आईवीएफ आज दुनियाभर एक वरदान का रूप ले चूका है। निःसंतानता से परेशान लाखों दम्पति हर वर्ष आईवीएफ की मदद से अपने माता-पिता बनने का सपना पूरा कर रहे हैं। दुनिया भर में हर वर्ष आईवीएफ के जरिए लगभग 80 लाख शिशु जन्म लेते हैं।
निःसंतानता पुरुष या महिला प्रजनन प्रणाली से संबंधित बीमारी है। इससे पीड़ित होने पर, नियमित रूप से 12 महीने या उससे अधिक समय तक असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बाद भी गर्भावस्था नहीं होती है।
फर्टिलिटी केयर में निःसंतानता की रोकथाम, निदान और उपचार शामिल है। दुनिया भर में लगभग 4 करोड़ 80 लाख दम्पति और 18 करोड़ 6 लाख इंडिविजुअल्स निःसंतानता से पीड़ित हैं।
अगर आप आईवीएफ क्या है, इसकी आवश्यकता क्यों होती है, इस उपचार प्रक्रिया में क्या होता है, इसके लाभ और दुष्प्रभाव क्या हैं और इसमें कितना खर्च आता है आदि के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो यह ब्लॉग पूरा पढ़ें।
आईवीएफ क्या है? – IVF kya hai
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन को आम बोलचाल की भाषा में आईवीएफ (IVF) कहते हैं। आईवीएफ को हिंदी में भ्रूण प्रत्यारोपण कहा जाता है। यह एक प्रजाजन उपचार यानी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है।
आईवीएफ के दौरान, स्त्री के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज करके भ्रूण का निर्माण किया जाता है। भ्रूण तैयार करने के बाद, उसे महिला के गर्भाशय में रखा जाता है।
आईवीएफ इलाज से जन्मे शिशु को टेस्ट ट्यूब बेबी कहते हैं। आईवीएफ एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है जिसके दौरान आपको काफी बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।
आईवीएफ की आवश्यकता कब होती है?
आईवीएफ उपचार से निसंतान दंपति को संतान का सुख प्राप्त करने में मदद मिलती है। निःसंतानता कई कारणों से होता है। जब इलाज के दूसरे सभी माध्यम असफल हो जाते हैं तो डॉक्टर आईवीएफ चुनते हैं।
आईवीएफ उपचार की आवश्यकता कई स्थितियों में हो सकती हैं। निम्न समस्याएं होने पर आईवीएफ उपचार की ज़रूरत पड़ती है:
- एंडोमेट्रियोसिस: एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में होने वाला एक सामान्य डिसऑर्डर है। यह होने पर गर्भाशय के बाहर असामान्य रूप से टिश्यू का विकास होता है, जो फैलोपियन ट्यूब, अंडाशय और गर्भाशय को प्रभावित करते हैं। रिसर्च के मुताबिक, एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिला आईवीएफ की मदद से गर्भधारण कर सकती हैं।
- ओव्यूलेशन से संबंधित डिसऑर्डर: ओव्यूलेशन संबंधित डिसऑर्डर से पीड़ित महिला के अंडाशय में अंडा उत्पन्न नहीं होता है, जिसके कारण गर्भधारण में परेशानी होती है। ओव्यूलेशन संबंधित डिसऑर्डर से पीड़ित महिला के लिए आईवीएफ एक सफल और सुरक्षित उपचार है।
- फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या खराब होना: यह समस्या होने पर महिला को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसमें मुख्य रूप से गर्भाशय से अंडे रिलीज नहीं होना, अंडे का स्पर्म से नहीं मिलना और अंतत: महिला को निःसंतानता होना आदि शामिल हैं। इन स्थितियों में आईवीएफ एक बेहतर उपचार विकल्प के रुप में सामने आता है।
