थायराइड क्या होता है? – What is Thyroid in Woman?
थायराइड गर्दन में मौजूद एक छोटी ग्लैंड है, जो शरीर की ऊर्जा, वजन और मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करती है। थायराइड ग्लैंड में डिसऑर्डर की स्थिति को मेडिकल भाषा में थायराइड रोग कहते हैं। थायराइड होने पर आप खुद में कुछ लक्षणों (thyroid symptoms in hindi) को देख सकती हैं जैसे कि वजन बढ़ना, थकान महसूस होना और दिल की धड़कन तेज होना आदि।
थायराइड रोग पुरुष और महिला दोनों को प्रभावित करता है, लेकिन यह महिलाओं में अधिक देखने को मिलता है। आइए, महिलाओं में थायराइड के लक्षण, इसके प्रकार, कारण, लक्षण और इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं।
थायराइड रोग के प्रकार – Types of Thyroid Conditions
थायराइड रोग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
- हाइपोथायरायडिज्म: जब थायराइड ग्लैंड सामान्य से कम हार्मोन बनाती है तो इसे हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं। इसके कारण आप खुद में कुछ लक्षणों को देख सकते हैं जैसे कि थकान होना, वजन बढ़ना, ठंड सहन न कर पाना और सुस्ती महसूस करना आदि।
- हाइपरथायरायडिज्म: इस स्थिति में थायराइड ग्लैंड सामान्य से अधिक मात्रा में हार्मोन बनाती है। हाइपरथायरायडिज्म होने पर आपका वजन घटता है, दिल की धड़कन तेज होती है, घबराहट होती है और पसीना अधिक होता है।
इसके अलावा, गॉइटर (Goiter), थायराइड नोड्यूल्स और थायराइड कैंसर भी थायराइड से जुड़ी बीमारियां हैं।
महिलाओं में थायराइड के लक्षण – Thyroid symptoms in Hindi
थायराइड की समस्या महिलाओं में आम है और इसके लक्षण धीरे-धीरे दिखते हैं। हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। आइए, महिलाओं में थायराइड के लक्षण को समझते हैं।
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण (थायराइड हार्मोन कम होना)
- बिना किसी कारण शरीर का वजन बढ़ना
- हमेशा थकान और कमजोरी महसूस होना
- मौसम ठंडा न होने के बाद भी ठंड अधिक लगना
- बाल तेजी से झड़ना और त्वचा रूखी होना
- पीरियड्स का अनियमित होना या सामान्य से अधिक दिन तक रहना
- मूड खराब रहना, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन महसूस होना
हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण (थायराइड हार्मोन अधिक होना)
- बिना कोशिश किए अचानक वजन कम होना
- दिल की धड़कन तेज और घबराहट महसूस होना
- बिना किसी वजह के शरीर से अधिक पसीना आना
- हाथों में कंपन होना और शरीर कमजोर लगना
- आराम करने के भी बहुत जल्दी थकान महसूस होना
- पीरियड्स का सामान्य से कम या अनियमित होना
अगर आप खुद में इन लक्षणों को महसूस करें तो बिना देरी किए डॉक्टर से परामर्श करें और उन्हें अपने लक्षणों के बारे में बताएं एवं खुद की जांच करवाएं।
महिलाओं में थायराइड के कारण
महिलाओं में थायराइड असंतुलन के कई कारण हो सकते हैं। यह हार्मोनल बदलाव, आनुवंशिकता या लाइफस्टाइल से जुड़ा हो सकता है।
महिलाओं में थायराइड के कारणों में निम्न शामिल हैं:
- आनुवंशिकता: अगर परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है, तो आप में इसका खतरा बढ़ सकता है।
- हार्मोनल बदलाव: प्रेगनेंसी, मेनोपॉज या पीरियड्स के कारण होने वाले हार्मोनल बदलाव, थायराइड का कारण बन सकते हैं।
- आयोडीन: शरीर में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने से थायराइड ग्लैंड सही से काम नहीं करता है, जिससे थायराइड रोग होता है।
- ऑटोइम्यून डिसऑर्डर: शरीर की इम्यून सिस्टम थायराइड ग्लैंड पर हमला कर सकता है, जिससे हाशिमोटो या ग्रेव्स डिजीज हो सकती है।
- तनाव और मेंटल प्रेशर: लंबे समय तक तनाव में रहने से थायराइड हार्मोन का संतुलन बिगड़ सकता है।
- अनहेल्दी लाइफस्टाइल: खराब डाइट, नींद की कमी और शारीरिक गतिविधि की कमी भी थायराइड रोग के कारणों में से एक है।
- दवाओं का असर: कुछ दवाएं, जैसे स्टेरॉयड या लिथियम, थायराइड के काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
इन सबके अलावा, प्रेगनेंसी और डिलीवरी प्रसव के बाद की जटिलताओं के कारण कुछ महिलाओं में डिलीवरी के बाद थायराइड रोग हो सकता है।
थायराइड महिलाओं को किस प्रकार प्रभावित करता है?
