गर्भपात किसी भी महिला की ज़िंदगी की बहुत बड़ी घटना होती है, फिर चाहे उसने अपनी मर्ज़ी से कराया हो या फिर यह मिसकैरेज हुआ हो। यह न सिर्फ़ शारीरिक, बल्कि मानसिक तौर पर भी गहरा असर डाल सकता है। साथ ही, भविष्य में प्रेगनेंसी को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह की आशंकाएं उभर सकती हैं। मिसकैरेज और अबॉर्शन को हिंदी में गर्भपात कहते हैं। अबॉर्शन अमूमन मर्ज़ी से कराया जाता है, चाहे दवाई के ज़रिया या फिर सर्जरी के ज़रिए। वहीं, मिसकैरेज का मतलब होता है किन्हीं मेडिकल वजहों से न चाहते हुए भी गर्भपात होना। इस लेख में हम इन्हीं मुद्दों पर बात करेंगे और समझने की कोशिश करेंगे कि आप अबॉर्शन के कितने दिनों के बाद फिर से प्रेगनेंट हो सकती हैं, मिसकैरेज से बचाव के तरीक़े क्या हैं, गर्भपात के बाद क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और अबॉर्शन के कितने दिन बाद संबंध बनाना सुरक्षित होता है।
गर्भपात क्यों होता है?
गर्भपात कई वजहों से होता है, लेकिन इन वजहों को दो कैटगरी में बांटा जा सकता है: चिकित्सा से जुड़े कारण और अन्य कारण
चिकित्सा से जुड़े कारण:
- क्रोमोज़ोम से जुड़ी गड़बड़ियां: भ्रूण में आनिवांशिक दोष यानी जीनेटिक वजहों से गर्भपात हो सकता है। यह गर्भपात की सबसे आम वजह है। अक्सर प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में ऐसा होता है।
- मां के शरीर में स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं: डाइबिटीज़, हाइपरटेंशन, थायरॉइड डिसऑर्डर या इनफ़ेक्शन की वजह से प्रेगनेंसी में कई तरह की जटिलताएं देखने को मिल सकती हैं। गर्भपात इन्हीं में से एक है।
- प्लेसेंटा से जुड़ी समस्याएं: प्लेसेंटा का अगर सही से विकास नहीं हुआ है, तो इससे शिशु के विकास में भी बाधा पहुंचती है और इस वजह से गर्भपात हो सकता है।
- लाइफ़स्टाइल से जुड़ी वजहें: शराब, सिगरेट या फिर किसी भी तरह के नशीले पदार्थों के सेवन से गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है।
- इनफ़ेक्शन: टोक्सोप्लाज़्मोसिस, रुबेला या यौन संचारित संक्रमण यानी एसटीआई से प्रेगनेंसी पर बुरा असर पड़ता है और इन वजहों से मिसकैरेज यानी गर्भपात की आशंका काफ़ी बढ़ जाती है।
अन्य कारण:
- निजी फ़ैसला: सामाजिक, आर्थिक या निजी वजहों से गर्भपात का फ़ैसला।
- अनप्लान्ड प्रेगनेंसी: कई लोग मां-बाप बनने के लिए ख़ुद को तैयार नहीं पाते और प्रेगनेंट होने पर अबॉर्शन का फ़ैसला लेते हैं।
- सही माहौल का अभाव: कई महिलाएं घरेलू हिंसा, सहारा-समर्थन की कमी या फिर रिश्ते में खटास की वजह से भी गर्भपात का फ़ैसला लेती हैं।
गर्भपात के बाद प्रजनन क्षमता पर क्या असर पड़ता है
गर्भपात के बाद प्रजनन क्षमता बहुत जल्दी वापस आ जाती है। ओव्यूलेशन की प्रक्रिया गर्भपात के दो हफ़्तों के अंदर शुरू हो सकती है। इसलिए, बहुत मुमकिन है कि संबंध बनाने के बाद अगले पीरियड से पहले ही कोई महिला प्रेगनेंट हो जाए। इसी वजह से यह सलाह दी जाती है कि गर्भपात के बाद बेफ़िक्री से संबंध न बनाएं। अगर प्रेगनेंट नहीं होना है, तो गर्भनिरोधक का इस्तेमाल ज़रूर करें।
गर्भपात के ठीक होने में कितना समय लगता है?
