भारत में सरोगेसी में कितना खर्च आता है?

Author : Dr. Nidhi Gohil November 21 2024
Dr. Nidhi Gohil
Dr. Nidhi Gohil

MBBS, MS (Obstetrics & Gynaecology), Fellowship in IVF

5+Years of experience:
भारत में सरोगेसी में कितना खर्च आता है?

भारत में सरोगेसी का खर्च लगभग 5 लाख से 20 लाख रुपये तक आ सकता है। यह खर्च कई कारकों द्वारा प्रभावित होता है जैसे कि अस्पताल का खर्च, आईवीएफ की आवश्यकता, सरोगेसी का प्रकार इत्यादि। चलिए इस ब्लॉग से सरोगेसी में लगने वाले खर्च और उसको प्रभावित करने वाले मुख्य कारकों के बारे में जानते हैं।

सरोगेसी क्या है?

सरोगेसी एक प्रजनन (Reproductive) प्रक्रिया है, जिसमें सरोगेट मदर (Surrogate mother) एक ऐसे व्यक्ति या कपल के लिए बच्चे को अपने गर्भ से जन्म देती है, जो प्राकृतिक रूप से बच्चे को जन्म नहीं दे सकते हैं। एक कपल कई कारणों से सरोगेसी की प्रक्रिया का चुनाव करते हैं, जैसे कि इन्फर्टिलिटी (महिला और पुरुष दोनों में), प्रेगनेंसी से संबंधित कोई जोखिम या किसी भी पार्टनर को कोई स्वास्थ्य समस्या।

सरोगेसी के खर्च को प्रभावित करने वाले कारक

सरोगेसी में लगने वाला खर्च कई कारकों द्वारा प्रभावित होता है, और यह कई चरणों में भी बंटा हुआ है। चलिए पूरी प्रक्रिया में लगने वाले खर्च और इसको प्रभावित करने वाले कारकों को समझते हैं – 

  • सरोगेसी का प्रकार: दो प्रकार की सरोगेसी की प्रक्रिया होती हैं – ट्रेडिशनल सरोगेसी (Traditional Surrogacy) और जेस्टेशनल सरोगेसी (Gestational Surrogacy)। किस प्रकार की सरोगेसी होगी उसी के आधार पर प्रक्रिया का खर्च निर्धारित होगा।
  • चिकित्सा प्रक्रिया: सरोगेसी से पहले कुछ प्रक्रियाओं की आवश्यकता पड़ सकती है, जैसे IVF, एम्ब्र्यो ट्रांसफर, और सरोगेट और इंटेंडेड पेरेंट्स के स्वास्थ्य की जांच।
  • डोनर एग या स्पर्म की आवश्यकता: यदि इंटेंडेड मदर के एग या फादर के स्पर्म स्वस्थ नहीं होते हैं, तो डोनर की आवश्यकता पड़ती है। 
  • सरोगेट मदर की फीस: भारत में सरोगेट मदर को उनके समय, प्रयास, और प्रेगनेंसी के साथ शिशु के पोषण एवं प्रसव से जुड़े चिकित्सा जोखिमों से बचने के लिए कुछ शुल्क दिया जाता है, जिससे वह अपना और सरोगेट चाइल्ड की देखभाल करके एक स्वस्थ संतान को जन्म दे सकें।
  • कानूनी फीस: सरोगेसी एग्रीमेंट के ड्राफ्टिंग की एक निर्धारित फीस होती है, जो इंटेंडेड पेरेंट्स ही देते हैं। यह फीस कोर्ट द्वारा निर्धारित की जाती है।
  • क्लीनिक का स्थान और प्रकार: छोटे शहरों की तुलना में बड़े शहरों के अस्पताल में सरोगेसी का खर्च सामान्यतः अधिक होता है। 
  • मेडिकल इंश्योरेंस: कुछ वर्ष पहले तक सरोगेट्स को प्रेगनेंसी और प्रसव के लिए कोई इंश्योरेंस कवर नहीं मिलता था। हालांकि, 2021 में कुछ बदलाव हुए है। अब कुछ शर्तों के साथ सरोगेसी की प्रक्रिया के कुछ भाग को इंश्योरेंस में कवर किया जाने लगा है।
  • दवाएं और टेस्ट का खर्च: सरोगेसी की प्रक्रिया नौ महीने की प्रक्रिया है, जिसके दौरान कई सारे टेस्ट, दवाएं, सप्लीमेंट्स की आवश्यकता पड़ती है। 

इन सबके अतिरिक्त, कुछ क्लीनिक या अस्पताल में एडमिशन फीस भी ली जाती है, जो खर्च को प्रभावित कर सकती हैं।

भारत में सरोगेसी का कानूनी पहलू

भारत में सरोगेसी को लेकर एक सरोगेसी कानून (Surrogacy act) है, और इसी कानून के तहत ही सभी प्रक्रियाएं की जाती हैं। भारत में सरोगेसी कानून के अंतर्गत कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है – 

  • विवाहित कपल्स, विधवा, और तलाकशुदा महिलाएं सरोगेसी करवा सकती हैं। 
  • सरोगेट मदर की उम्र 25-55 वर्ष होनी चाहिए और कम से कम एक बार उन्होंने प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण किया हो।
  • लिंग का पता करना भी इस प्रक्रिया में प्रतिबंधित है।
  • प्रक्रिया से पहले सभी पक्षों की सहमति आवश्यक है। 

क्या सरोगेसी हेल्थ इंश्योरेंस में कवर होती है?

सरोगेसी के कुछ भाग को हेल्थ इंश्योरेंस में कवर किया जाता है जैसे कि – 

  • इंटेंडेड पेरेंट्स को सरोगेट मदर के लिए एक हेल्थ इंश्योरेंस लेना होता है।
  • इंटेंडेड पेरेंट्स को आवश्यकता के अनुसार एग्ग डोनर के लिए भी हेल्थ इंश्योरेंस लेना होता है। 

निष्कर्ष

सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बहुत सारे कपल्स को एक नई आशा की किरण मिलती है। ऐसे कपल्स माता-पिता बन सकते हैं, जो किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण नहीं कर पाते हैं। सरोगेसी की प्रक्रिया में 5 से 20 लाख रुपये तक खर्च हो सकता है। प्रक्रिया में लगने वाले खर्च को कई कारक प्रभावित करते हैं, जिसकी जानकारी सभी को होनी चाहिए। सही जानकारी अस्पताल के चुनाव और अन्य संबंधित निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं। इसमें हम आपकी मदद कर सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

यदि किसी भी कारणवश महिला कंसीव नहीं कर पाती हैं, तो वह सरोगेसी के विकल्प का चयन कर सकती हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे – इंफर्टिलिटी, प्रेगनेंसी में समस्या, इत्यादि।

भारत उन कुछ देशों में से एक है जहां सरोगेसी को लेकर एक अधिनियम है, जिसके तहत सरोगेसी की सभी प्रक्रियाएं की जाती हैं। सरोगेसी में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है, जिनके बारे में इस ब्लॉग में आपने जान लिया है।

भारत में सरोगेसी की सफलता दर कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे सरोगेट मदर, डोनर और इंटेंडेड पेरेंट्स का स्वास्थ्य। हालांकि वर्तमान में यह दर लगभग 98% है, जो कि बहुत अच्छी है।

सरोगेसी करने की सही आयु सीमा को 21 या 45 वर्ष तक निर्धारित किया है। विशेषज्ञों के अनुसार यह वह अधिकतम आयु है, जिसके बाद कंसीव कर पाना आसान नहीं होता है। हालांकि कुछ मामलों में यह उम्र सीमा बढ़ सकती है।