प्रेगनेंसी में होने वाली परेशानी, शारीरिक और भावनात्मक तौर पर बेहद चुनौती भरा अनुभव होता है। हालांकि, मेडिकल वजहों से फिर भी दुनिया भर में लाखों-करोड़ों दंपती इस समस्या से जूझते हैं। अलग-अलग कारणों से इनफ़र्टिलिटी से जूझने वाले पति-पत्नियों को अपने देश-समाज में कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है, जिनमें सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर बढ़ते दबाव से लेकर तानेबाज़ी तक शामिल हैं। इस लेख में इनफ़र्टिलिटी के कारणों, इलाज के उपलब्ध विकल्पों और प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाने के लिए उचित सुझावों की बात की गई है। इसके अलावा, हम इस विषय से जुड़े मिथ्स और अक्सर पूछे जाने वाले सवालों को भी जानने की कोशिश करेंगे।
एक साल यानी 12 महीनों तक यौन संबंध बनाने के बावजूद गर्भ धारण नहीं कर पाने की क्षमता को मेडिकल की दुनिया में इनफ़र्टिलिटी कहा जाता है। अगर महिला की उम्र 35 साल से ज़्यादा है, तो उनके लिए यह समय सीमा 6 महीने निर्धारित की गई है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। प्रेगनेंसी न होने के कई कारण हैं इसके पीछे अलग-अलग शारीरिक, पर्यावरण और लाइफ़स्टाइल से जुड़ी वजहें हो सकती हैं। इसलिए, कारगर समाधान जानने के लिए इसके कारणों का पहचानना बेहद ज़रूरी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक़ इनफ़र्टिलिटी एक वैश्विक समस्या है, जो प्रजनन के लिए अनुकूल उम्र में हर छह में से एक दंपती को प्रभावित करती है। इसलिए, इसके कारणों के साथ-साथ यह समझना भी ज़रूरी है कि इसकी वजह से लोग किस तरह चिंता, अवसाद और संबंधों में दरार जैसी समस्याओं में जूझने लगते हैं। इन समस्याओं को समझने और इसके प्रति संवेदनशील नज़रिया बनाने के साथ-साथ इनफ़र्टिलिटी को दूर करने के तरीक़ों के बारे में हम आगे बात करेंगे।
सबसे पहले आइए जानते हैं कि महिलाओं और पुरुषों में इनफ़र्टिलिटी की समस्या क्यों आती है।
महिलाओं में इनफ़र्टिलिटी की मुख्य वजहें
इनके अलावा, धूम्रपान, शराब पीने, ड्रग के सेवन या किसी भी विषैली चीज़ों के संपर्क में रहने से स्पर्म की क्वालिटी में गिरावट आ सकती है।
केस स्टडी: 35 साल के एक युवक ने सिगरेट, शराब छोड़कर और पौष्टिक आहार अपनाकर अपने स्पर्म काउंट में सुधार किया और इस वजह से छह महीने के भीतर उसे इनफ़र्टिलिटी की समस्या से निज़ात मिल गई।
लगातार मानसिक तनाव का असर फ़र्टिलिटी के ऊपर पड़ सकता है। कोर्टिसोल जैसे मानसिक तनाव से जुड़े हार्मोन के बढ़ने से ओव्यूलेशन और स्पर्म प्रॉडक्शन के लिए ज़रूरी हार्मोन संतुलन बिगड़ सकता है। रिसर्च के मुताबिक़ तनाव को मैनेज करने से फ़र्टिलिटी की संभावना बेहतर हो जाती है। योगा, मेडिटेशन और इस तरह की बाक़ी थेरेपी से तनाव कम हो सकता है।