गर्भपात के बाद की रिकवरी का समय, हर महिला के लिए एक जैसा नहीं होता। यह आपके शारीरिक और मानसिक हालात के ऊपर निर्भर करता है कि इससे उबरने में आपको कितना समय लगेगा।
फ़िज़िकल रिकवरी:
- दवाई से गर्भपात: दो-चार दिनों से लेकर एक हफ़्ते तक। दो हफ़्ते तक हल्का रक्तस्राव हो सकता है।
- सर्जरी से गर्भपात: शारीरिक रिकवरी में एक से दो हफ़्ते तक लग सकते हैं।
भावनात्मक रिकवरी:
- कुछ महिलाएं चंद दिनों में ही राहत महसूस कर सकती हैं, लेकिन कुछ को लंबे समय तक उदासी, अपराधबोध या फिर चिंता हो सकती है। इस दौरान, प्रियजनों से बात करें और अगर तब भी राहत महसूस नहीं होती, तो आप काउंसलिंग का विकल्प अपना सकती हैं।
- जितनी जल्दी हो सके, अबॉर्शन की सच्चाई को स्वीकार करें। रिकवरी की प्रक्रिया के लिए यह बेहद ज़रूरी है। कई महिलाएं ‘डेनाइल मोड’ में रहती हैं, यानी अबॉर्शन के बाद भी इस घटना को दिल से स्वीकार नहीं कर पातीं। ऐसे में एंग्ज़ाइटी का ख़तरा बढ़ जाता है।
भारत जैसे देश में पोस्ट-अबॉर्शन केयर की सुविधाएं बेहद सीमित हैं। ज़्यादातर महिलाएं घर में ख़ुद ही इससे उबरने की कोशिश करती हैं। हालांकि, अगर आपको ज़रा भी शारीरिक या मानसिक तकलीफ़ महसूस हो रही है, तो पोस्ट-अबॉर्शन केयर के लिए डॉक्टर या विशेषज्ञों से मिलने में हिचकिचाएं नहीं।
अबॉर्शन के बाद गर्भनिरोधक उपाय
गर्भपात के बाद, ज़्यादातर गर्भनिरोधक सुरक्षित माने जाते हैं, जैसे कि कॉपर-टी, आईयूडी, कंडोम, इंप्लांट, इंजेक्शन या गोलियां। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर गर्भ रोकने की ज़्यादातर सुविधाएं मुफ़्त में उपलब्ध होती हैं। आप अपनी सुविधा के हिसाब से इनमें से कोई भी विकल्प अपना सकती हैं।
गर्भपात के बाद सावधानियां
- आराम: गर्भपात के तुरंत बाद शारीरिक मेहनत से बचना चाहिए। रिकवरी के लिए बहुत ज़रूरी है कि आप कुछ दिन आराम करें।
- पर्याप्त पानी पिएं: पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इससे शरीर में हाइड्रेशन बरकरार रखने में मदद मिलती है।
- भारी शारीरिक काम से बचें: कम से कम दो हफ़्तों तक शरीर को बहुत ज़्यादा थका देने वाले काम से बचें।
- जटिलताओं पर नज़र रखें: कई बार चीज़ें आसान नहीं होतीं और गर्भपात के बाद शरीर में अलग-अलग तरह की जटिलताएं पैदा सकती हैं। मसलन, बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग, पेट में तेज़ दर्द, बुखार या असामान्य डिसचार्ज। ऐसी चीज़ों पर नज़र रखें और तकलीफ़ बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- डॉक्टर से फ़ॉलो-अप के लिए मिलें: यह सुनिश्चित करने के लिए आप पूरी तरह ठीक और सामान्य हो चुकी हैं, हफ़्ते, दो हफ़्ते बाद डॉक्टर से दोबारा मिलें और ज़रूरी जांच कराएं।
अबॉर्शन के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए?
अबॉर्शन के तुरंत बाद सेक्स करने से बचना चाहिए। डॉक्टर आम तौर पर अबॉर्शन के बाद कम से कम दो हफ़्तों तक संभोग से बचने की सलाह देते हैं। इस तरह के एहतियात बरतने से इनफ़्केशन की गुंजाइश कम हो जाती है और यूटरस को ठीक होने के लिए ज़रूरी समय मिल जाता है।
गर्भपात के कितने दिन बाद गर्भधारण की संभावना होती है?
जैसे ही ओव्यूलेशन की प्रक्रिया फिर से शुरू होती है, गर्भधारण करने की संभावना दोबारा बन जाती है। यह प्रक्रिया आम तौर पर गर्भपात के दो हफ़्ते बाद होता है। अबॉर्शन के बाद, गर्भधारण की योजना बनाने वाली महिलाओं को इन दो बातों का ख़याल रखना चाहिए:
- भले ही गर्भधारण तुरंत मुमकिन हो, लेकिन शारीरिक रिकवरी के लिए कम से कम एक मेंस्ट्रुअल साइकल (पीरियड) तक इंतज़ार करें। यह गर्भाशय के पूरी तरह ठीक होने के लिए ज़रूरी है।
- हर महिला की रिकवरी का समय अलग-अलग हो सकता है। इसलिए, सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि आप इस विषय में डॉक्टर की राय लें कि क्या आपका शरीर प्रेगनेंसी के लिए तैयार हो चुका है?
