प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले शारीरिक और भावनात्मक बदलावों की वजह से महिलाओं की नींद सीधे तौर पर प्रभावित होती है। हार्मोनल बदलावों की वजह से कई बार मानसिक तनाव भी बढ़ जाता है। ऐसे में, सुकून भरी नींद लेना स्वस्थ प्रेगनेंसी के लिए बेहद ज़रूरी हो जाता है। पहली तिमाही से लेकर प्रेगनेंसी के अंतिम हफ़्ते तक आरामदायक नींद लेना मां और बच्चे, दोनों के लिए फ़ायदेमंद है। इस लेख में हम जानेंगे कि प्रेगनेंसी के दौरान कैसे सोना चाहिए। साथ ही, नींद पाने के अच्छे तरीक़ों और हर महीने के हिसाब से नींद के बदलते पैटर्न की चर्चा करेंगे।
प्रेगनेंसी के दौरान पर्याप्त नींद लेना क्यों ज़रूरी है?
प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में काफ़ी तेज़ी से बदलाव होते हैं। महिलाओं का शरीर इन बदलावों के हिसाब से ख़ुद को तैयार करने के लिए काफ़ी ऊर्जा ख़र्च करता है। इसलिए, इस दौरान पर्याप्त आराम करना और नींद लेना समूचे स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी हो जाता है। उचित नींद, शरीर में बढ़ते ब्लड वॉल्यूम, हार्मोनल बदलाव और यूटरस में बड़े हो रहे बच्चे को सहारा देने के लिए भी ज़रूरी है। प्रेगनेंसी में नींद का सीधा संबंध शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से होता है। इसलिए, पर्याप्त आराम करने से:
- मनोदशा यानी मूड बेहतर होता है और मानसिक तनाव से राहत मिलती है।
- शरीर का इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है।
- बच्चे के सही विकास में मदद मिलती है।
- हार्मोन को संतुलित रखने और सही वज़न बनाए रखने में मदद मिलती है।
- ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और सूजन कम होती है।
अमेरिकन प्रेगनेंसी एसोसिएशन के मुताबिक़, प्रेगनेंसी के दौरान पर्याप्त नींद न लेने से हाई ब्लड प्रेशर, जेस्टेशनल डाइबिटीज़ और प्रीटर्म लेबर के जोखिम बढ़ सकते हैं। यह मूड स्विंग और थकान की वजह भी बन सकता है। इस वजह से प्रेगनेंसी के दौरान आने वाली चुनौतियों से निपटने के बजाए, महिलाएं नई तरह की परेशानियों से घिर सकती हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान कितने घंटे की नींद ज़रूरी है?
प्रेगनेंसी में सामान्य से थोड़ी ज़्यादा नींद लेने की ज़रूरत होती है। हालांकि, नींद की यह अवधि प्रेगनेंसी के अलग-अलग फ़ेज़ और हर महिला के स्वास्थ्य के ऊपर निर्भर करती है। फिर भी, प्रेगनेंट महिलाओं को औसतन रोज़ाना 7 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए। यह उसके शरीर के लिए बेहद ज़रूरी है। हालांकि, नींद की अवधि के बराबर ही महत्वपूर्ण है- नींद की गुणवत्ता। 10 घंटे की उचटी हुई नींद से बेहतर है 6 घंटे की गहरी और सुकून भरी नींद। आइए प्रेगनेंसी की तीनों तिमाही के हिसाब से जानते हैं कि महिलाओं के लिए हर तिमाही में नींद की क्या अहमियत है।
- पहली तिमाही: हार्मोनल बदलावों की वजह से काफ़ी थकान महसूस होती है और इसी वजह से शरीर को ज़्यादा नींद की ज़रूरत होती है।
- दूसरी तिमाही: इस दौरान महिलाओं के शरीर में एनर्जी लेवल पहली तिमाही के मुक़ाबले बेहतर हो जाता है, लेकिन शारीरिक बदलाव और बच्चे के विकास के लिए अच्छी और गहरी नींद अब भी ज़रूरी है।
- तीसरी तिमाही: इस दौरान पेट में बच्चा तेज़ी से बड़ा होता है और इस वजह से नींद में बाधाएं आ सकती हैं। अच्छी नींद पाने की सबसे ज़्यादा चुनौती इसी तिमाही में आती है, क्योंकि महिलाओं का पेट काफ़ी बड़ा हो चुका होता है। प्रेगनेंसी के आख़िरी चरण में, सुकून भरी नींद चिड़चिड़ेपन और डिलीवरी की चिंता को दूर करने के लिए बेहद ज़रूरी है।
प्रेगनेंसी में नींद क्यों नहीं आती?
