स्टिकी वेजाइनल डिस्चार्ज यानी योनि से चिपचिपा स्राव होना एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। यह प्रजनन से संबंधित स्वास्थ्य के साथ-साथ महिला के संपूर्ण स्वास्थ्य को भी समझने-परखने का एक अहम संकेतक है। हालांकि, अक्सर इसे नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, लेकिन अगर योनि से चिपचपा पदार्थ आता है, तो घबराएं नहीं, पर इस पर नज़र ज़रूर रखें। इसके अलग-अलग रूपों को समझने से आपको कई ज़रूरी जानकारी मिल पाएगी और आप जान पाएंगी कि हार्मोन में होने वाले बदलाव, प्रजनन क्षमता और किसी संभावित स्वास्थ्य समस्याओं के साथ इसका क्या संबंध है।
जानकारी के अभाव में योनि से चिपचिपा स्राव के कारण कई महिलाएं चिंता में पड़ जाती हैं। कई बार यह चिंता वाज़िब हो सकती है, लेकिन हर मामले में परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। इसलिए, इस लेख में बताया गया है कि क्या यह एक सामान्य घटना है? इसके क्या कारण हैं? क्या इसका इलाज किया जाना चाहिए? साथ ही हम जानेंगे कि योनि से पानी कब आता हैऔर इसकी वैज्ञानिक व्याख्या क्या है।
स्टिकी वेजाइनल डिस्चार्ज क्या है?
चिपचिपा योनि स्राव असल में योनि की दीवारों और गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) से निकलने वाला गाढ़ा, चिपचिपा तरल होता है। यह मुख्य रूप से गर्भाशय ग्रीवा के बलगम (म्यूकस), पानी, प्रोटीन, कोशिकाओं और लाभकारी बैक्टीरिया से बना होता है, जो योनि के स्वास्थ्य और पीएच संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। इसका बनावट, रंग और मात्रा कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें हार्मोन में होने वाले बदलाव, पीरियड्स के चरण के साथ-साथ कई और बाहरी चीज़ें शामिल हैं।
योनि से होने वाले स्राव की अहमियत
योनि से होने वाला स्राव एक तरह का प्राकृतिक रक्षा तंत्र है जो:
- मृत कोशिकाओं और बैक्टीरिया को हटाकर योनि को साफ़ करता है।
- संक्रमण को रोकने के लिए अम्लीय पीएच बनाए रखता है।
- प्रजनन प्रक्रिया में सहायक होता है, खासकर प्रजनन के दौरान शुक्राणु की गति को आसान बनाता है।
अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ ओब्स्टेट्रिशियन्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स (ACOG) के मुताबिक़, जब तक खुजली, गंध या असुविधा जैसे लक्षण न हों, स्राव में होने वाले बदलाव को सामान्य माना जाता है।
योनि से चिपचिपा स्राव के कारण
वेजाइनल डिसचार्ज को समझना मुश्किल हो सकता है, ख़ासकर अगर यह अचानक से बदल जाए। योनि से होने वाले चिपचिपे स्राव की वजह अलग-अलग हो सकती है। इसके पीछे शारीरिक, जीवनशैली से जुड़े या पैथोलॉजिकल (रोग से जुड़े) कारण हो सकते हैं। नीचे कुछ सामान्य वजहें बताई गई हैं:
हार्मोनल बदलाव
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन की वजह से योनि से होने वाले स्राव के रंग-रूप पर काफ़ी ज़्यादा असर पड़ सकता है।
