अस्थानोजोस्पर्मिया के बारे में विस्तार से जानें!
अस्वस्थ जीवनशैली, गलत खानपान और नशा आदि के कारण पुरुषों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अस्थानोजोस्पर्मिया या स्पर्म की गतिशीलता का कम होना भी उन्हीं समस्याओं में से एक है। अस्थानोजोस्पर्मिया के कारण पुरुष पिता बनने की क्षमता खो देते हैं।
जब स्पर्म की गतिशीलता कम या न के बराबर होती है तो संतान होने में दिक्कतें आती हैं। इस बीमारी का तब पता चलता है जब मरीज संतान पाने की कोशिशों के बावजूद पिता नहीं बन पाता है। हालांकि इस दिशा में आजकल कई उपचार मौजूद हैं जिनसे मरीज को समाधान मिल जाता है।
अस्थानोजोस्पर्मिया क्या है?
अस्थानोजोस्पर्मिया या एस्थेनोज़ोस्पर्मिया ऐसी स्थिति है जिसमें पुरुष के स्पर्म की गतिशीलता कम हो जाती है। इस रोग के कारण पुरुषों में प्रजनन क्षमता कम या समाप्त हो जाती है। प्रजनन सम्बन्धी समस्या होने पर डॉक्टर स्पर्म की जांच करने के बाद स्थिति की गंभीरता को समझते हैं। जिसके बाद आपके डॉक्टर मरीज की स्थिति में सुधार लाने के लिए उपचार करते हैं।
जानकारी हो कि प्रजनन के लिए जब महिला और पुरुष सम्बन्ध स्थापित करते हैं तो पुरुष का स्पर्म महिला की योनि से होते हुए फैलोपियन ट्यूब द्वारा अंडे तक का सफर करता है। इसके बाद निषेचन की प्रक्रिया पूरी होती है। अगर स्पर्म गतिशील नहीं रहता है तो उसका अंडे तक पहुंचना असंभव हो जाता है और निषेचन की प्रक्रिया नहीं हो पाती है। ऐसे में कपल संतान होने से वंचित रह जाते हैं। अगतिशील स्पर्म के कारण संतान होने में जब दिक्कतें आती है तो इसे पुरुष नपुंसकता माना जाता है।
अस्थानोजोस्पर्मिया के चरण
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके कई चरण या स्टेज बताए हैं। यह स्टेज ग्रेड ए, बी, सी और डी में हैं।
- ग्रेड ए – इस स्थिति में स्पर्म एक सीधी रेखा में तेजी से आगे बढ़ते हैं और प्रजनन की प्रक्रिया को संपन्न करते हैं। यह एक आदर्श और सामान्य स्थिति है जिसमें कपल को आसानी से संतान की प्राप्ति होती है।
- ग्रेड बी – इस स्थिति में स्पर्म आगे बढ़ते हैं लेकिन उनमें गति का अभाव होता है और वे घुमावदार रूप से आगे बढ़ते हैं। इसमें प्रजनन की क्रिया धीमी गति से संपन्न होती है। इस स्थिति में आमतौर पर संतान की उत्पत्ति में समस्या नहीं होती है।
- ग्रेड सी – यह एक चिंताजनक स्थिति है जिसमें स्पर्म के मात्र पूँछ हिलते हैं। इसमें स्पर्म आगे की ओर नहीं बढ़ते हैं और प्रजनन की क्रिया में बाधा होती है। ग्रेड सी की स्थिति में ही लोग ज्यादातर डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाते हैं।
- ग्रेड डी – यह सबसे गंभीर स्थिति है जिसमें स्पर्म बिल्कुल आगे नहीं बढ़ते हैं। इसे ही पुरुष नपुंसकता कहा जाता है। ऐसी स्थिति में पुरुष का पिता बनना लगभग असंभव हो जाता है। ग्रेड डी की अवस्था में इलाज करने से भी कोई लाभ नहीं पहुँचता है।
अस्थानोजोस्पर्मिया की जांच
अस्थानोजोस्पर्मिया अथवा स्पर्म की गतिशीलता का पता लगाने के लिए वीर्य विश्लेषण/सीमन एनालिसिस के लिए लैब में सैंपल जमा किया जाता है। इस टेस्ट में स्पर्म की संख्या और आकृति के साथ-साथ स्पर्म की गतिशीलता का भी पता लगाया जाता है।
अगर सैंपल में मौजूद स्पर्म कोशिकाओं का 32% से कम हिस्सा गतिशील है तो उसे अस्थानोजोस्पर्मिया की श्रेणी में रखा जाता है। डॉक्टर स्पर्म की गुणवत्ता और गतिशीलता को जांचने के बाद उपचार की दिशा में आगे बढ़ते हैं। यहीं यह भी तय हो जाता है कि अस्थानोजोस्पर्मिया किस चरण में है और इलाज से ठीक होने की सम्भावना है या नहीं!
