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प्रेग्नेंसी के नार्मल डिलीवरी के लिए घरेलू उपाय, नुस्खे, योगा और एक्सरसाइज

प्रेग्नेंसी के नार्मल डिलीवरी के लिए घरेलू उपाय, नुस्खे, योगा और एक्सरसाइज

Dr. Sonal Chouksey
Dr. Sonal Chouksey

MBBS, DGO

17+ Years of experience

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प्रेगनेंसी किसी भी महिला की ज़िंदगी का एक ऐसा समय होता है, जब उम्मीद अपने शिखर पर होती है, क्योंकि कुछ ही समय बाद उनका बच्चा इस दुनिया में आने को तैयार है।  प्रेगनेंट महिलाओं के लिए यह समय ख़ुशी, उम्मीद और बदलावों से भरा होता है। हालांकि, इस दौरान वे कई शारीरिक और मानसिक चुनौतियों से गुज़रती हैं और उन्हें हर पल हो रहे बदलावों के हिसाब से ख़ुद को ढालना पड़ता है। उन्हें आगे की तैयारियां भी करनी पड़ती है और इन तैयारियों में एक बेहद महत्वपूर्ण चीज़ है डिलीवरी की तैयारी।

ज़्यादातर महिलाओं की इच्छा नॉर्मल डिलीवरी की होती है। वजह साफ़ है, इसमें सर्जरी के मुक़ाबले आम तौर रिकवरी जल्दी होती है। साथ ही, नवजात शिशु के साथ उनका संबंध भी तुरंत बन जाता है। उन्हें सर्जरी की तरह लंबा आराम नहीं करना पड़ता। हालांकि, कई मेडिकल वजहों से नॉर्मल डिलीवरी मुमकिन नहीं हो पाती है। इस लेख में हम इसी पहलू पर बात करेंगे कि प्रेगनेंसी के दौरान नॉर्मल डिलीवरी के लिए महिलाओं को क्या तैयारियां करनी चाहिए, इसके घरेलू उपचार क्या है और इसके लिए कौन से योगा और एक्सरसाइज़ करने से मदद मिल सकती है।

नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयारियों की अहमियत

नॉर्मल डिलीवरी, मां और बच्चे दोनों के लिए कई मायनों में फ़ायदेमंद है। नॉर्मल डिलीवरी से जन्मे बच्चों को अक्सर सांस से जुड़ी समस्याएं कम होती है, क्योंकि इस प्रक्रिया से उन्हें फेफड़ों के तरल पदार्थ को साफ करने में मदद मिलती है। प्रेगनेंसी के दौरान मां के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का असर जन्म की प्रक्रिया पर कई तरह से पड़ता है। घरेलू उपचार, योगा और एक्सरसाइज़ जैसे प्राकृतिक तरीक़े अपनाकर महिलाएं सहज और क़ामयाब डिलीवरी के लिए ख़ुद को तैयार कर सकती हैं।

 प्रेगनेंसी में नॉर्मल डिलीवरी के लिए घरेलू उपाय

  1. संतुलित और पोषणयुक्त आहार
    फ़ाइबर वाले आहार पर ध्यान दें: साबुत अनाज, पालक और केले जैसे फल और सब्ज़ियां, कब्ज को रोकने और शरीर में एनर्जी बरकरार रखने में मददगार साबित होती हैं। प्रेगनेंसी में अगर पेट साफ़ है, तो कई समस्याएं अपने-आप कम हो जाती हैं।
    पर्याप्त मात्र में पानी पिएं: रोज़ाना कम से कम 2-3 लीटर पानी पिएं। आपके शरीर के हिसाब से यह मात्रा अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए आप अपने शरीर की सुनें और ज़रूरत के हिसाब से पानी पीती रहें। इससे एमनियोटिक फ़्लूइड का स्तर मेनटेन रखने, पाचन को दुरुस्त करने और शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने में मदद मिलती है।
    आयरन और कैल्शियम युक्त आहार लें: दाल, बादाम, तिल और डेयरी उत्पादों को अपने आहार में शामिल करें, ताकि हड्डियां मज़बूत और ख़ून की आपूर्ति बेहतर हो सके। कैल्शियम के सेवन से प्रीक्लेम्पसिया जैसे जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
    चीनी और नमक के ज़्यादा सेवन से बचें: डिलीवरी प्रोसेस को जटिल बनाने वाली जेस्टेशनल डाइबिटीज़ और हाइपरटेंशन को रोकने के लिए यह ज़रूरी है।
  2. हर्बल चाय
    रासबेरी पत्तियों की चाय: यह यूटरस की दीवारों को मज़बूत करने और सर्विक्स को लेबर के लिए तैयार करने में मददगार साबित होती है। हालांकि, एहतियात के लिए इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  3. प्राकृतिक तेल और घी
    अरंडी के गुनगुने तेल से मालिश: यह पेल्विक एरिया में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है, जिससे लेबर की तैयारी आसान हो जाती है।
    घी का सेवन: माना जाता है कि प्रेगनेंसी के आख़िरी हफ़्तों में दूध में घी डालकर पीने से काफ़ी राहत मिलती है। हालांकि, विज्ञान इसकी पुष्टि नहीं करता। फिर भी, यह शरीर के लिए उचित फ़ैट का स्रोत हो ही सकता है और पारंपरिक ज्ञान में इसे कारगर माना गया है।
  4. यूटरस के स्वास्थ्य के लिए मसाले
    ज़ीरा, आजवाइन और सौंफ: इन मसालों से पाचन में आसानी होती है और सही मात्रा में सेवन करने से लेबर में ये फ़ायदेमंद हो सकते हैं।

