं?
टेस्टोस्टेरोन के स्तर में पूरे दिन उतार-चढ़ाव होता है, उच्चतम स्तर सुबह में होता है और सबसे कम स्तर शाम को होता है। आमतौर पर एक पुरुष का टेस्टोस्टेरोन स्तर सामान्य रूप से 300 से 1,000 ng/dL के बीच होना चाहिए। यदि आपके टेस्टोस्टेरोन का स्तर इस सीमा से नीचे पाया जाता है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि आपके टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम है, जिसे हाइपोगोनाडिज्म भी कहा जाता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि टेस्टोस्टेरोन का स्तर आयु, बीमारी, तनाव और लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली दवाओं सहित विभिन्न प्रकार के कारकों से प्रभावित हो सकता है। आमतौर पर यदि रोगी के टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो तो अपने डॉक्टर के साथ टेस्टोस्टेरोन टेस्ट और उपचार विकल्पों पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है। लक्षणों को कम करने और रोगी को स्वस्थ रखने के लिए, डॉक्टर टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का सुझाव भी दे सकते हैं। टेस्टोस्टेरोन कम होने पर टेस्टोस्टेरोन हार्मोन कैसे बढ़ाये, आइए इसके बारे में जानते हैं।
टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के घरेलू उपाय
टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाने के लिए सही खानपान, रेगुलर एक्सरसाइज और हेल्दी लाइफस्टाइल बेहद जरूरी है। टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के घरेलू उपाय में शामिल हैं:
- प्रोटीन युक्त भोजन खाएं: अंडे, चिकन, मछली, दालें और नट्स को डाइट में शामिल करें। ये आपकी मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को बढ़ाते हैं।
- हेल्दी फैट्स लें: बादाम, अखरोट, जैतून का तेल, नारियल का तेल और एवोकाडो में हेल्दी फैट्स होते हैं, जो हार्मोनल संतुलन के लिए जरूरी हैं।
- जिंक और विटामिन डी बढ़ाएं: अंडे, डेयरी प्रोडक्ट्स, मशरूम और सुबह की धूप लेना फायदेमंद होता है। ये टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं।
- वेट लिफ्टिंग और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें: एक्सरसाइज करने से टेस्टोस्टेरोन का लेवल तेजी से बढ़ता है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
- योग और मेडिटेशन: तनाव कम करने और मेन्टल पीस बनाए रखने के लिए योग और मेडिटेशन करें। इससे शरीर में हार्मोन का लिवर बेहतर होता है।
- प्रॉपर नींद लें: टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन मुख्य रूप से रात में सोते समय होता है। इसलिए रोजाना 7-8 घंटे की गहरी नींद जरूरी है।
- तनाव से बचें: पसंद की संगीत सुनें और गतिविधियों में शामिल हों ताकि तनाव को कम किया जा सके। ज्यादा तनाव शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ाता है, जो टेस्टोस्टेरोन के लेवल को कम कर सकता है।
- शराब: अल्कोहल और धूम्रपान से दूर रहें, क्योंकि अत्यधिक शराब और तंबाकू का सेवन टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को प्रभावित करता है।
इन आदतों को अपनाकर आप अपने टेस्टोस्टेरोन को प्राकृतिक रूप से बढ़ा सकते हैं।
टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने की दवा
कुछ मामलों में टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के घरेलू उपाय के साथ-साथ दवाओं की आवश्यकता होती है। टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने की दवाओं में निम्न शामिल हैं:
- टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी: यह थेरेपी उन पुरुषों के लिए बेस्ट है जिनका टेस्टोस्टेरोन स्तर बहुत कम होता है। यह कई रूपों में उपलब्ध है जैसे कि इंजेक्शन, गोलियां, स्किन पैच और टॉपिकल जेल।
- टेस्टोस्टेरोन बूस्टर सप्लीमेंट्स: ये सप्लीमेंट्स प्राकृतिक तत्वों से बनते हैं जो टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बढ़ाने में मदद करते हैं। इनमें जिंक, विटामिन डी, मैग्नीशियम, अश्वगंधा, ट्राइबुलस टेरेस्ट्रिस और डी-एस्पार्टिक एसिड शामिल होते हैं। दवाओं की तुलना में ये सप्लीमेंट्स अधिक सुरक्षित माने जाते हैं।
- हर्बल और प्राकृतिक दवाएं: तनाव कम करके और हार्मोन बैलेंस करके टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने में मदद करता है अश्वगंधा। ट्राइबुलस टेरेस्ट्रिस सेक्सुअल हेल्थ और टेस्टोस्टेरोन को बेहतर बनाता है। मेथी से टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने और ऊर्जा स्तर सुधारने में मदद मिलती है।