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Uterus Infection in Hindi – गर्भाशय का इंफेक्शन के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

Uterus Infection in Hindi – गर्भाशय का इंफेक्शन के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

Dr. Sonal Chouksey
Dr. Sonal Chouksey

MBBS, DGO

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बच्चेदानी में इंफेक्शन क्या होता है?

बच्चेदानी (गर्भाशय) में बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन को  बच्चेदानी का इंफेक्शन कहते हैं। इसे मेडिकल भाषा में एंडोमेट्राइटिस कहा जाता है। आइए इसके कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपाय के बारे में विस्तार से जानते हैं।

बच्चेदानी में इंफेक्शन के लक्षण – Bachedani me Infection Ke Lakshan

बच्चेदानी में इंफेक्शन होने पर आप खुद में कुछ लक्षणों को अनुभव करती हैं। ये लक्षण सामान्य या गंभीर हो सकते हैं। इसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं:

  • पेट के निचले हिस्से में लगातार या दबाव डालने पर बढ़ने वाला दर्द महसूस होना।
  • बुखार और ठंड लगना, जिससे कमजोरी और थकान महसूस होती है।
  • योनि से असामान्य डिस्चार्ज, सफेद, पीला या बदबूदार डिस्चार्ज आना।
  • यौन संबंध के दौरान दर्द असहज महसूस करना।
  • इंफेक्शन के कारण पेशाब करते समय जलन या दर्द होना।
  • अचानक कमजोरी और थकान के कारण काम करने में मुश्किल होना।
  • अनियमित पीरियड्स की शिकायत होना।

अगर आप खुद में इन लक्षणों को देखें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें और उन्हें इस बारे में बताएं।

बच्चेदानी में इंफेक्शन के कारण – Bachedani me Infection Kaise Hota Hai

बच्चेदानी में इंफेक्शन कई कारणों से हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • असुरक्षित यौन संबंध के कारण बैक्टीरिया या वायरस से इंफेक्शन हो सकता है।
  • डिलीवरी या गर्भपात के बाद इंफेक्शन होना जो सही देखभाल न होने पर फैल सकता है।
  • पेल्विक इंफेक्शन (PID) फैलकर बच्चेदानी तक पहुंच सकता है।
  • सर्जरी, आईयूडी (गर्भनिरोधक उपकरण) या अन्य प्रक्रियाओं के दौरान सफाई का ध्यान न रखने से इंफेक्शन होना।
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
  • मल्टीपल पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाने से इंफ्केशन का जोखिम बढ़ता है।
  • सेनेटरी हाइजीन की कमी यानी पीरियड्स के दौरान सफाई न रखने से बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं।

समय पर इलाज न करने से यह इंफेक्शन फैल सकता है, इसलिए सावधानी बरतना जरूरी है।

बच्चेदानी में इंफेक्शन से होने वाले संभावित खतरे

बच्चेदानी में इंफेक्शन होने पर अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे कि:

  • इंफेक्शन फैलने से फर्टिलिटी क्षमता प्रभावित होती है, जिससे गर्भधारण करने में दिक्कत आ सकती है।
  • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (PID) एक गंभीर स्थिति है जिसमें इंफेक्शन फैलकर ओवरी और फैलोपियन ट्यूब तक पहुंच सकता है।
  • गर्भावस्था में जटिलताएं जैसे कि इंफेक्शन से गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी या बच्चेदानी में असामान्य बदलाव हो सकते हैं।
  • इंफेक्शन के कारण ओवरी और फैलोपियन ट्यूब में पस (मवाद) भर सकता है, जिससे दर्द और अन्य समस्याएं हो पैदा सकती हैं।
  • इंफेक्शन खून में फैलने यानी सेप्सिस (ब्लड इंफेक्शन) होने पर यह जानलेवा हो सकता है।
  • बच्चेदानी में इंफेक्शन होने पर पीरियड्स अनियमित, बहुत ज्यादा दर्दनाक या असामान्य हो सकते हैं।

