आईवीएफ क्या है – आवश्यकता, प्रक्रिया और लक्षण
- Published on May 10, 2022

वभारत टाइम्स न्यूज पेपर में प्रकाशित इस लेख में डॉ. विनीता दास आईवीएफ की आवश्यकता, प्रक्रिया और गर्भावस्था के लक्षण के बारे में विस्तार से बता रही हैं।
“इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के जरिये माता-पिता बनने का सफर उन दंपतियों के लिये किसी वरदान से कम नहीं जो बच्चे चाहते हैं लेकिन कुछ मेडिकल समस्याओं की वजह से उनका ये सपना सच नहीं हो पाता है। आज कई घर आधुनिक चिकित्सा के चमत्कार की वजह से बच्चे की किलकारियों से गूंज रहे हैं। आईवीएफ के जरिये गर्भधारण करने का विकल्प चुनने पर उम्र के कई पड़ावों पर कई सारे दंपतियों की ख्वाहिशें पूरी हुई हैं।
आज के समय में ऐसा देखने में आ रहा है कि प्रजजन स्वास्थ्य सभी जेंडर्स में बहुत ही कम उम्र में गिरता जा रहा है। इसमें अस्वस्थ जीवनशैली और पर्यावरण से जुड़े कारक जैसे उम्र, वजन, धूम्रपान, तनाव, एंग्जाइटी और शराब का सेवन शामिल हैं। गर्भधारण के लिये, आईवीएफ एक प्रचलित चिकित्सकीय विकल्प बन गया है। हालांकि, हाल के समय में आईवीएफ को लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। डॉक्टर्स, मिथकों, रूढ़ियों को तोड़कर, सोशल मीडिया के जरिये आईवीएफ को लेकर बांझपन की समस्याओं और रोगियों की काउंसलिंग कर जागरूकता फैला रहे हैं। हालांकि, मांओं को आईवीएफ से जुड़ी इस प्रक्रिया के बारे में जानने की जरूरत है।
जब मांएं आईवीएफ उपचार से गुजर रही हों तो उन्हें कुछ बातों को ध्यान में रखना होगा:
1. अपनी सारी शंकाओं को दूर करें: यदि आपको किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या है तो अपने फर्टिलिटी विशेषज्ञ से बात करें। आईवीएफ प्रक्रिया के बारे में पर्याप्त जानकारी हासिल करें। सवाल पूछने में संकोच ना करें और ऐसे आईवीएफ सेंटर का पता लगाएं, जिनके पास अत्याधुनिक तकनीक हो।
2.एक तय फिटनेस रूटीन का पालन करें: यदि आप आईवीएफ उपचार करवाने जा रहे हैं तो आईवीएफ के सफल होने के स्तर को संभालने के लिये आपको अपना फिटनेस स्तर बेहतर बनाना होगा। आपको एक तय फिटनेस रूटीन का पालन करने की आवश्यकता होगी। आपको हफ्ते में कम से कम पांच दिन आधा घंटा एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है। आपको अपने फिटेनस ट्रेनर की देखरेख में एक्सरसाइज करने की जरूरत है, जो आपके मूवमेंट पर नजर रखे। साथ ही, सख्त वर्कआउट करने से बचें। नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटी करने से आपकी संपूर्ण सेहत बेहतर होगी, तनाव और एंग्जाइटी कम होगी। आप सही वजन बनाकर रख पाएंगे और मोटापे को पास नहीं फटकने देंगे। इसके अलावा, अंडाशय की कार्यप्रणाली भी बेहतर होगी और गर्भधारण की संभावना बढ़ेगी।
3. उम्र: एक महिला की प्रजनन क्षमता में एक नियत चीज उसकी उम्र है। इस प्रकार, किसी भी बांझपन उपचार की सफलता मुख्य रूप से एक महिला की उम्र पर निर्भर करती है। बांझपन के लिये उपलब्ध कई उपचारों में से, आईवीएफ सफलता की अधिकतम संभावना (65 – 75%) देता है। हालांकि, यदि महिला की उम्र 35 साल से
कम है तो इंट्रा-यूटेराइन इनसेमिनेशन (आईयूआई) और ओव्यूलेशन इंडक्शन जैसे सरल उपचार आजमाये जा सकते हैं।
4. संतुलित भोजन करें: यदि आपको जंक या प्रोसेस फूड पसंद है तो उसे छोड़ने का यह सही समय है। यह जाना हुआ तथ्य है कि अच्छे टिशूज की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिये एक सेहतमंद, संतुलित आहार जरूरी होता है। आपके लिये अपने भोजन में ताजे फल, सब्जियां और अच्छा प्रोटीन शामिल करना आवश्यक है। मीठे ड्रिंक्स और मिठाइयां लेने से बचें। अंडे की क्वालिटी को बेहतर बनाने के लिये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन करें। इसलिये, यह सलाह दी जाती है कि सेहतमंद खाना खाने की आदत पर कायम रहें और यह आपकी सेहत के लिये करामाती हो सकता है।
5. किस प्रकार के आईवीएफ किए जाते हैं: कई तरह के स्टिम्युलेशन उपलब्ध हैं, चाहे वह शॉर्ट-साइकिल आईवीएफ हो या लॉन्ग-साइकिल आईवीएफ। शॉर्ट साइकिल में स्टिम्युलेशन शॉर्ट होता है, कम संख्या में अंडे बनते हैं और आईवीएफ की प्रक्रिया की जाती है। लॉन्ग साइकिल में, महिला लंबे समय तक दवाएं लेती है और ज्यादा अंडे प्राप्त होते हैं।
6. इन 5 टी का पालन करें:– ट्रस्ट, टैलेंट, टीमवर्क, टाइम और ट्रेजर: एक बार जब आप आईवीएफ करवाने का फैसला कर लेते हैं, तो डॉक्टर के काम (प्रतिभा) पर पूरा भरोसा करें और सफलता पाने के लिये उनके साथ एक टीम की तरह काम करें। इस उपचार के लिये दोनों ही साथी की भागीदारी की जरूरत होती है और उन्हें उपचार के शेड्यूल पर कायम रहना चाहिये। समय के साथ समझौता नहीं किया जा सकता और सफलता के लिये यह एक महत्वपूर्ण घटक है।
अंतत:, यह जरूरी है कि अपना आईवीएफ सेंटर और डॉक्टर सावधानी से चुनें, क्योंकि आपकी सफलता डॉक्टर की समझ और विशेषज्ञता और एम्ब्रायोलॉजी लैबोरेट्री पर निर्भर करती है । यह जरूरी है कि एक आईवीएफ सेंटर चिकित्सकीय रूप से विश्वसनीय उपचार दे, कीमत पर कायम रहे और रोगियों को सहानुभूतिपूर्ण और भरोसेमंद देखभाल प्रदान करे ।”
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