7 Month Pregnancy in Hindi – प्रेगनेंसी का सातवां महीना: लक्षण, शिशु का विकास और ज़रूरी सावधानियां

Dr. Anjali Chauhan
Dr. Anjali Chauhan

MBBS, MS, DNB FRM - DCR (Obstetrics & Gynaecology)

6+ Years of experience
7 Month Pregnancy in Hindi – प्रेगनेंसी का सातवां महीना: लक्षण, शिशु का विकास और ज़रूरी सावधानियां

प्रेगनेंसी का सातवां महीना, मां और बच्चा – दोनों के लिए बेहद अहम पड़ाव होता है। इस दौरान मां और बच्चे में तेज़ी से बदलाव होते हैं। दो तिमाही के ख़त्म होने के बाद यह तीसरी तिमाही की शुरुआत है। इस लेख में हम प्रेगनेंसी के 7 महीने में दिखने वाले लक्षणों, बच्चे के विकास और ज़रूरी सावधानियों पर चर्चा करेंगे, ताकि आप इस चरण में अपना अपने शिशु का अच्छे से ख़याल रख सकें।

सातवें महीने में इन बदलावों के लिए ख़ुद को तैयार रखें

प्रेगनेंसी की यह अवधि कई मायनों में बेहद अहम है और इसमें शारीरिक और मानसिक स्तर पर होने वाले बदलावों के लिए ख़ुद को तैयार रखना भी काफ़ी ज़रूरी है। इसलिए, आपको यह पता होना चाहिए कि प्रेगनेंसी के 7 महीने में कौन-कौन से लक्षण देखने को मिल सकते हैं और इन लक्षणों के बाद ख़ुद को किस तरह तैयार करें।

शारीरिक बदलाव

गर्भवती यानी प्रेगनेंट महिला का शरीर भी ख़ुद को बच्चे के हिसाब से ढालना शुरू कर देता है और इस प्रक्रिया में शरीर में कई अहम बदलाव होने शुरू हो जाते हैं। इनमें से कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में नीचे बताया गया है:

  1. सूजन (एडिमा): रक्त प्रवाह और हार्मोनल बदलावों की वजह से पैरों, टखनों और हाथों में तरल पदार्थ (फ़्लुइड) जमा होने लगता है। ऐसा होना बेहद सामान्य है।

Ø  सुझाव: लंबे समय तक खड़े होने से बचें और सोते समय पैरों को ऊंचा उठाएं। बीच-बीच में बिस्तर पर इस मुद्रा में लेटते रहें।

  1. ब्रैक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन: प्रसव से पहले मां का शरीर ख़ुद को इसके लिए तैयार करता है। इसलिए, गर्भाशय यानी यूट्रस में खिंचाव महसूस होता है। कई बार इस खिंचाव को लोग लेबर पेन समझ बैठते हैं, लेकिन आम तौर पर इसमें लेबर पेन के बराबर दर्द नहीं होता और यह काफ़ी अनियमित भी होता है। यह असली प्रसव से पहले शरीर को उस हिसाब से ढालने की तैयारी है।

Ø  सुझाव: आम तौर पर यह दर्द समय से साथ कम हो जाता है, लेकिन अगर दर्द ज़्यादा और नियमित हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

  1. कमर दर्द और जोड़ों में तकलीफ़: गर्भाशय का आकार बदलने की वजह से मां के शरीर की ग्रैविटी का केंद्र भी बदल जाता है। शरीर में तेज़ी से होने वाले इस बदलाव की वजह से कमर दर्द होना आम बात है। हार्मोन में होने वाले बदलावों के कारण, जोड़ों में ढीलापन आ जाता है, ख़ासकर पेल्विक एरिया में। यह शरीर का वह हिस्सा है जो पेट के नीचे और कूल्हे की हड्डियों के बीच होता है।

Ø  सुझाव: प्रेग्नेंसी सपोर्ट बेल्ट का इस्तेमाल करें और अच्छा पोस्चर बनाए रखें।

  1. बार-बार पेशाब आना: जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, मूत्राशय (ब्लैडर) पर दबाव भी बढ़ता जाता है। इस वजह से बार-बार पेशाब आ सकता है। यह बेहद सामान्य बात है।

Ø  सुझाव: अगर पेशाब करते समय दर्द या जलन होती है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

