पुरुष प्रजनन प्रणाली में कई अंग आपस में जुड़कर कार्य करते हैं, और उनमें से एक बहुत ही अहम भाग है – सेमिनल वेसिकल्स। यह एक प्रकार की ग्रंथियां हैं, जो वीर्य के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाती है। लेकिन ज्यादातर पुरुष इसके बारे में कम ही जानते हैं। इस लेख में हम जानेंगे seminal vesicle in Hindi, इनका कार्य, संरचना, समस्याएं और उनके समाधान। इसके अतिरिक्त असुरक्षित यौन संबंध से एड्स और क्लैमिडिया जैसे सेमिनल ट्रैक्ट इंफेक्शन हो सकता है।
सेमिनल वेसिकल्स क्या होते हैं?
सेमिनल वेसिकल्स, जिन्हें हिंदी में वीर्य पुटिका भी कहा जाता है, मूत्राशय के पीछे स्थित दो छोटी थैलीनुमा ग्रंथियां होती हैं। यह प्रोस्टेट ग्लैंड के ऊपर होती हैं और सीधे इजेकुलेटरी डक्ट से जुड़ी होती हैं, जिससे स्पर्म निकलता है।
इनका मुख्य कार्य वीर्य निर्माण में सहयोग देना होता है। यह ग्रंथियां विशेष तरल पदार्थ बनाती हैं, जो शुक्राणुओं को ऊर्जा, गति और सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन्हें सेमिनल ग्लैंड्स भी कहा जाता है।
सेमिनल ट्रैक्ट और इसकी बनावट
पुरुषों की सेमिनल ट्रैक्ट (seminal tract) में कई अंग शामिल होते हैं –
- सेमिनिफेरस ट्यूबल्स (टेस्टिस के अंदर)
- एपिडर्मिस
- वास डिफरेंस
- इजेकुलेटरी डक्ट
इस पूरी प्रणाली का कार्य होता है, परिपक्व शुक्राणुओं को टेस्टिस से लेकर लिंग के छोर तक ले जाकर, महिला के बच्चेदानी तक पहुंचाना। यही प्रक्रिया गर्भधारण की पहली ज़रूरत होती है।
सेमिनल वेसिकल्स का कार्य क्या है? – Seminal Vesicle Function in Hindi
सेमिनल वेसिकल्स का कार्य पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य में सहायक और आवश्यक होता है। इनका योगदान स्पर्म की गुणवत्ता, सुरक्षा और मूवमेंट को बनाए रखने में मदद करता है। इनके मुख्य कार्य निम्न है –
- जब संभोग नहीं होता है, तो यह शुक्राणुओं को कुछ समय के लिए स्टोर कर सकती हैं।
- यह कुल वीर्य मात्रा का 70% से 80% हिस्सा बनाती हैं।
- वीर्य को क्षारीय (alkaline) बनाती है, जिससे योनि के अम्लीय वातावरण को संतुलित किया जा सके।
यह नीचे दिए गए महत्वपूर्ण तत्व पुरुषों के स्पर्म की क्वालिटी पर कार्य करते हैं –
- फ्रुक्टोज: शुक्राणुओं के लिए ऊर्जा स्रोत होते हैं फ्रुक्टोज।
- पोटेशियम, कैल्शियम, फास्फोरस: शुक्राणुओं की गति (motility) और जीवन शक्ति के लिए यह सारे तत्व महत्वपूर्ण होते हैं।
- प्रोस्टाग्लैंडीन: यह हार्मोन शुक्राणुओं की गर्भाशय की दीवारों में घुसने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
- सेमेनोगेलिन प्रोटीन: शुक्राणुओं के चारों ओर जेल-जैसी परत बनाता है, जो इन्हें सुरक्षित रखती है।
सेमिनल ट्रैक्ट इंफेक्शन क्या है और किसमें होता है?