ज़रूरी होने के बावजूद, गहरी नींद लेने में ज़्यादातर महिलाओं को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके पीछे कई वजहे हैं, जैसे:
- शारीरिक असुविधा: पीठ दर्द, पैरों में ऐंठन और बढ़े हुए पेट की वजह से आरामदायक पोज़िशन हासिल करना कई बार मुश्किल हो जाता है। ख़ासकर, दूसरी और तीसरी तिमाही में यह असुविधा काफ़ी बढ़ जाती है।
- हार्मोनल बदलाव: प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन में बदलाव की वजह से नींद में खलल पड़ सकती है और सोने के दौरान बार-बार नींद उचट सकती है।
- बार-बार पेशाब आना: यूटरस के बढ़ने से ब्लैडर पर दबाव पड़ता है, जिससे रात में बार-बार बाथरूम जाना पड़ सकता है। इस वजह से लंबी अवधि की नींद मुश्किल हो जाती है।
- चिंता और तनाव: मातृत्व की इस यात्रा में लेबर और बच्चे के स्वास्थ्य समेत कई ख़याल बार-बार ज़ेहन में आते हैं और भावनात्मक तौर पर हो रही उथल-पुथल का सीधा असर नींद के ऊपर पड़ता है।
प्रेगनेंसी में सीधा सोना चाहिए या नहीं?
प्रेगनेंसी की दूसरी और तीसरी तिमाही में पीठ के बल सोने की सलाह नहीं दी जाती। जानकारों का मानना है कि पीठ के बल लेटने से यूटरस का दबाव इनफ़ीरियर वीना कावा के ऊपर पड़ता है, जो शरीर के निचले हिस्से से हृदय तक ख़ून पहुंचाने वाली मुख्य नस है। इससे ब्लड फ़्लो की रफ़्तार धीमी पड़ सकती है और नतीजतन बच्चे तक सही मात्रा में ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचने में रुकावट आ सकती है।
सीधा सोने से ये परेशानियां हो सकती हैं:
- चक्कर आना और सांस लेने में कठिनाई
- पीठ दर्द
- बच्चे तक ज़रूरी चीज़ों के प्रवाह में कमी
- प्रेगनेंसी के आख़िरी हफ़्तों में ऐसा करने पर, बच्चे को गंभीर नुक़सान का जोखिम
प्रेगनेंसी के अलग-अलग महीनों में सोने के सही तरीक़े
जैसे-जैसे प्रेगनेंसी का सफ़र आगे बढ़ता है, नींद के पैटर्न और सोने के पोज़िशन में बदलाव देखने को मिल सकते हैं। आइए जानते है कि इन महीनों में किस तरह से सोने की सलाह दी जाती है।
प्रेगनेंसी के पहले महीने में कैसे सोना चाहिए:
पहली तिमाही में नींद से जुड़ी समस्याएं आमतौर पर कम देखने को मिलती हैं, लेकिन हार्मोनल बदलाव की वजह से आपको ज़्यादा थकान महसूस हो सकती है। पहले महीने की मुख्य चुनौती नींद की बढ़ी हुई इस ज़रूरत को पूरा करने की होती है। इस दौरान, सोने के पोज़िशन में कोई बदलाव करने की ज़रूरत नहीं होती, आप जिस तरह आम दिनों में सोती हैं उसी तरह प्रेगनेंसी के पहले महीने में भी सो सकती है।
- सोने का सबसे अच्छा तरीक़ा: पहली तिमाही में सोने के तरीक़े में कोई बड़ा बदलाव करने की ज़रूरत नहीं होती। आपको जिस भी तरह से आरामदायक लगे, आप सो सकती हैं। मसलन, आप पीठ के बल, करवट लेकर या पेट के बल आराम से सो सकती हैं।
- आराम के सुझाव: अगर कोई असुविधा हो, तो गर्दन और पीठ को सहारा देने के लिए तकिये का इस्तेमाल करें।
प्रेगनेंसी के दूसरे महीने में कैसे सोना चाहिए:
दूसरे महीने में हार्मोन का स्तर बढ़ने के कारण शरीर में असुविधा महसूस हो सकती है। हालांकि, बहुत-सी महिलाओं को अभी भी पेट या पीठ के बल सोने में आसानी होती है। इस दौरान, आपको रात में बार-बार जागने जैसी समस्या महसूस हो सकती है।
- सोने का सबसे अच्छा तरीक़ा: बाईं करवट सोने की आदत डालना शुरू करें। यह ब्लड सर्कुलेशन में मदद करता है और प्लेसेंटा तक बेहतर ब्लड फ़्लो पहुंचाने में मदद करता है। अगर बाईं करवट सोने में असुविधा हो, तो दाईं करवट ले सकती हैं, लेकिन करवट लेकर सोने का अभ्यास ज़रूरी है।
- आराम के सुझाव: घुटनों के बीच तकिया रखने से अतिरिक्त सहारा मिल सकता है।
प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में कैसे सोना चाहिए:
तीसरे महीने में शिशु का विकास तेज़ी से होता है, लिहाज़ा आप पहले के मुक़ाबले ज़्यादा थकान महसूस कर सकती हैं। यूटरस का बढ़ता हुआ भार, शरीर पर असर डाल सकता है और इस वजह से पीठ के बल सोना मुश्किल होने लगता है।
- सोने का सबसे अच्छा तरीक़ा: बाईं करवट लेकर सोएं, जिससे प्लेसेंटा को बेहतर सर्कुलेशन मिल और किडनी अपना काम बेहतर तरीक़े से कर पाए।
- आराम के सुझाव: पीठ और पेट को सहारा देने के लिए प्रेग्नेंसी पिलो का इस्तेमाल करें।
अगले कुछ महीनों तक इसी तरह सोने की कोशिश करती रहें। असली चुनौती शुरू होती है, तीसरी तिमाही से। तीसरी तिमाही का मतलब है, छह महीने पूरे होने के बाद जब आपका सातवां महीना शुरू होता है।
प्रेगनेंसी के 7 महीने में कैसे सोना चाहिए:
प्रेगनेंसी के सातवें महीने तक आते-आते शिशु का आकार काफ़ी बड़ा हो चुका होता है। इस वजह से आरामदायक पोज़िशन में सोना मुश्किल होने लगता है। यूटरस के बढ़ते दबाव की वजह से आपको रात में बार-बार बाथरूम जाने और पैरों में दर्द की समस्या हो सकती है।
- सोने का सबसे अच्छा तरीक़ा: बाईं करवट लेकर सोना जारी रखें। अगर असुविधा हो, तो दाईं करवट भी ले सकती हैं, लेकिन बाईं करवट ब्लड सर्कुलेशन के लिए सबसे अच्छी है।
- आराम के सुझाव: पीठ और पेट के पीछे तकिये रखें, ताकि सपोर्ट मिल सके।
प्रेगनेंसी के 8 महीने में कैसे सोना चाहिए:
प्रेगनेंसी के 8 महीने तक आते-आते, शिशु जन्म के लिए लगभग तैयार हो जाता है। इस दौरान, पीठ दर्द और सूजन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसलिए, यह ज़रूरी है कि इस दौरान सोने की पोज़िशन सही रहे, ताकि पीठ और पैरों पर दबाव न बने।
- सोने का सबसे अच्छा तरीक़ा: पहले की तरह ही बाईं करवट लेकर सोना जारी रखें और असुविधा होने पर दाईं करवट लें।
- आराम के सुझाव: शरीर को सहारा देने के लिए तकियों का इस्तेमाल करें और सूजन कम करने के लिए पैरों को ऊंचा रखें।
प्रेगनेंसी के 9 महीने में कैसे सोना चाहिए:
जैसे-जैसे डिलीवरी की तारीख़ नज़दीक आती है, शारीरिक असुविधा और डिलीवरी को लेकर चिंता और बढ़ती जाती है और इन सबका असर सीधे तौर पर नींद के ऊपर पड़ता है।
- सोने का सबसे अच्छा तरीक़ा: बाईं करवट सोना जारी रखें। ज़रूरत पड़ने पर आराम के लिए आप करवट बदल सकती हैं।