फ़र्टिलिटी के ऊपर पोषण का काफ़ी असर होता है। ज़रूरी विटामिन और मिनरल की कमी से प्रजनन तंत्र कमज़ोर हो सकता है। फ़ोलिक एसिड, ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड, आयरन और विटामिन डी ख़ास तौर पर इसके लिए बेहद ज़रूरी है। हरी पत्तेदार साग-सब्ज़ियां, सैलमन, अवाकाडो, साबुत अनाज और नट्स के सेवन से फ़र्टिलिटी क्षमता मे सुधार हो सकता है।
ज़्यादा या कम वज़न से भी हार्मोन का स्तर और फ़र्टिलिटी की क्षमता प्रभावित होती है। रिसर्च बताते हैं कि 18.5 से लेकर 24.9 की सीमा से बाहर बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाली महिलाओं में इनफ़र्टिलिटी के मामले ज़्यादा देखे जाते हैं। ज़्यादा बीएमआई वाले पुरुषों में स्पर्म की क्वालिटी अच्छी नहीं होती।
शराब और सिगरेट के सेवन के अलावा, कीटनाशक, प्लास्टिक और औद्योगिक कचरों के साथ नियमित संपर्क में रहने से भी फ़र्टिलिटी की क्षमता में गिरावट आती है। वैज्ञानिक अध्ययनों में पता चला है कि एंडोक्राइन-डिसरप्टिंग केमिकल का असर ओव्यूलेशन और स्पर्म काउंट के ऊपर पड़ता है।
प्रजनन से जुड़ी समस्याओं के उपचार के लिए यह जानना बेहद ज़रूरी है कि आपको कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सही समय पर डॉक्टर से सलाह लेने से फ़र्टिलिटी की गुंजाइश बढ़ जाती है।
टेस्ट | क्या होता है |
ब्लड टेस्ट | हार्मोन से जुड़ी जानकारी (एएमएच, एफ़एसएच, एलएच) |
अल्ट्रासाउंड | ओवेरियन हेल्थ और यूटरस के स्ट्रक्चर का पता चलता है |
हिस्टेरियोसालपिंगोग्राफ़ी (एचएसजी) | फ़ैलोपियन ट्यूब के ब्लॉकेज और यूटराइन एबनॉर्मलिटी का पता चलता है |
टेस्ट | क्या होता है |
सीमेन एनालिसिस | इससे स्पर्म काउंट, मोबिलिटी और मोर्फ़ोलॉजी का पता चलता है |
हार्मोन टेस्ट | इससे स्पर्म प्रॉडक्शन पर असर डालने वाले हार्मोनल असंतुलन का पता चलता है |
स्क्रोटल अल्ट्रासाउंड | वैरिकोसील या दूसरी तरह की स्ट्रक्चरल समस्याओं का पता चलता है |
प्रेगनेंसी नहीं हो रही तो क्या करे? यह सवाल कई बार लोगों के दिमाग़ में आता है। आइए अलग-अलग स्थितियों के लिए इलाज के विकल्प को इस टेबल में आसानी से समझते हैं।
स्थिति | उपचार के विकल्प |
ओव्यूलेशन डिसऑर्डर | क्लोमिफीन, लेट्रोज़ोल या गोनाडोट्रोपिन जैसी प्रजनन संबंधी दवाएं |
फ़ैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज | सर्जरी या ट्यूब को बायपास करने के लिए आईवीएफ़ |
एंडोमेट्रियोसिस | हार्मोनल थेरेपी या लेप्रोस्कोपिर सर्जरी |
लो स्पर्म काउंट | दवाएं, लाइफ़स्टाइल में बदलाव या सर्जिकल तरीक़े |
अर्जुन और ऋतु, पति-पत्नी हैं और दोनों की उम्र 30 साल से ज़्यादा है। बीते दो साल से वे माता-पिता बनने की पूरी कोशिश कर रहे थे। नियमित कोशिशों के बावजूद, ऋतु गर्भ धारण नहीं कर पा रही थी। ऋतु को अनियमित पीरियड और अर्जुन को हाई प्रेशर वाली नौकरी की वजह से लगातार तनाव से जूझना पड़ रहा था।
डॉक्टर की सलाह के बाद पता चला कि ऋतु को पीसीओएस है और अर्जुन के स्पर्म की मोबिलिटी कम है।
