मेंस्ट्रुअल साइकिल का नियमित होना और समय पर पीरियड्स का खुलकर आना, किसी भी महिला की सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। लेकिन कई बार कुछ कारणों से पीरियड्स कम या रुक-रुक कर आते हैं। साथ ही, पीरियड्स के दौरान डिस्चार्ज होने वाले ब्लड का फ्लो भी धीमा हो जाता है, जिस कारण महिला को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस ब्लॉग में पीरियड्स रुक-रुक कर आने के कारणों और पीरियड्स को नियमित बनाने वाले उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
पीरियड्स खुल कर न होने के लक्षण
पीरियड्स खुलकर नहीं आने का सबसे बड़ा लक्षण खुद पीरियड्स का खुलकर नहीं आना है। इसके अलावा, पीरियड्स रुक-रुक कर आना, पीरियड्स में देरी होना, दो दिन या उससे कम समय तक ब्लीडिंग होना, ब्लीडिंग कम होना और क्लॉटिंग दिखना, अचानक पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग का लेवल कम हो जाना, अगले महीने भी पीरियड्स के दौरान कम ब्लीडिंग होना और कुछ मामलों में पीरियड्स नहीं आना आदि शामिल हो सकते हैं।
पीरियड रुक रुक के आने का क्या कारण है ?
पीरियड नहीं आने के अनेक कारण हो सकते हैं। इसके मुख्य कारणों में कंसीव करना यानी प्रेगनेंट होना। अगर आप कंसीव करने की कोशिश कर रही हैं और पिछले कुछ दिनों से अनप्रोटेक्टेड सेक्स कर रही हैं एवं आपके पीरियड्स आने बंद हो गए हैं तो प्रेगनेंसी की जांच करें।
प्रेगनेंसी के अलावा भी अन्य स्थितियां हैं जो पीरियड्स नहीं आने का कारण हो सकती हैं। इसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं:
मोटापा:
सामान्य से अधिक वजन होने पर उसे मोटापा कहते हैं। अगर मोटापा की कैटेगरी में आती हैं तो आपके पीरियड इर्रेगुलर हो सकते हैं और कुछ मामलों में पीरियड्स आने बंद भी हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श करने के बाद आपको अपना वजन कंट्रोल करना चाहिए। मोटापा कम करने के लिए आपको अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में ख़ास बदलाव लाने की आवश्यकता होती है।
वजन अत्यधिक कम होना:
मोटापा के साथ-साथ वजन सामान्य से अत्याधिक कम होने पर भी मेंस्ट्रुअल साइकिल प्रभावित होता है। अगर आप बहुत ज़्यादा दुबली-पतली हैं तो आपको इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। डायटीशियन की मदद लें और खुद के लिए डाइट और एक्सरसाइज प्लान तैयार करें। नियमित रूप से कुछ महीनों तक अपनी डाइट और एक्सरसाइज को फॉलो करें, जब-जब आवश्यकता हो अपने डॉक्टर से बात करें। एक हेल्दी वजन पाने की कोशिश करें।
तनाव:
पीरियड्स नहीं आने के मुख्य कारणों में से एक तनाव है। तनाव हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है जो अंततः आपके मेंस्ट्रुअल साइकिल और पीरियड्स को प्रभावित करता है। रिजल्ट के रूप में आपके पीरियड्स में अनियमितता (irregularities) आती है जिसमें कई बार पीरियड्स का न आना शामिल है। तनाव को मैनेज करें और खुद को उन कामों में मशग़ूल रखें जिनमें आपको ख़ुशी मिलती है। आवश्यकता होने पर दोस्त, परिवार और डॉक्टर की मदद लें।
हेवी एक्सरसाइज:
जो महिलाएं हेवी एक्सरसाइज करती हैं उनमें पीरियड्स नहीं आने की समस्याएं देखी जाती हैं। तीव्र एक्सरसाइज करने से हार्मोनल स्तर में रैडिकल बदलाव आते हैं जो पीरियड्स में देरी का कारण बन सकते हैं। अगर आप इंटेंसिव एक्सरसाइज करती हैं तो यह संभावना है कि आपके पीरियड्स कम आने या नहीं आने का कारण एक्सरसाइज हो। इस बात की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।
हार्मोनल डिसऑर्डर:
पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) भी पीरियड्स के इर्रेगुलर होने या नहीं आने में योगदान करता है। अगर आपको यह समस्या है तो इस बात की पूरी संभावना है कि आपके पीरियड्स इर्रेगुलर होंगे, रुक-रुक कर आएँगे या नहीं आएँगे। ऐसे में आपको स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए। डॉक्टर कुछ ख़ास दवाएं निर्धारित करेंगे, डाइट और लाइफस्टाइल में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव लाने का सुझाव देंगे जिसकी मदद से आपकी यह समस्या कंट्रोल हो जाएगी और आपके पीरियड्स समय पर खुलकर आने लगेंगे।
इन सबके अलावा, थायराइड डिसऑर्डर जैसे कि हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म भी पीरियड्स को प्रभावित करते हैं जिससे ये अनियमित हो जाते हैं। साथ ही, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन भी पीरियड्स नहीं आने का एक मुख्य कारण हो सकता है। इन दोनों ही स्थितियों में आपको एक्सर्ट से परामर्श करना चाहिए।
पीरियड रुक रुक के आने के नुकसान
अगर आपके पीरियड्स कम आते हैं या रुक-रुक कर आते हैं तो आपको इसपर ध्यान चाहिए और आवश्यकता होने पर डॉक्टर से परामर्श करके अंतर्निहित कारणों का उपचार पाना चाहिए। पीरियड्स कम आने या बंद होने पर अनेक समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि दिल की बीमारियां, शुगर, अस्थमा, ऑस्टियोपोरोसिस और ब्रेस्ट कैंसर आदि।
इतना ही नहीं, अगर यह समस्या लंबे समय तक रहती है तो आगे मेनोपॉज से जुड़ी समस्याएं जैसे कि हॉट फ़्लैश, योनि का सूखापन, हड्डियों के घनत्व में कमी और हृदय एवं रक्त वाहिका विकारों का खतरा भी बढ़ सकता है। पीरियड्स में कम ब्लीडिंग होने के कारण, शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो सकता है। यही कारण है कि पीरियड्स कम या रुक-रुक कर आने या बंद होने पर एक्सपर्ट से परामर्श का सुझाव दिया जाता है।
पीरियड खुल कर के आने के लिए क्या करें ?
अनेक महिलाओं के मन में यह प्रश्न होता है पीरियड खुलकर न आए तो क्या करें? अगर आपजे पीरियड्स खुलकर नहीं आ रहे हैं तो आपको कुछ बातों पर ख़ास ध्यान देना चाहिए, जैसे कि:
वजन कंट्रोल करें:
वजन सामान्य से कम या अधिक होने पर आपके शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है जिससे मेंस्ट्रुअल साइकिल प्रभावित होता है और पीरियड्स खुलकर आने बंद हो जाते हैं। इसलिए वजन पर कंट्रोल रखना ज़रूरी है। हर 1-3 महीने के अंदर अपना बीएमआई चेक करें और आवश्यकतानुसार अपनी डाइट, एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं।
एक्सरसाइज करें:
एक्सरसाइज हर महिला के ज़रूरी है, खासकर अगर उसके पीरियड्स इर्रेगुलर हैं। नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से आपके शरीर में हार्मोनल संतलान बना रहता है, मेंस्ट्रुअल साइकिल नियमित होता है और अंतत पीरियड्स समय पर आते हैं। हेवी एक्सरसाइज करने से बचें और अगर आवश्यकता हो तो ट्रेनर की मदद लें।
बर्थ कंट्रोल पिल्स से बचें:
पीरियड्स खुल कर न आने के मुख्य कारणों में से एक है बर्थ कंट्रोल पिल्स और मेंस्ट्रुअल साइकिल को कंट्रोल करनी वाली दवाओं का सेवन। जो लड़कियां या महिलाएं इनका सेवन करती हैं उनके पीरियड्स का फ्लो कम हो जाता है। इसलिए यह आवश्यक है कि आप इनके सेवन से बचें।
लाइफस्टाइल में पॉजिटिव बदलाव लाने पर पीरियड से संबंधित आपकी लगभग सभी समस्याएं ख़त्म हो सकती हैं। समय पर नींद सोएं और जागें, हेल्दी डाइट लें और नियमित रूप से व्यायाम, योग और मेडिटेशन करें।
पीरियड खुलकर आने के लिए क्या खाएं ?