अस्थानोजोस्पर्मिया के कारण
यह निश्चित करना कठिन है कि अस्थानोजोस्पर्मिया किस कारण से होता है। पुरुषों में स्पर्म की गतिशीलता अलग-अलग हो सकती है। अस्थानोजोस्पर्मिया का एक कारण अनुवांशिकी भी है। साथ ही, व्यक्ति का सम्पूर्ण स्वास्थ्य तथा जीवनशैली भी इस स्थिति के लिए उत्तरदायी होते हैं।
अस्थानोजोस्पर्मिया के मूल कारणों में तनाव, खराब भोजन, नशा, संक्रमण आदि शामिल हैं। डॉक्टरों का मानना है कि यह रोग किसी एक कारण से नहीं होता है, बल्कि कई कारण मिलकर ऐसी स्थिति उत्पन्न करते हैं। जीवनशैली में एक साथ कई स्तरों पर लापरवाही और रोगों से घिरे होने पर ऐसी समस्या पैदा होती है। अस्थानोजोस्पर्मिया के लिए मोटे तौर पर निम्न कारण जिम्मेदार हैं:
- तनाव की अधिकता
- शरीर में थकावट
- विटामिन की कमी
- शारीरिक गतिविधि का अभाव
- अस्वास्थ्यकर भोजन, अनियमित जीवनशैली
- धूम्रपान, शराब तथा अन्य नशा करना
- वृषण के तापमान का बढ़ना
- जननांग में संक्रमण
ऊपर दिए कारणों से स्पर्म की गतिशीलता कम हो जाती है और पुरुष संतान पैदा करने में असमर्थ हो जाते हैं। डॉक्टर स्पर्म को बढ़ाने और उसे गतिशील बनाने के लिए रोगी को उचित सलाह देते हैं।
अस्थानोजोस्पर्मिया की रोकथाम
अस्थानोजोस्पर्मिया होने के कई कारणों में असंतुलित जीवनशैली प्रमुख है। अतः इसके उपचार के लिए भी कोई खास दवा नहीं है। इसलिए रोगी को जीवनशैली में सुधार करने और खानपान पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर रोग के कारणों पर विचार करते हैं और मरीज से चर्चा करते हैं। रोगी अपने जीवनशैली में परिवर्तन करके स्पर्म की गतिशीलता को बढ़ा सकता है। एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप इस रोग को दूर कर सकते हैं।
स्वस्थ प्रजनन के लिए शरीर का स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। पौष्टिक आहार लेकर आप अपनी फर्टिलिटी को इम्प्रूव कर सकते हैं। वहीं जिंक सहित विटामिन सी और ई स्पर्म को बेहतर बनाने में सहयोग करते हैं। डॉक्टर ऐसे ही कई सुधारात्मक सुझाव देते हैं ताकि रोगी का स्वस्थ बेहतर होने के साथ-साथ प्रजनन क्षमता में भी सुधार हो सके।
डॉक्टर स्वास्थ्य में सुधार के लिए कुछ दवा भी लेने की सलाह देते हैं। साथ ही, अस्वस्थ भोजन लेने से रोका जाता है और रोगी की दिनचर्या सही करने को कहा जाता है। मरीज को धूम्रपान और अल्कोहल लेने से परहेज करने की सलाह दी जाती है।
रोगी को नियमित व्यायाम, योग और प्राणायाम करने के साथ ही ढीले अंडर वियर पहनने का सुझाव दिया जाता है। अस्थानोजोस्पर्मिया को सही करने के लिए घरेलू उपायों का भी सहारा लिया जाता है।
अस्थानोजोस्पर्मिया का उपचार (Asthenozoospermia Treatment)
आपकी स्थिति के मूल कारण और इसकी गंभीरता के आधार पर, आपको एक व्यक्तिगत एस्थेनोज़ोस्पर्मिया उपचार योजना की सिफारिश की जाती है। एस्थेनोज़ोस्पर्मिया उपचार विकल्पों का लक्ष्य शुक्राणु गतिशीलता को बढ़ावा देना और गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाना है। अस्थानोजोस्पर्मिया के इलाज के लिए कई तरीके नीचे सूचीबद्ध हैं:
- आईसीएसआई (इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन) – आईसीएसआई, निषेचन को प्रोत्साहित करने के लिए आईवीएफ के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली एक विशिष्ट तकनीक है, जिसमें एक अंडे में एक शुक्राणु का सीधा सम्मिलन शामिल होता है। आईसीएसआई विधि अक्सर ऐसी स्थितियों में सलाह दी जाती है जब पुरुष साथी प्रजनन संबंधी चिंताओं से प्रभावित होता है या कम शुक्राणु संख्या, सुस्त शुक्राणु गतिशीलता, या असामान्य शुक्राणु आकृति विज्ञान जैसे मुद्दों का सामना करता है।
- आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) – आईवीएफ प्रक्रिया में, एक अंडे और शुक्राणु को शरीर के बाहर, एक टेस्ट ट्यूब या प्रयोगशाला डिश में निषेचित किया जाता है। एक बार तैयार होने के बाद, भ्रूण को महिला के गर्भाशय में इस उम्मीद में दोबारा डाला जाता है कि वे प्रत्यारोपित होंगे और एक स्वस्थ गर्भावस्था को जन्म देंगे।
