प्रेग्नेंट महिलाओं के द्वारा अनुभव किए जाने वाले सभी लक्षणों में से उल्टी या मतली एक मुख्य एवं आम लक्षण है। आमतौर पर यह लक्षण पहली तिमाही तक ही उत्पन्न होते हैं, लेकिन इसकी समय-सीमा और तीव्रता हर महिला में अलग-अलग होती है, जिसे हम इस ब्लॉग की मदद से जानेंगे।इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद आपको प्रेगनेंसी के सबसे आम लक्षण (मॉर्निंग सिकनेस) के संबंध में आवश्यक जानकारी मिल जाएगी। इस ब्लॉग से सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न का भी उत्तर हमें मिलने वाला है कि “प्रेगनेंसी में उल्टी कब होती है?” प्रेगनेंसी में व्यक्तिगत देखभाल बहुत ज्यादा आवश्यक है, जिसमें एक अनुभवी एवं सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ आपकी मदद कर सकते हैं।
प्रेगनेंसी में उल्टी क्यों होती है?
प्रेगनेंसी के दौरान उल्टी होने का कारण अभी भी अज्ञात है। हालांकि कुछ कारक हैं, जो इस स्थिति को ट्रिगर कर सकता है जैसे कि –
- हार्मोन में बदलाव: प्रेगनेंसी के दौरान एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन/Human chorionic gonadotropin) और एस्ट्रोजन (Estrogen) नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे मतली और उल्टी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- बढ़ी हुई संवेदी धारणा: गर्भ ठहरने के दौरान स्वाद और गंध में बदलाव आता है, जिससे मतली की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- धीमा पाचन: प्रेगनेंसी के शुरुआती में हार्मोनल बदलाव के कारण पाचन तंत्र भी कमजोर होता है, जिससे पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इससे भी मतली की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- पोषण संबंधी कमियां: गर्भ ठहरने के बाद बच्चे और मां दोनों को पोषण चाहिए होता है। इस दौरान महिलाओं को विटामिन बी6 की अधिक आवश्यकता होती है। यदि इसकी कमी है, तो भी यह लक्षण उत्पन्न होते हैं।
- मनोवैज्ञानिक कारक: प्रेगनेंसी के दौरान स्ट्रेस तो बढ़ता ही है, जो मॉर्निंग सिकनेस के लक्षणों को और भी ज्यादा गंभीर कर सकता है।
प्रेगनेंसी में खाना खाने के बाद उल्टी क्यों आती है?
कुछ मामलों को गर्भ ठहरने के बाद उल्टी होती है, तो वहीं कुछ महिलाओं को खाना खाने के बाद विशेष तौर पर उल्टी होती है। गर्भ ठहरने के दौरान खाने के बाद उल्टी होना एक आम बात है, लेकिन इसके भी कुछ कारण हैं जैसे कि –
- अधिक या बहुत जल्दी-जल्दी भोजन करना, जो पाचन तंत्र को प्रभावित करता है।
- अधिक तला हुआ या मसालेदार भोजन करना।
- हार्मोन में बदलाव के कारण पाचन तंत्र धीमा हो जाता है, जिसकी वजह से भोजन पेट में अधिक समय तक रहता है, जो कि उल्टी का एक मुख्य कारण भी बन सकता है। प्रेगनेंसी में सही आहार महत्वपूर्ण हैं।
प्रेगनेंसी में उल्टी कितने महीने तक होती है?