भारत में शादी के बाद, आम तौर पर महिला के ऊपर बच्चा पैदा करने का सामाजिक-पारिवारिक दबाव तुरंत बनना शुरू हो जाता है। इसलिए, कई बार महिलाएं अबॉर्शन के बाद ज़्यादा इंतज़ार नहीं करतीं। हालांकि, याद रखिए कि स्वास्थ्य का मसला किसी भी दबाव से कहीं बड़ा होता है।
गर्भपात के बाद प्रेग्नेंसी की तैयारी कैसे करें?
जैसा कि पहले भी बताया गया है, तैयारी दो स्तरों पर होनी चाहिए- शारीरिक और मानसिक। इसके लिए इन बातों का ख़याल रखें:
शारीरिक तैयारी:
- गर्भधारण से पहले चेक-अप करवाएं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपका शरीर प्रेगनेंसी के लिए तैयार है।
- अपने डॉक्टर से रिप्रोडक्शन हेल्थ (प्रजनन स्वास्थ्य) समेत हर तरह के मेडिकल कंडीशन पर खुलकर चर्चा करें।
हेल्दी लाइफ़स्टाइल:
- फल, सब्ज़ियां, लीन प्रोटीन और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार लें।
- फ़िज़िकल फ़िटनेस बनाए रखने के लिए नियमित रूप से हल्का व्यायाम करें।
- तंबाकू, शराब और नशीले पदार्थों के सेवन से बचें।
सप्लिमेंटरी डाइट:
गर्भधारण से कम से कम एक महीने पहले से फ़ोलिक एसिड का सप्लीमेंट लेना शुरू करें, ताकि न्यूरल ट्यूब में डिफ़ेक्ट के जोखिम को कम किया जा सके।
मानसिक तैयारी:
- अगर ज़रूरी लगे, तो गर्भपात से जुड़े भावनात्मक पहलू पर काउंसलिंग लें।
- परिवार और दोस्तों की मदद लें।
आर्थिक योजना:
पैरेंट बनने के बाद कई तरह की ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। इसलिए, ज़रूरी है कि इस दिशा में आप ठोस आर्थिक योजना बनाएं या फिर अपनी तैयारियों का मूल्यांकन करें।
भारत के कुछ ग्रामीण इलाक़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं और पोषण से जुड़े सप्लिमेंट की कमी हो सकती है, लेकिन इसके लिए आप कुछ सरकारी योजनाओं या कार्यक्रमों की मदद ले सकती हैं, जैसे कि जननी सुरक्षा योजना। इस तरह की योजनाओं पर नज़र रखें और जागरूक रहें।
गर्भपात के बाद प्रेगनेंसी में क्या सावधानियां बरतें?
गर्भपात के बाद की प्रेगनेंसी में अतिरिक्त देखभाल और सावधानी बरतने की ज़रूरत हो सकती है:
- नियमित चेक-अप: प्रेगनेंसी की निगरानी सुनिश्चित करें, ताकि किसी भी तरह की जटिलता का जल्दी पता चल सके।
- स्वस्थ आहार और सप्लिमेंट: पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें और प्री-नेटल विटामिन और पोषक तत्वों का सेवन करें।
- तनाव से बचें: योगा या ध्यान जैसी तकनीकों का अभ्यास करें, ताकि आप मानसिक तौर पर स्वस्थ और तैयार महसूस कर सकें।
- ज़्यादा जोखिम वाले कामों से बचें: ऐसे कामों से बचें, जो गर्भपात के जोखिम को बढ़ा सकते हों।
गर्भपात से बचने के उपाय
मिसकैरेज से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
गर्भधारण करने से पहले स्वास्थ्य अच्छा बनाएं:
- गर्भधारण करने से पहले डाइबिटीज़, हाइपरटेंशन या थायरॉइड जैसी बीमारियों की जांच करें।
- इनफ़ेक्शन से बचने के लिए आवश्यक वैक्सीन ज़रूर लगाएं।
प्रेगनेंसी के दौरान आदतें अच्छी रखें:
- शराब-सिगरेट और हानिकारक दवाओं से बचें।
- सही पोषण वाले संतुलित आहार का सेवन करें और बहुत ज़्यादा शारीरिक मेहनत से बचें।
प्रीनेटल केयर:
- गर्भधारण के बाद कुछ सभी ज़रूरी एहतियात बरतें और डॉक्टर से मिलकर अपनी जांच कराएं।
- भ्रूण के विकास की निगरानी करें और किसी भी क़िस्म की जटिलता पाए जाने पर इंतज़ार न करें, तुरंत डॉक्टर से मिलें।
तनाव कम करें:
