• English
Birla Fertility & IVF
Birla Fertility & IVF

एस्ट्राडियोल परीक्षण (Estradiol Test) और उसकी प्रक्रिया

  • Published on May 29, 2024
एस्ट्राडियोल परीक्षण (Estradiol Test) और उसकी प्रक्रिया

मेडिकल टेक्नोलॉजी में हुई प्रगति से हर व्यक्ति की प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य (रिप्रोडेक्टिव हेल्थ) को विस्तृत रूप से समझना आसान हो गया है।

एस्ट्राडियोल एक तरह का एस्ट्रोजन हार्मोन है जो महिला के अंडाशन में दूसरी तरह के एस्ट्रोजन की तुलना में ज्यादा मात्रा में बनते हैं। इसे “ई2” भी कहा जाता है, और एक सफल, चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ गर्भावस्था के लिए, यह जरूरी है कि महिला का शरीर सही मात्रा में एस्ट्राडियोल बनाए।

जब एस्ट्राडियोल शरीर में एक निश्चित मात्रा से कम होता है, तो यह मेनोपॉज, टर्नर सिंड्रोम या इसी तरह की समस्याएं होने का संकेत है। एस्ट्राडियोल का बढ़ा हुआ लेवल महिलाओं में ज्यादा मात्रा में पीरियड, वजन बढ़ने और यहां तक ​​कि फाइब्रॉएड होने का संकेत है।

महिला के शरीर में इस हार्मोन के लेवल की जांच के लिए एस्ट्राडियोल टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।  

एस्ट्रोजन लेवल टेस्ट क्या है?

शरीर में एस्ट्रोजन के लेवल को मापने के लिए एस्ट्राडियोल ब्लड टेस्ट कराने को कहा जाता है।

एस्ट्राडियोल ब्लड सर्कुलेशन में मौजूद सबसे महत्वपूर्ण प्रकार का एस्ट्रोजन है। यह डॉक्टर को स्वस्थ व्यक्तियों में नॉर्मल एस्ट्रोजन लेवल के साथ टेस्ट के परिणामों की तुलना करके माता-पिता के प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य का पता लगाने में मदद करता है।

महिलाओं में नॉर्मल एस्ट्रोजन का लेवल उम्र और लिंग के आधार पर अलग-अलग होता है। इन्हें मोटे तौर पर इस तरह बांटा जा सकता है:

युवा लड़कियां

छोटी लड़कियां जो अभी तक युवावस्था में नहीं पहुंची हैं, उनके शरीर में एस्ट्राडियोल का लेवल कम होता है। जैसे-जैसे युवावस्था करीब आती है, अन्य परिवर्तनों के अलावा, उनके शरीर में एस्ट्राडियोल का लेवल भी बढ़ता है जो उन्हें प्रेगनेंसी के लिए तैयार करता है।

महिला

युवा लड़कियों की तुलना में सेक्सुली मेच्योर महिलाओं के अंडाशय में एस्ट्राडियोल का निर्माण अधिक मात्रा में होता है। एस्ट्राडियोल की कुछ मात्रा महिला की एड्रेनल ग्लैंड्स से भी बनती है।

पुरुषों

पुरुषों में, टेस्टिस से एस्ट्राडियोल थोड़ी मात्रा में बनता है। पुरुषों के प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य को समझने के लिए उनका एस्ट्रोजन टेस्ट किया जाता है।

मेडिकली हेल्थी प्रेगनेंसी काफी हद तक माता-पिता दोनों के हार्मोन के बीच जटिल परस्पर क्रिया पर निर्भर करती है। इसी वजह से, माता-पिता दोनों के प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य और प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली संभावित समस्याओं का पता लगाने के लिए एस्ट्रोजन टेस्ट किया जा सकता है।

एस्ट्राडियोल टेस्ट क्यों किया जाता है?

ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से डॉक्टर आपके लिए एस्ट्राडियोल टेस्ट निर्धारित कर सकते हैं। यह सभी कारण आपके प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य और आप प्रेग्नेंट होना चाहती हैं या नहीं, यह तय करने से जुड़े हैं।

आइए देखें कि एस्ट्राडियोल ब्लड टेस्ट क्यों किया जाता है।

युवा होने के संबंध में चिंताएं 

जब कोई लड़की ऐसी उम्र में युवा हो जाती है जो स्टेंडर्ड बेंचमार्क के अनुरूप नहीं है, तो डॉक्टर एस्ट्राडियोल टेस्ट लिख सकते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर कोई लड़की युवा होने के हिसाब से बहुत छोटी है या उसे युवा होने में बहुत देर हो गई है, तो डॉक्टर शरीर में एस्ट्रोजन के लेवल की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