- जीवन शैली में परिवर्तन – जब जीवनशैली संबंधी समस्याएं एस्थेनोज़ोस्पर्मिया का कारण बनती हैं, तो अपनी जीवनशैली में बदलाव करना सहायक हो सकता है। संतुलित आहार खाने, नियमित व्यायाम करने, धूम्रपान छोड़ने और मनोरंजक दवाओं के सेवन से बचने से आपके शुक्राणु की गतिशीलता बढ़ सकती है। एक अध्ययन से पता चला है कि जिंक सल्फेट की खुराक लेने से आपके शुक्राणु की समग्र स्थिति में वृद्धि होती है। यदि पर्यावरणीय समस्याएं एस्थेनोज़ोस्पर्मिया का कारण बनती हैं, तो घातक रसायनों और धातुओं के संपर्क को कम करना फायदेमंद साबित हो सकता है। जबकि यदि मनोवैज्ञानिक समस्याएं एस्थेनोज़ोस्पर्मिया का कारण बनती हैं, तो परामर्श और मनोचिकित्सा प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं। आप इन्हें बिना किसी झिझक के चुन सकते हैं। याद रखें, मुद्दे का समाधान करना महत्वपूर्ण है।
- हार्मोनल असंतुलन उपचार – यदि हार्मोनल असंतुलन और चिकित्सीय स्थितियाँ एस्थेनोज़ोस्पर्मिया का कारण बनती हैं, तो आपके डॉक्टर द्वारा सुझाई गई विशिष्ट दवा लेने से हार्मोन के स्तर को संतुलित करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, एक अध्ययन से पता चलता है कि एस्थेनोज़ोस्पर्मिया के इलाज के लिए एल-कार्निटाइन लेना सुरक्षित और प्रभावी है।
- शल्य चिकित्सा – वृषण संबंधी जटिलताओं के मामले में, सर्जरी अक्सर सहायक होती है। उदाहरण के लिए, सर्जरी से वैरिकोसेले का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा, ऐसी स्थितियों में जहां आपके स्खलन में शुक्राणु अनुपस्थित हैं, उन्हें शुक्राणु पुनर्प्राप्ति विधियों के माध्यम से पुनः प्राप्त किया जा सकता है। यदि प्रक्रिया के किसी भी पहलू के बारे में आपके कोई प्रश्न हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करने में संकोच न करें।
- सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) – असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) गंभीर एस्थेनोज़ोस्पर्मिया के कारण होने वाली बांझपन की समस्याओं को हल करने में बहुत सहायक है। एआरटी की तकनीकों में सामान्य स्खलन, सर्जरी या शुक्राणु दाताओं के माध्यम से शुक्राणु निकालना शामिल है। इसके बाद, आपके मामले के आधार पर, आपके शुक्राणु को या तो एक सुई (इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन) के साथ महिला प्रजनन मार्ग में परिपक्व अंडे में इंजेक्ट किया जाता है या एक प्रयोगशाला में परिपक्व अंडे को निषेचित करने के लिए उपयोग किया जाता है (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन)।
अस्थानोजोस्पर्मिया का घरेलू उपचार
- छुहारा – नियमित रूप से छुहारा का सेवन करने से यौन समस्याएं दूर होती हैं। इससे पौष्टिक तत्व की कमी पूरी होती है और वीर्य की गुणवत्ता बढती है। छुहारा खाने से मरीज की फिटनेस में जल्दी सुधार होता है।
- लहसुन – हमारे खाने-पीने की चीजों में लहसुन का उपयोग होता रहा है। अस्थानोजोस्पर्मिया के मरीज को लहसुन खाने की भी सलाह दी जाती है। इसमें मौजूद सेलेनियम व एलिसिन स्पर्म की गतिशीलता में सुधार लाते हैं। यह हर घर में आसानी से उपलब्ध होता है और स्वास्थ्य में तेजी से सुधार लाता है।
- अनार – अनार एंटीऑक्सीडेंट तथा आवश्यक पोषक तत्व से भरपूर होता है। यह फ्री रेडिकल्स को दूर करने का काम करता है और नए स्पर्म के निर्माण में भूमिका निभाता है। स्पर्म बढ़ाने के लिए नियमित रूप से अनार का सेवन जरूरी है।
- अरंडी – स्पर्म की गतिशीलता बढ़ाने के लिए अरंडी के सूखे पत्ते और शहद को एक साथ मिलाकर खाने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से स्पर्म की संख्या बढ़ने के साथ-साथ इसकी गतिशीलता भी बढ़ती है।
कुल मिलाकर सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाकर आप इस रोग से छुटकारा पा सकते हैं। लेकिन कई बार देखा जाता है कि जीवनशैली में सुधार करने के बाद भी वीर्य की गतिशीलता ठीक नहीं होती है। ऐसे में असिस्टेड प्रजनन तकनीक Assisted reproductive technology (ART) से महिला को गर्भधारण में मदद किया जा सकता है।