आमतौर पर गर्भ ठहरने के दौरान उल्टी छठे सप्ताह से पहली तिमाही तक ही होती है। कुछ महिलाओं में यह लक्षण और भी जल्दी महसूस हो सकते हैं। यह लक्षण अधिक से अधिक 9 से 12 वें सप्ताह में देखने को मिलते हैं और तीसरी तिमाही के बाद यह लक्षण उत्पन्न ही नहीं होते हैं। जितने भी मामले हमारे पास आए हैं, उनमें से सिर्फ 10-15% महिलाओं में यह लक्षण दूसरी तिमाही में भी नजर आए हैं। हालांकि 1% मामले में यह लक्षण लगातार प्रेगनेंसी के दौरान बने रहते हैं। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम (Hyperemesis Gravidarum) कहा जाता है, जिसमें लगातार और बार-बार उल्टी और मतली की समस्या बनी रहती है। इस स्थिति में इलाज की आवश्यकता होती है।
प्रेगनेंसी में उल्टी रोकने के घरेलू उपाय
हालांकि ऐसा कोई एक उपाय या फिर इलाज नहीं है, जो सभी को ठीक कर दे। हर महिला के स्वास्थ्य के आधार पर व्यक्तिगत योजना बनाई जाती है जिससे प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी समस्या का कोई भी इलाज या उपाय किया जा सकता है। हालांकि निम्न उपचार मतली और उल्टी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं –
- अदरक: अदरक से उल्टी कम होती है, इसलिए ताजे अदरक की चाय पीएं या फिर उसके टुकड़े को अच्छे से चबाएं।
- बार-बार भोजन करें: प्रयास करें कि अपने पेट को ज्यादा देर तक खाली न रखें। प्रेगनेंसी के दौरान हर कुछ समय में थोड़ा-थोड़ा भोजन करना मां और बच्चे, दोनों के लिए अच्छा माना जाता है।
- हाइड्रेशन: उल्टी से बचने में हाइड्रेशन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नियमित पानी पीएं और यदि दिक्कत अधिक महसूस हो, तो इलेक्ट्रोलाइट युक्त तरल पदार्थ भी आप ले सकते हैं।
- विटामिन बी6 सप्लीमेंट्स: उल्टी होने के सभी कारणों में विटामिन बी6 की कमी एक मुख्य कारण है। हम भी अपने पेशेंट्स को विटामिन बी6 सप्लीमेंट्स देते हैं। क्या खुराक होनी चाहिए, इसका निर्णय आपके डॉक्टर आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य के आधार पर लेंगे। इसलिए तुरंत परामर्श लें।
- ट्रिगर कारकों से बचें: प्रयास करें कि उन ट्रिगर की पहचान आप पहले से ही कर लें, जिससे आपको उल्टी होती है। उन्हें पहचानने के बाद ही उचित कदम उठाए।
- हल्का व्यायाम: प्रेगनेंसी के दौरान टहलना या योग करना, बहुत ज्यादा जरूरी होता है। ऐसा करने से आप सभी स्वास्थ्य समस्या से आसानी से दूरी बना सकते हैं।
- ठंडे खाद्य पदार्थ: प्रेगनेंसी के दौरान प्रयास करें कि एकदम गरम-गरम खाना न खाएं।
निष्कर्ष
प्रेगनेंसी एक खूबसूरत एहसास है, जिससे एक परिवार आगे बढ़ता है, लेकिन उल्टी होना अप्रिय है। यह एक आम लक्षण है, जिसे कुछ घरेलू उपायों की मदद से ठीक किया जा सकता है। यदि लक्षण लगातार बने रहते हैं और परेशान करते हैं, तो तुरंत परामर्श लें और इलाज के सभी विकल्पों को जानें। कारणों को समझकर इलाज की योजना बनाना ही सही तरीका है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या हर गर्भवती महिला को उल्टी का अनुभव होता है?
हर प्रेग्नेंट महिला को उल्टी का अनुभव नहीं होता है, लेकिन लगभग 70-80% मामलों में मतली और उल्टी होना, एक आम लक्षण है।
क्या गर्भावस्था के दौरान मतली बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है?
प्रेगनेंसी के दौरान मतली और उल्टी के हल्के मामलों में बच्चों के स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन यदि मां हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम (Hyperemesis Gravidarum) का सामना कर रही है, तो तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान उल्टी कब खतरनाक हो सकती है?
यदि उल्टी गंभीर और लगातार हो तो यह खतरनाक हो सकती है। इसके कारण कई स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न हो सकती है जैसे कि डिहाइड्रेशन, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, इत्यादि।
गर्भावस्था के चौथे महीने में उल्टी क्यों होती है?
प्रेगनेंसी के चौथे महीने में उल्टी बहुत ही कम मामलों में देखने को मिलती है। उल्टी होने के कई कारण है जैसे कि –
- हार्मोन में बदलाव
- कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशीलता
- पाचन क्रिया में समस्या
- पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्या, जैसे एसिड रिफ्लक्स या पित्त की थैली से संबंधित समस्याएं।