प्रेगनेंसी का 5 महीना – लक्षण, शिशु का विकास और ज़रूरी सावधानियां

Dr. Prachi Benara
Dr. Prachi Benara

MBBS (Gold Medalist), MS (OBG), DNB (OBG) PG Diploma in Reproductive and Sexual health

16+ Years of experience
प्रेगनेंसी का 5 महीना – लक्षण, शिशु का विकास और ज़रूरी सावधानियां

Table of Contents

प्रेगनेंसी का पाँचवा महीना एक महत्वपूर्ण और रोमांचक समय होता है। इस समय शिशु का विकास तेजी से होता है और मां को थकान और अन्य शुरुआती समस्याओं से राहत मिलती है। हालांकि, इस दौरान शिशु और मां दोनों के लिए सही देखभाल, आहार और सावधानियों का पालन करना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं इस महत्वपूर्ण महीने में क्या लक्षण होते हैं, शिशु का विकास कैसे होता है, क्या खाना चाहिए और किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए।

प्रेगनेंसी के 5 महीने के लक्षण

प्रेगनेंसी के पांचवे महीने में आपको कुछ सामान्य लक्षण महसूस हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि इस समय कौन से लक्षण आम तौर पर होते हैं:

पेट और पीठ में हल्का दर्द

गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण पेट और पीठ में हल्का दर्द महसूस हो सकता है। इसे लिगामेंट पेन कहा जाता है। यह दर्द आमतौर पर खड़े होने, चलने या अचानक से कोई शारीरिक गतिविधि करने पर महसूस होता है। अगर दर्द बहुत बढ़ जाए, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है।

शिशु की हलचल महसूस करना

यह वह समय होता है जब आप पहली बार अपने शिशु की हलचल महसूस कर सकती हैं। इसे ‘क्विकनिंग’ कहा जाता है और यह शिशु के अच्छे स्वास्थ्य का संकेत है।

त्वचा में बदलाव

प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोनल बदलावों के कारण त्वचा में हल्के डार्क स्पॉट्स या लाइना निग्रा दिखाई दे सकते हैं, जो बाद में गायब हो सकते हैं।

नींद की समस्या

पेट का आकार बढ़ने के कारण, इस समय मां को आराम से सोने में मुश्किल हो सकती है। हल्के व्यायाम और आरामदायक तकिए का इस्तेमाल इस समस्या को हल कर सकता है।

हॉर्मोनल परिवर्तन और त्वचा संबंधित समस्याएं

प्रेगनेंसी के दौरान त्वचा पर मुंहासे या चकत्ते हो सकते हैं, जो कुछ हफ्तों में ठीक हो जाते हैं।

प्रेगनेंसी के 5 महीने में शिशु का विकास

इस महीने में शिशु का विकास काफी तेजी से होता है। आइए जानते हैं इस समय शिशु के शरीर में कौन से बदलाव होते हैं:

शिशु का आकार और वजन

पांचवे महीने के अंत तक शिशु लगभग 6 इंच लंबा और 450 ग्राम का हो सकता है। शिशु की हड्डियाँ और मांसपेशियाँ मजबूत हो रही होती हैं। इस समय शिशु के अंगों का विकास तेजी से हो रहा है।

तंत्रिका तंत्र का विकास

इस महीने के अंत तक शिशु का तंत्रिका तंत्र पूरी तरह से विकसित हो जाता है। शिशु बाहरी ध्वनियाँ सुन सकता है और उसकी प्रतिक्रियाएँ भी तेज हो जाती हैं।

आंखों और कानों का विकास

पांचवे महीने में शिशु की आंखों और कानों का विकास पूरा हो जाता है। शिशु रोशनी को महसूस कर सकता है और आवाज़ें भी सुन सकता है।

शिशु का हृदय

शिशु के हृदय की धड़कन अब मजबूत हो जाती है और यह नियमित रूप से धड़कता है। आप गर्भावस्था के इस चरण में शिशु की धड़कन सुनने का अनुभव कर सकती हैं।

प्रेगनेंसी के 5 महीने में क्या खाना चाहिए?