ऋतु को पीसीओएस मैनेज करने के लिए मेटफ़ॉर्मिन दी गई और आहार में बदलाव करने की सलाह दी गई। वहीं, अर्जुन ने तनाव मैनेज करने के लिए थेरेपी ली और अपनी लाइफ़स्टाइल में बदलाव किए। आख़िरकार प्रेगनेंसी कंसीव करने के उपाय कारगर साबित हुए और उन्होंने आईयूआई का विकल्प चुना। इस तरह, ऋतु का सपना पूरा हुआ।
काम | क्यों ज़रूरी है |
प्रेगनेंट होने से पहले चेक-अप कराएं | इससे संभावित समस्याओं की पहचान और उन्हें ठीक करना आसान होता है |
ओव्यूलेशन साइकल पर नज़र रखें | इससे गर्भ धारण करने की संभावना ज़्यादा होती है |
प्री-नैटल विटामिन लें | भ्रूण के शुरुआती विकास के लिए ज़रूरी है |
कैफ़ीन का सेवन कम करें | ज़्याद मात्रा में कैफ़ीन से फ़र्टिलिटी की क्षमता कमज़ोर होती है |
लंबे समय से कोई स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है, तो उसका इलाज कराएं | डाइबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर को मैनेज करना फ़र्टिलिटी के लिए बेहद ज़रूरी है |
मिथ्स | फ़ैक्ट्स |
इनफ़र्टिलिटी हमेशा महिलाओं में होती है | पुरुष और महिला, दोनों समान रूप से इनफ़र्टिलिटी के शिकार हो सकते हैं |
उम्र का असर पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर नहीं पड़ती | पुरुषों की प्रजनन क्षमता भी उम्र के साथ कम होती जाती है और उनके स्पर्म की गुणवत्ता और संख्या कम होने लगती है |
सिर्फ़ मानसिक तनाव की वजह से इनफ़र्टिलिटी होती है | तनाव का असर हमारे स्वास्थ्य पर निश्चित रूप से पड़ता है, लेकिन इनफ़र्टिलिटी के पीछे तनाव के अलावा स्वास्थ्य से जुड़ी और भी मेडिकल वजहें हैं |
आईवीएफ़ सिर्फ़ पहली बार में क़ामयाब होता है | आईवीएफ़ की क़ामयाबी की दर उम्र और अन्य स्थितियों पर निर्भर करती है |
जवाब: इनफ़र्टिलिटी दुनियाभर में लगभग 10–15% दंपत्तियों को प्रभावित करता है, जिसमें पुरुष और महिलाओं की संख्या लगभग समान है।
जवाब: हां, सही वज़न मेनटेन करना, पौष्टिक आहार लेना, सिगरेट, शराब और विषैली चीज़ों से दूरी बरतने से प्रजनन क्षमता पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।
जवाब: ज़रूरी नहीं। इनफ़र्टिलिटी के कई कारण लाइफ़स्टाइल में बदलावों, दवाओं या आधुनिक तकनीकों की मदद से ठीक किए जा सकते हैं।
जवाब: नहीं, गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल से इनफ़र्टिलिटी नहीं होती। इन गोलियों का इस्तेमाल बंद करने पर ओव्यूलेशन की प्रकिया आम तौर पर दोबारा शुरू हो जाती है।
इनफ़र्टिलिटी एक जटिल समस्या है, लेकिन इसका इलाज मुमकिन है। समय पर डॉक्टर से सलाह लेने, स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और मानसिक तौर पर तनाव मुक्त रहने से प्रजनन क्षमता को बेहतर किया जा सकता है। आईवीएफ़ और हार्मोनल थेरेपी जैसी आधुनिक तकनीक दंपत्तियों के लिए आशा की किरण बनकर सामने आई है। यह बहुत ज़रूरी है कि फ़र्टिलिटी से जुड़ी जानकारी आप रखें, लेकिन उससे भी ज़रूरी है किसी भी तरह के इलाज का फ़ैसला सिर्फ़ डॉक्टर की सलाह के बाद ही लें।
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