ओवरी कैंसर क्या है?
महिलाओं की ओवरी (अंडाशय) में होने वाले कैंसर को ओवरी कैंसर या ओवेरियन कैंसर कहते हैं। ओवरी, बच्चेदानी के दोनों तरफ मौजूद होते हैं। जब ओवरी की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं तो यह कैंसर होता है। यह तेजी से फैल सकता है और अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है।
ओवरी कैंसर से जुड़ें महत्वपूर्ण आंकड़े:
- हर 78 में से 1 महिला को ओवरी कैंसर का खतरा होता है।
- यह बीमारी ज्यादातर 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में पाई जाती है।
- यह महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों का पांचवां सबसे बड़ा कारण है।
- जिन महिलाओं के परिवार में पहले किसी को ओवरी या ब्रेस्ट कैंसर हुआ हो, उसमें उसका जोखिम दोगुना हो सकता है।
- 70% मामलों में ओवरी कैंसर का तब पता चलता है जब यह एडवांस स्टेज (Stage 3 या 4) में पहुंच चुका होता है।
- शुरुआती स्टेज में पता चलने पर 5 साल तक जीवित रहने की दर 90% तक हो सकती है। लेकिन एडवांस स्टेज में यह दर घटकर 30% हो जाती है।
- हर साल दुनियाभर में लगभग 3 लाख महिलाओं में ओवरी कैंसर का पता चलता है, जिसके कारण लगभग 2 लाख महिलाओं की मृत्यु हो जाती है।
भारत में ओवरी कैंसर की स्थिति:
- भारत में हर साल लगभग 50,000 से अधिक नए मामले सामने आते हैं।
- यह महिलाओं में पाया जाने वाला तीसरा सबसे आम कैंसर है।
- कैंसर से जुड़ी कुल महिला मौतों में ओवरी कैंसर की हिस्सेदारी लगभग 6% है।
- शहरी इलाकों में यह बीमारी ज्यादा देखी जाती है, खासकर उन महिलाओं में जो कभी मां नहीं बनी हैं।
ओवरी कैंसर के लक्षण
ओवरी कैंसर के शुरुआती लक्षण
शुरुआती चरण में ओवरी कैंसर के लक्षण माइल्ड होते हैं, जिस कारण उसे पहचानना मुश्किल हो सकता है। लेकिन कुछ संकेतों पर ध्यान देना जरूरी है जैसे कि:
- पेट में हल्की सूजन या भारीपन महसूस करना
- भूख कम लगना या जल्दी पेट भर जाना
- बार-बार पेशाब आना
- पेट में हल्का दर्द या असहज महसूस करना
- गैस, अपच या कब्ज की समस्या होना
- पीरियड्स का अनियमित होना
अगर ये लक्षण बार-बार हो रहे हैं तो डॉक्टर से परामर्श लें। जल्दी पहचान होने पर इलाज आसान होता है।
ओवरी कैंसर के गंभीर लक्षण
ओवरी कैंसर बढ़ने पर इसके लक्षण और ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। इन्हें नजर अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। गंभीर लक्षणों में निम्न शामिल हैं:
- पेट में लगातार तेज दर्द
- पेट या कमर का आकार बढ़ना (बिना वजन बढ़े)
- बिना कोशिश किए वजन कम होना
- बार-बार उल्टी आना या जी मिचलाना
- बहुत ज्यादा थकान या कमजोरी महसूस करना
- सांस लेने में दिक्कत होना
- पीठ या पैरों में दर्द होना
अगर ये लक्षण बने रहते हैं तो बिना देरी किए डॉक्टर से जांच करवाएं।
ओवरी कैंसर के कारण
ओवरी कैंसर का सही कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ फैक्टर इसके खतरे को बढ़ा सकते हैं:
अनुवांशिक कारण
- अगर परिवार में किसी को ओवरी, ब्रेस्ट या कोलन कैंसर हुआ है, तो इसका खतरा बढ़ सकता है।
- BRCA1 और BRCA2 जीन म्यूटेशन से ओवरी कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
हार्मोन और प्रजनन संबंधी कारण
- अगर पीरियड्स जल्दी शुरू हुए हैं (12 साल से पहले) या देर से खत्म हुए हैं (50 साल के बाद)।
- कभी गर्भधारण न करना या पहली प्रेग्नेंसी देर से होना।
- इनफर्टिलिटी या लंबे समय तक हार्मोनल ट्रीटमेंट लेना।
उम्र और लाइफस्टाइल
- 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में यह कैंसर ज्यादा पाया जाता है।
- अधिक वजन या मोटापा भी एक बड़ा कारण हो सकता है।
- धूम्रपान और ज्यादा शराब पीने से भी खतरा बढ़ता है।
अगर इनमें से कोई भी फैक्टर आपके जीवन से जुड़ा है, तो नियमित चेकअप करवाएं। समय पर सावधानी बरतने से इसके खतरे को कम किया जा सकता है।
क्या ओवरी कैंसर जानलेवा होता है?