  1. सीने में जलन और अपच: हार्मोनल बदलाव की वजह से पाचन तंत्र रिलैक्स हो जाता है और पेट पर गर्भाशय की वजह से दबाव बढ़ता है। इसकी वजह से गर्भाशय के 7 महीने में यह लक्षण बेहद सामान्य है। ख़ासकर लेटे रहने के दौरान या फिर ज़्यादा खाना खाने के बाद।

Ø  सुझाव: कम-कम मात्रा में खाएं और ज़्यादा तेल-मसाले से बचें।

  1.     सांस उखड़ना: गर्भाशय बढ़ने की वजह से डायाफ़्राम पर दबाव बढ़ता है, जिसके कारण सांस उखड़ती है या फिर घबराहट होती है।

Ø  सुझाव: सांस से जुड़े सामान्य व्यायाम करें और तनकर बैठें।

इसके अलावा, प्रेगनेंसी के सातवें महीने में चक्कर आना एक सामान्य लक्षण है। इसकी कई वजहें हैं। मसलन, बच्चा तेज़ी से बड़ा होता है, इसलिए उसे ज़्यादा कैलोरी की ज़रूरत पड़ती है। ब्लड शुगर में होने वाले बदलावों के कारण भी यह लक्षण देखने को मिलता है। यह बेहद सामान्य है।

भावनात्मक बदलाव

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में महिलाओं में कई तरह के भावनात्मक बदलाव आने लगते हैं। इनमें कुछ सामान्य बदलाव ये हैं:

  1. मूड स्विंग: हार्मोन में तेज़ी से होने वाले उतार-चढ़ाव की वजह से महिलाओं का मूड भी तेज़ी से बदल सकता है।
  2. चिंता और तनाव: प्रसव यानी डिलीवरी की तारीख़ नज़दीक आने पर कई महिलाओं में मानसिक तनाव बढ़ने लगता है।
  3. बच्चे को लेकर चिंता: कई महिलाओं में अपने बच्चे को लेकर चिंता बढ़ जाती है। उनमें बच्चे की सुरक्षा को लेकर फ़िक्र भी बढ़ जाती है और वे बच्चे के पैदा होने से पहले उसके लिए सुरक्षित माहौल या घर की कल्पना करने लग जाती हैं।

7 महीने में बच्चे का विकास

सातवां महीना, बच्चे के विकास के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं इस दौरान बच्चे में किस तरह के बदलाव होते हैं और गर्भावस्था के 7 महीने में बच्चे की स्थिति क्या होती है।

शारीरिक विकास

बदलाव विवरण
आकार और वज़न बच्चा लगभग 15–16 इंच लंबा और उसका वज़न 1.2 से 1.5 किलो का हो जाता है।
फ़ैट जमा होना शरीर पर वसा की परतें बननी शुरू हो जाती हैं, जिससे त्वचा चिकनी हो जाती है।
बालों का विकास शरीर पर नर्म-नर्म बाल उगने शुरू हो जाते हैं

अंगों में विकास

  1. फेफड़ों का विकास: फेफड़े में सर्फ़ेक्टेंट (एक पदार्थ) बनना शुरू हो जाता है, जो जन्म के बाद फेफड़ों को फैलने में मदद करता है।
  2. पाचन तंत्र: बच्चे का पाचन तंत्र अब मज़बूत हो जाता है और वह कई पोषक तत्वों को पचाना सीख जाता है।
  3. मस्तिष्क का विकास: बच्चे के दिमाग़ का विकास इस समय बेहद तेज़ी से होता है और इस वजह से वह आवाज़, संगीत या गंध के प्रति संवेदनशील हो जाता है।

इसके अलावा, बच्चे अपनी पलकें खोलना और बंद करना सीख जाता है। वह गर्भाशय में तेज़ी से घूमना और लातें मारना शुरू कर देता है।

गतिविधि और व्यवहार

मां को अक्सर बच्चे की गतिविधियों में बढ़ोतरी महसूस होती है, जैसे कि लातें मारना और पलटना। बच्चा अब बाहरी चीज़ों को लेकर संवेदनशील हो जाता है। वह अपने आस-पास के वातावरण को समझना शुरू कर देता है और स्पर्श पर भी प्रतिक्रिया जताने लग सकता है।

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में क्या खाना चाहिए?