- आराम के सुझाव: पूरे शरीर को सहारा देने वाले प्रेग्नेंसी पिलो का इस्तेमाल करें और फेफड़ों और पेट पर दबाव कम करने के लिए थोड़ा उठकर सोने की कोशिश करें।
प्रेगनेंसी में आरामदायक नींद के लिए टिप्स
- प्रेग्नेंसी पिलो का इस्तेमाल करें: इसे ख़ास तौर पर प्रेगनेंट महिलाओं को सोने के लिए बनाया गया है। यह पीठ, कूल्हों और पेट को सहारा देने में मदद करता है।
- हल्की और सांस से जुड़ी एक्सरसाइज़ करें: सोने से पहले गहरी सांस लें, मेडिटेशन करें या हल्का स्ट्रेच करें।
- सपोर्टिव गद्दे का इस्तेमाल करें: बहुत नरम गद्दे पर सोने से परहेज बरतें। थोड़े सख़्त और सपोर्टिव गद्दे का इस्तेमाल करें। इससे पीठ दर्द कम करने में मदद मिल सकती है।
- पर्याप्त पानी पिएं: दिन भर भरपूर पानी पिएं, लेकिन रात में लिक्विड पीने से परहेज बरतें, क्योंकि इससे ज़्यादा पेशाब आने की आशंका रहती है। लिहाज़ा, नींद में खलल पड़ सकती है।
- कैफ़ीन के ज़्यादा सेवन से बचें: दोपहर और रात में कैफ़ीनयुक्त पेय से परहेज करें। साथ ही, अगर आप कंट्रोल नहीं कर पाती हैं, तो दिन भर में बेहद सीमित मात्रा में कैफ़ीन का सेवन करें।
- सोने का समय निर्धारित करें: नियमित नींद पैटर्न शरीर को आराम करने में मदद करता है। सही समय पर सोने से आपको ताज़गी महसूस होगी और शरीर को भी इस रूटीन की आदत पड़ जाएगी।
प्रेगनेंसी में सोने से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सवाल: क्या प्रेगनेंसी में पेट के बल सोना सुरक्षित है?
जवाब: प्रेगनेंसी के शुरुआती फ़ेज़ के बाद ऐसा करना असुविधाजनक होने के साथ-साथ असुरक्षित भी माना जाता है।
सवाल: क्या प्रेगनेंसी में पीठ के बल सोना ठीक है?
जवाब: प्रेगनेंसी के अंतिम चरणों में पीठ के बल सोने से ब्लड सर्कुलेशन में दिक़्क़त आ सकती है। इसलिए, करवट लेकर सोना सबसे सुरक्षित विकल्प है।
सवाल: प्रेगनेंसी में कितने घंटे सोना चाहिए?
जवाब: प्रेगनेंट महिलाओं को आम तौर पर 7-9 घंटे की नींद लेनी चाहिए। साथ ही, गहरी नींद लेना भी उतना ही ज़रूरी है।
सवाल: प्रेगनेंसी में नींद कैसे सुधारें?
जवाब: प्रेग्नेंसी पिलो का इस्तेमाल करें, पर्याप्त पानी पिएं, कैफ़ीन के सेवन से बचें और सही रूटीन फ़ॉलो करें।
प्रेगनेंसी में नींद से जुड़े मिथ्स और फ़ैक्ट्स
मिथ्स | फ़ैक्ट्स |
प्रेगनेंसी में पीठ के बल सोना सही है | पीठ के बल सोने से ब्लड सर्कुलेशन में समस्या और प्लेसेंटा तक ब्लड फ़्लो कम हो सकता है |
प्रगेनेंसी में ज़्यादा से ज़्यादा सोना चाहिए | अच्छी और गहरी नींद ज़्यादा ज़रूरी है। आम तौर पर 7-9 घंटे की नींद पर्याप्त है |
प्रेगनेंसी में किसी भी पोज़िशन में सो सकते हैं | बाईं करवट सोना बेहतर ब्लड फ़्लो और शिशु के विकास के लिए सबसे अच्छा है |
निष्कर्ष
प्रेगनेंसी में नींद सिर्फ़ आराम करने के लिए नहीं, बल्कि मां और शिशु के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए भी ज़रूरी है। इसलिए, सोने की सही पोज़िशन और तरीक़ों को अपनाएं, ताकि आप अपना स्वास्थ्य और एनर्जी लेवल बेहतर बना सकें।