नॉर्मल डिलीवरी के लिए योगा (प्रेगनेंसी योगा फॉर नार्मल डिलीवरी)

योगा हमारे शरीर में लचीलेपन को बढ़ाता है, पेल्विक की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है और सुकून भरी नींद में मददगार साबित होता है। नॉर्मल डिलीवरी के लिए ये आसन काफ़ी फ़ायदेमंद माने जाते हैं:

तितली मुद्रा (बद्ध कोणासन)

  • फ़ायदे: पेल्विक की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं, कूल्हे में लचीलापन आता है और शरीर को डिलीवरी के लिए तैयार करता है।
  • कैसे करें: सीधा बैठें, अपने पैरों को एक साथ जोड़ें और धीरे-धीरे अपने घुटनों को तितली के पंखों की तरह फड़फड़ाएं। यह मुद्रा शरीर के निचले हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन को भी बेहतर बनाती है।

कैट-काउ पोज़ (मार्जरी आसन या बितिलासन)

  • फ़ायदे: पीठ दर्द में राहत मिलती है, रीढ़ की हड्डी को फ़ायदा पहुंचता है और बच्चे को जन्म के लिए तैयार करता है।
  • कैसे करें: दोनों पैरों और हाथों के सहारे झुकें, अपनी पीठ को मोड़ें और गहरी सांस लेते हुए पीठ को ऊपर और फिर नीचे ले जाएं।

गारलैंड पोज (मलासन)

  • फ़ायदे: पेल्विक हिस्से को खोलता है, जिससे बच्चे का जन्म आसान हो जाता है। यह जांघों और पीठ के निचले हिस्से को भी मज़बूत बनाता है।
  • कैसे करें: अपने पैरों को जमीन पर सपाट तरीक़े से रखकर स्क्वाट की स्थिति में बैठें और अपने हाथों को छाती के सामने जोड़ें। पीठ सीधी रखें और कुछ समय तक गहरी सांस लें और छोड़ें।

सांस से जुड़े व्यायाम (प्राणायाम)

  • नाड़ी शोधन: तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम को शांत करता है, एंग्ज़ाइटी कम करता है और ऑक्सीजन फ़्लो में सुधार करता है।
  • पेट के ज़ोर से सांस लेना: इससे काफ़ी राहत और सुकून मिलती है। साथ ही, यूटरस और बच्चे को निरंतर ऑक्सीजन सप्लाई मिलती रहती है।

शवासन

  • फ़ायदे: तनाव कम होता है, मानसिक शांति मिलती है और नींद अच्छी आती है।
  • कैसे करें: पीठ के बल लेटें, हाथ और पैर आराम से रखें। मानसिक शांति के लिए गहरी सांस लें और ध्यान केंद्रित करें।

ध्यान दें: सुरक्षा और बेहतरी के लिए ज़रूरी है कि आप सर्टिफ़ाइड योगा इंस्ट्रक्टर की निगरानी में ही योगा करें। कई बार आसन में लोग चूक कर देते है और इससे जटिलताएं बढ़ सकती हैं।

नॉर्मल डिलीवरी के लिए एक्सरसाइज़

केगल एक्सरसाइज़

  • फ़ायदे: पेल्विक फ़्लोर की मांसपेशियों को मज़बूत करता है। यह मांसपेशी, यूटरस और ब्लैडर को सहारा देती है, जिससे लेबर और डिलीवरी के बाद की रिकवरी आसान हो जाती है।
  • कैसे करें: पेल्विक की मांसपेशियों को इस तरह कसें, जैसे पेशाब रोकने के लिए किया जाता है। 5 सेकंड के लिए रोकें और फिर छोड़ें। इसे 10-15 बार दोहराएं। दिन में कई बार करें।

चलना-फिरना

  • फ़ायदे: शरीर को सक्रिय रखता है। साथ ही, जेस्चर में सुधार लाता है और बच्चे को सही पोज़िशन में लाने में मददगार होता है। चलने से सहनशक्ति भी बढ़ती है, जो लेबर के लिए बेहद ज़रूरी है।
  • कितनी देर करें: हर दिन 30 मिनट तेज़ चलने का लक्ष्य रखें। जोड़ों पर ज़्यादा भार न डालें और आरामदायक जूते पहनें।

