गर्भावस्था का दूसरा महीना बच्चे के विकास और मां के शारीरिक और भावनात्कम बदलाव के लिहाज़ से बेहद अहम चरण है। प्रेगनेंसी के 5वें से 8वें हफ़्ते के बीच एम्ब्रियो के आकार में तेज़ी से बढ़ता है। लिहाज़ा, इस चरण में महिलाओं को अपने शरीर में होने वाले बदलावों का साफ़ तौर पर पता चलने लगता है। इस लेख में प्रेगनेंसी के दूसरे महीने के दौरान अनुभव होने वाले लक्षण, एम्ब्रियो का विकास, खाने-पीने से जुड़ी सलाह और ज़रूरी सावधानियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
दूसरे महीने में प्रेगनेंसी के लक्षण (2 mahine ki pregnancy ke lakshan)
प्रेगनेंसी के 2 महीने बेहद ख़ास होते हैं। इसलिए यह समझना बेहद ज़रूरी है कि 2 महीने की प्रेगनेंसी में क्या होता है। आम तौर पर इस दौरान हार्मोनल बदलाव काफ़ी तेज़ हो जाते हैं और लक्षण स्पष्ट तौर पर उभरकर सामने आने लगते हैं। प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण 2 महीने के दौरान दिखने लगते हैं, जैसे:
मॉर्निंग सिकनेस
2 महीने की प्रेगनेंसी में मितली और उल्टी आम तौर पर क़रीब 70 फ़ीसदी गर्भवती महिलाओं को महसूस होती है। इस दौरान महिलाएं अक्सर गंध के प्रति बहुत संवेदनशील हो जाती हैं। आम तौर पर इसे “मॉर्निंग सिकनेस” कहा जाता है, लेकिन इसका अनुभव दिन के किसी भी समय हो सकता है।
थकान
बच्चे के शरीर के विकास के हिसाब से ख़ुद को ढालने के लिए शरीर बहुत ज़्यादा मेहनत करने लगता है। इस वजह से महिलाओं को थकान का अनुभव होता है। इसके पीछे कई वजहें हैं, लेकिन प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का बढ़ता स्तर, थकान की सबसे आम वजह है।
मूड स्विंग्स
शारीरिक बदलावों और हार्मोनल उतार-चढ़ाव की वजह से महिलाओं को चिड़चिड़ापन महसूस हो सकता है। साथ ही, चिंता और मूड में भी उतार-चढ़ाव का अनुभव होना आम है।
बार-बार पेशाब आना
गर्भाशय का आकार बढ़ने का असर शरीर के दूसरे अंगों पर भी पड़ता है। बढ़ते हुए गर्भाशय का असर मूत्राशय पर पड़ता है और इस वजह से बार-बार पेशाब आना आम है।
स्तनों में बदलाव
इस दौरान स्तन में काफ़ी बदलाव देखने को मिल सकता है। आम तौर पर स्तन कोमल होने लगता है और इसका आकार बढ़ने लगता है। इसके अलावा, स्तन में भारीपन और दर्द का भी एहसास हो सकता है। निपल का रंग गहरा होने लगता है।
खाने की इच्छाओं में बदलाव
गर्भावस्था के दौरान स्वाद में बदलाव आना आम है। कुछ महिलाओं को ख़ास चीज़ें खाने का तेज़ मन करने लगता है, जबकि कुछ महिलाओं को किसी ख़ास चीज़ से अरुचि भी हो सकती है।
इसके अलावा, महिलाओं को कब्ज़ की समस्या हो सकती है। दूसरे महीने की प्रेगनेंसी के ये लक्षण सभी महिलाओं के लिए एक जैसे नहीं होते। मुमकिन है कि आपको इन सभी लक्षणों का एहसास न हो। कुछ महिलाओं में ये सभी लक्षण उभर सकते हैं, जबकि कुछ महिलाओं को सिर्फ़ चुनिंदा लक्षण देखने को मिल सकते हैं। अगर आपको अपनी प्रेगनेंसी को लेकर कोई चिंता है या आप गंभीर लक्षणों का अनुभव करती हैं, तो निजी सलाह और मार्गदर्शन के लिए डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।
एम्ब्रियो का विकास: कोशिका से एम्ब्रियो तक
दूसरा महीना बच्चे के तेज़ विकास का समय होता है। कई लोगों को यह जानने की जिज्ञासा होती है कि प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में बच्चा कितना बड़ा होता है? इसलिए, आइए जानते हैं कि इस दौरान बच्चे के विकास की गति क्या होती है और एम्ब्रियो किस अवस्था तक विकसित होता है।