पीरियड में समस्या

एस्ट्राडियोल टेस्ट तब करने को कहा जाता है जब डॉक्टर को संदेह होता है कि इस हार्मोन का गड़बड़ लेवल पीरियड में समस्याएं पैदा कर रहा है। आमतौर पर, जब किसी महिला को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है या अगर उसकी अवधि नियमित नहीं होती है या बार-बार बंद हो जाते हैं, तो अंडाशय की हेल्थ को समझने के लिए एस्ट्राडियोल टेस्ट जरूरी हो सकता है।

महिलाओं में मेनोपॉज़ या पेरीमेनोपॉज़ की स्थिति तय या पता करने के लिए डॉक्टर द्वारा वृद्ध महिलाओं को एस्ट्राडियोल टेस्ट करने को भी कहा जाता है।

एस्ट्राडियोल टेस्ट डॉक्टर को लड़कों और लड़कियों में जननांगों की स्थिति के बारे में भी जानकारी देता है – इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि वह रोगग्रस्त हैं या क्षतिग्रस्त।

प्रेगनेंसी हेल्थ

प्रेगनेंसी की प्रगति और मेडिकल हेल्थ जानने के लिए डॉक्टर एस्ट्राडियोल टेस्ट भी लिख सकते हैं। यह टेस्ट फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के दौरान भी किया जा सकता है।

एस्ट्राडियोल ब्लड टेस्ट की प्रक्रिया

चूंकि एस्ट्राडियोल परीक्षण एक ब्लड टेस्ट है, इसलिए प्रक्रिया बहुत सरल है। टेस्ट के तीन स्टेप हैं: तैयारी, प्रक्रिया और परिणाम।

आइए प्रत्येक स्टेप को विस्तार से समझें।

तैयारी

एस्ट्राडियोल टेस्ट करवाने के लिए किसी तैयारी की जरूरत नहीं होती है। फिर भी, छोटी बाजू वाला टॉप पहनने से मेडिकल प्रोफेशनल का काम बहुत आसान हो जाता है।

इसके अतिरिक्त, अगर सुइयां आपको डराती हैं या आपको ब्लड देखने में दिक्कत होती है, तो आपको खुद को मानसिक रूप से तैयार करना होगा।

प्रक्रिया

डॉक्टर आपको कुर्सी पर बैठकर आराम करने के लिए कहेंगे। फिर वह आपकी ऊपरी बांह पर एक पट्टी बांधेंगे ताकि जिस नस से उन्हें खून निकालना है वह फूल जाए और ज्यादा दिखाई देने लगे।

जब नस मिल जाएगी, तो वह आपकी उस जगह की स्किन कीटाणुरहित करेंगे और सिरिंज तैयार करेंगे। तैयार होने पर, डॉक्टर आपकी नस में सुई डालेगा और टेस्ट को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए पर्याप्त ब्लड निकाल लेंगें।

जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, तो वह सिरिंज को हटा लेंगे और इंजेक्शन वाली जगह पर दवा लगी रूई का एक टुकड़ा रखेंगे ताकि ब्लड निकलना बंद हो जाए।

परिणाम

टेस्ट के नतीजे आने में आमतौर पर कुछ दिन लगते हैं। आपके ब्लड का सैंपल डायग्नोस्टिक्स लैब में भेजा जाता है, जहां प्रोफेशनल इसे चेक करने के लिए एक मशीन में डालते हैं।

निष्कर्ष

एस्ट्राडियोल टेस्ट शरीर में एस्ट्रोजन के लेवल को दिखाता है और डॉक्टर को संपूर्ण पीरियड और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं को समझने में मदद करता है।

अगर आपको लगता है कि आपको या आपके किसी प्रियजन को टेस्ट से फायदा होगा, तो बेस्ट परामर्श लेने के लिए नजदीकी बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ क्लिनिक पर जाएं। डॉ. दीपिका मिश्रा के साथ आज ही अपॉइंटमेंट बुक करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. एस्ट्राडियोल टेस्ट क्या दिखाता है?

एस्ट्राडियोल टेस्ट किसी व्यक्ति के शरीर में एस्ट्रोजन के लेवल को दिखाता है। यह टेस्ट महिला के प्रजनन और पीरियड संबंधी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को समझने के लिए किया जाता है।

अगर आप प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रही हैं तो डॉक्टर को प्रजनन संबंधी उपचार के लिए एस्ट्राडियोल टेस्ट की भी जरूरत पड़ती है।

  1. नॉर्मल एस्ट्राडियोल लेवल क्या है?