इस समय शिशु के विकास के लिए आहार का सही होना बहुत जरूरी है। यहां कुछ महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों के बारे में बताया गया है जिन्हें इस महीने के दौरान खाना चाहिए:

प्रोटीन

प्रोटीन शिशु के मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है। इसके अच्छे स्रोतों में दालें, अंडे, पनीर, मांस और मछली शामिल हैं।

कैल्शियम

कैल्शियम शिशु की हड्डियों के विकास के लिए जरूरी होता है। इसके लिए दूध, दही, पनीर, बादाम और हरी पत्तेदार सब्जियाँ खानी चाहिए।

आयरन

आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है, जिससे थकान और कमजोरी होती है। हरी पत्तेदार सब्जियाँ, सूखे मेवे और मांस आयरन के अच्छे स्रोत हैं।

फोलिक एसिड

फोलिक एसिड – शिशु के तंत्रिका तंत्र के विकास में मदद करता है। इसे हरी पत्तेदार सब्जियों, संतरे और साबुत अनाज से प्राप्त किया जा सकता है।

विटामिन डी

विटामिन डी – शिशु की हड्डियों और तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। सूरज की रोशनी, मछली अंडे और दूध इसके अच्छे स्रोत हैं।

पानी

हाइड्रेशन का ध्यान रखना जरूरी है। पानी का सही सेवन आपकी सेहत और शिशु के विकास के लिए आवश्यक होता है।

प्रेगनेंसी के 5 महीने में क्या नहीं खाना चाहिए?

प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में, मां और शिशु की सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है। हालांकि, इस दौरान बहुत सारी खाद्य वस्तुएं खाई जा सकती हैं, कुछ खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए क्योंकि वे शिशु और मां की सेहत पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं। आइए जानते हैं प्रेगनेंसी के पांचवे महीने में क्या नहीं खाना चाहिए:

अप्रोप्रिएट समुद्री भोजन (Raw or Undercooked Seafood)

समुद्री भोजन, जैसे कच्ची मछली, साशिमी, ओस्टर और कच्ची झींगे आदि से बचना चाहिए, क्योंकि इनमें बैक्टीरिया और वायरस हो सकते हैं जो संक्रमण का कारण बन सकते हैं। इनसे लिस्टेरिया या सैल्मोनेला जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं जो गर्भावस्था के दौरान जोखिमपूर्ण होती हैं।

कच्चे अंडे (Raw or Undercooked Eggs)

कच्चे अंडों या कच्चे अंडे से बने खाद्य पदार्थों (जैसे मयोनेज़, होममेड आईसक्रीम और कुछ कॉकटेल) से बचना चाहिए। इनमें सल्मोनेला बैक्टीरिया हो सकता है, जो संक्रमण और फूड पॉइज़निंग का कारण बन सकता है और गर्भावस्था के दौरान यह शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है।

स्मोक्ड और कच्चे मांस (Smoked Meats and Raw Meats)

स्मोक्ड मीट, जैसे स्मोक्ड हैम, सॉसेज और कच्चे मांस से बचना चाहिए क्योंकि इनमें लिस्टेरिया बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो गर्भावस्था में गंभीर संक्रमण का कारण बन सकते हैं। कच्चा मांस गर्भवस्था के दौरान गर्भपात और शिशु के जन्म दोष का कारण बन सकता है।

शराब (Alcohol)

प्रेगनेंसी के दौरान शराब पीना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। यह शिशु के विकास पर नकारात्मक असर डाल सकता है और जन्म दोष, मानसिक समस्याएं या विकास में रुकावट पैदा कर सकता है। इस कारण से, गर्भावस्था के दौरान शराब से पूरी तरह बचना चाहिए।

कैफीन (Caffeine)

किसी भी प्रकार की कैफीन युक्त वस्तुएं, जैसे कॉफी, चाय और कुछ सोडा से बचना चाहिए। अत्यधिक कैफीन के सेवन से गर्भपात, समय से पहले प्रसव या शिशु का कम वजन हो सकता है। अगर आप कैफीन लेना चाहती हैं, तो इसे सीमित मात्रा में ही लें और डॉक्टर से परामर्श करें।

अत्यधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन (Excessive Fried and Spicy Food)

अत्यधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन से बचना चाहिए क्योंकि यह एसिडिटी, कब्ज और पेट के दर्द का कारण बन सकता है। गर्भावस्था में पेट पर अतिरिक्त दबाव डालने से भी समस्या हो सकती है। तला-भुना भोजन शारीरिक असुविधा पैदा कर सकता है।

प्रोसेस्ड और पैक्ड फूड (Processed and Packaged Foods)