स्क्वाट

  • फ़ायदे: पेल्विक हिस्से को खोलता है, पैरों की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है और बच्चे के सिर को पेल्विक में लाने में मदद करता है।
  • सुरक्षा के लिए सलाह: संतुलन के लिए सपोर्ट चेयर या दीवार का इस्तेमाल करें। साथ ही, ज़्यादा दबाव डालने से बचें।

पेल्विक टिल्ट

  • फ़ायदे: पीठ दर्द को कम करता है, पेट की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है और बच्चे को डिलीवरी के लिए तैयार करता है।
  • कैसे करें: अपनी पीठ के बल लेटें, घुटने मुड़े और पैरों को फ़्लैट रखें। धीरे से अपने पेल्विक हिस्से को ऊपर की खींचें और कुछ सेकंड के लिए उसी स्थिति में रहें इसके बाद छोड़ें।

पेरिनियल मसाज

  • फ़ायदे: डिलीवरी के दौरान होने वाली कई जोखिम को कम करता है और पेरिनियल टिशू का एलास्टिक बढ़ाता है।
  • कैसे करें: 34वें हफ़्ते से नैचुरल ऑयल का इस्तेमाल करके योनि और एनस के बीच के हिस्से की मसाज करें।

नॉर्मल डिलीवरी से जुड़े मिथ्स और फ़ैक्ट्स

मिथ्स फ़ैक्ट्स
घी के सेवन से पक्के तौर पर नॉर्मिल डिलीवरी  होती है। इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। संतुलित आहार पर ध्यान दें।
सिर्फ़ पहली बार ही नॉर्मल डिलीवरी होती है। अगर उचित देखभाल हो और कोई जटिलता न हो, तो हर उम्र की महिलाएं कितनी बार भी नॉर्मल डिलीवरी कर सकती हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज़ से बच्चे को नुक़सान पहुंचता है। सही तरीक़े से की गई एक्सरसाइज़ मां और बच्चे, दोनों के लिए फ़ायदेमंद होती है।
मसालेदार भोजन से लेबर जल्दी हो जाता है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
चलने-फिरने से लेबर जल्दी शुरू हो जाता है। चलने-फिरने से डिलीवरी में मदद मिलती है, लेकिन लेबर एक जटिल चीज़ है जिसमें हार्मोन की अहम भूमिका होती है।

 

नॉर्मल डिलीवरी से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल: प्रेगनेंसी में योगा और एक्सरसाइज़ कब शुरू करना चाहिए?

जवाब: अपने गाइनोकोलॉजिस्ट से सलाह लेने के बाद, दूसरी तिमाही से आप हल्की एक्सरसाइज़ और योगा कर सकती हैं। हमेशा अपनी सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखें।

सवाल: क्या प्रेगनेंसी के दौरान हर तरह के योगासन सुरक्षित हैं?

जवाब: उन आसनों और मुद्राओं से बचें जिनमें पेट के बल लेटा जाता है या पीठ को काफ़ी ज़्यादा झुकाया जाता है या फिर जिसमें मोड़ ज़्यादा हो। सिर्फ़ प्रीनेटल योग मुद्राओं का ही पालन करें और सर्टिफ़ाइड योगा इंस्ट्रक्टर से सलाह लें।

सवाल: मैं लेबर पेन को प्राकृतिक रूप से कैसे क़ाबू कर सकती हूं?

जवाब: सांस से जुड़ी एक्सरसाइज़ करें, बर्थिंग बॉल का इस्तेमाल करें, गुनगुने पानी से नहाएं और अर्ली लेबर के दौरान एक्टिव रहें।

सवाल: नार्मल डिलीवरी कितने दिन में होती है?

जवाब: नार्मल डिलीवरी आमतौर पर गर्भावस्था के 38 से 40 हफ्ते (लगभग 9 महीने) के बीच होती है। यह समय हर महिला में थोड़ा अलग हो सकता है।

निष्कर्ष

नॉर्मल डिलीवरी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे सही तैयारी से काफ़ी हद तक आसान बनाया जा सकता है। घरेलू नुस्खे, योग और एक्सराइज़ को अपनाकर शारीरिक और मानसिक तैयारी के लिए आप मज़बूत आधार बना सकती हैं। याद रखें, हर किसी की प्रेगनेंसी एक-दूसरे से अलग होती है और यही बात डिलीवरी पर भी लागू होती है। इसलिए, डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें। सही जानकारी रखे, एक्टिव रहें और सही आहार लें। नॉर्मल डिलीवरी के लिए ये चीज़ें बेहद ज़रूरी हैं।

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