ओवरी कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर इसे शुरुआती चरण में पहचान लिया जाए, तो इलाज संभव है।
शुरुआती चरण में इलाज की संभावना
- अगर ओवरी कैंसर पहले या दूसरे स्टेज में पकड़ में आ जाए, तो 5 साल तक जीवित रहने की संभावना 90% तक होती है।
- सही समय पर सर्जरी और कीमोथेरेपी से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकती हैं।
एडवांस स्टेज में खतरा बढ़ जाता है
- 70% मामलों में यह कैंसर तीसरी या चौथी स्टेज में पता चलता है।
- इस स्टेज में कैंसर फैल जाता है, जिससे इलाज मुश्किल हो सकता है।
- एडवांस स्टेज में 5 साल तक जीवित रहने की संभावना 30% से कम हो जाती है।
ओवरी कैंसर जानलेवा हो सकता है, लेकिन नियमित जांच और शुरुआती पहचान से इसे रोका जा सकता है।
ओवरी कैंसर का निदान कैसे होता है?
अगर ओवरी कैंसर का संदेह हो तो डॉक्टर कुछ टेस्ट और स्कैन की सलाह देते हैं, जैसे कि:
- शारीरिक जांच और इतिहास: डॉक्टर पेट और पेल्विक एरिया की जांच करते हैं। परिवार में कैंसर के इतिहास के बारे में पूछा जाता है।
- ब्लड टेस्ट (CA-125 टेस्ट): इस टेस्ट से CA-125 नामक प्रोटीन की मात्रा की जांच होती है। मात्रा ज्यादा होने पर कैंसर की संभावना हो सकती है।
- इमेजिंग टेस्ट (स्कैनिंग और अल्ट्रासाउंड): अल्ट्रासाउंड: ओवरी में गांठ या असामान्यता का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड और कैंसर कितना फैला है, यह जानने के लिए CT स्कैन / MRI किया जाता है।
- बायोप्सी (अंतिम पुष्टि के लिए): अंत में डॉक्टर ओवरी से टिशू का सैंपल निकालकर जांच करते हैं। बायोप्सी से तय होता है कि ट्यूमर कैंसर है या नहीं।
ओवरी कैंसर के इलाज
ओवरी कैंसर का इलाज उसकी स्टेज, ट्यूमर के प्रकार और मरीज की ओवरऑल सेहत पर निर्भर करता है। इसके इलाज में निम्न शामिल हैं:
सर्जरी (ऑपरेशन)
- शुरुआती स्टेज में, ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी की जाती है।
- कई मामलों में ओवरी, फैलोपियन ट्यूब और यूट्रस को भी हटाना पड़ सकता है।
- सर्जरी के बाद कैंसर दोबारा न हो, इसके लिए आगे का इलाज किया जाता है।
कीमोथेरेपी
- यह कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए दी जाती है।
- सर्जरी के बाद बची हुई कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
- यह इंजेक्शन या गोलियों के रूप में दी जा सकती है।
रेडिएशन थेरेपी
- इसमें हाई-एनर्जी किरणों की मदद से कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है।
- इसका कम इस्तेमाल होता है, लेकिन अगर कैंसर दोबारा हो जाए तो इसे दिया जा सकता है।
टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी
- टार्गेटेड थेरेपी सिर्फ कैंसर कोशिकाओं पर असर डालती है, जिससे स्वस्थ कोशिकाएं सुरक्षित रहती हैं।
- इम्यूनोथेरेपी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर कैंसर से लड़ने में मदद करती है।
अगर ओवरी कैंसर की पुष्टि उसकी शुरुआती स्टेज में ही हो जाए तो इलाज ज्यादा असरदार होता है।
ओवरी कैंसर सर्जरी के बाद देखभाल
सर्जरी के बाद सही देखभाल से रिकवरी तेज होती है और दोबारा कैंसर होने का खतरा कम किया जा सकता है।
अस्पताल में देखभाल
- ऑपरेशन के बाद कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ सकता है।
- डॉक्टर घाव की निगरानी करते हैं और इंफेक्शन से बचने के लिए दवाएं देते हैं।
- दर्द को कम करने के लिए पेन किलर दी जाती हैं।
घर पर देखभाल
- आराम करें, भारी काम और झुकने से बचें।
- हल्का, पौष्टिक और प्रोटीन से भरपूर डाइट लें।
- शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- इन्फेक्शन से बचने के लिए घाव को साफ और सूखा रखें।
सही देखभाल से रिकवरी जल्दी होती है। अपने लक्षणों पर ध्यान दें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
ओवरी कैंसर में क्या खाना चाहिए?
