सूनी गोद में खुशियां भर रहा है असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी

Author : Dr. Manjunath CS September 6 2024
Dr. Manjunath CS
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MBBS, MS (OBG), Fellowship in Gynac Endoscopy (RGUHS), MTRM (Homerton University, London UK), Fellowship in Regenerative Medicine (IASRM)

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सूनी गोद में खुशियां भर रहा है असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी

प्रजनन प्रणाली में किसी तरह की समस्या होने या दूसरे कारणों से एक कपल को प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसे में सहायक प्रजनन तकनीक (Assisted Reproductive Technology – ART) की मदद से गर्भधारण किया जा सकता है।

इसमें आईयूआई, आईवीएफ, सरोगेसी, इन्ट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन, शुक्राणु और ओवम (अण्डाणु) से प्रयोगशाला में भ्रूण तैयार करना और महिला के शरीर में इम्पलांट या डालना आदि शामिल हैं।

कुछ लोगों के मन में अक्सर यह प्रश्न उठता है कि प्रजनन तकनीकों से जन्मे बच्चे प्राकृतिक रूप से जन्मे सामान्य बच्चों की तुलना में अलग होते हैं। हालांकि, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ के कंसलटेंट डॉ सोरेन भट्टाचार्य का कहना है कि आईवीएफ गर्भावस्था और प्राकृतिक गर्भावस्था में कोई अंतर् नहीं है।

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि कैसे असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी सूनी गोदों में खुशियां भर रहा है तो प्रभात खबर में छपा यह लेख आपके लिए खास है। इस लेख में डॉ सोरेन भट्टाचार्य असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी और उससे संबंधित कुछ महतवपूर्ण बिंदुओं के बारे में बता रहे हैं।

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