- एस्ट्रोजन का उच्च स्तर: शुक्राणु को जीवित रखने के लिए ओव्यूलेशन (डिंबोत्सर्जन) के दौरान गर्भाशय ग्रीवा का म्यूकस ज़्यादा चिपचिपा और लचीला हो जाता है।
- प्रोजेस्टेरोन का उच्च स्तर: मासिक धर्म यानी पीरीयड से पहले स्राव ज़्याद गाढ़ा और चिपचिपा हो जाता है।
प्रेगनेंसी
प्रेगनेंसी के शुरुआती दौर में गर्भाशय ग्रीवा के बलगम का उत्पादन बढ़ जाता है, ताकि एक तरह का सुरक्षात्मक प्लग बनाया जा सके।
पीरियड
पीरियड के अलग-अलग चरणों, यानी फ़ॉलिक्यूलर से लेकर ल्यूटियल तक स्राव के बनावट और मात्रा में बदलाव आ सकता है।
तनाव और जीवनशैली
लंबे समय तक तनाव और गंदगी से योनि का माइक्रोबायोम प्रभावित हो सकता है,जिससे स्राव की बनावट बदल सकती है।
अन्य स्थितियां
बैक्टीरियल वेजिनोसिस, यीस्ट संक्रमण या यौन संचारित संक्रमण (STIs) जैसी बीमारियों के दौरान असामान्य चिपचिपा स्राव निकल सकता है।
ओव्यूलेशन के दौरान योनि से चिपचिपा स्राव: प्रजनन क्षमता का संकेत
ओव्यूलेशन, पीरियड साइकल के बीच में होता है और इस दौरान गर्भाशय ग्रीवा के म्यूकस में स्पष्ट बदलाव होता है। इस दौरान स्राव अक्सर चिपचिपा हो जाता है, जो कच्चे अंडे के सफ़ेद हिस्से जैसा दिखता है।यह वह समय है जब महिला की ओवरी यानी अंडाशय संभावित फ़र्टिलाइजेशन के लिए अंडे रिलीज करते हैं। जैसे ही महिला अपनी मेंस्ट्रुअल साइकल में ओव्यूलेशन के क़रीब पहुंचती है, उसके गर्भाशय ग्रीवा से म्यूकस का उत्पादन बढ़ जाता है। इसी वजह से योनि से स्राव की मात्रा बढ़ जाती है। आमतौर पर ओव्यूलेशन से पहले या इस दौरान योनि स्राव ज़्यादा चिपचिपा हो जाता है। बढ़ा हुआ वेजाइनल डिस्चार्ज स्पर्म को सर्विक्स तक पहुंचने में मदद करता है, ताकि वह अंडे के साथ फ़र्टिलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी कर सके।
वैज्ञानिक क्या कहते हैं
जर्नलफ़र्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी (2016) में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि गर्भाशय ग्रीवा के म्यूकस पैटर्न पर नज़र रखने से ओव्यूलेशन और प्रजनन क्षमता का पता लगाना आसान हो जाता है। अध्ययन में पाया गया कि:
- प्रजनन के लिए उपयुक्त म्यूकस का संबंध ज़्यादा एस्ट्राडियोल (एस्ट्रोजन हार्मोन) से होता है।
- जो महिलाएं गर्भाशय ग्रीवा के म्यूकस पर नज़र रखती हैं, वे अपनी फ़र्टिलिटी की अवधि को आसानी से पहचान सकती हैं।
ओव्यूलेशन स्राव की पहचान
- रंग: साफ़ या हल्का सफ़ेद
- बनावट: चिपचिपा
- मात्रा: अक्सर ज़्यादा
उदाहरण:
32 साल की मीरा मां बनने की योजना बना रही थीं। उन्होंने अपने मेंस्ट्रुअल साइकल के 14वें दिन के आसपास देखा कि चिपचिपे स्राव में बढ़ोतरी हो गई है। अपने म्यूकस पैटर्न को ट्रैक करके, उन्होंने अपने फ़र्टाइल दिनों की साफ़ तौर पर पहचान कर ली। लिहाज़ा उनके लिए प्रेगनेंट होना आसान बन गया।
पीरियड्स के पहले योनि से चिपचिपा स्राव: यह सामान्य है या नहीं?