अलग-अलग उम्र के व्यक्तियों में नॉर्मल एस्ट्राडियोल का लेवल अलग-अलग होता है। इसके अतिरिक्त, पुरुषों के शरीर में महिलाओं की तुलना में एस्ट्राडियोल की कंसंट्रेशन बहुत कम होती है। इस हार्मोन का नॉर्मल लेवल इस प्रकार है:

  • पुरुषों के लिए 10 से 50 पीजी/एमएल
  • मेनोपॉज के बाद महिलाओं में 0 से 30 पीजी/एमएल के बीच
  • मेनोपॉज़ वाली महिलाओं में 30 से 400 पीजी/एमएल के बीच
  1. हाई एस्ट्राडियोल लेवल का क्या मतलब है?

जब किसी लड़की में एस्ट्राडियोल का लेवल नॉर्मल से ज्यादा होता है, तो इसका मतलब है कि वह नॉर्मल उम्र से पहले युवा हो जाएगी। इस स्थिति को असामयिक यौवन (प्रीकॉशियस प्यूबर्टी) कहा जाता है।

वृद्ध महिलाओं में एस्ट्राडियोल का बढ़ा हुआ लेवल दूसरे संभावित हेल्थ समस्याओं का संकेत दे सकता है, जैसे हाइपरथायरायडिज्म, लीवर डैमेज होना या गाइनेकोमेस्टिया।

  1. एस्ट्राडियोल का टेस्ट कब किया जाता है?

आपके शरीर में ई2 हार्मोन के लेवल को जानने के लिए आपके पीरियड साईकल के तीसरे दिन एस्ट्राडियोल टेस्ट किया जाता है।

कुछ मामलों में, डॉक्टर आपके ओव्यूलेशन शुरू होने के लगभग 5 से 7 दिन बाद एस्ट्राडियोल टेस्ट के लिए कह सकते हैं। प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए, प्रेगनेंसी हेल्थ और प्रोग्रेस की निगरानी के लिए यह टेस्ट प्रेगनेंसी के 15वें और 20वें सप्ताह के बीच किया जाता है।

  1. अगर एस्ट्राडियोल बहुत कम हो तो क्या होगा?

जब आपके शरीर में एस्ट्राडियोल का लेवल नॉर्मल से कम होगा, तो आपके युवा होने में देरी होगी। यह महिला के शरीर के सेक्सुअल डेवलपमेंट को भी कम कर सकता है। कुछ मामलों में, कम एस्ट्राडियोल लेवल महिला के शरीर को सेक्सुअली मेच्योर होने से रोकता है।

पेरीमेनोपॉज और मेनोपॉज से ग्रस्त महिलाओं में, एस्ट्राडियोल का कम लेवल बुखार जैसी गर्मी, पीड़ा देने वाले सेक्स और सेक्स की इच्छा में कमी का कारण बनता है।

Written by:
Dr. Madhulika Sharma

Dr. Madhulika Sharma

Consultant
Dr. Madhulika Sharma is an esteemed Fertility Specialist with more than 16 years of clinical experience. She is renowned for her exceptional expertise and compassionate approach to helping aspiring parents navigate their fertility journey. With over a decade of experience in reproductive medicine, she specializes in cutting-edge IVF techniques and individualized treatment plans tailored to each couple's unique needs. Her commitment to patient care is evident in her warm, empathetic demeanor and the personalized attention she gives to every case. She is a member of the following societies European Society of Human Reproduction and Embryology, Federation of Obstetrics and Gynecological Societies of India (FOGSI), Indian Fertility Society and Indian Society of Assisted Reproduction.
Meerut, Uttar Pradesh

Our Services

Fertility Treatments

Problems with fertility are both emotionally and medically challenging. At Birla Fertility & IVF, we focus on providing you with supportive, personalized care at every step of your journey towards becoming a parent.

Male Infertility

Male factor infertility accounts for almost 40%-50% of all infertility cases. Decreased sperm function can be the result of genetic, lifestyle, medical or environmental factors. Fortunately, most causes of male factor infertility can be easily diagnosed and treated.

We offer a comprehensive range of sperm retrieval procedures and treatments for couples with male factor infertility or sexual dysfunction.

Donor Services

We offer a comprehensive and supportive donor program to our patients who require donor sperm or donor eggs in their fertility treatments. We are partnered with reliable, government authorised banks to source quality assured donor samples which are carefully matched to you based on blood type and physical characteristics.

Fertility Preservation

Whether you have made an active decision to delay parenthood or are about to undergo medical treatments that may affect your reproductive health, we can help you explore options to preserve your fertility for the future.

Gynaecological Procedures

Some conditions that impact fertility in women such as blocked fallopian tubes, endometriosis, fibroids, and T-shaped uterus may be treatable with surgery. We offer a range of advanced laparoscopic and hysteroscopic procedures to diagnose and treat these issues.

Genetics & Diagnostics

Complete range of basic and advanced fertility investigations to diagnose causes of male and female infertility, making way for personalized treatment plans.

Our Blogs

Submit
By clicking Proceed, you agree to our Terms and Conditions and Privacy Policy

You can also reach us at

Do you have a question?

Footer arrow