थायराइड के कारण महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आते हैं, जो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित करते हैं।
महिलाओं में थायराइड के साइड इफेक्ट्स:
- इर्रेगुलर पीरियड्स: पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं। साथ ही, पीरियड्स के दौरान हैवी या बहुत कम ब्लीडिंग हो सकती है।
- गर्भधारण में परेशानी: थायराइड रोग महिला की फर्टिलिटी प्रभावित करता है जिससे उन्हें गर्भधारण करने में परेशानी हो सकती है।
- वजन में बदलाव: हाइपोथायरायडिज्म से वजन बढ़ता है और हाइपरथायरायडिज्म में तेजी से वजन घटता है।
- बाल और त्वचा: थायराइड रोग के कारण बाल झड़ सकते हैं, पतले हो सकते हैं और त्वचा रूखी या बहुत नाजुक हो सकती है।
- मूड स्विंग और डिप्रेशन: अचानक मूड बदल सकता है, तनाव, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन की शिकायत हो सकती है।
- एनर्जी और थकान: कमजोरी महसूस हो सकती है और जल्दी थकान हो सकती है। साथ ही, काम करने की क्षमता में कमी आ सकती है।
- दिल पर प्रभाव: दिल की धड़कन तेज या बहुत धीमी हो सकती है, जिससे घबराहट या चक्कर आना संभव है।
- गर्भावस्था पर असर: प्रेगनेंसी में थायराइड रोग होने से गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
साथ ही, लंबे समय तक हाइपरथायरायडिज्म रहने से आपकी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है।
महिलाओं में थायराइड का इलाज
महिलाओं में थायराइड का समय पर सही इलाज जरूरी है, ताकि शरीर पर इसके नकारात्मक प्रभाव को रोका या कम किया जा सके। थायराइड का इलाज इसके प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। इलाज में निम्न तरीकों को अपनाया जा सकता है:
- दवाएं: थायराइड हार्मोन को संतुलित करने के लिए कुछ दवाएं दी सकती हैं, जैसे कि हाइपोथायरायडिज्म के लिए लेवोथायरोक्सिन और हाइपरथायरायडिज्म के लिए एंटी-थायराइड मेडिसिन।
- आयोडीन: थायराइड सही तरीके से काम करे, इसके लिए संतुलित मात्रा में आयोडीन से भरपूर डाइट लेना जरूरी है।
- रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी: हाइपरथायरायडिज्म के मामलों में थायराइड ग्लैंड की एक्स्ट्रा एक्टिविटी को कम करने के लिए रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी दी जाती है।
- सर्जरी (थायरॉयडेक्टॉमी): जब दवाओं से कोई फायदा नहीं होता है या थायराइड नोड्यूल्स या कैंसर का खतरा होता है, तो सर्जरी से थायराइड ग्लैंड को हटाया जाता है।
- हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल: थायराइड को कंट्रोल करने के लिए हरी सब्जियां, नट्स, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर डाइट लें।
- स्ट्रेस मैनेजमेंट: योग, मेडिटेशन और हल्की एक्सरसाइज से स्ट्रेस को कम कर सकते हैं, जिससे थायराइड ग्लैंड सही से काम करता है।
साथ ही, थायराइड लेवल की नियमित जांच कराना जरूरी है, ताकि समस्या बढ़ने से पहले उसका उचित इलाज किया जा सके। अगर थायराइड से जुड़ी आपको कोई परेशानी है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और सही इलाज करवाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या थायराइड में गर्म पानी पीना चाहिए या नहीं?
हां, थायराइड में गर्म पानी पीना फायदेमंद है। यह मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
महिलाओं में थायराइड कितना होना चाहिए?
महिलाओं में TSH स्तर 0.4-4.0 mIU/L होना चाहिए, लेकिन व्यक्तिगत स्वास्थ्य के अनुसार डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
थायराइड को ठीक होने में कितना समय लगता है?
थायराइड ठीक होने में कितना समय लगेगा यह मरीज की स्थिति, दवाओं और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है। आमतौर पर इसमें हफ्तों से महीनों लगते हैं।
क्या थायराइड में दूध पीना चाहिए?
हां, थायराइड में दूध पी सकते हैं, लेकिन सोया मिल्क से बचें, क्योंकि यह थायराइड हार्मोन के अवशोषण (absorption) को प्रभावित कर सकता है।
क्या थायराइड में चाय पीनी चाहिए?
सीमित मात्रा में चाय पी सकते हैं, लेकिन कैफीन थायराइड हार्मोन के संतुलन को प्रभावित कर सकता है, इसलिए ज्यादा सेवन न करें।