हर हफ़्ते होने वाला विकास
हफ़्ता | बच्चे का आकार | मुख्य बातें |
5 | तिल के दाने के बराबर | दिल धड़कना शुरू हो जाता है और न्यूरल ट्यूब बनने लगता है। |
6 | मसूर के दाने के बराबर | अंग विकसित होना शुरू हो जाता है। आंख-कान बनने लगते हैं। |
7 | ब्लूबेरी के आकार का | चेहरे के अंग विकसित होते हैंऔर मस्तिष्क के हिस्से साफ़ तौर पर अलग होने लगते हैं। |
8 | राजमा के दाने के बराबर | फेफड़े, यकृत और गुर्दे जैसे अहम अंग आकार लेने लगते हैं। |
बच्चे के विकास से जुड़ी मुख्य बातें
- हृदय का विकास: छठे हफ्ते में हृदय 110-160 बीट प्रति मिनट की गति से धड़कने लगता है।
- न्यूरल ट्यूब का बंद होना: लगभग छठे सप्ताह में न्यूरल ट्यूब बंद हो जाती है, जिससे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी का निर्माण होने लगता है। इस दौरान महिलाओं को पर्याप्त मात्रा में फ़ोलिक एसिड लेना ज़रूरी हो जाता है।
- चेहरे के अंगों का निर्माण: एम्ब्रियो में चेहरा बनना शुरू हो जाता है। इसका आकार दिखने लगता है। आंखों और कानों का भी आकार दिखना शुरू हो जाता है।
यही नहीं, हाथ और पैर विकसित होते रहते हैं। हाथ की छोटी उंगलियां और पैर की उंगलियां बनने लगती हैं। हड्डियां विकसित और अपेक्षाकृत सख़्त होने लगता है।साथ ही, मांसपेशियां बनने लगती हैं। बाहरी जननांग में अंतर होना शुरू हो सकता है, लेकिन यह बाद के चरणों तक अल्ट्रासाउंड पर दिखाई नहीं दे सकता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये विकास दूसरे महीने के दौरान तेज़ी से होते हैंऔर बच्चे के विकास की निगरानी करने और स्वस्थ प्रेगनेंसी को सुनिश्चित करने के लिए प्रसव से पहले नियमित रूप से देखभाल करना ज़रूरी है।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में आहार संबंधी सलाह
संतुलित आहार मां के स्वास्थ्य और बच्चे के विकास के लिए बेहद ज़रूरी है। प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में आपको अपनी लाइफ़स्टाइल, खान-पान, शरीर में हो रहे बदलाव, एम्ब्रियो में हो रहे विकास और इन सबसे जुड़ी कुछ सावधानियों पर भी ख़ास ध्यान देने की जरूरत होती है। तो आइए सबसे पहले जानते हैं कि प्रेगनेंसी के 2 महीने में क्या खाना चाहिए?
क्या खाना चाहिए?
- फ़ोलिक एसिड: न्यूरल ट्यूब से जुड़े दोषों को रोकने के लिए रोज़ाना 400-600 माइक्रोग्राम लेने की सलाह दी जाती है।
स्रोत: पालक, फ़ोर्टिफ़ाइड अनाज, संतरा, और दाल। - प्रोटीन: बच्चे के टिशू के विकास के लिए यह काफ़ी ज़रूरी चीज़ है।
स्रोत: अंडे, मछली, चिकन, टोफ़ू और दालें। - कैल्शियम: बच्चे की हड्डियों और दांतों के विकास में मदद करता है।
स्रोत: डेयरी उत्पाद, ब्रोकोली और फ़ोर्टिफ़ाइड दूध। - आयरन: बढ़ते रक्त प्रवाह के लिए ज़रूरी है और एनीमिया को रोकता है।
स्रोत: रेड मीट, पालक और चना। - ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड: मस्तिष्क और आंखों के विकास को बेहतर बनाने में मदद करता है।
स्रोत: सैल्मन, अखरोट और अलसी के बीज। - हाइड्रेशन: पर्याप्त पानी पीने से एम्नियोटिक द्रव का स्तर बनाए रखने में मदद मिलती है।
क्या नहीं खाना चाहिए?