पीरियड्स के दौरान योनि से होने वाले स्राव की रंगत और बनावट अलग नज़र आ सकती है। पीरियड्स के अलग-अलग चरण के दौरान हार्मोन में होने वाले उतार-चढ़ाव का असर वेजाइनल डिसचार्ज पर भी पड़ता है। पीरियड्स से ठीक पहले के समय को ल्यूटियल कहा जाता है। इस दौरान चिपचिपा स्राव आम तौर पर प्रोजेस्टेरोन के बढ़ने की वजह से होता है।
माहवारी से पहले सामान्य और असामान्य स्राव
- सामान्य: गाढ़ा, गोंद जैसाऔर हल्का सफ़ेद या क्रीम रंग का।
- असामान्य: खुजली, तेज गंधया असामान्य रंग (जैसे हरा या भूरा) के साथ।
जानकार क्या कहते हैं
जानकारों के मुताबिक़, माहवारी से पहले चिपचिपा स्राव तब तक सामान्य है जब तक इसके साथ कोई दूसरे लक्षण नहीं दिखते। जैसे, जलन या दर्द। हालांकि, अगर आपको लगता है कि स्राव असामान्य है और यह लगातार ऐसा ही बना हुआ है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रेगनेंसी के दौरान योनि से चिपचिपा स्राव
प्रेगनेंसी के दौरान काफ़ी हार्मोनल बदलाव होते हैं और इस वजह से योनि के स्राव की मात्रा और गाढ़ापन में बदलाव आता है। आम तौर पर इसमें बढ़ोतरी होती है। इस समय चिपचिपा स्राव आमतौर पर शरीर के विकसित हो रहे एम्ब्रियो की रक्षा के लिए अनुकूलन का संकेत है।
प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले स्राव की विशेषताएं
- रंग: साफ़, सफ़ेद या हल्का पीला
- बनावट: गाढ़ा और चिपचिपा
- मात्रा: एस्ट्रोजन और रक्त प्रवाह में वृद्धि के कारण संभावित बढ़ोतरी।
जानकार क्या कहते हैं
जर्नलऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी (2019) के एक अध्ययन ने बलगम प्लग के निर्माण में गर्भाशय ग्रीवा के म्यूकस की भूमिका को उजागर किया। यह प्लग गर्भाशय ग्रीवा को बंद करके संक्रमण को रोकता है।
चिंता के संकेत: ख़ून, दुर्गंधया हरे रंग के टिंट के साथ अगर स्राव होता है, तो यह संक्रमण या समय से पहले प्रसव जैसी जटिलताओं का संकेत हो सकता है।
योनि से चिपचिपा स्राव के दूसरे कारण
चिपचिपे योनि स्राव के कई अन्य कारण हैं। इनमें से कुछ मुख्य वजहों के बारे में यहां बताया गया है:
संक्रमण
- यीस्ट संक्रमण: कैंडिडा अगर ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ जाए, तो उसकी वजह से गाढ़ा और सफ़ेद स्राव हो सकता है।
- बैक्टीरियल वेजिनोसिस: मछली जैसी गंध के साथ पतला, चिपचिपा स्राव।
- एसटीआई: जैसे गोनोरिया या क्लैमाइडिया, पीले या हरे चिपचिपे स्राव का कारण बन सकते हैं।
दवाएं
एंटीबायोटिक्स और हार्मोनल उपचार के अलावा कुछ ख़ास तरह की दवाइयां होती हैं, जिससे योनि का माइक्रोबायोम प्रभावित हो सकता है और इस वजह से स्राव का टेक्सचर बदल सकता है।
आहार और हाइड्रेशन
अगर आप पर्याप्त और पौष्टिक आहार का सेवन नहीं कर रही हैं या फिर लंबे समय तक लगातार तनाव में रहती हैं, तो इसका असर आपके इम्यून सिस्टम के ऊपर पड़ता है और इससे योनि के स्राव का रंग-रूप बदल सकता है।
मेनोपॉज़
मेनोपॉज़ के दौरान एस्ट्रोजन की घटी मात्रा की वजह से योनि में सूखापन के साथ-साथ स्राव में चिपचिपापन भी बढ़ सकता है।
आपको डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
आम तौर पर योनि स्राव सामान्य होता है, लेकिन कुछ ख़ास स्थितियों में असामान्य बदलाव देखे जाने पर इसे गंभीरता से लेना ज़रूरी है।
किसे चेतावनी समझें?