सेमिनल ट्रैक्ट यानी पुरुष प्रजनन मार्ग में संक्रमण आमतौर पर असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से फैलता है। यदि कोई पुरुष HIV, क्लैमाइडिया जैसी STI बीमारियों का वाहक है, तो वह संक्रमण महिला में भी फैल सकता है।
किन पुरुषों को सेमिनल ट्रैक्ट या सेमिनल वेसिकल्स से जुड़ी समस्याओं का जोखिम ज्यादा होता है:
- जो पुरुष अनेक यौन साथियों के साथ संबंध बनाते हैं, चाहे वे समलैंगिक हों या विषमलैंगिक।
- जो बिना किसी सुरक्षा के, अजनबियों के साथ यौन संबंध बनाते हैं।
- जिनके शरीर में बिल्हर्जिया या फाइलेरियासिस जैसे बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जो अंडकोष के आसपास तरल जमा होने का कारण बनते हैं।
- जिन्हें सेमिनल वेसिकल्स में सूजन (वेसिकलाइटिस) की समस्या हो चुकी है।
- जिनमें इनगुइनल हर्निया की स्थिति पाई गई हो।
- जिनका जन्म ही ऐसी स्थिति में हुआ हो, जहां सेमिनल वेसिकल्स का विकास नहीं हुआ (वेसिकुलर एजेनेसिस)।
- जिनके शरीर में सिस्ट या गांठ बनती है, जो इन कारणों के कारण हो सकती है – गुर्दे की पथरी, पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज, डायबिटीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस।
इन सभी स्थितियों का सीधा असर सेमिनल वेसिकल्स के कार्य और पुरुष की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। समय रहते इनका इलाज या जांच करवाना जरूरी होता है, ताकि भविष्य में बांझपन या अन्य जटिलताएं न हों।
सेमिनल वेसिकल्स से जुड़ी समस्याएं
यदि आपको रोजाना पेशाब करते समय असहजता महसूस होती है या खून, छोटी-छोटी गुर्दे की पथरी और जलन जैसी अप्राकृतिक चीजें उत्पन्न होती हैं, तो यह संभावित वीर्य पथ पर संक्रमण का संकेत हो सकता है। लक्षणों में शामिल हैं –
Vesiculitis (inflammation)
- वीर्य में खून आना (haematospermia)
- संभोग के समय दर्द
सिस्ट बनना या ब्लॉकेज
- वीर्य मार्ग में अवरोध, जिससे फर्टिलिटी कम हो सकती है।
इनगुइनल हर्निया/ वैरिकोसील
- यह टेस्टिकल के पास नसों में सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे सेमिनल वेसिकल्स पर दबाव आता है।
सेमिनल वेसिकल्स की जन्मजात विकृति
- कुछ पुरुषों में ये ग्रंथियां जन्म से ही नहीं होती है।
इन सबके अतिरिक्त यह समस्या प्रोस्टेट कैंसर या सर्जरी के दुष्प्रभाव के रूप में भी विकसित हो सकती है।
सेमिनल वेसिकल्स की जांच कैसे की जाती है?
यदि आप पेशाब करते समय जलन, वीर्य में खून या अजीब बदलाव महसूस करें, तो तुरंत जांच करवाना जरूरी है। जांच के निम्न विकल्प मौजूद हो सकते हैं –
- यूरिन कल्चर टेस्ट
- 3D ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड (TRUS)
- सीटी स्कैन/ एमआरआई/ पीईटी स्कैन
सेमिनल ट्रैक्ट इंफेक्शन का इलाज
सेमिनल ट्रैक्ट इंफेक्शन के इलाज के तौर पर निम्न विकल्पों का सहारा लिया जा सकता है –
- एंटीबायोटिक्स: संक्रमण को रोकने के लिए कुछ दवाएं जैसे कि सेफिक्सिम का उपयोग किया जा सकता है।
- मिनिमल इनवेसिव तकनीक: यदि सेमिनल वेसिकल्स में सिस्ट या ब्लॉकेज है, तो लैप्रोस्कोपी से उसे आसानी से हटाया जा सकता है।
- पैरासेंटिसाइसिस: लिंग के आधार पर जमा हुए फ्लूइड को निकालने के लिए इस प्रक्रिया को किया जाता है।
- प्रोस्टेक्टॉमी: प्रोस्टेट कैंसर होने पर प्रोस्टेट ग्लैंड को ही हटाना पड़ सकता है।
सर्जरी से सेमिनल वेसिकल्स के कार्य पर असर
यदि सर्जरी के दौरान सेमिनल वेसिकल्स या आसपास के ग्लैंड को दी जाए तो –
- वीर्य की मात्रा कम हो जाती है।
- स्खलन के समय “सूखापन” हो सकता है।
- संभोग के दौरान कठिनाई (Erectile Dysfunction)
- मूत्र नियंत्रण में कमी
- अंदरूनी संक्रमण का खतरा बढ़ता है।
सेमिनल ट्रैक्ट इंफेक्शन (Seminal Tract Infection) से बचाव कैसे करें?
- हमेशा सुरक्षित यौन संबंध बनाएं।
- नियमित रूप से STI टेस्ट करवाएं।
- धूम्रपान, शराब और ड्रग्स से बचें।
- संतुलित आहार और वजन नियंत्रित रखें।
- परिवार में यदि किसी को लिंग से संबंधित रही हो, तो सजग रहें।
निष्कर्ष
पुरुषों के लिए सेमिनल वेसिकल्स सिर्फ एक ग्लैंड नहीं, बल्कि प्रजनन क्षमता की रीढ़ होती हैं। इनकी अनदेखी आपको बांझपन (infertility) या गंभीर संक्रमण की ओर ले जा सकती है। यदि आप इजैक्युलेशन के दौरान असहज महसूस करते हैं या वीर्य की मात्रा में कमी महसूस हो रही है, तो तुरंत जांच करवाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
सेमिनल वेसिकल्स पुरुष प्रजनन में क्या भूमिका निभाती हैं?
यह वीर्य निर्माण का मुख्य स्रोत है और शुक्राणुओं को ऊर्जा और सुरक्षा प्रदान करती हैं।
सेमिनल वेसिकल्स कितनी लंबी होती है?
सामान्यतः सेमिनल वेसिकल्स की लंबाई 5-10 सेंटीमीटर तक होती है।
क्या सेमिनल ट्रैक्ट पुरुष प्रजनन के लिए ज़रूरी है?
हां, यह शुक्राणुओं को टेस्टिस से लेकर युरेथ्रा तक पहुंचाने में मदद करता है।
अगर सेमिनल वेसिकल्स हटा दी जाए तो क्या होगा?
वीर्य की मात्रा घट जाती है, इजैक्युलेशन में परेशानी होती है और प्रजनन क्षमता घट सकती है।