- यूटेराइन फाइब्रॉइड्स: यह महिलाओं में होने वाले निःसंतानता के कई कारणों में से एक है। इससे महिला के गर्भाशय का शेप और आकार बदल सकता है जिससे गर्भाशय के निचले हिस्से यानी सर्विक्स में भी बदलाव आते हैं। यूटेराइन फाइब्रॉइड्स से पीड़ित महिला आईवीएफ की मदद से गर्भधारण कर सकती हैं।
- अस्पष्टीकृत निःसंतानता: जाँच के बाद भी जब निःसंतानता के सटीक कारणों का पता नहीं चलता है तो इस स्थिति को अस्पष्टीकृत निःसंतानता कहते हैं। आईवीएफ अस्पष्टीकृत निःसंतानता का उचित इलाज माना जाता है।
- स्पर्म की क्वालिटी खराब होना: स्पर्म की क्वालिटी खराब और क्वांटिटी कम होने के कारण पुरुष निःसंतानता की शिकायत होती है। स्पर्म की क्वालिटी खराब और संख्या कम होने पर अंडा के साथ फर्टिलाइज करना मुश्किल होता है। इसका इलाज करने के लिए आईवीएफ के साथ-साथ आईसीएससी का उपयोग किया जाता है।
- आनुवंशिक डिसऑर्डर: कुछ मामलो में आनुवंशिक डिसऑर्डर के कारण भी एक जोड़े को गर्भधारण करने में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में फर्टिलिटी एक्सपर्ट, आईवीएफ उपचार की मदद से दम्पतियों को गर्भधारण करके, संतान का सुख प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।
अगर आप ऊपर दी गई समस्याओं से पीड़ित हैं या अन्य कारणों से गर्भधारण करने में असमर्थ हैं तो हमारे अनुभवी फर्टिलिटी डॉक्टर के साथ अप्वाइंटमेंट बुक कर फ्री परामर्श कर सकते हैं।
आईवीएफ में कितना खर्च आता है?
आईवीएफ का खर्च शहर और क्लिनिक के अनुसार अलग-अलग होता है। आमतौर भारत में एक आईवीएफ साइकिल का खर्च लगभग 80,000 से 2,50,000 तक आ सकता है।
आईवीएफ के लिए आयु सीमा क्या है या आईवीएफ कौन करवा सकता है?
आईवीएफ कराने के लिए पुरुष और महिला दोनों की उम्र 21 से 55 साल के बीच होनी चाहिए। हालाँकि, कुछ फर्टिलिटी क्लिनिक में आईवीएफ के लिए महिला की अधिकतम उम्र 40 मानी जाती है। आईवीएफ उन दंपत्तियों के लिए एक विकल्प है, जिन्हें प्रजनन संबंधी समस्याएं हैं, जैसे बंद फैलोपियन ट्यूब, ओव्यूलेशन डिसऑर्डर, शुक्राणु की कम संख्या या अस्पष्टीकृत निःसंतानता।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के लिए खुद को कैसे तैयार करें?
आईवीएफ के लिए खुद को तैयार करने के लिए आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना पड़ता है। इससे आईवीएफ के सफल होने की संभावना अधिक और साइड इफेक्ट्स का खतरा कम होता है।
आईवीएफ की तैयारी में निम्न शामिल हैं:
- अपने आप को मानसिक रूप से तैयार करें। इसके लिए अपने साथी, परिवार और दोस्तों की मदद लें।
- जब आप मानसिक रूप से तैयार हो जाएं तो एक भरोसेमंद फर्टिलिटी डॉक्टर और सेंटर का चयन करें।
- स्वस्थ डाइट लें। डाइट में प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन को शामिल करें। हरी सब्जियों और फलों का सेवन करें।
- रोजाना समय पर सोएं और जगें। सुबह उठने के बाद नहाएं। खुद के शरीर की सफाई का ख़ास ध्यान रखें।
- रोजाना सुबह हल्का व्यायाम करें। मन शांत करने के लिए मेडिटेशन और योग करें। हेवी एक्सरसाइज से बचें।
- सिगरेट, शराब या दूसरी नशीली चीजों से दूर रहें। तनाव से दूर रहें। उन कामों को करें जिससे आपको खुशी मिलती है।
- वजन कम या अधिक होने पर डॉक्टर से परामर्श करें। डॉक्टर से डाइट और लाइफस्टाइल संबंधित टिप्स लें और उन्हें फॉलो करें।
साथ ही, अपने मन पसंद की फिल्में देखें, किताबें पढ़ें और गानों को सुनें। मन परेशान हो या कोई और परेशानी हो तो अपने परिवार वालों, दोस्तों और डॉक्टर से खुलकर उस बारे में बात करें।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) से पहले पुरुष की जाँच