प्रेगनेंसी के सातवें महीने के लक्षण जानने के बाद यह जानना ज़रूरी है कि इस दौरान खाने में क्या-क्या लेना चाहिए, ताकि बच्चे के विकास को बढ़ावा मिल सके और मां का स्वास्थ्य भी बेहतर हो सके।

पोषक तत्व अहमियत स्रोत
आयरन एनीमिया को रोकता है और ऑक्सीजन आपूर्ति को बढ़ाता है हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, दालें, लाल मांस
कैल्शियम बच्चे की हड्डियों और दांतों को मज़बूत करता है डेरी उत्पाद, फ़ोर्टिफ़ाइड सीरियल
ओमेगा-3 फ़ैटी ऐसिड मस्तिष्क और आंखों के विकास में सहायक मछली, अखरोट, अलसी (फ़्लैक्ससीड)

 

इसके अलावा, यह बेहद ज़रूरी है कि शरीर को तरल बनाए रखने यानी हाइड्रेशन बरकरार रखने के लिए दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं।

प्रेगनेंसी के 7 महीने में क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए?

खाने-पीने के अलावा इस दौरान महिलाओं को बहुत सारी सावधानियां बरतनी पड़ती है। इनमें से कुछ चीज़ों के बारे में नीचे बताया गया है:

शारीरिक गतिविधि

सही और सुरक्षित तरीक़े से की जाने वाली शारीरिक गतिविधियों से न सिर्फ़ वज़न मैनेज करने में आसानी होती है, बल्कि इससे तनाव भी कम होता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।

  • चलना: एक एक आसान और कारगर व्यायाम है, जो आपको सक्रिय रखता है।
  • प्रेग्नेंसी से जुड़े योग: इससे लचीलापन बढ़ता है, पीठ दर्द कम होता है और सुकून भरी नींद आती है।
  • पेल्विक फ़्लोर व्यायाम: इससे प्रसव के लिए मांसपेशियां मज़बूत होती हैं।
  • सुझाव: किसी भी नए व्यायाम को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें।

नींद और आराम

प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में गहरी नींद मिलना मुश्किल हो सकता है। इसलिए,

  • मैटरनिटी के लिए ख़ास तौर पर बनी तकिया का इस्तेमाल करें।
  • बाईं ओर सोने से बच्चे का रक्त प्रवाह बेहतर होता है।
  • सोने से पहले कैफ़ीन का सेवन न करें और ज़्यादा खाने से बचें।

बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखना

बच्चे की गतिविधियों पर नज़र रखें, ताकि नियमित रूप से उसके स्वास्थ्य का आकलन किया जा सके।

  • स्वस्थ बच्चे आम तौर पर 2 घंटे में कम से कम 10 बार मूवमेंट करते हैं।
  • अगर आपको लगता है कि बच्चे की गतिविधि बहुत कम है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

सामान्य जटिलताएं और उनके लिए सावधानियां

लक्षण संभावित कारण क्या कदम उठाएं
योनी से ज़्यादा रक्तस्राव प्लेसेंटा अब्रप्शन या प्रीटर्म लेबर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
चेहरा और हाथों में अत्यधिक सूजन प्रीक्लेम्पसिया डॉक्टर से मिलें
पेट में लगातार दर्द गर्भाशय संबंधित दिक़्क़त अस्पताल जाएं
बच्चे की गतिविधियों में कमी शिशु संबंधित दिक़्क़त अल्ट्रासाउंड कराएं, डॉक्टर से मिलें

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सुझाव:

  • प्रियजनों से बात करें: अपने साथी, परिजन या क़रीबी दोस्तों से अपने दिल की बात कहें।
  • सांस से जुड़ा व्यायाम करें: ध्यान और सांस से जुड़े व्यायाम, तनाव को कम करने में मददगार होते हैं।
  • प्रेगेनेंसी वाले ग्रुप से जुड़ें: दूसरी गर्भवती महिलाओं से बातचीत करने से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है।

डिलीवरी की तैयारी

डिलीवरी की तारीख़ नज़दीक आने पर ख़ुद को मानसिक रूप से तैयार करना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा, कई सारी चीज़ें ऐसी हैं जो आपको पहले से तैयार करने रखनी चाहिए। प्राकृतिक रूप से प्रसव या फिर सी-सेक्शन के लिए मेडिकल स्थिति के आधार पर अपनी प्राथमिकता भी आपको पहले से स्पष्ट कर लेना चाहिए। इसके साथ-साथ कुछ चीज़ें आपको पहले से ख़रीदकर रखनी चाहिए। जैसे, आरामदायक कपड़े और मैटरनिटी पैड, बच्चे के ज़रूरी सामानों में डायपर, तौलिया/कंबल और कपड़े। हां, मेडिकल रिकॉर्ड और पहचान पत्र साथ में रखना न भूलें।

प्रेगनेंसी के सातवें महीने के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  1. सवाल: क्या मैं सातवें महीने में यात्रा कर सकती हूं?