प्रोसेस्ड और पैक्ड फूड में अत्यधिक नमक, शुगर और अनहेल्थी फैट हो सकती है। ये शिशु के विकास में बाधा डाल सकते हैं और मां को हाई ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पैक्ड फूड में रखे गए सिंथेटिक केमिकल्स भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

बिना धुली हुई सब्जियाों का सेवन (Unwashed Fruits and Vegetables)

फलों और सब्जियों को अच्छे से धोकर ही खाना चाहिए। अनवॉश फल और सब्जियाँ टॉक्सोप्लाज्मा जैसे बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकती हैं, जो गर्भावस्था में शिशु को नुकसान पहुँचा सकता है।

डिब्बाबंद जूस (Canned Juices)

डिब्बाबंद जूस में अत्यधिक शुगर और सिंथेटिक केमिकल्स होते हैं, जो आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। ताजे फल या सब्जियों का जूस बनाना अधिक सुरक्षित और सेहतमंद होता है।

स्वीट डिश और शुगर से भरे खाद्य पदार्थ (Sugary Foods and Sweets)

अत्यधिक मीठे पदार्थ जैसे कैंडी, चॉकलेट, केक और मिठाई का सेवन करने से शुगर का स्तर बढ़ता है, जिससे प्रेगनेंसी डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, शिशु का वजन भी ज्यादा हो सकता है, जो डिलेवरी के दौरान समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।

प्रेगनेंसी के 5 महीने में पेट दर्द क्यों होता है?

प्रेगनेंसी के पांचवे महीने में पेट दर्द आमतौर पर लिगामेंट पेन के कारण होता है। गर्भाशय के बढ़ने और उसके आसपास के लिगामेंट के खिंचाव के कारण पेट में हल्का दर्द महसूस हो सकता है। यह दर्द अचानक खड़े होने, उठने या किसी शारीरिक गतिविधि के दौरान महसूस होता है। यह दर्द सामान्य होता है और ज्यादा चिंता का कारण नहीं होता। लेकिन अगर दर्द बहुत तेज हो या कोई और समस्या महसूस हो, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

प्रेगनेंसी के 5 महीने में क्या सावधानी रखनी चाहिए?

प्रेगनेंसी के इस महत्वपूर्ण महीने में कुछ सावधानियाँ बरतना बहुत जरूरी है:

नियमित चेकअप

इस महीने में डॉक्टर के पास नियमित चेकअप कराना जरूरी है। इससे शिशु के विकास और मां की सेहत का सही मूल्यांकन हो सकता है।

हल्का व्यायाम

हल्का व्यायाम, जैसे पैदल चलना या योग, शिशु और मां के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, किसी भी नए व्यायाम को शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

तनाव से बचाव

तनाव शिशु के विकास को प्रभावित कर सकता है, इसलिए मानसिक शांति बनाए रखना जरूरी है। ध्यान और प्राणायाम जैसे उपायों से मानसिक शांति पा सकती हैं।

अच्छी नींद

इस समय मां को अच्छी नींद और आराम की जरूरत होती है। नींद की कमी से शारीरिक और मानसिक थकान हो सकती है, इसलिए उचित नींद का ध्यान रखें।

आरामदायक कपड़े पहनें

इस समय आरामदायक कपड़े पहनना जरूरी है, जो शरीर पर कसावट महसूस न कराएं। खासकर जूते और चप्पल आरामदायक होने चाहिए।

प्रेगनेंसी के 5 महीने में क्या होता है?

प्रेगनेंसी का पांचवां महीना गर्भवस्था के दूसरे तिमाही का हिस्सा होता है। इस महीने में आपको अपने शरीर में कई बदलाव महसूस हो सकते हैं। इस समय शिशु का आकार और विकास तेजी से बढ़ता है, और मां को पहले तीन महीनों की समस्याओं से राहत मिलती है। हालांकि, शरीर में कुछ नए बदलावों का अनुभव होना सामान्य है।

इस महीने में शिशु की मांसपेशियाँ और अंग पूरी तरह से विकसित हो रहे होते हैं। शिशु को इस समय ध्वनियाँ सुनाई देने लगती हैं और उसकी हलचल भी महसूस हो सकती है। महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण, त्वचा पर हल्के धब्बे और सूजन हो सकती है। इसके अलावा, पेट और पीठ में हल्का दर्द भी हो सकता है। इस दौरान महिला को थोड़ी थकान भी महसूस हो सकती है, लेकिन यह सामान्य है और जल्द ही हल हो जाता है।