- असामान्य रंग: हरा, ग्रे या किसी असामान्य रंग का
- तेज़ गंध: लगातार तेज़ या मछली जैसी गंध
- साथ में अन्य लक्षण: जलन, खुजलीया पेल्विक में दर्द
- गाढ़ापन में बदलाव: मोटा, गांठदार डिस्चार्ज, जिसमें तकलीफ़ हो
- सूजन: अगर दर्द के साथ-साथ योनि में सूजन हो जाए
सुझाव:कोई भी असामान्य लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
जांच के दौरान इन बातों के लिए तैयार रहें:
- शारीरिक जांच: असामान्य स्थिति का पता लगान के लिए योनि की जांच हो सकती है।
- लैब टेस्ट: यीस्ट या बैक्टीरियल वेजिनोसिस जैसे संक्रमण का पता लगाने के लिए योनि से स्वैब लेकर लैब में टेस्ट के लिए भेजा जा सकता है।
- अल्ट्रासाउंड: अगर मामला जटिल है, तो गर्भाशय या योनि के आस-पास के अंदरूनी हिस्सों की जांच के लिए इसकी ज़रूरत पड़ सकती है।
योनि के स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के आसान नुस्खे
- स्वच्छता बनाए रखें: नियमित रूप से हल्के साबुन और पानी का इस्तेमाल करें।
- ढीले कपड़े पहनें: सूती अंडरवियर चुनें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं: असुविधा से बचने के लिए इस दौरान शरीर में पानी की कमी न होने दें।
- प्रोबायोटिक्स खाएं: आंत और योनि के बेहतर स्वास्थ्य के लिए यह कारगर विकल्प है।
- केमिकल से बचें: योनि के आस-पास परफ़्यूम, ज़्यादा सुगंधित साबुन या ख़ुशबू वाले अन्य प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करने से पहरेज बरतें।
स्टिकी वेजाइनल डिस्चार्ज से जुड़े मिथ्स और फ़ैक्ट्स
मिथ्स | फ़ैक्ट्स |
स्टिकी डिस्चार्ज हमेशा संक्रमण का संकेत है। | स्टिकी डिस्चार्ज अक्सर हार्मोनल बदलावों की वजह से होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है। |
योनि से होने वाले स्राव में कोई गंध नहीं होनी चाहिए। | हल्की मस्की गंध सामान्य है। हां, तेज़ या मछली जैसी गंध होना समस्या का संकेत हो सकता है |
हर तरह के स्राव का इलाज ज़रूरी है। | सामान्य स्राव के लिए इलाज ज़रूरी नहीं है, यह योनि को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ज़रूरी है। |
FAQs
क्या चिपचिपा स्राव अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग तरह का हो सकता है?
हां, स्राव के पैटर्न उम्र, हार्मोन के स्तर और किसी व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करता है और इस हिसाब से यह अलग-अलग हो सकता है।
क्या चिपचिपा स्राव का संबंध हमेशा पीरियड से होता है?
नहीं, प्रेगनेंसी, संक्रमण या जीवनशैली में होने वाले बदलावों जैसे कई कारण हैं, जिससे स्राव पर असर पड़ सकता है।
क्या खान-पान का असर योनि के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है और इससे योनि को स्वस्थ बनाया जा सकता है?
हां, प्रोबायोटिक्स (जैसे, दही) वाले पौष्टिक और संतुलित आहार से योनि के स्वस्थ माइक्रोबायोम को बढ़ावा मिलता है।
निष्कर्ष
योनि से चिपचिपा स्राव आना आमतौर पर सामान्य है और यह शरीर के हार्मोनल बदलावों के साथ-साथ प्रजनन से जुड़े स्वास्थ्य को दिखाता है। हालांकि, इस स्राव पर नज़र रखने की ज़रूरत है। अगर इसमें कुछ असामान्य नज़र आता है, तो उन लक्षणों की पहचान करें और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से संपर्क करें। अपनी शारीरिक प्रक्रियाओं को समझकर और उन पर नज़र रखकर आप न सिर्फ़ योनि को स्वस्थ रख सकती हैं, बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने में इससे मदद मिलेगी।