आईवीएफ से पहले प्रजनन विशेषज्ञ कुछ खास जाँच करने का सुझाव देते हैं। पुरुष को निम्न जाँच कराने पड़ते हैं:
- सीमेन एनालिसिस
- हॉर्मोन टेस्टिंग
- अल्ट्रासाउंड
- एमआरआई
- वासोग्राफी
- टेस्टिकुलर बायोप्सी
- जेनेटिक टेस्टिंग
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) से पहले महिला की जाँच
पुरुष के साथ-साथ आईवीएफ उपचार से पहले महिला का जाँच किया जाता है। जाँच की मदद से डॉक्टर को निःसंतानता के सटीक कारण और अन्य समस्याओं की पुष्टि में मदद मिलती है।
- ओव्युलेशन टेस्ट
- ओवेरियन रिजर्व टेस्ट
- पेल्विक अल्ट्रासाउंड
- हिस्टेरोस्कोपी
ऊपर दिए गए जांचों को करने के बाद डॉक्टर आईवीएफ उपचार की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) की प्रक्रिया
आईवीएफ उपचार एक लंबी प्रक्रिया है जिसे पूरा होने में लगभग 6-8 सप्ताह का समय लगता है। इस उपचार प्रक्रिया में निम्न चरण शामिल हैं:
- डॉक्टर के साथ परामर्श: जब आप प्रजनन विशेषज्ञ से मिलते हैं तो, वे आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानते हैं, लक्षणों से संबंधित कुछ प्रश्न पूछते हैं, फिर कुछ जाँच करने का सुझाव देते हैं। उसके बाद, आवश्यकता अनुसार डॉक्टर आईवीएफ उपचार शुरू करते हैं।
- ओवेरियन स्टिमुलेशन: आईवीएफ उपचार में एक से अधिक अंडे की आवश्यकता होती है। इससे आईवीएफ सफल होने की संभावना बढ़ती है। इसलिए ओवरी को स्टिमुलेट करने के लिए महिला को 4-6 या 6-12 दिनों तक हार्मोनल दवाएं और इंजेक्शन दी जाती हैं।
- ट्रिगर इंजेक्शन: यह इंजेक्शन अंडों को मैच्योर बनाता है। इस प्रक्रिया के 33-36 घंटों के बाद डॉक्टर एग रिट्रीवल यानी अंडाशय से अंडे निकालने की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।
- अंडे निकालना: इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर महिला के अंडाशय से मैच्योर एग को निकालते हैं। इसे पूरा होने में लगभग 20-30 मिनट का समय लगता है। प्रक्रिया में लगभग 8-16 अंडो को निकाला जाता है।
- स्पर्म लेना: अंडे निकालने के बाद, उसी दिन डॉक्टर पुरुष साथी से स्पर्म भी कलेक्ट करते हैं। डोनर स्पर्म या फ्रोजेन स्पर्म की स्थिति में डॉक्टर पहले ही लैब में स्पर्म को तैयार कर लेते हैं। उसके बाद, उसे वाश करके उसका शुद्धिकरण करते हैं।
- फर्टिलाइजेशन: अंडा लेने और स्पर्म का शुद्धिकरण करने के बाद, डॉक्टर एक इनक्यूबेटर (अंडे सेने वाली मशीन) में अंडा और स्पर्म को फर्टिलाइजेशन के लिए रखते हैं।
- भ्रूण का विकास: फर्टिलाइजेशन के बाद, अंडा एक भ्रूण में विकसित होता है। डॉक्टर उस भ्रूण को एक अलग इन्क्यूबेटर में रखकर 5-6 दिनों तक उसके विकास को मॉनिटर करते हैं।
- भ्रूण स्थानांतरण: विकसित भ्रूण को इन्क्यूबेटर से बाहर निकालकर महिला की यूटेराइन वॉल पर इम्प्लांट किया जाता है। इस प्रक्रिया में 15-20 मिनट लगता है। एम्ब्र्यो ट्रांसफर करने के कुछ घंटों के बाद महिला अपने घर जा सकती है।
- गर्भावस्था की जाँच: आईवीएफ उपचार के दो सप्ताह बाद, डॉक्टर महिला को क्लिनिक बुलाकर खून की जाँच करते हैं। जाँच के दौरान खून में एचसीजी (hCG) की पुष्टि की जाती है।
आईवीएफ गर्भधारण सफल होने पर जाँच का रिजल्ट पॉजिटिव आता है और खून में एचसीजी की मौजूदगी पाई जाती है। गर्भधारण होने पर डॉक्टर मरीज को प्रेगनेंसी टिप्स देते हैं।
आईवीएफ कितने दिन में होता है?