- उच्च पारा युक्त मछलियां: जैसे स्वोर्डफ़िश, शार्क।
- बिना पॉस्चुराइज किया गया खाद्य पदार्थ: मुलायम चीज़ और बिना पास्चुरीराइज़ किया गया जूस।
- कच्चे या अधपके खाद्य पदार्थ: जैसे सुशी और कच्चा अंडा।
- अत्यधिक कैफ़ीन: 200 मिग्रा से कम मात्रा में कैफ़ीन लेना चाहिए। इससे ज़्यादा कैफ़ीन लेना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता।
- शराब: पूरी तरह से बचना चाहिए।
दो महीने की प्रेगनेंसी में सही खाना बहुत ज़रूरी होता है। साथ ही, जिन चीज़ों से परहेज बरतने की सलाह दी गई है, उसे भी पूरी तरह अमल करना चाहिए। हालांकि, इस जानकारी के बावजूद महिलाओं को खान-पान में संतुलन बना पाना कई बार मुश्किल भरा काम हो जाता है। इसलिए, यहां उदाहरण के तौर पर एक डाइट चार्ट दिया गया है। इसमें अपनी सुविधा के हिसाब से बदलाव करके आप अपना सकती हैं।
सुझाया गया डाइट चार्ट
समय | आहार |
सुबह-सुबह | दूध |
सुबह का नाश्ता | पोहा, पराठा, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, दाल, वेज करी, उबला हुआ अंडा, पनीर |
सुबह और दोपहर के बीच | मौसमी फल |
दोपहर का खाना | चावल, रोटी, भाकरी, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, दही, सलाद, मछली, मांस |
शाम का नाश्ता | मौसमी फल और मेवे |
रात का खाना | चावल, बाजरे की रोटी, मसूर की दाल, सब्ज़ी करी, दही |
सोने के समय | दूध |
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में क्या सावधानी रखनी चाहिए?
प्रेगनेंट होने के दूसरे महीने में भले ही आपको बेबी बंप दिखाई न दे, लेकिन आपके शरीर के अंदर बहुत से छोटे-मोटे बदलाव हो रहे होते हैं। इसलिए, इस दौरान आपको कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं।
ज़रूरी सावधानियां
- नियमित रूप से प्रसवपूर्व जांच कराते रहें। पहला अल्ट्रासाउंड और ख़ून की जांच उचित समय पर कराएं।
- स्वस्थ आहार लें। ऊपर आहार तालिका के साथ-साथ यह भी बताया गया है कि इस दौरान किन खाद्य पदार्थों से ख़ुद को बचाएं।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। शरीर में होने वाले बदलावों और एम्ब्रियो के विकास के लिए यह बेहद ज़रूरी है।
- हल्का व्यायाम करते रहें। प्रेगनेंसी के दूसरे महीने के दौरान, हल्के व्यायाम करना ज़रूरी है। इस दौरान, टहलना शुरू करें, प्रसवपूर्व योग करें, तैराकी करें, स्थिर साइकिलिंग करें, प्रसवपूर्व पिलेट्स करें। हालांकि ध्यान रखें कि कोई भी व्यायाम शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें। वे आपके स्वास्थ्य, फ़िटनेस के स्तर और आपकी प्रेगनेंसी से जुड़ी किसी खास स्थिति के आधार पर आपको सलाह दे सकते हैं।
- पर्याप्त आराम करें। शरीर को झटका देने वाली किसी भी चीज़ से बचें। उछल-कूद से परहेज बरतना चाहिए और जितना मुमकिन हो, आराम करना चाहिए।
- तनाव को मैनेज करें। तनाव की वजह से शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए तनाव को कम करने की भरपूर कोशिश करें।
- हानिकारक चीज़ों से बचें। धूम्रपान और शराब से पूरी तरह परहेज बरतें।
- डॉक्टर की सलाह के बिना अपने मन से कोई दवाई न लें। आपके बच्चे के विकास और अपने शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है कि आप डॉक्टर के हिसाब से ही दवाएं लें।
प्रेगनेंसी के 2 महीने से जुड़े मिथ्स बनाम फ़ैक्ट्स
मिथ्स | फ़ैक्ट्स |