बच्चेदानी में इंफेक्शन का इलाज – Uterus Infection Treatment in Hindi

अगर बच्चेदानी में इंफेक्शन हो जाए, तो इसे समय पर इलाज से ठीक किया जा सकता है। डॉक्टर आमतौर पर निम्नलिखित उपचार सुझाते हैं:

  • बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।
  • दर्द और सूजन को कम करने के लिए पेनकिलर दी जा सकती हैं।
  • शरीर को मजबूत करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और आराम करें।
  • अगर इंफेक्शन ज्यादा बढ़ गया तो अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी जा सकती है।
  • अगर इंफेक्शन से पस (मवाद) बन गया हो या फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो गई हो, तो सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
  • आगे इंफेक्शन न हो, इसके लिए साफ-सफाई का ध्यान रखें और असुरक्षित यौन संबंधों से बचें।

समय पर सही इलाज कराने से इंफेक्शन को बढ़ने से रोका जा सकता है।

बच्चेदानी में इंफेक्शन का घरेलू इलाज

अगर बच्चेदानी में हल्का इंफेक्शन है तो कुछ घरेलू उपाय राहत दे सकते हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में डॉक्टर से इलाज करवाना जरूरी है।

  1. हल्दी: हल्दी में एंटीबायोटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर रोजाना पिएं।
  2. लहसुन: लहसुन में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण इंफेक्शन को कम करने में मदद करते हैं। रोजाना 1-2 कच्ची लहसुन की कलियां खाएं या उन्हें गुनगुने पानी के साथ लें।
  3. मेथी: मेथी शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं। एक चम्मच मेथी के दाने रातभर पानी में भिगोकर सुबह छानकर पानी को पिएं।
  4. ग्रीन टी: ग्रीन टी शरीर से टॉक्सिक पदार्थ निकालती है और इंफेक्शन से लड़ने में मदद करती है। दिन में 1-2 बार ग्रीन टी पिएं।
  5. दही: दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया बढ़ाते हैं और इंफ्केशन को कम करते हैं। अपनी डाइट में दही शामिल करें।
  6. तुलसी की पत्तियां: तुलसी प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह काम करती है। 4-5 तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर पीना फायदेमंद होता है।
  7. हाइड्रेट रहें: शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालने और इंफ्केशन को दूर करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

ये घरेलू नुस्खे बच्चेदानी के हल्के इंफेक्शन में मदद कर सकते हैं, लेकिन अगर लक्षण गंभीर हों तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।

बच्चेदानी में इंफेक्शन से बचाव के उपाय

बच्चेदानी में इंफेक्शन से बचने के लिए कुछ जरूरी सावधानियां अपनानी चाहिए:

  1. सेक्सुअल हाइजीन बनाए रखें: असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं और हमेशा सुरक्षित उपाय अपनाएं। एक से अधिक पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाने से इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है।
  2. निजी साफ-सफाई का ध्यान रखें: हल्के गुनगुने पानी से प्राइवेट पार्ट की सफाई करें। खुशबूदार साबुन या केमिकल वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल न करें।
  3. पीरियड्स के दौरान हाइजीन बनाए रखें: सैनिटरी पैड या टैम्पोन हर 4-6 घंटे में बदलें। मेंस्ट्रुअल कप का सही तरीके से इस्तेमाल और उसकी सफाई करें।
  4. हेल्दी डाइट लें: बैक्टीरिया से लड़ने के लिए दही, हल्दी, लहसुन और हरी सब्जियां खाएं। शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए विटामिन C से भरपूर चीजें जैसे कि नींबू  संतरा लें।
  5. असुरक्षित गर्भपात और सर्जरी से बचें: गर्भपात या बच्चेदानी से जुड़ी किसी भी सर्जरी के लिए योग्य डॉक्टर से सलाह लें।

इन सबके अलावा, सही समय पर इलाज करवाएं। किसी भी असामान्य लक्षण जैसे कि पेट दर्द, बदबूदार डिस्चार्ज और अनियमित पीरियड्स आदि को नजरअंदाज न करें।

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