हेल्दी डाइट लेने से शरीर को मजबूती मिलती है और रिकवरी तेज होती है। इसलिए डाइट पर खास ध्यान देना आवश्यक है:
- दाल, सोया, पनीर, अंडे, मछली और चिकन खाएं। ये मांसपेशियों को मजबूत और कमजोरी को दूर करते हैं।
- ताजे फल जैसे कि संतरा, पपीता, सेब, अनार और बेरीज खाएं।
- सब्जियां जैसे कि ब्रोकली, पालक, गाजर और टमाटर फायदेमंद हैं।
- होल ग्रेन (जैसे ओट्स, ब्राउन राइस) और नट्स (बादाम, अखरोट) लें।
- ऑलिव ऑयल, नारियल तेल और घी सही मात्रा में लें।
- दही और छाछ से पाचन बेहतर होता है।
- नारियल पानी, ताजे फलों का जूस और हर्बल टी लें।
ओवरी कैंसर में क्या न खाएं?
- प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड और ज्यादा तले-भुने खाने से बचें।
- चीनी और नमक का सेवन कम करें।
- सॉफ्ट ड्रिंक, अल्कोहल और कैफीन से बचें।
ओवरी कैंसर से बचाव
ओवरी कैंसर को पूरी तरह रोकना संभव नहीं है, लेकिन कुछ सावधानियां अपनाकर इसका खतरा कम किया जा सकता है।
- नियमित व्यायाम करें, हेल्दी और संतुलित आहार लें।
- प्रोसेस्ड फूड, अधिक चीनी और तले-भुने खाने से बचें।
- बिना डॉक्टर की सलाह के हार्मोन थेरेपी न लें।
- डॉक्टर की सलाह से Birth Control Pills लेने से जोखिम कम हो सकता है।
- ज्यादा बच्चों को जन्म देना और स्तनपान कराना सुरक्षा दे सकता है।
- अगर परिवार में किसी को कैंसर हुआ है, तो जेनेटिक टेस्ट करवाएं।
- साल में एक बार पेल्विक जांच और अल्ट्रासाउंड जरूर करवाएं।
इन सबके अलावा, लक्षणों को नजरअंदाज न करें। पेट में सूजन, दर्द या अनियमित पीरियड्स होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
ओवरी कैंसर कितनी तेजी से फैलता है?
ओवरी कैंसर की ग्रोथ टाइप पर निर्भर करती है, कुछ तेजी से फैलते हैं और कुछ धीरे-धीरे बढ़ते हैं।
क्या ओवरी कैंसर का इलाज पूरी तरह संभव है?
अगर कैंसर शुरुआती स्टेज में हो तो सही इलाज से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
सर्जरी के बाद कितना समय लगता है ठीक होने में?
रिकवरी में आमतौर पर 4-6 हफ्ते लगते हैं, लेकिन यह मरीज की सेहत और ट्रीटमेंट पर निर्भर करता है।
क्या रक्त परीक्षण से ओवरी के कैंसर का पता लगाया जा सकता है?
हाँ, CA-125 ब्लड टेस्ट ओवरी कैंसर की संभावना बताता है, लेकिन 100% पुष्टि करने के लिए अन्य जांच जरूरी होती हैं।