गर्भावस्था के पहले तिमाही में व्यायाम नहीं करना चाहिए | हल्का व्यायाम, जैसे चलना और प्रीनेटल योग, न सिर्फ़ सुरक्षित है, बल्कि प्रेगनेंसी के दौरान स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी है। |
मॉर्निंग सिकनेस सिर्फ़ सुबह होती है | मॉर्निंग सिकनेस दिन या रात में कभी भी हो सकती है और यह हार्मोनल बदलावों पर निर्भर करता है। |
आपको दो लोगों के लिए खाना चाहिए, इसलिए खाना दोगुना करना चाहिए | सिर्फ़ थोड़ी कैलोरी बढ़ानी होती है। रोज़ाना लगभग 300 कैलोरी अतिरिक्त चाहिए। इसलिए, पौष्टिक आहार लेने पर ज़ोर देना चाहिए। |
मसालेदार भोजन बच्चे को नुकसान पहुंचाता है | मसालेदार भोजन आमतौर पर सुरक्षित है, जब तक कि इससे मां को एसिडिटी की समस्या न पहुंचाए। |
प्रेगनेंसी के दौरान बिल्कुल भी कैफ़ीन नहीं लेना चाहिए | हल्की मात्रा में कैफ़ीन (रोज़ाना 200 मिलीग्राम तक) को वैज्ञानिक सुरक्षित मानते हैं। |
गर्भपात हमेशा तनाव या हल्की शारीरिक गतिविधि के कारण होता है | अधिकतर गर्भपात क्रोमोसोम संबंधी गड़बड़ियों की वजह से होते हैं, न कि दैनिक तनाव या हल्की शारीरिक गतिविधि की वजह से। |
2 महीने की प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना मतलब हमेशा गर्भपात है | हल्का धब्बा पड़ना, ख़ासकर प्रेगनेंसी की शुरुआत में आम है। इसमें घबराने की कोई बात नहीं। हां, अगर भारी ब्लीडिंग होती है, तो डॉक्टर से मिलें। |
FAQs
दूसरे महीने में बहुत ज़्यादा थकान महसूस करना क्या सामान्य है?
हां, यह सामान्य है। हार्मोनल गतिविधियों में बढ़ोतरी और अतिरिक्त ऊर्जा की ज़रूरतों की वजह से थकान होना प्रेगनेंसी के आम लक्षण है।
क्या मैं इस समय यात्रा कर सकती हूं?
सामान्य तौर पर यात्रा करना सुरक्षित है, लेकिन अगर आपकी प्रेगनेंसी जोखिम वाली है, तो यात्रा से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
मुझे कौन से सप्लीमेंट लेने चाहिए?
आमतौर पर फ़ोलिक एसिड, आयरनऔर डीएचए युक्त प्रीनेटल विटामिन लेने की सलाह दी जाती है। हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
क्या दूसरे महीने में स्पॉटिंग होना सामान्य है?
हल्की स्पॉटिंग हो सकती है, लेकिन भारी ब्लीडिंग या गंभीर ऐंठन होने पर तुरंत डॉक्टर से राय लें।
कुछ दिलचस्प वैज्ञानिक तथ्य
- 2016 में जामा इंटर्नल मेडिसिन में छपी एक स्टडी में पाया गया कि मितली और उल्टी आना, शुरुआती प्रेगनेंसी में गर्भपात की आशंका को कम करता है। यानी अगर मॉर्निंग सिकनेस है, तो यह सकारात्मक संकेत है।
- सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (सीडीसी), अमेरिका के शोध में बताया गया कि किस तरह फ़ोलिक एसिड, न्यूरल ट्यूब की गड़बड़ियों की आशंका को कम करने में मदद करता है।
- 2018 में द अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में छपे एक अध्ययन में पाया गया कि प्रेगनेंसी के दौरान आहार में ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड लेने से बच्चों की कॉग्निटिव पावर बेहतर होती है।
गर्भावस्था का दूसरा महीना शिशु के विकास और मां के स्वास्थ्य के लिए बेहद अहम समय होता है। इस दौरान उचित आहार, नियमित जांच और ज़रूरी सावधानियां बरतने से प्रेगनेंसी को आरामदायक और स्वस्थ बनाया जा सकता है। मॉर्निंग सिकनेस और हार्मोनल बदलावों को समझना ज़रूरी है। साथ ही, आपको पता होना चाहिए कि इस दौरान अपनी लाइफ़स्टाइल कैसी रखें और डॉक्टर से कब मिलें।