योगा, ध्यान या काउंसलिंग जैसे विकल्पों को अपनाएं और तनाव करने वाली तकनीकों का अभ्यास करें।
कोई भी लक्षण दिखे, तो एलर्ट हो जाएं:
ज़्यादा ब्लीडिंग, पेट में तेज़ दर्द जैसी चेतावनी किसी जटिलता का संकेत हो सकते हैं। इसलिए, इन तरह के लक्षण को लेकर जागरूक और सतर्क रहें।
केस स्टडी: अंजलि की कहानी
दिल्ली की 32 वर्षीय अंजलि को स्वास्थ्य से जुड़ी जटिलताओं की वजह से अबॉर्शन कराना पड़ा। शुरुआत में उनके मन में यह डर था कि भविष्य में वह प्रेगनेंट हो पाएंगी या नहीं और अगर प्रेगनेंट हुई भी, तो इसमें कोई जटिलता तो नहीं आएगी? उन्होंने इन सवालों को मन में रखने के बजाय, डॉक्टर से मिलना बेहतर समझा और डॉक्टर ने उन्हें ज़रूरी सलाह दी। छह महीने की तैयारी के बाद वह दोबारा प्रेगनेंट हुईं। अब वह एक स्वस्थ बेटी की मां हैं। अंजलि की कहानी यह बताती है कि गर्भपात के बाद सही मार्गदर्शन और देख-रेख से प्रेगनेंसी काफ़ी क़ामयाब हो सकती है।
गर्भपात के बाद प्रेगनेंट होने से जुड़े मिथ्स और फ़ैक्ट्स
मिथ्स | फ़ैक्ट्स |
गर्भपात स्थायी रूप से गर्भधारण की क्षमता को प्रभावित करता है। | गर्भपात का आम तौर पर गर्भधारण करने की क्षमता पर असर नहीं पड़ता। कुछ अन्य जटिलताओं की वजह से बार-बार गर्भपात हो सकता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर से मिलें। |
गर्भपात के बाद डॉक्टर से मिलने की ज़रूरत नहीं होती। | गर्भपात सही तरीक़े से हुआ है या नहीं और उसके बाद आपका शरीर कितना रिकवर हुआ है, यह जानने के लिए डॉक्टर से मिलना ज़रूरी होता है। |
गर्भपात से कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है। | गर्भपात से कैंसर का ख़तरा बढ़ने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। |
गर्भपात के बाद आप स्तनपान नहीं करा सकतीं। | अगर गर्भपात से पहले से आप स्तनपान करा रही थीं, तो इसे बाद में भी जारी रख सकती हैं। अगर स्वास्थ्य से जुड़ी वजहों से डॉक्टर मना करते हैं, तो अलग बात है। |
गर्भपात के बाद प्रेगनेंट होने से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सवाल: क्या गर्भपात के बाद टैंपोन का इस्तेमाल किया जा सकता है?
जवाब: इनफ़ेक्शन के जोखिम को कम करने के लिए कम से कम दो हफ़्ते तक टैंपोन के इस्तेमाल से बचना चाहिए। इसके बजाय सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करें।
सवाल: गर्भपात के बाद ब्लीडिंग कितने समय तक रहता है?
जवाब: हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग दो हफ़्ते तक रह सकता है। अगर भारी ब्लीडिंग हो रही हो, तो डॉक्टर से मिलें।
सवाल: क्या गर्भपात के बाद यात्रा करना सुरक्षित है?
जवाब: कम से कम एक हफ़्ते तक लंबी यात्रा से बचें। दो हफ़्ते तक यात्रा करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें।
सवाल: क्या तनाव की वजह से गर्भपात हो सकता है?
जवाब: बहुत ज़्यादा तनाव से जटिलताएं बढ़ सकती हैं, लेकिन यह गर्भपात का प्रत्यक्ष कारण नहीं है।
निष्कर्ष
गर्भपात के बाद शरीरिक और मानसिक तौर पर रिकवर करना भविष्य की प्रेगनेंसी के लिए बहुत ज़रूरी है। गर्भपात के दौरान और इसके बाद उचित देखभाल, परिजनों का सहयोग और डॉक्टर से मार्गदर्शन ज़रूरी है। अबॉर्शन बहुत सामान्य घटना है और इसके हर पहलू को अच्छे से समझने पर आप बहुत जल्दी सामान्य हो सकती हैं और दोबारा मां बन सकती हैं। बस, सुनी-सनाई बातों पर भरोसा न करें और मन में कोई भी सवाल आने पर डॉक्टर से मिलें।