जवाब: हां, आम तौर पर छोटे सफर में कोई तकलीफ़ नहीं होती, लेकिन डॉक्टर से पूछे बग़ैर यात्रा करने से परहेज बरतें। साथ ही, अगर डॉक्टर ने यात्रा संबंधी कोई सलाह दी है, तो उस पर ज़रूर अमल करें।

  1. सवाल: मैं पैरों में होने वाले ऐंठन को कैसे कम कर सकती हूं?

जवाब: सोने से पहले पैरों को स्ट्रेच करें, आहार में मैग्नीशियम की मात्रा बढ़ाएं और अपनी प्यास के हिसाब से पानी पिए, ताकि आपके शरीर में पानी की कमी न हो।

  1. सवाल: क्या सांस फूलना या घबराहट होना सामान्य है?

जवाब: हां, गर्भाशय का आकार बढ़ने से डायाफ़्राम पर दबाव बढ़ता है। इससे सांस फूलने लगती है। सांस से जुड़ी हल्का व्यायाम करने से आपको मदद मिल सकती है।

प्रेगनेंसी और सातवें महीने को लेकर मिथ्स और फ़ैक्ट्स

मिथ फ़ैक्ट
बड़ा पेट मतलब जुड़वा बच्चे होने वाले हैं पेट का आकार मां के आकार, बच्चे की स्थिति और एमनियोटिक फ़्लुइड की मात्रा पर निर्भर करता है। बड़ा पेट जुड़वां बच्चों का संकेत नहीं होता है।
“दो के लिए खाने” का मतलब अपनी खुराक को दोगुना कर लेना गर्भावस्था के दौरान रोज़ाना 300-500 अतिरिक्त कैलोरी की ज़रूरत होती है, लेकिन इसका मतलब दोगुना खाना नहीं है। संतुलित आहार ज़्यादा ज़रूरी है।
प्रेगनेंसी के दौरान सीने में जलन का मतलब है कि बच्चे के पास बहुत बाल होंगे सीने में जलन और बच्चे के बालों की मात्रा के बीच कोई वैज्ञानिक संबंध नहीं है। यह सिर्फ़ हार्मोनल बदलाव की वजह से होने वाले सामान्य बदलाव के लक्षण हैं।
सातवें महीने में व्यायाम करना ख़तरनाक है अगर कोई जटिलता नहीं है, तो हल्का और मध्यम व्यायाम अमूमन सुरक्षित होते हैं, जैसे कि चलना, स्विमिंग या प्रीनेटल योग।
गर्भावस्था के दौरान हर तरह के सी-फ़ू़ड से बचना चाहिए सभी सी-फ़ूड हानिकारक नहीं होते। ज़्यादा मरकरी वाले मछली से बचना चाहिए, लेकिन सैल्मन और झींगा जैसी बाक़ी चीज़ें सुरक्षित होते हैं और इनसे लाभकारी ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड मिलता है।
सातवें महीने में सेक्स करना सुरक्षित नहीं है अगर डॉक्टर ने मना नहीं किया है तो गर्भावस्था के दौरान सेक्स करना आमतौर पर सुरक्षित होता है। अगर आपके मन में कोई सवाल है, तो डॉक्टर से सलाह लें
वज़न सिर्फ़ पेट का ही बढ़ता है गर्भावस्था के दौरान शरीर के कई अंगों का विकास होता है, जैसे कि स्तन, कूल्हे, जांघ वगैरह।

 

गर्भावस्था का सातवां महीना प्रेगनेंसी की तैयारी शुरू करने का समय होता है। इस दौरान मां को संतुलित आहार लेने, सक्रिय रहने और अपनी सेहत की निगरानी करने पर ध्यान देना चाहिए। पार्टनर को भावनात्मक और शारीरिक रूप से महिलाओं की मदद करनी चाहिए, इससे डिलवरी तक की यात्रा आसान हो जाती है।
प्रेगनेंसी के 7 महीने के बाद नियमित रूप से अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें और किसी भी असामान्य लक्षणों की सूचना उन्हें तुरंत दें।

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