व्यक्तिगत परिस्थितियों और दवाओं की प्रतिक्रिया के आधार पर, आईवीएफ प्रक्रिया में आमतौर पर ओवेरियन स्टिमुलेशन की शुरुआत से लेकर एम्ब्र्यो ट्रांसफर तक 4 से 6 सप्ताह लगते हैं। हालाँकि, कुछ मामलों में समय थोड़ा बहुत आगे-पीछे हो सकता है।
आईवीएफ की सफलता दर क्या है?
आईवीएफ की सफलता दर उम्र के अनुसार अलग-अलग होती है। 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए सफलता दर लगभग 40-50% है। 40 से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए, सफलता दर घटकर लगभग 10-20% हो जाती है।
आईवीएफ उपचार प्रक्रिया में कितने चरण शामिल हैं?
आईवीएफ में आठ मुख्य चरण शामिल हैं: ओवेरियन स्टिमुलेशन, ट्रिगर इंजेक्शन, अंडे निकालना, स्पर्म लेना, फर्टिलाइजेशन, भ्रूण का विकास, भ्रूण स्थानांतरण और गर्भावस्था की जाँच।
आइवीएफ़ प्रक्रिया में कितना दर्द होता है?
आईवीएफ प्रक्रिया में एग रिट्रीवल और हार्मोन इंजेक्शन जैसे कुछ चरणों के दौरान हल्की असुविधा हो सकती है, लेकिन यह आमतौर पर दर्दरहित होता है। अगर किसी भी प्रक्रिया के दौरान आपको दर्द हो तो तुरंत अपने डॉक्टर को इन्फॉर्म करें।
आईवीएफ बेबी ओर नार्मल बेबी में फर्क है?
लोगों के बीच यही धरना है कि आईवीएफ शिशु और नॉर्मल बेबी के बीच अंतर् होता है, लेकिन सच्चाई यह है कि इन दोनों में कोई अंतर नहीं है। गर्भधारण के बाद दोनों एक ही तरह से विकसित होते हैं। अगर आपको इस बारे में और जानकारी चाहिए तो हमरे एक्सपर्ट से फ्री परामर्श करें।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के फायदे
आईवीएफ उन लोगों के लिए एक वरदान की तरह है, जो किसी कारण माता-पिता बनने में सक्षम नहीं हैं। इस उपचार के फायदों में निम्न शामिल हैं:
- आईवीएफ उपचार में स्वस्थ अंडे और स्पर्म को चुनते हैं जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है।
- आईवीएफ उपचार करने से पहले फर्टिलिटी डॉक्टर पुरुष और महिला दोनों की विस्तृत जाँच करते हैं। अगर स्पर्म की क्वालिटी ख़राब और संख्या कम है या ओवरी में स्वस्थ अंडे उत्पन्न नहीं हो रहे हैं, तो इस स्थिति में डोनर स्पर्म और अंडे का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- आईवीएफ को सरोगेसी के लिए बेस्ट बिकल्प माना जाता है। अगर आप सरोगेसी के जरिए माता-पिता बनने का प्लान बना रहे हैं तो यह आपके लिए बेहतर विकल्प है।
- आईवीएफ उपचार के बाद गर्भपात का खतरा कम होता है। यह निःसंतानता का एक सुरक्षित और सफल इलाज है।
इन सबके अलावा, आईवीएफ एक दम्पति प्रेगनेंसी का समय तय करने की आजादी देता है। एक महिला खुद इस बात का फैसला कर सकती है कि उसे कब गर्भधारण करना है।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के साइड इफेक्ट्स
आईवीएफ के अनेक फायदों के साथ-साथ कुछ संभावित साइड इफेक्ट्स भी हैं, जिसमें निम्न शामिल हैं:-
- अंडे निकालते समय जटिलता
- एक से अधिक शिशु के जन्म की संभावना
- मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक असंतुलन