प्रेगनेंसी का पांचवां महीना एक खूबसूरत दौर होता है, जब आप अपने बच्चे की हलचल को पहली बार महसूस करती हैं। इस दौरान आपके शरीर में कई बदलाव होते हैं और आपको कुछ अलग तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं। आइए इन लक्षणों को और विस्तार से समझते हैं:

मूड स्विंग्स:

  • कारण: हार्मोनल परिवर्तन आपके मूड को काफी प्रभावित कर सकते हैं। एक पल आप बहुत खुश महसूस कर सकती हैं और अगले पल उदास या चिंतित।
  • कैसे मैनेज करें:
    • अपने भावनाओं को किसी करीबी के साथ साझा करें।
    • योग, ध्यान या हल्की-फुल्की गतिविधियां करें।
    • पर्याप्त नींद लें।
    • स्वस्थ आहार लें।

शारीरिक बदलाव:

  • बढ़ता हुआ पेट: गर्भाशय बढ़ने के साथ आपका पेट भी बढ़ेगा।
  • वजन बढ़ना: वजन बढ़ना गर्भावस्था का एक सामान्य हिस्सा है।
  • पीठ दर्द: बढ़ते हुए पेट के कारण पीठ पर दबाव बढ़ता है, जिससे पीठ दर्द हो सकता है।
  • जोड़ों में दर्द: शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ के कारण जोड़ों में दर्द महसूस हो सकता है।
  • सूजन: पैरों, हाथों और चेहरे में सूजन हो सकती है।

पाचन संबंधी समस्याएं:

  • कब्ज: बदलते हार्मोन और बढ़ते हुए गर्भाशय पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं।
  • एसिडिटी: भोजन पाइप में एसिड का वापस आना भी एक आम समस्या है।

यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI):

  • कारण: बढ़ता हुआ गर्भाशय मूत्राशय पर दबाव डालता है, जिससे यूटीआई होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • लक्षण: बार-बार पेशाब आना, पेशाब करते समय जलन, पेशाब में खून आना।

नींद में परेशानी:

  • कारण: बढ़ता हुआ पेट, बार-बार पेशाब लगना और शरीर में असहजता के कारण नींद में परेशानी हो सकती है।

त्वचा में बदलाव:

  • मुंहासे: हार्मोनल परिवर्तन के कारण मुंहासे हो सकते हैं।
  • स्ट्रेच मार्क्स: पेट पर त्वचा खिंचने के कारण स्ट्रेच मार्क्स दिखाई दे सकते हैं।
  • मेलास्मा: चेहरे पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई दे सकते हैं।

अन्य लक्षण:

  • सांस लेने में तकलीफ: बढ़ते हुए गर्भाशय के कारण फेफड़ों पर दबाव पड़ सकता है।
  • चक्कर आना: खड़े होने पर चक्कर आ सकते हैं।
  • नाक से खून आना: हार्मोनल परिवर्तन के कारण नाक से खून आ सकता है।

क्या करें:

  • अपने डॉक्टर से नियमित रूप से मिलें: अपने डॉक्टर को किसी भी नए लक्षण या चिंता के बारे में बताएं।
  • स्वस्थ आहार लें: फाइबर युक्त भोजन, पानी और फल-सब्जियां का सेवन करें।
  • हल्का व्यायाम करें: डॉक्टर की सलाह से हल्का व्यायाम करें।
  • पर्याप्त नींद लें: दिन में थोड़ी देर सोने की कोशिश करें।
  • तनाव कम करें: योग, ध्यान या अन्य तकनीकों का उपयोग करके तनाव को कम करें।

याद रखें: हर महिला के गर्भावस्था के अनुभव अलग होते हैं। अगर आपको कोई भी गंभीर लक्षण महसूस हो रहा है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

निष्कर्ष

प्रेगनेंसी का पांचवां महीना शिशु के विकास और मां के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस दौरान शिशु का तेज़ी से विकास होता है, और मां को पहले तीन महीनों की समस्याओं से राहत मिलती है। हालांकि, इस समय सही आहार, नियमित चेकअप और सावधानियों का पालन करना बहुत जरूरी है ताकि शिशु का स्वस्थ विकास हो सके और मां भी खुशहाल महसूस कर सके।

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