पीरियड्स लेट होने या नहीं आने पर आपको अपनी डाइट में बदलाव करनी चाहिए। कुछ खाद्य-पदार्थ आपके हार्मोन में संतुलन लाते हैं जिससे पीरियड्स नियमित हो जाते हैं। डॉक्टर से परामर्श करने के बाद आप निम्न खान-पान की चीज़ों का सेवन कर सकती हैं:
अदरक और गाजर:
अदरक में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण हार्मोनल असंतुलन को दूर करते हैं और गाजर में उपस्थित विटामिन और मिनरल्स मेंस्ट्रुअल साइकिल नियमित रखने में मदद करते हैं। इन दोनों का जूस पीने से पीरियड्स के दौरान ब्लड फ्लो नॉर्मल होता है और रुका हुआ ब्लड भी बाहर निकल जाता है। अगर आपके पीरियड्स में ब्लड रुक-रुक कर आता है तो कुछ दिनों तक दिन में दो से तीन बार अदरक और गाजर का जूस पीएं।
हल्दी:
हल्दी में मौजूद औषधीय गुणों से अनेक फायदे होते हैं। उन्हीं में से एक है पीरियड्स के दौरान ब्लड फ्लो ठीक होना, रुका हुआ ब्लड पीरियड्स के दौरान बाहर आना और पीरियड्स का नियमित होना। पीरियड्स आने के 4-6 दिन पहले दिन में दो बार हल्दी पानी का सेवन करें। एक गिलास हल्का गर्म पानी में छोटी चम्मच से आधा चम्मच हल्दी मिलाकर उसका सेवन करें।
तिल और गुड़:
पीरियड्स आने के लगभग 10 दिन पहले तिल और गुड़ को मिलाकर उसका सेवन करें। तिल की तासीर गर्म होती है जो ब्लड को प्यूरीफाई करती है। इससे पीरियड्स समय पर आते हैं और रुका हुआ ब्लड फ्लो भी ठीक होता है। नतीजतन, पीरियड्स के दौरान आपको किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है।
इन सबके अलावा, चुकंदर का सलाद भी पीरियड्स के दौरान ब्लड फ्लो को ठीक करने में मदद करता है। इसमें मौजूद कैरोटीन और एंटीऑक्सीडेंट की अधिक मात्रा हार्मोन में संतुलन लाने के साथ-साथ शरीर से टॉक्सिन्स को कम करने में भी मदद करता है। यह ब्लड को प्यूरीफाई और मेंस्ट्रुअल साइकिल को नियमित करता है।
पीरियड खुलकर आने के घरेलू उपाय
अगर आपके पीरियड्स खुलकर नहीं आते हैं तो आप कुछ घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर सकती हैं, लेकिन इन नुस्खों का इस्तेमाल करने से पहले एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श करें।
- रात में सोने से पहले आधा चम्मच अजवाइन को हल्का गर्म हल्दी वाले दूध में मिलाकर पीएं।
- हल्दी वाले दूध में आधा चम्मच गुड़ और चौथाई चम्मच अजवाइन और सोंठ मिलाकर सेवन करें।
- अशोक के पेड़ की छाल को आधा गिलास पानी में 5-10 मिनट तक उबालें और फिर छानकर दिन में दो या तीन बार पीएं।
- पपीता का सेवन भी इर्रेगुलर पीरियड्स में फायदेमंद होता है। दिन में 200 ग्राम तक पपीता अपनी डाइट में शामिल करें।
- अदरक का छोटा सा टुकड़ा 5-10 मिनट तक पानी में उबालें। छानने के बाद उसमें एक चम्मच शहद और आधा चम्मच निम्बू का रस मिलाएं और पीएं।
इन सबके अलावा, नियमित रूप से व्यायाम, योग और मेडिटेशन करें, हेल्दी डाइट फॉलो करें, समय पर सोएं और जागें। साथ ही, पीरियड से संबंधित किसी भी तरह की समस्या होने पर एक्सपर्ट की राय लें।