- तनाव, कब्ज और हल्के क्रैम्प्स
- जन्म के समय शिशु का वजन कम होना
- हेवी वेजाइनल ब्लीडिंग
- दस्त और मतली
- पेडू में दर्द और पेशाब में खून
इन सबके अलावा, कुछ मामलों में आईवीएफ के गंभीर साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जैसे कि:
- शिशु में जन्मजात दोष
- ओवेरियन कैंसर
- गर्भपात का खतरा
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी
- समय से पहले प्रसव
- ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम
एक अनुभवी फर्टिलिटी डॉक्टर और विश्वसनीय क्लिनिक का चयन एवं डॉक्टर द्वारा बताई गई बातों का ध्यान रखकर, इनके खतरे को कम किया जा सकता है।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के लिए फर्टिलिटी डॉक्टर को कैसे चुनें?
अगर आप आईवीएफ उपचार से गर्भधारण करना चाहती हैं तो एक विश्वसनीय फर्टिलिटी डॉक्टर का चयन करें। चयन करने से पहले आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, जानने के लिए नीचे पढ़ें:
- डॉक्टर के पास कौन सी डिग्री है। उसने कहाँ से पढाई की है और फर्टिलिटी उपचार के किस क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त है या नहीं।
- डॉक्टर का अनुभव आईवीएफ की सफलता दर को काफी हद तक प्रभवित करता है। इसलिए उनके अनुभव की पुष्टि करें।
- मरीज के साथ फर्टिलिटी डॉक्टर का व्यवहार कैसा है। इस बारे में इंटरनेट पर पढ़ें। साथ ही, जो लोग उस डॉक्टर से इलाज करवा चुके हैं, उनसे बात कर करें।
- आईवीएफ उपचार में फर्टिलिटी डॉक्टर का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है, अब तक उन्होंने कितने आईवीएफ उपचार किए हैं और उसकी सफलता दर क्या है आदि के बारे में पता लगाएं।
- फर्टिलिटी डॉक्टर जिस आईवीएफ सेंटर में बैठते हैं उसके बारे में पता करें। क्लिनिक की विश्वसनीयता और सुविधाओं के बारे में भी जानें।
इन सबके अलावा, आईवीएफ उपचार का खर्च, डॉक्टर और आईवीएफ सेंटर के आधार पर बदलता है। इसलिए आप जिस क्लिनिक का चयन करने वाले हैं, वहां इसका कितना खर्च अत है पता करें।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के बाद किन बातों का ध्यान दें
आईवीएफ उपचार के बाद डॉक्टर के दिशा निर्देश का खास ध्यान रखें, क्योंकि इससे आईवीएफ उपचार सफल होने की संभावना बढ़ती है। इसमें शामिल हैं:
- सेक्स से परहेज करें
- भारी सामान न उठाएं
- नशीली चीजों से दूर रहें
- समय पर दवाएं लें
- संतुलित डाइट लें
- तनाव से दूर रहें
- स्वस्थ वजन रखें
- खुश और फ्रेश रहें
आईवीएफ उपचार के बाद, आपमें अनेको भावनात्मक और शारीरिक बदलाव आते हैं। अगर आपको कोई परेशानी या मन में प्रश्न हो तो डॉक्टर से संपर्क करें और उनसे इस बारे में बात करें।
अनेक कारणों से एक दम्पति को गर्भधारण करने में दिक्कतें आ सकती हैं। अगर आप भी पिछले एक वर्ष या उससे अधिक समय से प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ हैं तो, फर्टिलिटी एक्सपर्ट से परामर्श करने के बाद आईवीएफ उपचार का चयन कर सकते हैं।